सऊदी अरब में योग की जय-जय, अब तो योग को धर्म से मत जोड़ो

Yoga gets recognition in Saudi Arabia, Now do not add yoga to religion

मुस्लिम देश सऊदी अरब में योग को आधिकारिक मान्यता मिल जाने से यह तो सिद्ध हो ही चुका है कि योग वास्तव में नागरिकों को स्वास्थ्य प्रदान करने का सर्वाधिक उचित माध्यम है।

भारतीय संस्कृति में शामिल सभी बातें पूरे विश्व के लिए दिशादर्शक हैं, पाथेय हैं। इस राह पर चलकर भौतिक उत्थान भले ही नहीं मिले, लेकिन भौतिक उत्थान को प्राप्त करने का सामर्थ्य अवश्य ही पैदा होता है। यूं तो भारत के सांस्कृतिक दर्शन में सभी का उत्थान निहित है, तथापि मानव जीवन की संचेतना का प्रवाह भी संचरित होता है। भारतीय दर्शन का जिसने भी एक बार साक्षात्कार किया है, वह इसका कायल ही हुआ है। वर्तमान में विश्व को कोई भी देश हो, वहां किसी न किसी रूप में भारतीय दर्शन की झलक दिखाई देने लगी है। दो वर्ष पूर्व भारतीय संस्कृति जीवन के महत्वपूर्ण अंग माने जाने वाले योग को वैश्विक मान्यता मिली। यह भारत के लिए अत्यंत ही सौभाग्य की बात है।

लेकिन अब मुस्लिम देश सऊदी अरब में योग को आधिकारिक मान्यता मिल जाने से यह तो सिद्ध हो ही चुका है कि योग वास्तव में नागरिकों को स्वास्थ्य प्रदान करने का सर्वाधिक उचित माध्यम है। सऊदी अरब में योग को अपने दैनिक जीवन के खेलों का हिस्सा बनाया है। इससे एक बात सिद्ध हो जाती है कि योग किसी मजहब या संप्रदाय की जीवन शैली का हिस्सा नहीं है। यह सर्वे भवन्तु सुखिन को ही मान्यता देता है और उसी आधार पर सऊदी अरब ने योग को अपना अंग बनाया है।

इसके अलावा भारत में इसे लेकर कई प्रकार की विरोधी बातें प्रचारित की जाती रही हैं। इससे यह सवाल आता है कि विरोध करने वाले लोग वास्तव में योग की महत्ता को समझ नहीं पाए हैं। अगर समझ गए होते तो वे सभी आज योग के माध्यम से अपने जीवन को स्वस्थ बनाने की ओर अग्रसर कर रहे होते। योग एक ऐसी विधा है, जिसके माध्यम से कई लोगों ने अपने आपको स्वस्थ किया है, अपने जीवन का महत्वपूर्ण अंग भी बना लिया है। भारत में योग के बारे में हमेशा विरोधाभासी स्वर मुखरित होते रहे हैं। वास्तव में जो बात समाज के उत्थान के लिए होती है, उसे हमेशा मान्यता मिलनी चाहिए, लेकिन कुछ लोग विरोध करके क्या प्रदर्शित करना चाह रहे हैं। यह समझ से परे है। सऊदी अरब में मान्यता मिल जाने के बाद अब वहां कोई योग सिखाना या इसे बढ़ावा देना चाहे, तो लाइसेंस लेकर अपना काम शुरू कर सकता है।

सऊदी अरब में योग को मिली इस मान्यता के पीछे नउफ मरवई को श्रेय दिया जा रहा है। वह सऊदी अरब की पहली महिला योग प्रशिक्षक हैं। अरबी योगाचार्य के रूप में मशहूर नउफ ने वर्ष 2010 में अरब योग फाउंडेशन की स्थापना की थी। उन्होंने जेद्दा में रियाद-चाइनीज मेडिकल सेंटर खोल रखा है, जहां पूरी तरह भारतीय पद्धति आयुर्वेद और योग जैसे गैर-पारंपरिक तरीकों से मरीजों का उपचार करती हैं। इससे वहां के नागरिकों को अप्रत्याशित स्वास्थ्य लाभ मिला है, इनकी सक्रियता के चलते सऊदी अरब में घर घर तक योग पहुंच चुका है। उनका मानना है कि योग का धर्म से कोई लेना देना नहीं, लेकिन कुछ कट्टरपंथी आज भी अपनी संकुचित मानसिकता के चलते योग को धर्म से जोड़कर ही देख रहे हैं, जो उचित नहीं कहा जा सकता।

हालांकि यह सबसे बड़ा सच है कि इस्लाम मजहब के कट्टरपंथी रुख के लिए जाने जाने वाला सऊदी अरब इन दिनों बड़े बदलाव से गुजर रहा है। इससे पहले 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के मौके पर सऊदी अरब के विभिन्न भारतीय स्कूलों में योग सत्र का आयोजन किया गया था। सऊदी के शाह सलमान बिन अब्दुल अजीज के बेटे और क्राउंस प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान ने पिछले दिनों सऊदी अरब को 'उदारवादी इस्लाम' की तरफ ले जाने का वादा किया था। इसी सिलसिले में वहां महिलाओं के कार चलाने पर प्रतिबंध भी हटा लिया गया। हालांकि सऊदी अरब में हो रहे इन बदलावों को वहां के कुछ धर्मगुरुओं की तरफ से विरोध भी झेलना पड़ रहा है। वैसे भी योग को लेकर मुस्लिम धर्मगुरुओं के विरोध का मामला कोई नया नहीं है।

पिछले दिनों झारखंड के रांची में योग सिखाने वाली राफिया नाज के खिलाफ एक मौलाना के फतवे के बाद कुछ लोगों ने पथराव कर दिया था। भारत में योग करने को लेकर भले ही लोगों के अलग-अलग सुर हों, योग शिक्षिका राफिया नाज को धमकियां दी जा रही हों, उनके घर पर पथराव किया जा रहा हो, लेकिन मुस्लिम देश सऊदी अरब में ऐसा नहीं है। 12 नवंबर की अपनी फेसबुक पोस्ट में योग शिक्षिका राफिया नाज ने लिखा है, योग...जिसका शाब्दिक अर्थ ही जोड़ना है। लोगों के समूह को लोगों की भलाई से, एक शरीर को मन, भावनाओं और आत्मा से तथा किसी देश को विश्व से जोड़ने वाले योग की सऊदी अरब में आधिकारिक दस्तक हो गई है। इसने वैचारिक अतिवाद, कट्टरपन की सीमाओं को पार कर लिया है। सऊदी अरब में योग को खेल का दर्जा ऐसे समय में दिया गया है जब भारत और कई दूसरी जगहों के मुस्लिम अपने धार्मिक नेताओं के दबाव में योग करने से इनकार कर रहे हैं। सऊदी अरब का दावा है कि योग गैर-इस्लामिक है।

कुल मिलाकर योग सबके लिए महत्वपूर्ण है। इसलिए इसके बारे में कुप्रचार करना एक सोची समझी साजिश का हिस्सा है। हम जानते हैं कि पूर्वाग्रह के साथ किसी का विचार करेंगे तो खामियां नहीं होने पर भी हमें खामियां दिखाई देंगी। जिसकी जैसी भावना होती है, वैसा ही उसे दिखाई देता है। निरापद भाव से योग का अध्ययन करें तो स्वाभाविक रूप से उसकी विशेषता हमारे सामने आएगी।

-सुरेश हिन्दुस्थानी

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