मोदी सरकार की नीतियों का जन-जन को हो रहा फायदा ! संकट उबरने का दिखाया रास्ता

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साल 2014 में पहली बार सत्ता में बैठने के तीन महीने के भीतर ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जनधन योजना का 'प्रधानमंत्री जन धन योजना' का शुभारंभ किया था। यह योजना बैंकिंग सुविधाओं से वंचित देशवासियों को अपना खाता खोलने, एटीएम कार्ड लेने और बीमा एवं पेंशन जैसी सुविधाएं मुहैया कराती है।

कोरोना महामारी के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने दूसरे कार्यकाल का पहला साल पूरा करने वाले हैं। 30 मई 2019 को गठित हुए एनडीए 2.0 की सरकार ने आर्थिक नीति के मोर्चे पर कई फैसले लिए हैं, जिनमें से कुछ निर्णय काफी मायने रखते हैं। वहीं पहले के कार्यकाल में लिए गए निर्णयों का भी फायदा मौजूदा समय में दिखाई दे रहा है। मतलब कि पहले लाई गई कुछ नीतियों का असर अब विस्तृत तौर पर दिखाई दे रहा है।

इतना ही नहीं कांग्रेस सरकार के समय में शुरू की गई मनरेगा का भी मोदी सरकार ने विस्तार किया। तो चलिए आपको हम बताते हैं कि ऐसी कौन-कौन सी नीतियां थी जिसका असर मौजूदा वक्त में दिखाई दे रहा है।

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जनधन योजना

साल 2014 में पहली बार सत्ता में बैठने के तीन महीने के भीतर ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जनधन योजना का 'प्रधानमंत्री जन धन योजना' का शुभारंभ किया था। यह योजना बैंकिंग सुविधाओं से वंचित देशवासियों को अपना खाता खोलने, एटीएम कार्ड लेने और बीमा एवं पेंशन जैसी सुविधाएं मुहैया कराती है।

जीरो बैलेंस पर खुलने वाले इस खाते में लोगों को एक लाख रुपए तक का दुर्घटना बीमा कवर दिया जाता है। इतना ही नहीं योजना के तहत 30,000 रुपए का जीवन बीमा पॉलिसी धारक की मौत होने पर उसके नॉमिनी को दिया जाता है।

पूरा विश्व जब कोरोना महामारी की मार झेल रहा है। ऐसे में प्रधानमंत्री गरीब कल्याण पैकेज के अंतर्गत प्रधानमंत्री जनधन योजना के महिला लाभार्थियों के बैंक खातों में 500-500 रुपए की आर्थिक सहायता दी गई। इस योजना के माध्यम से सरकार ने लाभार्थी महिलाओं को तीन महीने तक 500 रुपए की आर्थिक सहायता पहुंचाई गई।

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कॉरपोरेट टैक्‍स पर राहत

मोदी सरकार ने कॉरपोरेट टैक्‍स में भारी कटौती की गई थी। पहले कंपनियों को 30 फीसदी कॉर्पोरेट टैक्स देना होता था, जो सरचार्ज जोड़कर करीब 31.2 फीसदी हो जाता था। लेकिन अब सरकार ने कॉर्पोरेट टैक्स घटाकर 25 फीसदी कर दिया है, जो सरचार्ज मिलाकर भी करीब 25.17 फीसदी ही रहेगा।

आसान भाषा में समझाएं तो कॉरपोरेट टैक्‍स वो होता है जो सरकार द्वारा कम्पनियों पर लगाया जाता है। सरकार कंपनी की जो आय होती है, उस पर से ये टैक्स वसूलती है। कॉरपोरेट टैक्स को कम करने से सरकार को तो नुकसान झेलना पड़ा लेकिन ऐसा इसलिए किया गया ताकि अर्थव्यवस्था में जान फूंका जा सके।

कॉरपोरेट टैक्‍स को कम करने के पीछे वजह ये थी कि टैक्स कम होने से कम्पनियों पर टैक्स का बोझ कर पड़ेगा। ऐसे में धीरे-धीरे कम्पनियों को मुनाफा होगा। मुनाफा होगा तो कम्पनियां ग्रो करेंगी और फिर उसका फायदा कर्मचारियों को और रोजगार के अवसर तलाश करने वालों पर पड़ेगा।

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कैपिटल गेंस से सरचार्ज हटाया

शेयर बाजार निवेशकों को फायदा पहुंचाने के लिए सरकार ने कैपिटल गेंस टैक्स पर से सरचार्ज हटा दिया है। सरकार द्वारा उठाए गए इस कदम से कैपिटल मार्केट में फ्लो बढ़ाने में बड़ी मदद मिलने का अनुमान लगाया था। इस दौरान वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा था कि जुलाई में बजट में बढ़ाया गया सरचार्ज कंपनी में शेयरों की बिक्री और इक्विटी फंड यूनिट बिक्री से होने वाले कैपिटल गेन्स पर प्रभावी नहीं होगा। इसमें FPIs के डेरिवेटिव्स भी शामिल हैं।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दूसरे कार्यकाल पर गौर किया जाए तो पहला बजट पेश करते हुए सरकार ने साफ कर दिया था कि भारत की अर्थव्यवस्था को आने वाले पांच वर्षों में '5 लाख करोड़ डॉलर' की अर्थव्यवस्था बनना है। इतना ही नहीं बजट भाषण में निर्मला सीतारमण ने इसका कई बार जिक्र किया। जिसको देखते हुए यह कहा जा सकता था कि 5 लाख करोड़ डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाना मोदी सरकार का एक महत्वपूर्ण लक्ष्य है। लेकिन कोरोना महामारी का असर भारत क्या पूरे विश्व की अर्थव्यवस्था पर पड़ा है। जिसकी वजह से नीतियां चरमरा गई हैं। अर्थव्यवस्था सुस्त हो गई। बहुतो के रोजगार छिन गए।

मौजूदा परिस्थितियों को देखते हुए और अर्थव्यवस्था को मजबूती प्रदान करने के लिए केंद्र की मोदी सरकार ने 20 लाख करोड़ रुपए के आर्थिक पैकेज का ऐलान किया। जो देश की जीडीपी का 10 फीसदी है। हालांकि विशेषज्ञों का मानना है कि सरकार द्वारा की गई घोषणाओं से फौरी राहत तो नहीं मिलती हुई दिखाई दे रही लेकिन इससे आने वाले समय में अर्थव्यवस्था काफी ज्यादा मजबूत हो जाएगी और प्रधानमंत्री के आत्मनिर्भर भारत का सपना भी साकार होगा।

- अनुराग गुप्ता

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