सचिन तेंदुलकर और कांबली ने दिवगंत कोच आचरेकर को याद किया
यह थोड़ा सा बड़ा था और मेरी ग्रिप हैंडल पर नीचे होती थी।’’ उन्होंने यहां शिवाजी पार्क जिमाखाना में हुई शोक सभा में कहा, ‘‘सर ने कुछ दिन के लिये यह देखा और फिर मुझे एक तरफ ले गये और मुझे बल्ले को थोड़ा ऊपर से पकड़ने को कहा। ’’
मुंबई। महान क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर, पूर्व भारतीय बल्लेबाज विनोद कांबली और प्रवीण आमरे ने गुरूवार को यहां शोक सभा में अपने बचपन के कोच रमाकांत आचरेकर की यादों को ताजा किया। कोच आचरेकर का पिछले हफ्ते यहां निधन हो गया था, वह 87 वर्ष के थे। तेंदुलकर ने याद करते हुए कहा, ‘‘मुझे अब भी याद है कि जब मैंने क्रिकेट खेलना शुरू किया था, हमारे पास सिर्फ एक बल्ला था जो मेरे भाई अजीत तेंदुलकर का था। यह थोड़ा सा बड़ा था और मेरी ग्रिप हैंडल पर नीचे होती थी।’’ उन्होंने यहां शिवाजी पार्क जिमाखाना में हुई शोक सभा में कहा, ‘‘सर ने कुछ दिन के लिये यह देखा और फिर मुझे एक तरफ ले गये और मुझे बल्ले को थोड़ा ऊपर से पकड़ने को कहा। ’’
Mumbai: Sachin Tendulkar & NCP chief Sharad Pawar at Shivaji Park Gymkhana to pay tribute to cricket coach Ramakant Achrekar who passed away on 2 January. #Maharashtra pic.twitter.com/VcQl1mhoeb
— ANI (@ANI) January 10, 2019
इस 45 वर्षीय पूर्व भारतीय कप्तान ने कहा कि आचरेकर सर का सुझाव यह बताने का था कि कोचिंग हमेशा बदलाव करने की नहीं होती। तेंदुलकर ने कहा, ‘‘सर ने मुझे खेलते हुए देखा और कहा कि यह कारगर नहीं हो रहा क्योंकि मेरा बल्ले पर वैसा नियंत्रण नहीं बन पा रहा और मेरे शाट भी नहीं लग रहे हैं। ’’ उन्होंने कहा, ‘‘यह देखने के बाद कि मेरा बल्ले पर वैसा ही नियंत्रण नहीं है, सर ने मुझे वो सब भूल जाने को कहा जो उन्होंने मुझे बताया था और मुझे पहले की ग्रिप से पकड़ने को कहा।’’ तेंदुलकर ने कहा, ‘‘इससे सर ने मुझे ही नहीं बल्कि सभी को बड़ा संदेश दिया कि कोचिंग का मतलब हमेशा बदलाव करना ही नहीं होता। कभी कभार यह अहम होता है कि कोचिंग नहीं दी जाये।’’
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इस महान बल्लेबाज ने अपने 24 साल के करियर में 200 टेस्ट खेले हैं। उन्होंने कहा, ‘‘अगर मेरी ग्रिप बदल गयी होती तो मुझे लगता है कि मैं इतने लंबे समय तक नहीं खेला होता। लेकिन सर के पास दूरदृष्टि थी कि मेरा गेम कैसे बेहतर हो सकता है और मेरे लिये क्या मुफीद रहेगा।’’ आचरेकर के गोद लिये बेटे नरेश चूरी ने भी एक किस्सा सुना कि कैसे वह पुनर्चक्रित गेंदों को इस्तेमाल करते थे। उन्होंने कहा, ‘‘सर हमेशा खराब गेंदों को अपने पास रख लेते थे और उनके पास इस तरह की गेंदों का बैग भरा था जिसे कोई भी इस्तेमाल नहीं करना चाहता था। लेकिन सर ने तब ऐसा किया जो किसी भी कोच नहीं अभी तक नहीं किया होगा, उन्होंने गेंदों को पुनर्चक्रित किया।’’
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