Lockdown में ढील मिलते ही देशभर के शराब ठेकों पर उमड़ी भीड़, नियमों की हुई जमकर अवहेलना

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वैश्विक स्वास्थ्य सेवा कंपनी एबॉट ने कहा कि कोविड-19 के लिए उसके प्रयोगशाला आधारित सीरोलॉजी रक्त परीक्षण को सीई चिन्ह मिला है और भारत में ये परीक्षण मई अंत तक उपलब्ध होंगे। एबॉट ने कहा कि कंपनी मई के दौरान भारत में परीक्षणों की खेप पहुंचाना शुरू करेगी।

देश में कोविड-19 के कारण मौत के मामले सोमवार को 1,389 हो गए और संक्रमण के कुल मामलों की संख्या 42,836 पर पहुंच गयी। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने बताया कि पिछले 24 घंटे में मौत के 83 मामले सामने आए और रोगियों की संख्या में रिकार्ड 2,573 की वृद्धि दर्ज की गयी। मंत्रालय के अनुसार, इस समय 29,685 संक्रमित रोगियों का उपचार चल रहा है, वहीं 11,761 लोग इस बीमारी से उबर चुके हैं। एक रोगी देश छोड़कर जा चुका है। स्वास्थ्य मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘‘इस प्रकार अब तक इस बीमारी से करीब 27.45 प्रतिशत लोग ठीक हो चुके हैं।’’ देश में कोविड-19 के कुल मामलों में 111 विदेशी नागरिक भी शामिल हैं। मंत्रालय ने बताया कि रविवार शाम से अब तक संक्रमण से मौत के 83 मामले आए हैं जिनमें से 28 अकेले गुजरात से हैं। इनके अलावा मौत के 27 मामले महाराष्ट्र से, नौ मध्य प्रदेश से, छह राजस्थान से, तीन आंध्र प्रदेश से, दो-दो पश्चिम बंगाल तथा उत्तर प्रदेश से एवं एक-एक मामले हरियाणा, पंजाब, तमिलनाडु, तेलंगाना, कर्नाटक व उत्तराखंड से आए हैं। देश में अब तक कुल मौत के मामलों को देखें तो सर्वाधिक ऐसे मामले महाराष्ट्र से आए हैं जहां 548 लोग इस महामारी के कारण जान गंवा चुके हैं। गुजरात में 290, मध्य प्रदेश में 165, राजस्थान में 71, दिल्ली में 64, उत्तर प्रदेश में 45, आंध्र प्रदेश में 36 तथा पश्चिम बंगाल में 35 लोगों की जान जा चुकी है। तमिलनाडु में अब तक 30 लोगों की मृत्यु संक्रमण के कारण हो चुकी है, वहीं तेलंगाना में 29, कर्नाटक में 26, पंजाब में 21, जम्मू कश्मीर में आठ, हरियाणा में पांच तथा केरल एवं बिहार में चार-चार लोगों की मृत्यु हो चुकी है। मंत्रालय के अनुसार, झारखंड में कोविड-19 से तीन, मेघालय, हिमाचल प्रदेश, ओडिशा, असम तथा उत्तराखंड में एक-एक रोगी की मौत हो चुकी है। सोमवार की शाम को जारी स्वास्थ्य मंत्रालय के ताजा आंकड़ों के अनुसार, देश में संक्रमण के सर्वाधिक मामले महाराष्ट्र से आए हैं जिनकी संख्या 12,974 है, इसके बाद गुजरात में 5,428, दिल्ली में 4,549, तमिलनाडु में 3,023, मध्य प्रदेश में 2,942, राजस्थान में 2,886 और उत्तर प्रदेश में 2,742 मामले संक्रमण के आए हैं। आंध्र प्रदेश में कोरोना वायरस के रोगियों की संख्या बढ़कर 1,650 हो गयी है तो तेलंगाना में 1,082, पंजाब में 1,102, पश्चिम बंगाल में 963, जम्मू कश्मीर में 701, कर्नाटक में 642, बिहार में 517 और केरल में 500 मामले आए हैं। हरियाणा में अब तक 442 लोग संक्रमण से ग्रस्त हो चुके हैं, वहीं ओडिशा में 163, झारखंड में 115, चंडीगढ़ में 94, उत्तराखंड में 60, छत्तीसगढ़ में 57, असम में 43, लद्दाख में 41, हिमाचल प्रदेश में 40, अंडमान निकोबार में 33, त्रिपुरा में 16, मेघालय में 12, पुडुचेरी में आठ, गोवा में सात, मणिपुर में दो, मिजोरम तथा अरुणाचल प्रदेश में एक-एक मामला सामने आया है। मंत्रालय ने अपनी वेबसाइट पर कहा, ‘‘हमारे आंकड़ों का आईसीएमआर के आंकड़ों से मिलान किया जा रहा है।''

कभी भी प्रवासी श्रमिकों से पैसे लेने की बात नहीं हुई

सरकार ने प्रवासी मजदूरों से टिकट के पैसे लेने की कोई बात नहीं की है क्योंकि उनके परिवहन का 85 फीसदी हिस्सा रेलवे वहन कर रहा है जबकि 15 फीसदी खर्च राज्य सरकारें उठा रही हैं। कोविड-19 के कारण जारी लॉकडाउन के दौरान प्रवासी श्रमिकों को घर ले जाने के लिए रेलवे द्वारा मजदूरों से कथित तौर पर टिकट का पैसा लेने के विवादों के बीच केंद्र सरकार ने सोमवार को यह बात कही। सरकार ने यह भी कहा कि ‘‘एक-दो राज्यों को छोड़कर’’ फंसे प्रवासी मजदूरों की यात्रा प्रक्रिया का समन्वय राज्य सरकारें ही कर रही हैं। यह पूछने पर कि क्या प्रवासी श्रमिकों को घर तक ले जाने के लिए पैसे लिए जा रहे हैं, तो स्वास्थ्य मंत्रालय में संयुक्त सचिव लव अग्रवाल ने कहा कि जहां तक प्रवासी श्रमिकों की बात है तो दिशानिर्देशों में स्पष्ट बताया गया है कि संक्रामक बीमारी प्रबंधन के तहत जो जहां है उसे वहीं ठहरना चाहिए। उन्होंने संवाददाताओं से कहा, ‘‘कुछ मामलों में राज्यों के आग्रह पर विशेष रेलगाड़ियां चलाने की अनुमति दी गई। चाहे भारत सरकार हो या रेलवे, हमने मजदूरों से टिकट के पैसे लेने के बारे में बात नहीं की है। उनके परिवहन पर आने वाले 85 फीसदी लागत खर्च को रेलवे उठा रहा है जबकि राज्यों को 15 फीसदी लागत खर्च उठाना है।’’ अग्रवाल ने कहा, ‘‘राज्यों के आग्रह पर किसी निश्चित कारण से सीमित संख्या में फंसी प्रवासी श्रमिकों को उनके घरों तक पहुंचाना है जिसका समन्वय एक-दो राज्यों को छोड़कर अधिकतर राज्य सरकारें खुद कर रही हैं।’’ कोविड-19 की स्थिति पर दैनिक संवाददाता सम्मेलन में अग्रवाल ने कहा कि पिछले 24 घंटे में कोरोना वायरस के 1074 रोगी ठीक हुए हैं जो एक दिन में ठीक होने वाले रोगियों की सर्वाधिक संख्या है। उन्होंने कहा कि ठीक होने की दर 27.52 फीसदी है और 11,706 रोगी अभी तक ठीक हो चुके हैं। अग्रवाल ने कहा कि पिछले 24 घंटे में कोरोना वायरस के 2553 मामले सामने आए जिससे कुल मामलों की संख्या 42,533 हो गई है। कुल सक्रिय मामलों की संख्या 29,453 है। संयुक्त सचिव ने कहा कि फिलहाल कोविड-19 का ग्राफ सपाट है और यह कहना ठीक नहीं है कि इसका चरम बिंदु कब आएगा। उन्होंने कहा, ‘‘अगर हम सामूहिक रूप से काम करते हैं तो फिर चरम स्थिति कभी नहीं आएगी, जबकि अगर हम किसी भी तरीके से विफल हुए तो मामले बढ़ सकते हैं।’’ नागरिक समाज, एनजीओ, उद्योगों और अंतरराष्ट्रीय साझीदारों के साथ काम कर रहे अधिकार प्राप्त समूह के अध्यक्ष अमिताभ कांत ने कहा कि 112 जिलों में ‘‘हमने कलक्टरों के साथ काम किया और इन 112 जिलों में केवल 610 मामले सामने आए जो राष्ट्रीय स्तर पर संक्रमण का दो फीसदी है।’’ उन्होंने कहा कि इन 112 जिलों में भारत की 22 फीसदी आबादी रहती है। कांत ने कहा कि बारामूला, नूंह, रांची, कुपवाड़ा और जैसलमेर जैसे कुछ जिलों में 30 से अधिक मामले सामने आए हैं, जबकि शेष हिस्सों में काफी कम मामले सामने आए हैं।

ओला, उबर का परिचालन फिर शुरू

मोबाइल एप से टैक्सी बुक करने की सुविधा देने वाली ओला और उबर ने लॉकडाउन (बंद) की बढ़ी अवधि में ऑरेंज और ग्रीन जोन में फिर से अपनी सेवाएं शुरू कर दी हैं। हालांकि यात्रियों और ड्राइवरों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए कंपनियों ने मास्क पहनना अनिवार्य करने जैसे कुछ नियम भी बनाए हैं। केंद्र सरकार ने शुक्रवार को बंद की अवधि 17 मई तक बढ़ा दी। हालांकि रंगों के आधार पर क्षेत्रों का वर्गीकरण कर इसमें कुछ रियायतें दी गयी हैं। कोरोना वायरस से बुरी तरह प्रभावित क्षेत्रों को रेड जोन, आंशिक प्रभावित क्षेत्रों को ऑरेंज जोन और इसके प्रभाव से बचे क्षेत्रों को ग्रीन जोन में रखा गया है। सरकार ने ऑरेंज और ग्रीन जोन में सशर्त कुछ रियायतें दी हैं। इसमें सीमित यात्रियों के साथ कैब चलाने की अनुमति भी शामिल है। दोनों कंपनियों ने देश में 24 मार्च से बंद की घोषणा के बाद अपना परिचालन बंद कर दिया था। ओला ने एक बयान में कहा कि उसने सरकार के दिशानिर्देशों के मुताबिक 100 से अधिक शहरों अपनी सेवाएं फिर शुरू कर दी हैं। इसके अलावा लॉकडाउन के दौरान अस्पतालों से कोरोना वायरस से गैर संक्रमित लोगों की आवाजाही के लिए शुरू की गयी ‘ओला इमरजेंसी’ सेवा 15 शहरों में चलती रहेगी। कंपनी ने यात्रा रद्द करने की एक लचीली व्यवस्था भी शुरू की है। इसके तहत यदि ग्राहक या ड्राइवर किसी को भी लगता है कि वह मास्क पहनने जैसे अनिवार्य नियम का पालन नहीं कर रहा है तो वह यात्रा रद्द कर सकता है। कैब में यात्रा के दौरान एक बार में केवल दो यात्री सफर कर सकेंगे। कार के एसी बंद रहेंगे और खिड़कियां खुली रहेंगी ताकि हवा के पुनर्चक्रण को रोका जा सके। इसी तरह उबर ने 25 शहरों में अपना परिचालन शुरू करने की सूचना दी। इसमें ग्रीन जोन में शामिल जमशेदपुर, कोच्चि, कटक और गुवाहाटी के साथ ऑरेंज जोन वाले अमृतसर, रोहतक, गुरुग्राम और विशाखापत्तनम जैसे शहर शामिल हैं।

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पश्चिम बंगाल पुलिस राज्य के तौर पर उभर रहा है

पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने सोमवार को मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर प्रहार करते हुए उन पर ‘‘पुलिस राज्य’’ चलाने के आरोप लगाए और कहा कि संवैधानिक नियमों के बारे में उनके ‘‘गलत’’ रूख के कारण ‘‘अधिनायकवाद’’ झलक रहा है, जिसका लोकतंत्र में कोई स्थान नहीं है। धनखड़ ने बनर्जी के इन आरोपों को खारिज कर दिया कि, राज्यपाल ‘‘सत्ता हड़पने’’ का प्रयास कर रहे हैं और ‘‘राज्य में दोहरा शासन’’ चला रहे हैं। उन्होंने कहा कि पश्चिम बंगाल के लोग इस बात से अवगत हैं कि राज्य में कौन हड़पने की प्रवृत्ति वाला है और कौन सत्ता को संविधान से इतर चला रहा है, ‘‘कौन सरकार चलाता है और कौन सिंडिकेट।’’ धनखड़ शनिवार को मुख्यमंत्री द्वारा राजभवन को भेजे गए 13 पन्नों के पत्र का जवाब दे रहे थे। बनर्जी ने पत्र में आरोप लगाया था कि कोविड-19 संकट के समय वह ‘‘सत्ता हड़पना’’ चाहते हैं और उनके एवं राज्य के मंत्रियों के खिलाफ राज्यपाल की टिप्पणियों को उन्होंने ‘‘धमकी भरा और अपमानजनक’’ करार दिया। राज्यपाल ने अपने चार पन्ने के पत्र में कहा कि उन्हें अपने दायित्वों, सीमाओं, शक्तियों और अधिकारों की जानकारी है और राज्य के लोगों के कल्याण को ध्यान में रखकर हमेशा संवैधानिक दायरे में रहेंगे। धनखड़ ने कहा, ‘‘दुर्भाग्य से पश्चिम बंगाल ‘पुलिस राज्य’ के तौर पर उभर रहा है और अगर किसी ने सोशल मीडिया पर ऐसा पोस्ट डाल दिया जो सत्तारूढ़ दल को पसंद नहीं है तो उसके दरवाजे पर पुलिस पहुंच जा रही है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘राजनीतिक विचार व्यक्त करने पर सरकार पाबंदियां लगा रही है। राजनीतिक रूप से पीड़ित करने का प्रचलन बढ़ता जा रहा है।’’ राज्यपाल ने कहा कि कोविड-19 संकट के इस कठिन समय में राज्य सरकार द्वारा ‘‘अप्रभावी’’ तरीके से स्थिति को संभाला जा रहा है। उन्होंने कहा कि बनर्जी ‘‘हकीकत से रू-ब-रू हों’’ और संवैधानिक नियमों के बारे में उनके ‘‘गलत’’ रूख के कारण ‘‘अधिनायकवाद’’ झलक रहा है, जिसका लोकतंत्र में कोई स्थान नहीं है। शक्तियां हड़पने के बनर्जी के आरोपों का जिक्र करते हुए धनखड़ ने कहा कि राज्य के लोग भलीभांति अवगत हैं कि कौन ‘‘संविधान के इतर सत्ता चला रहे हैं, कौन सरकार और सिंडिकेट चला रहा है, कौन यह एबीसीडी है, यह खुला रहस्य है। निश्चित तौर पर मैं उनमें से एक नहीं हूं। मैं आपको आश्वस्त कर सकता हूं कि मुझे राज्य के हालात की जानकारी है।’’ उन्होंने बनर्जी से अपील की कि मतभेदों को दरकिनार कर राज्य के लोगों के लाभ के लिए मिलकर काम करें। उन्होंने अपील की कि महामारी शुरू होने के समय से ही उन्होंने जो मुद्दे उठाए, उनका प्रभावी तरीके से समाधान किया जाए। उन्होंने कहा, ‘‘इस समय हम ज्यादा परिपक्वता, दूरदर्शिता और सकारात्मकता की उम्मीद करते हैं।’’ धनखड़ के आरोपों पर तृणमूल कांग्रेस और राज्य सरकार ने एक ‘‘भाजपा प्रवक्ता’’ के बयानों को ज्यादा महत्ता देने से इंकार कर दिया। तृणमूल कांग्रेस के महासचिव और राज्य के संसदीय मामलों के मंत्री पार्थ चटर्जी ने कहा, ‘‘राजभवन में बैठे भाजपा के प्रवक्ता की नियमित रूप से कही जा रही बातों या ट्वीट को हम ज्यादा महत्व नहीं देना चाहते।’’ उन्होंने कहा, ‘‘इसलिए हमने उनके किसी भी बयान पर टिप्पणी नहीं देने का निर्णय किया है, हम राजनीतिक रूप से प्रेरित इन बयानों को ज्यादा महत्व नहीं देना चाहते हैं।’’ राज्य सरकार और राजभवन के बीच पिछले हफ्ते तनाव बढ़ गया था। बनर्जी ने धनखड़ पर आरोप लगाए थे कि वह राज्य प्रशासन में लगातार हस्तक्षेप कर रहे हैं जबकि राज्यपाल ने कहा कि राज्य को निजी जागीर के तौर पर नहीं चलाया जा सकता है।

प्रवासी श्रमिकों का किराया राजस्थान सरकार वहन करेगी

राजस्थान से अपने घरों को लौटने वाले प्रवासी श्रमिकों का रेल किराया राज्य सरकार वहन करेगी। इसके साथ ही बस से ऐसे मजदूरों को राज्य की सीमा तक छोड़ने का किराया भी वह नहीं लेगी। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने सोमवार को यह घोषणा की। उन्होंने कहा कि लॉकडाउन के कारण राजस्थान में रुके प्रवासी श्रमिक अपने घर लौटना चाहते हैं, उनके जाने का किराया राज्य सरकार वहन करेगी। उन्होंने कहा, ‘‘हमारी सरकार यह सुनिश्चित करेगी कि संकट की इस घड़ी में फंसे श्रमिकों को घर जाने के लिए यात्रा किराए का भुगतान स्वयं नहीं करना पड़े। ऐसे लोग जो अपने राज्य रेल से जाना चाहते हैं उनका रेल किराये का भुगतान राज्य सरकार करेगी। वहीं सड़क मार्ग से जाने वालों को राजस्थान की सीमा तक बस से निशुल्क पहुंचाने की व्यवस्था भी राजस्थान सरकार करेगी।’’ गहलोत सोमवार को वीडियो कॉन्फ्रेसिंग के जरिए कोरोना वायरस संक्रमण रोकने के उपायों, लॉकडाउन व प्रवासी श्रमिकों के आवागमन को लेकर नोडल अधिकारियों, विभिन्न विभागों के अधिकारियों, जिला कलेक्टरों-पुलिस अधीक्षकों, चिकित्सा व स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों से चर्चा कर रहे थे। उन्होंने कहा कि केन्द्रीय गृह मंत्रालय ने अपनी नये दिशानिर्देश में अन्तर्राज्यीय आवागमन के लिए उन्हीं श्रमिकों और प्रवासियों को अनुमति दी है जो लॉकडाउन के कारण अपने घर से दूर अन्य राज्यों में अटक गए हैं। जिला कलेक्टर इस दिशानिर्देश की पूरी तरह से पालना सुनिश्चित करें। मुख्यमंत्री ने कहा कि संक्रमण से बचाव के लिए दूसरे राज्यों से आने वाले प्रवासियों व श्रमिकों को आवश्यक रूप से पृथकवास में रहना होगा। गहलोत ने निर्देश दिए कि ऐसे निजी अस्पतालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करें जो संकट की इस घड़ी में मरीजों का इलाज नहीं करके मानव सेवा के अपने नैतिक दायित्व का पालन नहीं कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि जिला कलेक्टर ऐसे निजी अस्पतालों के खिलाफ शिकायतों पर कड़ी कार्रवाई करें। उन्होंने मॉडल चित्तौडगढ़ जिले के निम्बाहेडा में भी 'सख्त नियंत्रण' का रवैया अपनाने को कहा क्योंकि वहां एकाएक संक्रमण के कई मामले सामने आए हैं। इसके साथ ही उन्होंने अधिकारियों से लॉकडाउन के तीसरे चरण में भी नियमों का सख्ती से पालना सुनिश्चित करने को कहा।

देशभर में फिर से खुली शराब की दुकानें

देशभर में शराब की दुकानें लगभग 40 दिन बाद सोमवार को फिर से खुली और इन पर लोगों की भारी भीड़ दिखाई दी। कुछ स्थानों पर सामाजिक दूरी बनाए रखने के नियम का उल्लंघन भी किया गया। गृह मंत्रालय ने सोमवार से लॉकडाउन की अवधि दो और सप्ताह के लिए बढ़ा दी थी और ग्रीन तथा ओरेंज जोन में शराब और तंबाकू की दुकानें खोलने की अनुमति दी थी। राष्ट्रीय राजधानी में सोमवार को खुली शराब की दुकानों में से कई को भीड़ के अनियंत्रित होने और सामाजिक दूरी बनाए रखने के नियम का पालन न करने की वजह से बंद करना पड़ा। कई जगह भीड़ को तितर-बितर करने के लिए पुलिस को हल्के बल का इस्तेमाल भी करना पड़ा। एक अधिकारी के अनुसार, लॉकडाउन के नियमों में ढील देने के बाद शराब की करीब 150 दुकानों को खोलने की अनुमति दी गई है। ये दुकानें सुबह नौ बजे से शाम साढ़े छह बजे तक खुल सकती हैं। कई लोगों को इस बात की जानकारी नहीं थी कि केवल सरकारी दुकानों को शराब बिक्री की अनुमति दी गई है। बुराड़ी, मयूर विहार, गांधी विहार, रोहिणी और जनकपुरी में बड़ी संख्या में लोग दुकानों के बाहर इकट्ठे हो गए। अधिकारी ने बताया कि पूर्वी दिल्ली में मयूर विहार के पास एक दुकान को बंद कराना पड़ा क्योंकि लोग वहां सामाजिक दूरी के नियम का पालन नहीं कर रहे थे। उत्तर और मध्य दिल्ली से भी ऐसी खबरें मिली हैं। पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ''उन दुकानों को बंद करने को कहा गया, जहां सामाजिक दूरी बनाए रखने के नियम का पालन नहीं हो रहा था। वहीं कुछ स्थानों पर भीड़ को तितर-बितर करने के लिए हल्के बल का इस्तेमाल करना पड़ा।’’ उत्तर प्रदेश में शराब की 26,000 दुकानें फिर से खुली तो उन पर लोगों की भारी भीड़ नजर आई जबकि राजस्थान में कुछ दुकानों पर सामाजिक दूरी बनाये रखने संबंधी नियम का पालन नहीं किया गया। सरकारी अधिसूचना के अनुसार शराब बेचने वाली दुकानों पर सामाजिक दूरी बनाये रखने संबंधी नियम का पालन करना होगा और एक समय में दुकान पर पांच से अधिक लोग मौजूद नहीं रह सकते है। नोएडा और ग्रेटर नोएडा में सुबह 10 बजे से ही दुकानों पर ग्राहकों की भीड़ नजर आने लगी थी। गौतमबुद्ध नगर जिला प्रशासन ने कुछ पाबंदियों के साथ सुबह दस बजे से शाम सात बजे तक शराब की दुकानों को खोलने की अनुमति दी थी। शराब की दुकानों के निकट पुलिसकर्मियों की भी तैनाती की गई थी ताकि भीड़ एकत्र न हो। उत्तर प्रदेश में कोरोना वायरस के संक्रमण पर रोक लगाने के लिये जारी लॉकडाउन के नियमों में छूट के बाद सोमवार से शर्तों के साथ शराब की दुकानें खुली और खुलने से पहले ही दुकानों पर लंबी लंबी कतारें देखने को मिली। आबकारी विभाग को अनुमान है कि सोमवार को पहले दिन प्रदेश की 26 हजार दुकानों से करीब 100 करोड़ रुपये का राजस्व सरकार को मिलने का अनुमान है। प्रदेश के प्रमुख सचिव (आबकारी) संजय भुसरेड्डी ने अपने अधिकारियों के साथ स्वंय सुबह करीब दस बजे से ही शहर के महानगर, अलीगंज, इंदिरानगर आदि इलाकों की शराब की दुकानों का निरीक्षण किया और सभी दुकानों पर सेनेटाइजर और सामाजिक मेल जोल से दूरी की व्यवस्था को सुनिश्चित किया। भुसरेड्डी ने बताया कि 'सोमवार से प्रदेश के सभी जनपदों की करीब 26 हजार शराब की दुकाने खोलने के आदेश दे दिये गये हैं। अधिकतर जनपदों में दुकाने खुली और लॉकडाउन के नियमों का पालन, सामाजिक मेल जोल से दूरी और सफाई की व्यवस्था पर ध्यान देते हुये शराब की बिक्री जारी है।’’ केंद्र सरकार के दिशानिर्देश के बाद कोरोना वायरस संक्रमण से बचाव के लिए जारी लॉकडाउन के तीसरे चरण के दौरान छत्तीसगढ़ में शराब की दुकानों समेत कई दुकानें खोल दी गई हैं। हालांकि सभी जगहों पर शॉपिंग मॉल और संक्रमित क्षेत्रों में दुकानें बंद हैं। संक्रमित क्षेत्रों में पूरी तरह से लॉकडाउन का पालन किया जा रहा है। राज्य के वरिष्ठ अधिकारियों ने सोमवार को यहां बताया कि केंद्र सरकार के दिशानिर्देशों का पालन करते हुए राज्य में शराब की दुकानें तथा अन्य दुकानें खोल दी गई हैं। राज्य के कई हिस्सों में शराब की दुकान के सामने लंबी कतारें देखी गई हैं। उत्तराखंड में शराब की दुकानों के बाहर ग्राहकों की लंबी कतारें देखने को मिली। महाराष्ट्र के मुंबई और पुणे में भी शराब की दुकानों के बाहर लोगों की भारी भीड़ देखी गई। कर्नाटक के बेंगलुरु और अन्य हिस्सों में भी शराब की दुकानें खुली और बड़ी संख्या में लोग शराब खरीदने पहुंचे। कोरोना वायरस से निपटने के लिए लगाये गये लॉकडाउन के तीसरे चरण के पहले दिन सोमवार को लगभग एक महीने बाद गोवा में शराब की दुकानें खुलीं। एक अधिकारी ने बताया कि लोगों ने सामाजिक दूरी बनाये रखने संबंधी निर्देश का पालन किया और इन दुकानों के बाहर लोग कतारों में खड़े हुए दिखाई दिये। इस बीच, गोवा में शराब की दुकानों के मालिकों ने घोषणा की थी कि उन लोगों को शराब नहीं बेची जायेगी, जिन्होंने मास्क नहीं पहनने होंगे। गोवा शराब व्यापारी संघ के अध्यक्ष दत्ता प्रसाद नाइक ने कहा, ‘‘गोवा में सोमवार को शराब की दुकानें खुलीं लेकिन लोगों की ज्यादा भीड़ नहीं थी। हमने ‘मास्क नहीं, शराब नहीं’ की नीति अपनाई थी, ताकि सामाजिक दूरी बनाये रखने संबंधी नियम का पालन किया जा सके।''

लॉकडाउन रियायतें वापस ले लेंगे केजरीवाल

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने सोमवार को कहा कि सरकार उन इलाकों से लॉकडाउन रियायतें वापस ले लेगी, जहां के लोग सामाजिक दूरी संबंधी नियमों का पालन नहीं करेंगे। उनकी यह घोषणा उन खबरों के बीच की गयी है जिनमें कहा गया था कि राष्ट्रीय राजधानी के कई इलाकों में लोगों ने शराब की दुकानों पर सामाजिक दूरी संबंधी नियमों का पालन नहीं किया। ये दुकानें सोमवार को खुलीं। केजरीवाल ने कहा कि यह दुखद है कि लोग कुछ दुकानों पर छह फुट या दो मीटर की अनिवार्य दूरी नहीं रख रहे थे। उन्होंने लोगों से कोई भी जोखिम नहीं लेने का अनुरोध किया। केजरीवाल ने ऑनलाइन मीडिया ब्रीफिंग में कहा, "दुकानें बंद नहीं हो रही हैं। हमें सख्त कदम उठाने होंगे। हम सभी को जिम्मेदार नागरिकों की तरह आचरण करना होगा।" मुख्यमंत्री ने कहा कि अगर किसी दुकान के बाहर सामाजिक दूरी नियमों का पालन नहीं किया जाता है तो सरकार उसे सील कर देगी। केजरीवाल ने कहा, "हमें कोरोना वायरस को हराना है। मैं लोगों से मास्क पहनने, सामाजिक दूरी बनाए रखने और अपने हाथों की सफाई करते रहने की अपील करता हूं।" 

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अंतरराज्यीय माल ढुलाई में कोई समस्या नहीं हो

केंद्रीय गृह मंत्रालय ने राज्य सरकारों और केंद्रशासित प्रदेशों से एक बार फिर कहा है कि राज्यों के बीच माल ढुलाई में कोई समस्या नहीं होनी चाहिए। उसने ट्रक संचालकों से किसी भी तरह की समस्या आने पर नियंत्रण कक्ष से संपर्क करने को कहा है। गृह मंत्रालय में संयुक्त सचिव पुण्य सलिला श्रीवास्तव ने संवाददाताओं से यह भी कहा कि पुलिस अधिकारियों के कोविड-19 से संक्रमित होने के बढ़ते मामलों को देखते हुए मंत्रालय ने पुलिस अनुसंधान और विकास ब्यूरो तथा स्वास्थ्य मंत्रालय के साथ परामर्श करके ड्यूटी करने के दौरान पुलिसकर्मियों की सुरक्षा के लिहाज से दिशा-निर्देश जारी किये हैं। उन्होंने कहा कि गृह मंत्रालय ने सभी राज्यों, केंद्रशासित प्रदेशों और केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों को परामर्श जारी करके उनका ध्यान कार्यस्थल पर सुरक्षा के संबंध में स्वास्थ्य मंत्रालय के दिशा-निर्देशों और मानक परिचालन प्रक्रियाओं की ओर आकृष्ट किया है। श्रीवास्तव ने कहा कि मंत्रालय ने राज्यों को यह सुनिश्चित करने को कहा है कि अंतरराज्यीय माल ढुलाई में कोई समस्या नहीं आनी चाहिए। ट्रक संचालकों के लिए नियंत्रण कक्ष का नंबर ‘1930’ जारी करते हुए उन्होंने कहा कि वे आवाजाही के दौरान किसी तरह की दिक्कत होने पर इस नंबर पर संपर्क कर सकते हैं। श्रीवास्तव ने कहा कि यह नियंत्रण कक्ष हर समय कार्यरत है और तीन मई तक 12,000 शिकायतों का निस्तारण कर चुका है। उन्होंने कहा कि यदि ट्रक किसी राष्ट्रीय राजमार्ग पर चल रहे हैं तो वे भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) की हेल्पलाइन ‘1033’ पर संपर्क कर लॉकडाउन के संबंध में कोई भी शिकायत दर्ज करा सकते हैं।

प्लाज्मा थेरेपी कोई ‘जादू की छड़ी’ नहीं है

शीर्ष चिकित्सा विशेषज्ञों ने सोमवार को कहा कि प्लाज्मा थेरेपी कोरोना वायरस से निपटने के लिए कोई ‘‘जादू की छड़ी’’ नहीं है और केवल बड़े पैमाने पर नियंत्रित परीक्षण से उपचार की दृष्टि से इसके प्रभाव का पता चल सकता है। कई राज्य कोविड-19 से गंभीर रूप से बीमार लोगों के इलाज के लिए इस थेरेपी के उपयोग पर विचार कर रहे हैं। इस थेरेपी के तहत कोविड-19 संक्रमण से स्वस्थ हुए एक व्यक्ति के खून से एंटीबॉडी लिये जाते है और उन एंटीबॉडी को कोरोना वायरस से ग्रस्त मरीज में चढ़ाया जाता है ताकि संक्रमण से मुकाबला करने में उसकी प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाया जा सके। स्वास्थ्य मंत्रालय ने पिछले सप्ताह इसके इस्तेमाल को लेकर चेताते हुए कहा था कि कोरोना वायरस के मरीज के इलाज के वास्ते प्लाज्मा थेरेपी अभी प्रायोगिक चरण में है। हालांकि राजस्थान, पंजाब, महाराष्ट्र और दिल्ली समेत कुछ राज्य सरकारों ने प्लाज्मा थेरेपी से इलाज के लिए अपनी इच्छा जताई थी और केन्द्र ने कोविड-19 के मरीजों की सीमित संख्या में प्लाज्मा थेरेपी का इस्तेमाल करने की कुछ राज्यों को अनुमति दी थी। शीर्ष चिकित्सा विशेषज्ञों का मानना है कि इसे इस रूप में नहीं देखा जाना चाहिए कि यह कोविड-19 के इलाज में कोई ‘‘बड़ा अंतर’’ पैदा कर सकता है और इस थेरेपी के नियंत्रित ट्रायल से इसके प्रभाव साबित हो सकते है। दिल्ली में स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के निदेशक रणदीप गुलेरिया ने कहा कि जहां तक कोरोना वायरस का संबंध है, बहुत कम प्लाज्मा थेरेपी के ट्रायल हुए हैं, और केवल कुछ रोगियों में ही इसके कुछ लाभ देखने को मिले हैं। गुलेरिया ने कहा, ‘‘यह केवल उपचार योजना का एक हिस्सा है। इसे व्यक्ति को अपनी रोग प्रतिरोधक क्षमता बेहतर करने में मदद मिलती है क्योंकि प्लाज्मा में मौजूद एंटीबॉडी खून में जाते है और इस वायरस से मुकाबला करने में मदद करने का प्रयास करते है। यह कुछ ऐसा नहीं है, जो नाटकीय बदलाव ला देगा।’’ उन्होंने कहा कि ऐसा कोई अध्ययन नहीं है कि यह ‘‘जादू की छड़ी’’ या इससे कोई नाटकीय बदलाव आ जायेगा लेकिन यह चिकित्सा का एक साधन है। गुलेरिया ने कहा, ‘‘याद रखने के लिए महत्वपूर्ण बात यह है कि हर किसी का प्लाज्मा नहीं दिया जा सकता है, आपको रक्त की जांच भी करनी होगी... क्या यह सुरक्षित है और इसमें पर्याप्त एंटीबॉडी भी हैं। आपके पास एक एंटीबॉडी जांच तंत्र है और एनआईवी (नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी), पुणे द्वारा इस बात की जांच की जा रही है कि जो प्लाज्मा आप दे रहे हैं, क्या उसमें पर्याप्त एंटीबॉडी हैं।’’ वसंत कुंज में स्थित फोर्टिस अस्पताल में पल्मोनोलॉजी, एमआईसीयू और निद्रा विकार में निदेशक डॉ विवेक नांगिया ने कहा कि यह थेरेपी प्रायोगिक स्तर पर है लेकिन इसमें उम्मीद की किरण शामिल है क्योंकि इसके पीछे कुछ अनुभव और पहले के अनुभव शामिल हैं जिनका इस्तेमाल सीमित तरीके से सार्स और एच1एन1 महामारी के लिए किया गया था। उन्होंने कहा, ‘‘बड़े स्तर पर नियंत्रित ट्रायल किये जाने बहुत जरूरी हैं और इसके बाद ही हम इसे चिकित्सा का एक मानक बना सकते हैं।’’ रिपोर्टों के अनुसार यहां एक निजी अस्पताल में एक मरीज का पहली बार इस थेरेपी से इलाज किया गया था और स्वस्थ होने के बाद पिछले सप्ताह इस मरीज को अस्पताल से छुट्टी दी गई। हालांकि, महाराष्ट्र में जिस पहले व्यक्ति को यह थेरेपी दी गई उसकी मुंबई के एक अस्पताल में मौत हो गई। ट्रॉमा सेंटर, एम्स के प्रोफेसर राजेश मल्होत्रा ने कहा कि अब तक प्लाज्मा थेरेपी की उपयोगिता का कोई ठोस सबूत नहीं है। शालीमार बाग में स्थित फोर्टिस अस्पताल के चिकित्सक डॉ. पंकज कुमार ने कहा कि अब तक इस थेरेपी के किये गये ट्रायल बहुत कम हैं और संशय दूर करने के लिए बड़े स्तर पर ट्रायल किये जाने चाहिए। उन्होंने कहा, ‘‘सैद्धांतिक रूप से यह कह सकते हैं कि यह मददगार होना चाहिए क्योंकि हम एक ऐसे व्यक्ति से एंटीबॉडी ले रहे हैं जिसे संक्रमण हुआ है। लेकिन यह अभी भी प्रायोगिक स्तर पर है।’’ 

कांग्रेस ने रेल किराये का खर्च वहन करने की घोषणा की

कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने देश के विभिन्न हिस्सों में फंसे प्रवासी श्रमिकों से रेलवे द्वारा कथित तौर पर किराया वसूले जाने को लेकर सोमवार को नरेंद्र मोदी सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि अब इन मजदूरों के लौटने पर होने वाला खर्च पार्टी की प्रदेश इकाइयां वहन करेंगी। उन्होंने यह सवाल भी किया कि जब रेल मंत्रालय ‘पीएम केयर्स’ कोष में 151 करोड़ रुपये का योगदान दे सकता है तो श्रमिकों को बिना किराये के यात्रा की सुविधा क्यों नहीं दे सकता? सोनिया की इस घोषणा के बाद पार्टी के संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल ने प्रदेश कांग्रेस कमेटियों के अध्यक्षों से श्रमिकों की मदद के संदर्भ में बात की। बाद में वेणुगोपाल ने वीडियो लिंक के माध्यम से संवाददाताओं से कहा, ‘‘प्रदेश कांग्रेस इकाइयां संबंधित राज्य की सरकार और मुख्य सचिवों के साथ बातचीत करेंगी और श्रमिकों के रेल किराये का भुगतान करेंगी।’’ उन्होंने यह दावा भी किया कि रेलवे ने एक परिपत्र जारी कर स्पष्ट किया है कि श्रमिकों से किराया वसूला जाएगा। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने एक बयान में कहा, ‘‘1947 के बंटवारे के बाद देश ने पहली बार यह दिल दहलाने वाला मंजर देखा कि हजारों श्रमिक व कामगार सैकड़ों किलोमीटर पैदल चल घर वापसी के लिए मजबूर हो गए। न राशन, न पैसा, न दवाई, न साधन, पर केवल अपने परिवार के पास वापस गांव पहुंचने की लगन।’’ बाद में उन्होंने एक वीडियो संदेश में कहा, ‘‘मुझे और हर साथी को यह देखकर और भी पीड़ा होती है कि संकट की इस घड़ी में भारत सरकार और रेल मंत्रालय घर वापस लौटने के लिए रेल यात्रा का किराया और विशेष शुल्क वसूल रहे हैं।’’ उन्होंने सवाल किया, ‘‘जब हम विदेशों में फंसे भारतीयों को अपना कर्तव्य समझकर हवाई जहाजों से नि:शुल्क वापस ला सकते हैं, जब हम गुजरात के एक कार्यक्रम में सरकारी खजाने से 100 करोड़ रुपये खर्च कर सकते हैं, जब रेल मंत्रालय प्रधानमंत्री नागरिक सहायता एवं आपात स्थिति राहत कोष में 151 करोड़ रुपये दे सकता है तो फिर तरक्की के इन ध्वजवाहकों को नि:शुल्क रेल यात्रा की सुविधा क्यों नहीं दे सकते?’’ सोनिया ने कहा, ‘‘कांग्रेस ने कामगारों की इस नि:शुल्क रेलयात्रा की मांग को बार-बार उठाया है। दुर्भाग्य से न सरकार ने एक सुनी और न ही रेल मंत्रालय ने। इसलिए कांग्रेस ने यह निर्णय लिया है कि प्रदेश कांग्रेस कमेटी की हर इकाई हर जरूरतमंद श्रमिक व कामगार के घर लौटने की रेल यात्रा का टिकट खर्च वहन करेगी व इस बारे में जरूरी कदम उठाएगी।’’ कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने सरकार पर निशाना साधते हुए ट्वीट किया, ''एक तरफ रेलवे दूसरे राज्यों में फंसे मजदूरों से किराया वसूल रही है वहीं दूसरी तरफ रेल मंत्रालय प्रधानमंत्री नागरिक सहायता एवं आपात स्थिति राहत कोष में 151 करोड़ रुपये का चंदा दे रहा है। जरा ये गुत्थी सुलझाइए!’’ पार्टी के कोषाध्यक्ष अहमद पटेल ने कहा कि उन्होंने प्रदेश कांग्रेस कमेटियों से आग्रह किया है कि प्रवासी मजदूरों की मदद के लिए सभी संभव संसाधन लगाये जाएं। कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को ‘पीएम केयर्स’ कोष से श्रमिकों की मदद करनी चाहिए, लेकिन अगर वह तैयार नहीं हैं तो कांग्रेस अपने सीमित संसाधन में ही मदद के लिए पूरी तरह तैयार है। उन्होंने यह सवाल भी किया कि जब सरकार मेहुल चोकसी, नीरव मोदी और विजय माल्या जैसे भगोड़े कारोबारियों के 68,000 करोड़ रुपये ‘‘माफ कर सकती है’’ तो फिर प्रवासी श्रमिकों की मदद क्यों नहीं कर सकती?

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नायडू ने राज्यसभा के अधिकारियों के साथ बैठक की

राज्यसभा के सभापति एम. वेंकैया नायडू ने लॉकडाउन के बाद पहली बार सोमवार को सचिवालय के वरिष्ठ अधिकारियों की बैठक की और कई मुद्दों पर उनसे चर्चा की जिसमें नये सदस्यों के शपथ ग्रहण और विभिन्न स्थायी समितियों के अध्यक्षों के चुनाव शामिल हैं। एक आधिकारिक बयान के मुताबिक, स्थायी समितियों की बैठक करने पर निर्णय 17 मई के बाद लिए जाएगा जब लॉकडाउन का तीसरा चरण समाप्त होगा। महासचिव और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों के साथ घंटे भर की बैठक के दौरान सभापति ने निर्विरोध निर्वाचित नये सदस्यों के शपथ ग्रहण, स्थायी समितियों के अध्यक्षों को चुनने, सामाजिक दूरी बनाए रखने और सुरक्षा नियमों तथा संसाधनों को बचाने पर चर्चा की गई। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिए इस तरह की आठ समितियों के अध्यक्षों के खाली पद को भरने की प्रक्रिया शुरू की जाए। इन रिक्तियों में मानव संसाधन विकास और उद्योगों संबंधी स्थायी समितियों के अध्यक्ष के पद शामिल हैं। इनके अध्यक्ष क्रमश: सत्यनारायण जटिया और के. केशव राव थे। नायडू को बताया गया कि राज्यसभा में 20 रिक्तियां हैं। बयान में बताया गया कि इन रिक्तयों में वे 18 रिक्तियां भी शामिल हैं जिनके लिए चुनाव टाल दिए गए। बयान में कहा गया है कि लॉकडाउन को 17 मई तक बढ़ाए जाने और कोरोना वायरस को फैलने से रोकने पर ध्यान केंद्रित करने के लिए विभागों से जुड़ी स्थायी समितियों और अन्य समितियों की बैठक करने पर बाद में फैसला किया जाएगा। निर्विरोध चुने गए 38 सदस्यों के शपथ ग्रहण पर निर्णय किया गया कि लॉकडाउन के बाद अगले सत्र से पहले अगर संभव हुआ तो सभापति के कक्ष में उन्हें शपथ दिलाई जाएगी। नायडू ने खर्च में कटौती की योजना का ब्यौरा मांगा। महासचिव देश दीपक वर्मा ने बताया कि सचिवालय का 2020-21 के लिए वार्षिक बजट 423 करोड़ में से 60 करोड़ रुपये की बचत की पहचान की गई है। उन्होंने कहा कि वित्त वर्ष में 80 करोड़ रुपये के कुल बचत का लक्ष्य रखा गया है। बयान में कहा गया है कि राज्यसभा के सभापति ने 20 अप्रैल से काम कर रहे सचिवालय में सुरक्षा मानकों का ब्यौरा भी मांगा।

मुंबई में 17 मई तक निषेधाज्ञा बढ़ाई गयी

मुंबई में सीआरपीसी की धारा 144 के तहत लागू निषेधाज्ञा को लॉकडाउन बढ़ने के मद्देनजर 17 मई तक बढ़ा दिया गया है जिसमें चार या इससे अधिक लोगों के इकट्ठे होने पर पाबंदी होगी। एक पुलिस अधिकारी ने सोमवार को यह जानकारी दी। मुंबई में कोरोना वायरस संक्रमण के अत्यधिक मामलों की वजह से पूरे शहर को रेड जोन घोषित किया गया है। अधिकारी ने एक आधिकारिक आदेश के हवाले से कहा, ‘‘हमने सीआरपीसी की धारा 144 को बढ़ा दिया है जिसमें लोगों के जमा होने पर पाबंदी है।’’ अधिकारी ने कहा कि नागरिकों को सुबह सात बजे से रात आठ बजे के बीच आवश्यक वस्तुओं को खरीदने के लिए घरों से बाहर निकलने की अनुमति है, लेकिन उन्हें सामाजिक दूरी कायम रखने के नियम का पालन करना होगा। उन्होंने कहा कि नियम का उल्लंघन करने वालों पर आईपीसी की धारा 188 (किसी सरकारी अधिकारी द्वारा जारी आदेश की अवज्ञा करना) के तहत मुकदमा दर्ज किया जाएगा। बीएमसी के एक अधिकारी ने रविवार को बताया कि मुंबई में अब तक कोविड-19 के 8,613 मामले दर्ज किये गये हैं और यहां संक्रमण के कारण 343 लोगों की मौत हो चुकी है।

जम्मू-कश्मीर में रात में रहेगा कर्फ्यू

लॉकडाउन के तीसरे चरण के दौरान कोविड-19 को फैलने से रोकने के वास्ते जम्मू कश्मीर प्रशासन ने प्रतिदिन शाम सात बजे से लेकर सुबह सात बजे तक कर्फ्यू लगाने का निर्णय सोमवार को लिया। सरकारी प्रवक्ता रोहित कंसल ने एक ट्वीट में कहा, “सभी क्षेत्रों में शाम सात बजे से सुबह सात बजे तक प्रतिबंध (कर्फ्यू) लागू रहेगा। आपातकालीन चिकित्सा सेवाएं को कर्फ्यू से छूट दी गई है।” सोमवार से लेकर 17 मई तक जिन गतिविधियों की अनुमति दी गई है उसके संबंध में मुख्य सचिव बीवीआर सुब्रह्मण्यम ने एक विस्तृत आदेश जारी किया है।

सड़कों पर निकले लोग

राष्ट्रीय राजधानी में 40 दिन से लागू सख्त लॉकडाउन के बीच सोमवार को थोड़ी राहत मिलने के बाद सरकारी और निजी कार्यालयों ने सीमित कर्मचारियों के साथ काम दोबारा शुरू किया। धीरे-धीरे कामकाज शुरू करने के लिए दिल्ली में इलेक्ट्रॉनिक्स और वाहन के पार्ट्स की दुकानों समेत अन्य दुकानें भी खोली गईं। हालांकि, बड़े बाजारों में एहतियात के तौर पर कम ही संख्या में दुकानें खुलीं और कई दुकानदारों ने कहा कि ग्राहकों की संख्या बेहद कम है। दिल्ली सरकार के गैर-जरूरी सेवाओं से संबंधित विभागों ने भी कर्मचारियों की सीमित संख्या के साथ कामकाज शुरू कर दिया। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने भी 25 मार्च से लागू लॉकडाउन के बाद मंत्रिमंडल की पहली बैठक की। कई सप्ताह से खाता संबंधित लंबित कामों को निपटाने के लिए भी बैंकों के बाहर लोग अपनी बारी का इंतजार करते दिखे। कई इलाकों में आइसक्रीम बेचने वाले भी गलियों में रेहड़ी लेकर घूमते दिखे। शराब की दुकानों के बाहर लंबी कतारें देखी गईं और इस दौरान कुछ स्थानों पर लोग सामाजिक दूरी के नियमों का उल्लंघन करते पाए गए। ऐसे में प्रशासन को या तो दुकान बंद करवानी पड़ी अथवा अनुशासन बनाए रखने के लिए हल्का बल प्रयोग करना पड़ा। पूर्वी दिल्ली के जवाहर चौक में फोटोकॉपी और स्टेशनरी की दुकान चलाने वाले कृष्णा कोहली ने कहा कि उन्होंने 40 दिन बाद अपनी दुकान खोली है। कोहली ने कहा, 'दुकान खुली है लेकिन ग्राहक नदारद हैं। मुझे लगता है कि धीरे-धीरे लोग बाहर आएंगे और कुछ दिन में काम में तेजी आएगी।' पान की दुकान चलाने वाले राधे श्याम मिश्रा ने कहा कि पुरानी दिल्ली में अभी आपूर्तिकर्ताओं (सप्लायर) की दुकानें बंद हैं, इसलिए सामान उपलब्ध होने के बाद ही मैं अपना काम ठीक तरह से शुरू कर पाउंगा। उन्होंने कहा कि लॉकडाउन में ढील के बाद सड़कों पर लोग नजर आ रहे हैं और उम्मीद है कि जल्द ही हालात सामान्य होने लगेंगे। इस बीच, मोबाइल फोन का सामान बेचने वाले सुरजीत सिंह ने कहा, ' मैंने अभी अपनी दुकान खोली है और अगले दो घंटे बाद बंद कर दूंगा क्योंकि यहां पुलिस की कार्रवाई का भय है।'

कई कंपनियों ने विनिर्माण शुरू किया

ऑटो, कपड़ा, पेय, रसायन और उर्वरक सहित कई विनिर्माण कंपनियों ने सोमवार से शुरू हुए लॉकडाउन के तीसरे चरण में संबंधित राज्य सरकारों से अनुमति मिलने के बाद विनिर्माण गतिविधियों को फिर से शुरू कर दिया है। विनिर्माताओं ने शेयर बाजारों को बताया कि सरकार और स्थानीय अधिकारियों द्वारा बताई गई सुरक्षा सावधानियों का पालन करते हुए उन्होंने अपने संयंत्रों को आंशिक रूप से फिर शुरू कर दिया है और वे अन्य इकाइयों के लिए मंजूरी का इंतजार कर रहे हैं। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने हाल में अधिसूचना जारी कर लाल, नारंगी और हरे क्षेत्रों में कुछ शर्तों के साथ विनिर्माण कार्यों को फिर शुरू करने की अनुमति दी थी। वाणिज्यिक वाहन निर्माता एसएमएल इसुजु ने बताया कि उसे पंजाब सरकार से शहीद भगत सिंह नगर में स्थित विनिर्माण संयंत्र को शुरू करने की अनुमति मिल गई है। राजस्थान स्थित चंबल ब्रुअरीज एंड डिस्टिलरीज ने भी शेयर बाजारों को परिचालन फिर से शुरू करने की जानकारी दी। ऑटोमोटिव और औद्योगिक ल्यूब्रिकेंट बनाने वाली कंपनी कैस्ट्रॉल इंडिया ने दादरा और नगर हवेली के सिलवासा में अपने संयंत्र में परिचालन शुरू कर दिया है। हार्डवेयर विनिर्माता सेरेबरा इंटीग्रेटेड टेक्नोलॉजीज ने कहा कि कंपनी ने स्थानीय अधिकारियों से आवश्यक अनुमति मिलने के बाद अपना विनिर्माण कार्य फिर से शुरू कर दिया है। कंपनी ने कहा कि उसने बेंगलुरु में पीन्या औद्योगिक क्षेत्र और कोलार जिले में नरसापुरा केआईएडीबी औद्योगिक क्षेत्र में स्थित अपने संयंत्रों में विनिर्माण फिर से शुरू कर दिया है और उत्पादन में क्रमिक रूप से बढ़ोतरी होगी। पुणे स्थित इंजीनियरिंग कंपनी प्राज इंडस्ट्रीज ने भी कुछ क्षेत्रों में परिचालन फिर से शुरू कर दिया है। इसके अलावा विभिन्न राज्यों में कई अन्य कंपनियों ने भी विनिर्माण गतिविधियां फिर शुरू करने की जानकारी दी है।

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गुजरात में प्रवासी कामगारों की पुलिस से झड़प

गुजरात में सूरत जिले के एक गांव के पास अपने घर जाने की मांग कर रहे सैंकड़ों प्रवासी मजदूरों की सोमवार को पुलिस से झड़प हो गई। प्रवासी मजदूरों ने पुलिस पर पथराव किया जिसमें एक आईपीएस अधिकारी समेत 11 पुलिसकर्मी घायल हो गये। अधिकारियों ने यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि इसके अलावा राजकोट में भी कई मजदूर सड़कों पर उतर आए। वे मांग कर रहे हैं कि उन्हें उनके घर भेजा जाए। वापस अपने घर नहीं जा सकने वाले कुछ मजदूरों ने सूरत के एक इलाके में अपना सिर मुंडवा लिया। पुलिस के अधिकारी ने बताया कि सूरत के बाहरी इलाके के वरेली गांव के पास सैंकड़ों प्रवासी मजदूरों की पुलिस झड़प हो गई। वे मांग कर रहे थे कि उन्हें उनके मूल स्थान पर भेजने का इंतजाम किया जाए। अधिकारी ने बताया कि उन्होंने पुलिस पर पथराव किया। इसके बाद सुरक्षा कर्मियों ने मजदूरों पर आंसू गैस के गोले दागे और लाठीचार्ज किया। अधिकारी ने बताया कि मजदूरों ने सूरत- कडोदरा सड़क पर खड़ी कुछ गाड़ियों को भी क्षतिग्रस्त किया है। उन्होंने बताया कि हालात को बाद में नियंत्रित कर लिया गया और इलाके में सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी गई है। अधिकारी ने बताया कि इस घटना में महानिरीक्षक (सूरत रेंज) एस पांडियन राजकुमार समेत 11 पुलिसकर्मी घायल हो गये। उन्होंने बताया कि अब तक पुलिस ने 80 लोगों को हिरासत में लिया है। इसके अलावा सूरत के पांडेसारा इलाके में सोमवार को 50 प्रवासी मजदूरों ने अपना सिर मुंडवा लिया। ये प्रवासी उत्तर प्रदेश और झारखंड में स्थित अपने मूल स्थान के लिए रवाना नहीं हो सके। उन्होंने दावा किया कि दो दिन पहले उनकी बसों को गुजरात से जाने की अनुमति दी गई थी। लेकिन, बाद में स्थानीय प्रशासन के अधिकारियों ने ‘‘वैध अनुमति’’ के अभाव के कारण उन्हें सूरत के कोसांबा में रोक लिया और उनसे वापस जाने के लिए कहा। श्रमिकों ने कहा कि वे बेसब्री से इसका इंतजार कर रहे हैं कि प्रशासन उन्हें घर वापस जाने की अनुमति दे। उनमें से एक ने कहा कि उन्होंने काफी मशक्कत के बाद बस के किराया का इंतजाम किया था, जो उन्हें लौटाया नहीं गया है। उन्होंने मांग की कि उत्तर प्रदेश और गुजरात की सरकारें आपस में समन्वय करें ताकि वे जल्द जल्द लौट सकें। उन्होंने कहा, ‘‘हममें से कई लोगों ने बस के किराए की व्यवस्था करने के लिए अपनी घड़ियां और मोबाइल फोन तक बेच दिए हैं। हम अब भी उसी स्थान पर हैं, जहां से हमारी बसों को चलने की अनुमति नहीं दी गई है। हम यहां फंस गए हैं और अधिकारियों की ओर से कोई मदद नहीं मिल रही है।’’ राजकोट के बाहरी इलाके में शापर-वेरावल औद्योगिक इलाके में सैकड़ों प्रवासी मजदूर सड़कों पर उतर आए, वे घर वापस भेजने की मांग कर रहे हैं। पुलिस ने कहा कि उन्होंने मजदूरों को समझा-बुझाकर उनसे प्रदर्शन खत्म कराया औऱ स्थिति को नियंत्रण में लाए। राजकोट के पुलिस उपायुक्त (जोन-) रवि मोहन सैनी ने कहा, ‘‘हम प्रवासियों के रिहायशी इलाकों में उन तक सक्रिय रूप से पहुंचे और उन्हें समझाया है कि उन्हें उन वाहनों में जाने की अनुमति दी जाएगी जिनकी उन्होंने स्वयं व्यवस्था की, लेकिन इससे पहले उनकी चिकित्सा जांच होगी और अन्य औपचारिकताओं को पूरा किया जाएगा।’’ उन्होंने कहा कि कुछ इलाकों से हमें शिकायत मिली है कि मकान मालिक किराया मांग रहे हैं और फैक्टरी मालिक वेतन नहीं दे रहे हैं। सैनी ने कहा कि हम ऐसी शिकायतों पर कार्रवाई करेंगे। अब तक प्रवासी हमारी बात समझ गए हैं और शांत हैं। कुछ प्रवासी मजदूर घर लौटने वाले फॉर्म को भरने के लिए राजकोट कलेक्टर के दफ्तर पर जमा हो गए और कहा कि उनके पास ना खाना है और ना पैसे हैं। उत्तर प्रदेश के बदायूं के एक मजदूर ने कहा, ‘‘जिस फैक्टरी में मैं काम करता हूं, वह बंद है और मैं अपने मूल स्थान पर वापस जाना चाहता हूं। वे कहते हैं कि हमें अपने मूल स्थान लौटने के लिए स्वयं वाहनों की व्यवस्था करनी होगी, लेकिन हम चाहते हैं कि सरकार हमें ट्रेनों से भेजे।’’

आरोग्य सेतु ऐप

कोरोना वायरस के संक्रमण के प्रति लोगों को आगाह करने के लिये बनाये गये सरकारी ऐप आरोग्य सेतु को अब तक करीब नौ करोड़ बार डाउनलोड किया जा चुका है। इस ऐप में जल्दी ही टेलीफोन के माध्यम से चिकित्सक के परामर्श की सुविधा जोड़ी जाने वाली है। नीति आयोग के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) अमिताभ कांत ने सोमवार को इसकी जानकारी दी। केंद्र सरकार ने कोरोना वायरस महामारी के खिलाफ जारी अभियान को मजबूती देने को लेकर सरकारी और निजी क्षेत्र के कर्मचारियों के लिये आरोग्य सेतु मोबाइल एप्लिकेशन का उपयोग करना अनिवार्य कर दिया है। संगठनों के प्रमुखों को यह सुनिश्चित करने के लिये कहा गया है कि यह ऐप सभी कर्मचारियों के फोन में हो। कांत ने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, ''आरोग्य सेतु ऐप को अब तक करीब नौ करोड़ बार डाउनलोड किया जा चुका है। इसमें टेलीमेडिसिन (टेलीफोन के माध्यम से चिकित्सक के परामर्श) की सुविधा को जोड़ा जा रहा है।" यह मोबाइल ऐप उपयोगकर्ताओं को यह जानने में मदद करता है कि उन्हें कोरोना वायरस से संक्रमण का खतरा है या नहीं। यह कोरोनो वायरस के संक्रमण से बचने के तरीकों सहित महत्वपूर्ण जानकारी भी लोगों को प्रदान करता है। कांत कोरोना वायरस महामारी की रोकथाम के लिये गैर सरकारी संगठनों (एनजीओ) और अंतरराष्ट्रीय संगठनों के साथ समन्वय के लिये बनाये गये ‘अधिकार प्राप्त समूह 6’ के प्रमुख भी हैं। उन्होंने कहा कि समूह-6 अब तक एनजीओ दर्पण मंच से 92 हजार से अधिक एनजीओ तथा सामाजिक संगठनों (सीएसओ) को जोड़ चुका है। उन्होंने कहा का प्रमुख है, ‘‘समूह-6 ने एनजीओ और सीएसओ से अपील की है कि वे राज्यों और जिलों को हॉटस्पॉट की पहचान करने, स्वयंसेवकों को जमीन पर उतारें और जरूरतमंद लोगों की मदद करें।’’ कांत ने यह भी बताया कि भारत के 112 पिछडे़ जिले कोरोना वायरस महामारी के खिलाफ देश की लड़ाई की अगुवाई कर रहे हैं। उन्होंने कहा, "अब तक इन 112 जिलों में लगभग 610 मामले हैं, जो दो प्रतिशत के संक्रमण के राष्ट्रीय औसत से काफी कम है।" 

विशेष थियेटर शो की पुरजोर वकालत

मल्टीप्लेक्स चलाने वालों ने फिल्म निर्माताओं से किसी फिल्म को डिजिटल या इलेक्ट्रानिक माध्यमों पर दिखाने का अधिकार डिजिटल या सैटेलाइट कंपनियों को बेचने से पहले केवल सिनेमा हॉल में उनके शो के लिए कुछ दिन का समय रखे जाने की परंपरा का पालन करने की अपील की है। सिनेमा उद्योग के रिवाज के अनुसार, फिल्म रिलीज होने के बाद के शुरुआती आठ सप्ताह विशेष रूप से सिनेमा हॉल में शो के लिए रखा जाता है, फिर उसके बाद यह प्रदर्शनी का अधिकार सैटेलाइट चैनलों या नेटफ्लिक्स या अमेज़ॅन जैसे निकाय को बेचा जाता है। मल्टीप्लेक्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एमएआई) द्वारा यह अपील, संभावित रूप से फिल्म निर्माताओं की तात्कालिक नकदी की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए फिल्म प्रदर्शन का अधिकार डिजिटल या उपग्रह चैनलों को बेचने से उत्पन्न चिंताओं के बीच की गई है। ऐसा इव वजह से है लॉकडाउन के कारण मल्टीप्लेक्स बंद हैं। एमएआई ने फिल्म निर्माताओं से फिल्मों की रिलीज फिलहाल रोकने का आग्रह किया है। एसोसिएशन के अनुसार, कोविड-19 महामारी के कारण, हजारों स्क्रीन को देश भर में बंद करने के लिए मजबूर किया गया था, जिससे इस कारोबार से जुड़े अनेकों कर्मचारी, और अंशधारकों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। एमएआई 18 क्षेत्रीय और राष्ट्रीय मल्टीप्लेक्स श्रृंखला का प्रतिनिधित्व करता है और भारत में लगभग 90 फीसदी मल्टीप्लेक्स उद्योग का प्रतिनिधित्व करता है। इसके सदस्य देश भर में 2,900 से अधिक स्क्रीन के साथ 600 से अधिक मल्टीप्लेक्स चनाते हैं।

इटली ने लंबे समय से लागू लॉकडाउन में ढील दी

यूरोप में सबसे लंबे समय तक लॉकडाउन लागू करने वाले देश इटली में ढील देने के साथ सोमवार को लाखों लोग काम पर लौट आए। साथ ही आइसलैंड से लेकर भारत तक विभिन्न देशों में कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए जारी लॉकडाउन से कुछ रियायत देने के विभिन्न कदम उठाए जा रहे हैं। यूनान में हज्जाम सहित तमाम काम-धंधे शुरू हो गए जबकि लेबनान में नयी शर्तों के साथ रेस्तरां खोले गये। विभिन्न देशों में अर्थव्यवस्था को दोबारा शुरू करने के लिए दबाव बढ़ता जा रहा है। वहीं राजनीतिक नेता कोविड-19 का टीका बनाने के लिए चल रहे अनुसंधान के वास्ते धन बढ़ाने का प्रयास कर रहे हैं। उन्होंने उम्मीद जताई कि कोरोना वायरस के संक्रमण का इलाज करने के लिए कोई टीका आने वाले महीनों में उपलब्ध हो सकता है लेकिन यह भी चेताया है कि इसमें समय भी लग सकता है। इटली यूरोप का पहला देश है जिसे कोरोना वायरस की महामारी ने बुरी तरह अपनी चपेट में किया। यह दुनिया के उन देशों है जहां पर सबसे अधिक मौतें हुई। हालांकि करीब दो महीने के लॉकडाउन के बाद यहां कामकाज शुरू हुआ है। पाबंदियों में ढील की वजह से करीब 44 लाख इतालवी नागरिक काम पर लौटे हैं। रोम शहर के पुराने इलाके में यातायात रफ्तार पकड़ रहा है, निर्माण स्थल पर काम शुरू हो गया है और विनिर्माण इकाइयां चालू हो गई हैं। 11 मार्च के बाद पहली पर कैम्पो देइ फियोरी बाजार में फूल बेचने वाले दिखे। यूरोप के एक बड़े हिस्से में संक्रमण की वृद्धि दर में गिरावट आई है जिसके बाद सार्वजनिक जनजीवन को शुरू करने की कोशिशें तेज हो गई हैं लेकिन यूरोपीय नागरिकों को मिली नयी आजादी सीमित है क्योंकि अधिकारी संक्रमण के दूसरे दौर को लेकर चिंतित हैं। इटली में किसी की मृत्यु होने पर लोग शोक सभा कर सकते हैं लेकिन इसमें शामिल होने वाले लोगों की संख्या 15 तक सीमित कर दी गई है। हालांकि, अभी तक स्पष्ट नहीं है कि बड़े पैमाने पर लोगों के एकत्र होने पर लगी रोक कब हटाई जाएगी। रेस्तरां ने खाने का ऑर्डर पूरा करने के लिए साफ सफाई शुरू कर दी है लेकिन वहां की मेज पर खाना परोसने की अनुमति मिलने में अभी हफ्तों का समय लग है। बेल्जियम ने कुछ कंपनियों को कर्मचारियों के लिए कार्यालय खोलने की अनुमति दे दी है। हालांकि, अभी तक घर से काम को प्रोत्साहित किया जा रहा है। इटली की तरह ही यूनान, स्पेन और यूरोप के अन्य देशों के लोगों को सार्वजनिक परिवहन में मास्क पहनने को कहा गया है। इटली के लोगों को अब भी बाहर निकलने पर कारण प्रमाणित करना होगा। हालांकि, अब बाहर निकलने के कारणों की सूची में विस्तार किया गया है और परिवार या प्रेमी से मिलना भी इसमें शामिल किया गया। यूनान ने भी सोमवार से क्रमबद्ध तरीके से सात हफ्ते के लॉकडाउन में ढील देने की शुरुआत की। इसके तहत बाहर निकलने के लिए एसएमएस भेजने या स्वलिखित परमिट की आवश्यकता को खत्म कर दिया गया है। यूनान में बाल काटने की दुकान, किताब और खेल के सामान बेचने सहित कुछ दुकानों को खोलने की अनुमति दी गई है लेकिन इस दौरान स्वच्छता और सामाजिक दूरी के नियम का कड़ाई से अनुपालन करना होगा। सबसे प्रभावित स्पेन में लोगों को पहली बार बाल कटवाने और बाहर खाने की अनुमति मिली है लेकिन कई छोटी दुकानें अब भी बंद है क्योंकि वे स्वास्थ्य और स्वच्छता के कठोर दिशानिर्देशों का अनुपालन करने के लिए उनमें बदलाव कर रहे हैं। पड़ोसी पुर्तगाल ने भी पाबंदियों में ढील दी है और छोटी दुकानों को खोलने की अनुमति दे दी है। यूरोप के पश्चिमी छोर पर मौजूद आइसलैंड में भी उच्च विद्यालय, दांत के डॉक्टर की क्लीनिक, सैलून सहित अन्य कारोबार को करीब छह हफ्ते के अंतराल पर खोलने की अनुमति दी गई। पश्चिम एशिया में लेबनान ने सोमवार से 30 प्रतिशत की क्षमता के साथ रेस्तरां खोलने की अनुमति दे दी लेकिन कई कारोबारियों का कहना है कि वे अनुमति के बावजूद रेस्तरां नहीं खोलेंगे। उनका कहना है कि पस्त होती अर्थव्यवस्था के दौर में अगर वे सख्त पाबंदियों के साथ रेस्तरां खोलेंगे तो उन्हें भारी नुकसान होगा। हालांकि, लेबनान में कैफे, क्लब और बार को जून तक बंद रखने का आदेश दिया गया है। भारत ने करीब पांच हफ्ते की बंदी के बाद कुछ आर्थिक गतिविधियों को बहाल करने की अनुमति दी है। हालांकि, संक्रमण की दर में हल्की सी वृद्धि दर्ज की गई है। लॉकडाउन की वजह से देश में कोरोना वायरस के संक्रमण को फैलने की दर में कमी लाने में सफलता प्राप्त हुई है लेकिन इससे गरीबों की मुश्किल और बढ़ गई है। रूस में कोविड-19 के नये मरीजों में तेजी से वृद्धि हुई है और डर है कि इससे देश के अस्पतालों की व्यवस्था धराशायी हो सकती है। प्रशासन का कहना है कि जांच का दायरा बढ़ाने से नये मामलों में वृद्धि हुई है। रूस की अर्थव्यवसथा मार्च के उत्तरार्ध से आंशिक रूप से बंद है और लॉकडाउन के प्रावधानों को अब 11 मई तक के लिए बढ़ा दिया गया है। जॉन्स हॉपकिंस विश्वविद्यालय के आंकड़ों के मुताबिक दुनिया भर की सरकारों ने अबतक 35 लाख लोगों के संक्रमित होने और 2,47,000 लोगों की मौत होने की जानकारी दी है। इनमें से 67,000 मौतें अकेले अमेरिका में हुई है। जानबूझकर महामारी को छिपाने, जांच की निम्न दर और केवल गंभीर रूप से बीमार लोगों को ही स्वास्थ्य सेवा में लाने का अभिप्राय है कि महामारी का वास्तविक प्रकोप कहीं अधिक है। पाबंदी मुक्त रोजमर्रा की जिंदगी बिताने के लिए टीके का विकास एकमात्र कुंजी हैं। सोमवार को दुनिया के नेता वीडियो कांफ्रेंस के जरिये बैठक की। इसमें टीके पर शोध के लिए 4.37 अरब यूरो, इलाज के लिए दो अरब यूरो और जांच के लिए 1.5 अरब यूरो की व्यवस्था करने की उम्मीद है। अधिकारियों का कहना है कि यह शुरुआत है। विज्ञप्ति में फ्रांस, जर्मनी, इटली, नार्वे के नेताओं और यूरोपीय संघ के शीर्ष अधिकारियों ने कहा कि इस धन का इस्तेमाल मान्यता प्राप्त वैश्विक स्वास्थ्य संगठन के जरिये होगा। यूरोपीय संघ के कार्यकारी आयोग ने उम्मीद जताई कि इसमें अमेरिका भी शामिल होगा लेकिन उसकी भूमिका को लेकर अस्पष्ट हैं। हालांकि अमेरिका दान सम्मेलन में भूमिका निभा सकता है। जर्मनी के स्वास्थ्य मंत्री जेन्स स्पैन ने कहा कि भरोसेमंद उपलब्धि प्राप्त हुई है लेकिन चेतावनी दी कि चिकित्सा जगत में टीका विकसित करना सबसे बड़ी चुनौती है। उन्होंने कहा, ''मुझे खुशी होगी अगर हम कुछ महीनों में सफल हो जाएं लेकिन मुझे लगता है कि हमें यथार्थवादी बने रहना चाहिए।’’ स्पेन ने रविवार को एआरडी टेलीविजन से कहा, ''इसमें वर्षों लग सकते हैं, क्योंकि निश्चित रूप से असफलता मिल सकती है। हमने यह अन्य बीमारियों का टीका विकसित करते समय भी देखा।’’

-नीरज कुमार दुबे

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