Maharana Pratap Birth Anniversary: महाराणा प्रताप को कहा जाता है देश का पहला 'स्वतंत्रता सेनानी', जानिए दिलचस्प बातें

Maharana Pratap
ANI

मेवाड़ के शासक महाराणा प्रताप का जन्म 09 मई को हुआ था। मुगलों के खिलाफ कई युद्ध लड़े थे और मुगल सम्राट अकबर को युद्ध की भूमि में कई बार टक्कर दी थी। महाराणा प्रताप ने मुगल शासक अकबर के सामने कभी घुटने नहीं टेके।

आज ही के दिन यानी की 09 मई को मेवाड़ के शासक महाराणा प्रताप का जन्म हुआ था। ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को महान वीर योद्धा महाराणा प्रताप का जन्म हुआ था। उन्होंने मुगलों के खिलाफ कई युद्ध लड़े थे और मुगल सम्राट अकबर को युद्ध की भूमि में कई बार टक्कर दी थी। महाराणा प्रताप ने मुगल शासक अकबर के सामने कभी घुटने नहीं टेके। महाराणा प्रताप के शौर्य और वीरता की कहानी इतिहास के स्वर्णिम अक्षरों से लिखी है। तो आइए जानते हैं उनकी बर्थ एनिवर्सरी के मौके पर महाराणा प्रताप के जीवन से जुड़ी कुछ रोचक बातों के बारे में...

जन्म और परिवार

राजस्‍थान के मेवाड़ में 09 मई 1540 को महाराणा प्रताप का जन्म हुआ था। वह प्रताप उदय सिंह द्वितीय और महारानी जयवंता बाई के सबसे बड़े पुत्र थे। वह महान पराक्रमी और युद्ध रणनीति कौशल में दक्ष थे। मुगलों द्वारा बार-बार हुए हमलों से महाराणा प्रताप ने मेवाड़ की रक्षा की। उन्होंने कभी भी अपनी आन-बान और शान के लिए कभी समझौता नहीं किया। चाहे जितनी विपरीत परिस्थिति क्यों न हो, वह कभी हार नहीं मानते।

हल्दीघाटी का युद्ध

हल्दी घाटी में 1576 को महाराणा प्रताप और मुगल बादशाह अकबर के बीच युद्ध हुआ था। महाराणा प्रताप ने अपनी 20 हजार सैनिक और सीमित संसाधनों के बल पर अकबर की 85 हजार सैनिकों वाली विशाल सेना से कई वर्षों तक संघर्ष किया। यह युद्ध 3 घंटे से अधिक समय तक चला था। इस युद्ध में जख्मी होने बाद भी वह मुगलों के हाथ नहीं आए।

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जंगलों में छिप गए थे

महाराणा प्रताप कुछ साथियों के साथ जंगल जाकर छिप गए। वहीं जंगलों में कंद-मूल फल खाकर लड़ते रहे। फिर यही से वह सेना को जमा करने में जुट गए। लेकिन तब तक मेवाड़ के मारे गए सैनिकों की संख्या 1,600 तक पहुंच गई थी। वहीं मुगल सेना में 350 घायल सैनिकों के अलावा 3500 से लेकर 7800 सैनिकों की जान चली गई। वहीं 30 सालों के लगातार प्रयास के बाद भी मुगल शासक अकबर महाराणा प्रताप को बंदी नहीं बना सका। ऐसे में अकबर को महाराणा प्रताप को पकड़ने का ख्याल अपने दिल से निकालना पड़ा।

मृत्यु

वहीं 19 जनवरी 1597 को महाराणा प्रताप का निधन हो गया था। बताया जाता है कि महाराणा प्रताप की मृत्यु पर अकबर की भी आंखें नम हो गई थीं।

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