मोदी-योगी सहित कई दिग्गजों की व्यक्तिगत प्रतिष्ठा दांव पर

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संतोष पाठक । May 15 2019 11:32AM

कांग्रेस ने एक बार फिर से अपने पुराने उम्मीदवार अजय राय को ही मोदी के खिलाफ चुनावी मैदान में उतारा है। हालांकि शुरू में यह खबरें आ रही थी कि मोदी का मुकाबला करने के लिए कांग्रेस अपने ट्रंप कार्ड यानी प्रियंका गांधी को वाराणसी से उतार सकती है लेकिन बाद में कांग्रेस ने अजय राय को ही उतारना बेहतर समझा।

लोकसभा चुनाव अपने अंतिम चरण में पहुंच गया है। सातवें और अंतिम चरण में 19 मई को उत्तर प्रदेश की 13 लोकसभा सीटों पर चुनाव होना है। वैसे तो देश भर में नरेंद्र मोदी और यूपी की बात करे तो मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का बहुत कुछ दांव पर लगा है लेकिन इस सातवें चरण के चुनाव में मोदी-योगी दोनों की ही व्यक्तिगत प्रतिष्ठा दांव पर लगी हुई है। पिछले लोकसभा चुनाव में ये सभी 13 सीटें एनडीए को मिली थी, जिसमें से 12 पर बीजेपी और एक पर उसकी सहयोगी अपना दल को जीत हासिल हुई थी। इस बार 11 सीट पर बीजेपी लड़ रही है और 2 पर उसकी सहयोगी अपना दल। मुकाबले में अखिलेश-मायावती का गठबंधन है जिसमें से सपा 8 और बसपा 5 पर मिलकर चुनाव लड़ रही है। 

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1. वाराणसी (कुल वोटर– 17.96 लाख)– बाबा विश्वनाथ की नगरी वाराणसी 7वें चरण की सबसे हॉट सीटों में से एक है। यहां से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लगातार दूसरी बार चुनाव लड़ रहे हैं। पिछले लोकसभा चुनाव में उनका मुख्य मुकाबला आम आदमी पार्टी के अरविंद केजरीवाल के साथ हुआ था। इस बार मोदी के मुकाबले में सपा-बसपा गठबंधन की तरफ से शालिनी यादव चुनाव लड़ रही हैं वहीं कांग्रेस ने एक बार फिर से अपने पुराने उम्मीदवार अजय राय को ही मोदी के खिलाफ चुनावी मैदान में उतारा है। हालांकि शुरू में यह खबरें आ रही थी कि मोदी का मुकाबला करने के लिए कांग्रेस अपने ट्रंप कार्ड यानी प्रियंका गांधी को वाराणसी से उतार सकती है लेकिन बाद में कांग्रेस ने अजय राय को ही उतारना बेहतर समझा। पिछले लोकसभा चुनाव में नरेंद्र मोदी को यहां से पौने चार लाख के लगभग वोटों के अंतर से जीत हासिल हुई थी और इस बार भी उनकी जीत तय मानी जा रही है। बस देखना यह है कि इस बार जीत का अंतर क्या रहेगा और दूसरे स्थाल पर कौन रहेगा?

2. गोरखपुर (कुल वोटर– 19.03 लाख)– संसदीय क्षेत्र से प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की व्यक्तिगत प्रतिष्ठा जुड़ी हुई है। यह गोरखनाथ मठ की सीट मानी जाती है क्योंकि यहां से योगी के गुरू महंत अवैद्यानाथ चुनाव जीतते रहे हैं और बाद में उनके उत्तराधिकारी के रूप में योगी आदित्यनाथ ने गोरखपुर से लगातार 5 बार जीत हासिल की। लेकिन उनके मुख्यमंत्री बनने के बाद हुए लोकसभा उपचुनाव में सपा ने यह सीट बीजेपी से छीन ली थी। इस बार बीजेपी ने उम्मीदवार बदलते हुए यहां से भोजपुरी सिनेमा स्टार रवि किशन को उम्मीदवार बनाया है तो वहीं उपचुनाव में जीतने वाले उम्मीदवार का टिकट काट कर सपा ने रामभुआल निषाद को चुनावी मैदान में उतारा है। कांग्रेस से मधुसूदन तिवारी ताल ठोंक रहे हैं। 

3. गाजीपुर (कुल वोटर- 18.01 लाख)– संसदीय सीट पर केन्द्रीय मंत्री मनोज सिन्हा की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है। पिछले चुनाव में इस सीट पर मनोज सिन्हा और सपा उम्मीदवार शिवकन्या कुशवाहा के बीच कांटे की टक्कर हुई थी और मनोज सिन्हा केवल 33 हजार के लगभग वोटों से ही जीत पाए थे। लेकिन इस बार सपा-बसपा गठबंधन में यह सीट मायावती के खाते में चली गई है और बसपा ने इस सीट पर अफजाल अंसारी को गठबंधन के उम्मीदवार के तौर पर चुनावी मैदान में उतारा है। कांग्रेस की तरफ से  अजीत प्रसाद कुशवाहा यहां से ताल ठोंक रहे हैं। इस सीट पर यादव मतदाताओं की संख्या सबसे ज्यादा है, इसके बाद दलित और मुस्लिम मतदाता है। ये तीनों मिलकर 50 फीसदी के लगभग हो जाते हैं। मायावती के उम्मीदवार को इसी जातीय समीकरण के सहारे जीत की उम्मीद है जबकि मनोज सिन्हा विकास और मोदी के नाम पर जनसमर्थन हासिल होने का दावा कर रहे हैं।

4. चंदौली (कुल वोटर– 17.20 लाख)– संसदीय सीट पर उत्तर प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष और वर्तमान सांसद महेंद्र नाथ पांडेय की व्यक्तिगत प्रतिष्ठा दांव पर लगी है। वो दोबारा से यहीं से चुनाव लड़ रहे हैं। विपक्षी गठबंधन से सपा ने संजय चौहान को चुनावी मैदान में उतारा है। पिछले लोकसभा चुनाव में महेंद्र नाथ पांडेय को टक्कर देने वाले बसपा उम्मीदवार अनिल कुमार मौर्या अब बीजेपी के विधायक बन चुके हैं लेकिन इसके बावजूद सपा-बसपा गठबंधन की वजह से यहां कांटे की टक्कर मानी जा सही है। कांग्रेस के समर्थन से जनअधिकार पार्टी की तरफ से शिवकन्या कुशवाहा ने चुनावी मैदान में उतरकर लड़ाई को दिलचस्प बना दिया है।

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5. घोसी (कुल वोटर- 18.91 लाख)– संसदीय सीट से बीजेपी ने एक बार फिर से अपने वर्तमान सांसद हरिनारायण राजभर को ही चुनावी मैदान में उतारा है। पिछले चुनाव में राजभर ने बसपा उम्मीदवार दारा सिंह चौहान को हराया था। बाद में चौहान ने मायावती का साथ छोड़कर बीजेपी का दामन थाम लिया और वो वर्तमान में प्रदेश की योगी सरकार में मंत्री हैं। गठबंधन उम्मीदवार के तौर पर बसपा की तरफ से अतुल राय राजभर के खिलाफ ताल ठोंक रहे हैं। कांग्रेस की तरफ से बालक़ृष्ण चौहान चुनावी मैदान में हैं। 

6. बासगांव (कुल वोटर– 17.60 लाख)– संसदीय सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है। इस सीट पर दोनों ही गठबंधनों की तरफ से पुराने उम्मीदवार ही ताल ठोंक रहे हैं। बीजेपी ने यहां से वर्तमान सांसद कमलेश पासवान को फिर से उम्मीदवार बनाया है वहीं बसपा ने भी 2014 में चुनाव हारने वाले सदल प्रसाद पर ही फिर से दांव लगाया है। शिवपाल यादव ने यहां से सुरेन्द्र प्रसाद को मैदान में उतार कर लड़ाई को रोचक बना दिया है। 

7. महाराजगंज (कुल वोटर- 17.43 लाख)– संसदीय सीट से बीजेपी ने अपने वर्तमान सांसद पंकज चौधरी पर फिर से दांव लगाया है। विरोधी गठबंधन की तरफ से सपा उम्मीदवार के तौर पर अखिलेश सिंह उनका मुकाबला करने के लिए मैदान में हैं। जबकि कांग्रेस की तरफ से वरिष्ठ महिला पत्रकार सुप्रिया श्रीनेत पहली बार लोकसभा का चुनाव लड़ रही हैं।

8. सलेमपुर (कुल वोटर– 16.61 लाख)– लोकसभा सीट से बीजेपी उम्मीदवार के तौर पर वर्तमान सांसद रवीन्द्र कुशवाहा चुनाव लड़ रहे हैं। विरोधी गठबंधन की तरफ से बसपा ने अपने प्रदेश अध्यक्ष आरएस कुशवाहा को चुनावी मैदान में उतारा है। जबकि कांग्रेस ने वाराणसी से सांसद रह चुके अपने पुराने नेता राजेश मिश्र को चुनावी मैदान में उतारकर लड़ाई को त्रिकोणीय बना दिया है। 

अब बात उन सीटों की कर लेते हैं जहां से बीजेपी ने अपना उम्मीदवार बदल दिया है। पांच लोकसभा सीटें ऐसी है जहां से बीजेपी ने अपने वर्तमान सांसद का टिकट काट दिया है या फिर क्षेत्र बदल दिया है। गोरखपुर के बारे में हम आपको पहले ही बता चुके हैं। इसमें से एक सीट राबर्ट्सगंज को बीजेपी ने अपने सहयोगी अपना दल (एस)  को दे दिया है। 

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9. बलिया (कुल वोटर– 17.68 लाख)– क्रांति की धरती बलिया से बीजेपी ने अपने क्रांतिकारी छवि वाले वर्तमान सांसद भरत सिंह का टिकट काट कर पिछली बार भदोही से चुनाव जीते और किसान मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष वीरेंद्र सिंह मस्त को यहां से चुनावी मैदान में उतारा है। 2014 में भरत सिंह ने यहां से पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर के बेटे नीरज शेखर को भारी अंतर से चुनाव हराया था। सपा ने भी चंद्रशेखर के बेटे का टिकट काटते हुए इस बार यहां से सनातन पांडेय को चुनावी मैदान में उतारा है। 

10. कुशीनगर (कुल वोटर– 16.80 लाख)– संसदीय सीट से बीजेपी ने अपने वर्तमान सांसद राजेश पांडेय उर्फ गुड्डू का टिकट काट कर विजय दूबे को मैदान में उतारा है। पिछली बार चुनाव हारे आरपीएन सिंह फिर से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं। गठबंधन से सपा उम्मीदवार के तौर पर नथुनी प्रसाद कुशवाहा ने चुनावी लड़ाई को त्रिकोणीय बना दिया है। 

11. देवरिया (कुल वोटर- 18.06 लाख)– लोकसभा क्षेत्र से बीजेपी ने अपने वर्तमान सांसद और दिग्गज ब्राह्मण नेता कलराज मिश्रा का टिकट काटकर पूर्व प्रदेश अध्यक्ष रमापति राम त्रिपाठी को चुनावी घमासान में उतारा है। कहा तो यह भी जा रहा है कि जूता कांड की वजह से संत कबीर नगर से वर्तमान सांसद और इनके बेटे शरद त्रिपाठी का टिकट काटने के बाद जातीय समीकरण को साधने के लिए ही इन्हे देवरिया से चुनावी मैदान में उतारा गया है। बसपा ने अपना उम्मीदवार बदल कर इस बार विनोद जायसवाल को यहां से टिकट थमाया है। जबकि 2014 में इसी सीट से बसपा उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ने वाले नियाज अहमद इस बार कांग्रेस के टिकट पर बीजेपी को चुनौती दे रहे हैं। 

12. राबर्ट्सगंज (कुल वोटर– 16.39 लाख)– सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है। यहां से बीजेपी ने अपने वर्तमान सांसद छोटेलाल खरवार का टिकट काटते हुए इस सीट को सहयोगी अपना दल (एस) के कोटे में डाल दिया है। एनडीए उम्मीदवार के तौर पर अपना दल से पकौड़ी लाल कोल चुनावी मैदान में हैं। विरोधी गठबंधन से सपा उम्मीदवार के तौर पर भाई लाल कोल ताल ठोंक रहे हैं। कांग्रेस की तरफ से भगवती प्रसाद चौधरी चुनावी मैदान में हैं। 

13. मिर्जापुर (कुल वोटर– 17.21 लाख)– संसदीय सीट एनडीए गठबंधन में अपना दल (एस) के कोटे में आती है। पिछली बार भी यहां से एनडीए उम्मीदवार के तौर पर अनुप्रिया पटेल ने जीत हासिल की थी और बाद में सहयोगी दल के कोटे के तौर पर उन्हे मोदी सरकार में मंत्री भी बनाया गया। अनुप्रिया पटेल पर इस बार अपनी सीट को बचाने की चुनौती है। सपा की तरफ से रामचरित्र निषाद अनुप्रिया को चुनौती दे रहे हैं। दिलचस्प तथ्य तो यह है कि निषाद 2014 में बीजेपी के टिकट पर मछलीशहर से जीत कर सांसद बने थे लेकिन इस बार उन्होने अखिलेश का दामन थाम लिया है। कांग्रेस ने अपने पुराने उम्मीदवार ललितेश पति त्रिपाठी को ही फिर से चुनावी मैदान में उतारा है।

- संतोष पाठक

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