जेल से बाहर तो आ गयीं शशिकला, लेकिन क्या पूरा हो पायेगा वो अधूरा ख्वाब ?

Sasikala

शशिकला को जेल ऐसे समय पर हुई थी जब उन्हें जयललिता के निधन के बाद अन्नाद्रमुक विधायक दल का नेता चुन लिया गया था और वह मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने ही वाली थीं कि अचानक उन्हें जेल जाना पड़ गया और तमिलनाडु पर राज करने का उनका ख्वाब अधूरा रह गया।

तमिलनाडु पर राज करने का ख्वाब वर्षों से संजोए शशिकला की रिहाई ठीक विधानसभा चुनावों से पहले होना तमिलनाडु की राजनीति में बड़ा उलटफेर कर सकता है। हालांकि शशिकला का स्वास्थ्य अब उन्हें पहले की तरह सक्रियता के साथ राजनीतिक गतिविधियों की कितनी इजाजत देता है यह देखने वाली बात होगी लेकिन एम. करुणानिधि के रूप में बड़ा उदाहरण भी सामने है जिन्होंने व्हील चेयर पर बैठे-बैठे ही वर्षों तक तमिलनाडु पर शासन किया। चुनावों से पहले तमिलनाडु में वैसे भी कई नेता फिट नहीं हैं। रजनीकांत अस्वस्थ होकर अस्पताल पहुँचे और राजनीति में आने की बात से किनारा कर लिया। कमल हासन भी हाल ही में अस्वस्थ हो गये लेकिन विधानसभा चुनावों में पूरे दमखम से उतरने का उनका माद्दा बरकरार है। अब देखना होगा कि शशिकला का आगे का क्या रुख रहता है? वह अन्नाद्रमुक में वापस लौटती हैं या राज्य में तीसरे मोर्चे की अगुवाई करती हैं इस पर सबकी नजर बनी रहेगी। वैसे तमिलनाडु में अब तक तीसरा मोर्चा कुछ नहीं कर पाया है।

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शशिकला की रिहाई अस्पताल से

एआईएडीएमके से निष्कासित नेता वीके शशिकला को बुधवार को अधिकारियों ने औपचारिकताएं पूरी करने के बाद जेल से रिहा कर दिया। शशिकला कोरोना वायरस से संक्रमित होने के बाद विक्टोरिया अस्पताल में भर्ती हैं और उनकी रिहाई की प्रक्रिया अस्पताल से पूरी की गई। एक सप्ताह पहले उनमें संक्रमण की पुष्टि हुई थी। शशिकला के वकील ने उनकी रिहाई संबंधी खबर मीडिया को दी। हम आपको बता दें कि तमिलनाडु की दिवंगत मुख्यमंत्री जे जयललिता की करीबी मित्र शशिकला आय से अधिक 66 करोड़ रुपए की संपत्ति मामले में फरवरी 2017 से बेंगलुरु की पारापन्ना अग्रहारा के केन्द्रीय कारागार में बंद थीं। अस्पताल के बाहर शशिकला के समर्थकों की भीड़ थी और वह अपनी नेता के पक्ष में नारे लगा रहे थे। समर्थकों ने इस दौरान मिठाइयां भी बांटी। समर्थकों को अब शशिकला की अस्पताल से छुट्टी का इंतजार है।


ऐन मौके पर हुई थी जेल

आपको याद दिला दें कि शशिकला को जेल ऐसे समय पर हुई थी जब उन्हें जयललिता के निधन के बाद अन्नाद्रमुक विधायक दल का नेता चुन लिया गया था और वह मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने ही वाली थीं कि अचानक उन्हें जेल जाना पड़ गया और तमिलनाडु पर राज करने का उनका ख्वाब अधूरा रह गया। देखा जाये तो दिसंबर 2016 में जयललिता की मौत के बाद से ही शशिकला के लिए चुनौतीपूर्ण दिनों की शुरुआत हो गयी थी। एक समय पार्टी और सरकार को अपने इशारों पर चलाती रहीं शशिकला को वो दिन भी देखना पड़ा जब सरकार की कमान तो हाथ में आते-आते रह ही गयी साथ ही पार्टी से भी उन्हें बाहर का रास्ता दिखा दिया गया। पनीरसेल्वम ने जब शशिकला के लिए मुख्यमंत्री पद छोड़ने से मना कर दिया तो शशिकला ने पनीरसेल्वम को बाहर का रास्ता दिखाने के इरादे से विधायकों को रिजॉर्ट में बंद करवा दिया। बाद में शशिकला के समर्थन से ई. पलानीस्वामी मुख्यमंत्री बन गये लेकिन शशिकला को जेल होते ही ई. पलानीस्वामी ने पलटी मार ली और शशिकला का साथ छोड़ कर पनीरसेल्वम से हाथ मिला लिया और उन्हें अपनी कैबिनेट में शामिल कर लिया। धीरे-धीरे पलानीस्वामी ने ना सिर्फ सरकार पर बल्कि पार्टी पर भी अपना प्रभाव कायम कर लिया। यही नहीं शशिकला के जेल जाने के बाद उनके परिवार से जुड़े लोगों को भी पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया। बाद में शशिकला के भतीजे टीटीवी दिनाकरन ने साल 2018 में अपनी नई पार्टी AMMK का गठन कर लिया और चुनाव लड़ कर विधानसभा भी पहुँच गये।

जयललिता की विरासत पर नया हंगामा

अब जब तमिलनाडु में विधानसभा चुनाव होने हैं ऐसे में जयललिता की विरासत पर अधिकार को लेकर एक बार फिर हंगामा मचने की उम्मीद है। बुधवार को तमिलनाडु के मुख्यमंत्री के. पलानीस्वामी ने मरीना में पूर्व मुख्यमंत्री जे. जयललिता के स्मारक का अनावरण किया। इस स्मारक का डिजाइन पौराणिक अमर पक्षी ‘फीनिक्स’ की आकृति पर आधारित है। तीन साल पहले इस स्मारक की आधारशिला रखी थी। इस कार्यक्रम में पनीरसेल्वम और विधानसभा अध्यक्ष पी धनपाल भी मौजूद थे। तीनों ने बाद में पूर्व मुख्यमंत्री को उस स्थान पर श्रद्धांजलि भी दी, जहां उन्हें पांच दिसंबर, 2016 को दफनाया गया था। इस मौके पर पलानीस्वामी और पनीरसेल्वम ने साष्टांग प्रणाम किया। स्मारक पर जयललिता की एक विशाल तस्वीर पर भी इन नेताओं ने श्रद्धांजलि अर्पित की। इस कार्यक्रम में कई मंत्री, सांसद, विधायक और पार्टी के वरिष्ठ नेता मौजूद थे। पलानीस्वामी और पनीरसेल्वम ने मई, 2018 में संयुक्त तौर पर इस स्मारक की आधारशिला रखी थी।

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बहरहाल, शशिकला के भतीजे और निर्दलीय विधायक टीटीवी दिनाकरन को उम्मीद है कि अब तमिलनाडु की राजनीति में बड़ा उलटफेर होगा। हालांकि अन्नाद्रमुक सरकार, विपक्षी द्रमुक तथा कांग्रेस को नहीं लगता कि शशिकला अब कोई राजनीतिक प्रभाव डाल पाएंगी। तमिलनाडु प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष के.एस. अलागिरी ने यह दावा करते हुए कि शशिकला की जेल से रिहाई का राज्य की राजनीति पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा, एक शिगूफा यह भी छोड़ दिया है कि आगामी विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा, सत्ताधारी अन्नाद्रमुक पर शशिकला को पार्टी में लेने के लिए दबाव बना रही है। तो इंतजार कीजिये शशिकला के नये राजनीति दाँव का या फिर तमिलनाडु के नये राजनीतिक घटनाक्रम का।

-नीरज कुमार दुबे

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