Chai Par Sameeksha: संसद से पारित कानून को कैसे नहीं मानेगा कोई CM, क्या Mamata संविधान से ऊपर हैं?

Mamata Banerjee
ANI
अंकित सिंह । Apr 15 2025 3:24PM

नीरज दुबे ने साफ तौर पर कहा कि ऐसा लग रहा है कि कोई ना कोई राजनीति हो रही है। पश्चिम बंगाल में वक्फ को लेकर राजनीति को तेज की जा रही है। उन्होंने कहा कि संसद से पारित कानून को हर राज्य को लागू करना होता है।

प्रभासाक्षी की साप्ताहिक कार्यक्रम चाय पर समीक्षा में इस सप्ताह हमने वक्फ कानून को लेकर चर्चा की कि कैसे पश्चिम बंगाल में इसको लेकर हिंसा तेज हो गई है। हमेशा की तरह इस कार्यक्रम में मौजूद रहे प्रभासाक्षी के संपादक नीरज कुमार दुबे। नीरज दुबे ने कहा कि तमाम राज्यों में वक्फ कानून लागू होने के बाद शांति रही। लेकिन पश्चिम बंगाल में जो कुछ हो रहा है, उससे हर कोई हैरान है। उन्होंने कहा कि पश्चिम बंगाल में वक्फ को लेकर हो रहे विरोध प्रदर्शन से साफ तौर पर ऐसा लगता है कि इसे राजनीति के लिए बढ़ावा दिया जा रहा है। 

उन्होंने कहा कि असम और उत्तर प्रदेश में भी मुसलमानों की अच्छी संख्या है। लेकिन इन राज्यों में हिंसा नहीं हुई। लेकिन पश्चिम बंगाल में जबर्दस्त हिंसा देखने को मिली। इसका मतलब साफ है कि पश्चिम बंगाल में कोई ना कोई राजनीति चल रही है और बीजेपी जो दावा कर रही है उससे ऐसा लग रहा है कि बंगाल में कुछ ना कुछ जरूर हो रहा है। नीरज दुबे ने कहा कि जिस तरीके से पश्चिम बंगाल में ममता सरकार में शामिल मंत्रियों के बयान आ रहे हैं, वह दुर्भाग्यपूर्ण है। हिंसा को लेकर पुलिस पर आरोप लगाते हैं लेकिन पुलिस पूरी तरीके से खामोश है। पुलिस कोई जवाब नहीं देना चाहती। 

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नीरज दुबे ने साफ तौर पर कहा कि ऐसा लग रहा है कि कोई ना कोई राजनीति हो रही है। पश्चिम बंगाल में वक्फ को लेकर राजनीति को तेज की जा रही है। उन्होंने कहा कि संसद से पारित कानून को हर राज्य को लागू करना होता है। कोई भी राज्य इसे मना नहीं कर सकता है कि हम लागू नहीं करेंगे। ममता बनर्जी सिर्फ इसको लेकर राजनीति कर रही हैं। वक्फ को लेकर केंद्र सरकार ने कानून बनाया है। ऐसे में सभी राज्यों को मानना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि सीएम के ऐलान करने से कुछ नहीं होता। सीएम कानून का पालन कराने के लिए बाध्य हैं। अगर कोई राज्य संसद से पारित कानून को लागू करने में असमर्थ है तो वहां राष्ट्रपति शासन तक लग सकता है।

पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले में वक्फ (संशोधन) अधिनियम के खिलाफ चल रहे विरोध प्रदर्शनों से संबंधित कथित झड़पों के कारण एक पिता और पुत्र सहित तीन लोगों की जान चली गई। हाल की रिपोर्टों से संकेत मिलता है कि ये हिंसक प्रदर्शन मुर्शिदाबाद से दूसरे क्षेत्रों में फैल गए हैं, जिससे पूरे राज्य में व्यापक चिंता पैदा हो गई है। कई परिवार, जिनमें ज़्यादातर हिंदू हैं, मुस्लिम बहुल इलाके को छोड़कर सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) की सहायता से सुरक्षा की तलाश में चले गए हैं।

वक्फ संशोधन अधिनियम के खिलाफ 11 अप्रैल को हुए विरोध प्रदर्शन के दौरान भड़की हिंसा के बाद मुर्शिदाबाद के समसेरगंज-धुलियान से पलायन करने वाले लोगों के लिए मालदा के पार लालपुर में एक राहत शिविर स्थापित किया गया है। राहत शिविर में रह रहे केशव मंडल ने कहा कि हम शनिवार 12 अप्रैल को यहां आए थे। हमारे घर का सब कुछ जल गया। हमें नहीं पता कि स्थिति कब सामान्य होगी और हम वापस कब जा पाएंगे। हमारे आस-पास के गांवों से लोग आज ही यहां आए हैं। 

राहत शिविर में रह रही रूपा मंडल ने कहा कि हमें यहां आए हुए 4 दिन हो गए हैं। हमारा पूरा घर आग के हवाले कर दिया गया। हम दोपहर का खाना खा रहे थे और अचानक कुछ लोग अंदर घुस आए और लूटपाट और हमला करना शुरू कर दिया। बीएसएफ के जवान हमें यहां राहत शिविर में ले गए। हमें अपने घर के लिए मुआवजा चाहिए। स्थानीय रिपोर्टों के अनुसार, लगभग 400 से 500 लोग 60 किलोमीटर पैदल या गंगा पार करके स्कूल में शरण ले चुके हैं।

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