सनातन विरोधी, पश्चिमी विचारों और असभ्यता का गठबंधन है आई.एन.डी.आई.ए.

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वर्ष 2023 में हुए कुल नौ राज्यों के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस को हिमाचल, कर्नाटक व तेलंगाना में विजय प्राप्त हुई है और कांग्रेस अपने सहयोगी दलों के साथ मिलकर चुनाव लड़ने को लेकर काफी उत्साहित है हालांकि इस महागठबंधन में कई पेंच इतनी बुरी तरह से उलझ गये हैं कि सुलझना कठिन होता जा रहा है।

वर्ष 2024 में लोकसभा चुनावों को लेकर सभी राजनैतिक दलों ने अपनी कमर कस ली है और तैयारियों को अंतिम रूप देने में लग गये हैं। प्रधानमंत्री नरेंद मोदी के नेतृत्व में सत्तारूढ़ एन.डी.ए. गठबंधन जहां बेहद आक्रामक ढंग से अपनी तैयारी में जुट गया है वहीं विपक्ष भी आई.एन.डी.आई.ए. बनाकर चुनावी घमासान करने के लिए तैयार हो चुका है। वर्ष 2023 में हुए कुल नौ राज्यों के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस को हिमाचल, कर्नाटक व तेलंगाना में विजय प्राप्त हुई है और कांग्रेस अपने सहयोगी दलों के साथ मिलकर चुनाव लड़ने को लेकर काफी उत्साहित है हालांकि इस महागठबंधन में कई पेंच इतनी बुरी तरह से उलझ गये हैं कि सुलझना कठिन होता जा रहा है।

भाजपा जहाँ राम मंदिर, सनातन संस्कृति के उत्थान और विकसित भारत संकल्प यात्रा के बल पर लागातर आगे बढ़ती जा रही है वहीं दूसरी ओर आई.एन.डी.आई.ए गठबंधन की भी अब तक चार बैठकें हो चुकी हैं यद्यपि अभी तक इसके संयोजक का नाम तक तय नहीं हो पाया है तथापि 19 दिसंबर को आयोजित बैठक में कांग्रेस ने गठबंधन में शामिल दलों से सीट साझा करने पर चर्चा करने के लिए एक पांच सदस्यीय कमेटी का गठन कर दिया है और गठबंधन नेता दावा कर रहे हैं कि आगामी 20 दिनों में सीटों के बंटवारे का फार्मूला तय हो जायेगा। 

जब दो राज्यों हिमाचल व कर्नाटक में कांग्रेस को सफलता मिली तब कुछ विश्लेषकों को ऐसा लगने लगा कि प्रधानमंत्री नरेंद मोदी का जादू उतरने लगा है और कांग्रेस के नेतृत्व में संपूर्ण विपक्ष के मन में आशा का एक नया संचार हुआ है किंतु राजस्थान, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ तथा मिजोरम में भी कांग्रेस व उसके सहयोगी दलों की पराजय के बाद स्थितियां पूरी तरह से बदल चुकी हैं। मध्यप्रदेश, राजस्थान व छत्तीसगढ़ में ऐतिहासिक विजय के बाद भारतीय जनता पार्टी ने तीनों राज्यों में सफलतापूर्वक नेतृत्व परिवर्तन भी कर दिया जिससे सभी राजनैतिक विश्लेषक व सूत्रों के आधार पर समाचार चलाने वाले बड़े-बड़े एंकर व पत्रकारों तक हैरान रह गए और विरोधी दलों की राजनीति में भी हड़कंप मच गया। 

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आगामी 22 जनवरी को अयोध्या में बन रहे भव्य राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा समारोह का आयोजन होने जा रहा है। श्रीरामजन्मभूमि तीर्थक्षेत्र ट्रस्ट ने इसके लिए सोनिया गांधी, पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, मल्लिकार्जुन खड़गे, वामपंथी नेता सीताराम येचुरी सहित कई विपक्षी नेताओं को भी समारोह का निमंत्रण पत्र भेजकर कई राजनैतिक निशाने साध दिये हैं। अगर आई.एन.डी.आई. गठबंधन के नेता रामलला मंदिर के उद्घाटन समारोह में नहीं जाते हैं तो यह हिंदू तथा सनातन विरोधी सिद्ध हो जायेंगे किन्तु चले गये तो इनके मुस्लिम वोटबैंक छिटकने का खतरा पैदा हो जायेगा। 

अगर विरोधी दलों के नेता समारोह में नहीं जाते है तो भारतीय जनता पार्टी व समस्त हिंदू संगठन आसानी से इन दलों पर हमलावर हो जायेंगे  और इनकी विकृत विचारधारा पर तीखे हमले करके इन सभी दलों के नेताओं को नकली हिंदू साबित करेंगे और यह सभी दल बहुत आसानी से रामद्रोही सिद्ध हो जायेंगे। सर्वाधिक समस्या उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी को होने जा रही है क्योंकि रामभक्त कारसेवकों पर गोली चलवाकर ही मुलायम ने मुसलमानों को अपना बनाया था और मुस्लिम यादव गठजोड़ से सत्ता पाई थी अब अगर उनके पुत्र और सपा नेता अखिलेश यादव समारोह में चले जाते हैं तो उनके एम वाई समीकरण को गहरा आघात लगना तय है।  

अभी जब राम मंदिर निर्माण के लिए समर्पण अभियान चलाया जा रहा था तब सपा नेताओं ने संघ व भाजपा को चंदाजीवी कहकर अपमानित किया था और आम आदमी पार्टी ने दो कदम आगे जाकर रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के चंपत राय जी पर जमीन घोटाले के फर्जी आरोप लगा दिये थे जबकि वास्तविकता यह है कि आज आप के सभी बड़े प्रमुख नेता मनीष सिसौदिया, संजय सिंह व सुरेंद जैन जेल की सलाखों के पीछे हैं जबकि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल जो शराब घोटाले के मुख्य किरदार हैं वह अपनी गिरफ्तारी से बचने के लिए बार-बार भाग रहे हैं। अयोध्या में भगवान राम का मंदिर न बन पाये  इसके लिए कांग्रेस ने पूरी ताकत लगा रखी थी। आई.एन.डी.आई.ए. गठबंधन में शामिल सभी दल व नेता हिंदू सनातन संस्कृति, भारतीय सभ्यता व संस्कृति, भाषा, रहन सहन व खान पान के घोर विरोधी हैं। आई.एन.डी.आई.ए. गठबंधन के सभी नेता मुस्लिम तुष्टिकरण, ईसाइयत व पश्चिमी सभ्यता में आकंठ डूबे हैं जो अपनी असभ्य हरकतों व जवानों को कला व अभिव्यक्ति की आजादी बताकर सही ठहरा रहे हैं। 

मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ व राजस्थान में पराजय के बाद तो विरोधी दलों के नेता संतुलन ही खो बैठे हैं। विधानसभा चुनावों के पूर्व तमिलनाडु के द्रमुक नेताओं ने सनातन धर्म का उन्मूलन करने के लिए खूब जहरीली बयानबाजी करी है और माफी भी नहीं मांगी तथा कांग्रेस नेता राहुल गांधी जो मोहब्बत की दुकान खोले बैठे हैं उन्होंने इस पर चुप्पी साध ली जिसका परिणाम कांग्रेस ने भुगत लिया है। अब राममला की प्राण- प्रतिष्ठा समारोह में जाना कांग्रेस के लिए साँप छछूंदर की गति जैसा हो गया है जाए तो भी मुश्किल और न जाए तो भी मुश्किल। 

कांग्रेस के नेतृत्व में बने आई.एन.डी.आई.ए. गठबंधन के सभी नेताओं ने हिंदू धर्म का जमकर मजाक उड़ाया व अपमान किया है। कांग्रेस ने तो भगवान राम का अस्तित्व ही नकार दिया था और ज्ञानवापी में मिले शिवलिंग को फव्वारा तक कह दिया था। राज्य विधानसभा के चुनाव समाप्त  हो जाने के बाद भी तमिलनाडु के द्रमुक नेताओं की असभ्य बयानबाजी जारी है वहीं  संसद के दोनो सदनों में विपक्षी सांसदो के सामूहिक निलंबन की ऐतिहासिक घटना के बाद ममता बनर्जी की पार्टी टीएमसी के सांसद कल्याण बनर्जी संवैधानिक पद पर विराजमान भारत के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड का मजाक बना रहे है और बार-बार कह रहे हैं कि वह उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ का हजार बार मजाक उड़ायेंगे।

संसद के शीतकालीन सत्र में द्रमुक सांसद ने गौमाता का अपमान करते हुए बयान दिया था कि बीजेपी केवल गोमूत्र वाले राज्यों में ही है। अभी डीएमके नेता दयानिधि मारने ने बयान दिया है कि यूपी-बिहार के लोग सिर्फ हिंदी सीखते हैं और इसके बाद तमिलनाडु मजदूरी करने के लिए आते हैं वो शौचालय और सड़कों की सफाई जैसे काम करते हैं। अभी आई.एन.डी.आई.ए गठबंधन की पिछली बैठक के दौरान जब बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जी ने हिंदी में भाषण दिया तो द्रमुक नेता टी.आर. बालू ने उनके भाषण का अंग्रेजी अनुवाद मांग लिया था जिसमें नीतीश कुमार नाराज हो गये थे और कहा था कि हिंदी हमारी राष्ट्रभाषा है यह सभी को आनी चाहिए। 

यदि विहंगम दृष्टि डाली जाये तो यह स्पष्ट दिखता कि 26 दलों के आई.एन.डी.आई.ए गठबंधन के सभी नेताओं में घोर विरोधाभास है। यह सभी दल भ्रष्टाचार के दलदल में अथाह डूबे हुए हैं और गिरफ्तारी से बचने के लिए नये-नये पैंतरे चल रहे हैं। आम आदमी पार्टी के नेता और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के ऊपर शराब घोटाले सहित विभिन्न घोटालों में गिरफ्तारी की तलवार लटक रही है, बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की सरकार बंगाल में भ्रष्टाचार के अथाह दलदल में फंसी हुई है उनके मंत्रियो के यहां लगातार छापे पड़ रहे हैं। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी व उनकी सरकार मुस्लिम तुष्टिकरण में जुटी है, अभी हाल ही में उन्होंने कोलकता में आयोजित गीता समारोह का मजाक उड़ाया था। झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन पर भी गिरफ्तारी की तलवार लटकी है। इन लोगों ने मिलकर गांधी परिवार को दरकिनार करते हुए कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को सुनियोजित साजिश के तहत प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बना दिया जिसके कारण बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के खेमे में नाराजगी दिखी और जदयू के विधायकों ने नाराजगी भरी बयानबाजी कर दी। 

उधर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भाजपा अब आक्रामक हो चुकी है। अयोध्या में रामलला के प्राण-प्रतिष्ठा समारोह को भव्य बनाये जाने के साथ ही वाराणसी में ज्ञानवापी और मथुरा में कृष्ण जन्मभूमि का विवाद भी अब हिंदू समाज के पक्ष में अदालतों में तीव्रता से आगे बढ़ रहा है। घबराया विपक्ष प्रधानमंत्री पर व्यक्तिगत आक्षेप लगाने का प्रयास कर रहा है जिसका प्रभाव उल्टा ही पड़ेगा ।

- मृत्युंजय दीक्षित

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