अपने गौरवशाली इतिहास को दर्शाता शहर भरतपुर

[email protected] । Mar 22 2017 12:41PM

भरतपुर का इतिहास थोड़ा अलग है। यह राज्य एक जाट शासक द्वारा बसाया गया था। यहां चूड़ामन, बदन सिंह और सूरजमल जैसे वीरों ने राज किया जिनकी वीरता का लोहा मुगल, मराठे व अंग्रेज भी मानते थे।

भरतपुर का नाम सुनते ही आपके जेहन में पक्षियों की चहचहाहट सुनाई देने लगेगी, इतना गहरा रिश्ता है दोनों में। अगर आप आगरा की ओर से राजस्थान आ रहे हैं तो पूर्व दिशा से भरतपुर ही मुख्य द्वार होगा।

राजस्थान में आप अनेक बार 'राजपूत' शब्द सुनेंगे तो जिज्ञासा होगी कि आखिर यह है क्या? राजपूत, वास्तव में राजपुत्र का अपभ्रंश है जो कि वस्तुतः राजा या शासक के वंश का परिचायक है। राजस्थान में अधिकांश रियासत व दुर्गों की स्थापना राजपूतों द्वारा की गई थी। यद्यपि भरतपुर का इतिहास थोड़ा अलग है। यह राज्य एक जाट शासक द्वारा बसाया गया था। यहां चूड़ामन, बदन सिंह और सूरजमल जैसे वीरों ने राज किया जिनकी वीरता का लोहा मुगल, मराठे व अंग्रेज भी मानते थे।

इन योद्धाओं ने अपने समय का उपयोग शानदार किले व महल बनवाकर बड़े सुनियोजित ढंग से किया था। 18वीं शताब्दी में बना लोहागढ़ किला इसका जीवंत उदाहरण है, लेकिन इसके नाम से धोखा मत खाइएगा। इस किले की दीवारें लोहे की नहीं, आम इमारतों की तरह ईंट-गारे से ही बनी हैं, परंतु अपनी दुर्जेयता ने इसे लोहागढ़ के नाम से विख्यात किया है। बनावट से ही यह एक अजेय दुर्ग प्रतीत होता है। अब यहां कुछ सरकारी दफ्तर व सरकार द्वारा ही संचालित एक संग्रहालय है।

पर अगर आप 'पक्षियों का स्वर्ग' केवला देव नेशनल पार्क नहीं जायेंगे तो आपका भरतपुर भ्रमण अधूरा ही रह जाएगा। इस उद्यान में पक्षियों की 354 प्रजातियां हैं जिनमें अब लुप्त होते साइबेरियन सारस भी शामिल हैं। इस पक्षी उद्यान की एक और विशेषता है- यहां का आपको घुमाने वाला साइकिल रिक्शा, जो पूरी तरह से प्रदूषण मुक्त है।

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