कैलेंडर से टूर्नामेंटों के खत्म होने से भारतीय खिलाड़ी तनाव में

भारतीय टेनिस खिलाड़ी इन दिनों काफी तनाव में हैं क्योंकि चैलेंजर और फ्यूचर्स दोनों टेनिस टूर्नामेंटों की संख्या में काफी तेजी से गिरावट आयी है जिससे उनके लिये इस कठिन सर्किट पर उनकी जिदंगी और मुश्किल हो गयी है।

पुणे। भारतीय टेनिस खिलाड़ी इन दिनों काफी तनाव में हैं क्योंकि चैलेंजर और फ्यूचर्स दोनों टेनिस टूर्नामेंटों की संख्या में काफी तेजी से गिरावट आयी है जिससे उनके लिये इस कठिन सर्किट पर उनकी जिदंगी और मुश्किल हो गयी है। वर्ष 2015 के सत्र में भारत ने 19 पुरूष आईटीएफ फ्यूचर्स और 16 महिला आईटीएफ टूर्नामेंटों की मेजबानी की थी लेकिन इस साल पुरूषों को अभी तक केवल छह ही टूर्नामेंट मिले हैं जबकि यहां पुणे में महिलाओं के लिये चल रहा 10,000 डालर ईनामी राशि का टूर्नामेंट इस साल का तीसरा टूर्नामेंट है। 

भारत ने 2015 में चार एटीपी चैलेंजर्स की मेजबानी की थी लेकिन इस साल आठ महीनों में केवल दो -दिल्ली ओपन और पुणे चैलेंजर- ही टूर्नामेंट हो सके हैं। इससे उन खिलाड़ियों की प्रगति पर काफी असर पड़ा है जो एकल में शीर्ष 200 से बाहर हैं। सर्किट में खेल रहा हर खिलाड़ी इससे चिंतित है क्योंकि घरेलू टूर्नामेंट के नहीं होने से उन्हें प्रतियोगिताओं के लिये भारत के बाहर यात्रा करने के लिये बाध्य होना पड़ रहा है जिससे उनका काफी पैसा खर्च हो जाता है। एन श्रीराम बालाजी ने कहा, ‘‘किसी भी प्रायोजक के बिना मेरे जैसे मध्य वर्गीय परिवार से आने वाले खिलाड़ी के लिये बहुत मुश्किल होती है। जर्मनी में लीग खेलने से मेरी थोड़ी मदद तो हुई है।''

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