Unlock 5 के 58वें दिन SC ने कहा, राजनीति से ऊपर उठकर कोरोना पर काबू पाने के लिये करने होंगे कठोर उपाय

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हरियाणा में शुक्रवार को कोरोना वायरस संक्रमण से 29 और लोगों की मौत हो गई, जिसके बाद इस खतरनाक संक्रमण से मरने वालों की संख्या बढ़कर 2,345 हो गई। वहीं संक्रमण के 2,135 नए मामले सामने आने के बाद संक्रमितों की संख्या बढ़कर 2,28,746 हो गई।

नयी दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को कहा कि कोविड-19 के मामलों में तेजी से हो रही वृद्धि पर अंकुश पाने के लिये राज्यों को राजनीति से ऊपर उठना होगा और कठोर उपाय करने होंगे क्योंकि हालात बद से बदतर हो गये हैं। शीर्ष अदालत ने यह भी कहा कि देश में कोविड-19 के प्रबंधन के बारे में नीतियों, दिशा निर्देश और मानक हैं लेकिन प्राधिकारियों द्वारा इन पर अमल के प्रति ढिलाई है और इस मसले से निबटने के लिये कोई ठोस कदम नहीं उठाये जा रहे हैं। न्यायमूर्ति अशोक भूषण, न्यायमूर्ति आर सुभाष रेड्डी और न्यायमूर्ति एम आर शाह की पीठ ने कहा, ‘‘यही समय कठोर कदम उठाने का है अन्यथा केन्द्र सरकार के सारे प्रयास व्यर्थ हो जायेंगे।’’ पीठ ने महामारी की नई लहर के पहले से कहीं ज्यादा ‘भयावह’ होने के बारे में केन्द्र द्वारा न्यायालय को अवगत कराये जाने पर यह टिप्पणी की। पीठ अस्पतालों में कोविड-19 से संक्रमित मरीजों के समुचित इलाज और शवों को गरिमामय तरीके से उठाने के बारे में स्वत: संज्ञान लिये गये मामले की सुनवाई कर रही थी। सालिसीटर जनरल तुषार मेहता ने पीठ से कहा कि राज्यों को यह सुनिश्चित करना होगा कि दिशा निर्देशों और दूसरे मानकों पर सख्ती से अमल किया जाये क्योंकि ‘‘यह लहर पहली वाली लहरों से कहीं ज्यादा भयावह लग रही है।’’ मेहता के इनकथन को नोट करते हुये पीठ ने कहा, ‘‘फिर तो सख्त कदम उठाने की जरूरत है। चीजें बद से बदतर रही हैं लेकिन कोई ठोस कदम नहीं उठाये जा रहे हैं। राज्यों को राजनीति से ऊपर उठना होगा। सभी राज्यों को इससे निबटने के लिये आगे आना होगा।’’ पीठ ने कहा, ‘‘अब कठोर कदम उठाये जाने की जरूरत है। यह सख्त उपाय करने का उचित समय है। इसके लिये नीतियों, दिशा निर्देश और मानक हैं लेकिन सख्ती से अमल नही हो रहा है। इन पर अमल करने की कोई इच्छा शक्ति ही नहीं है।’’ मेहता ने जब यह कहा कि राज्यों को स्थिति से निबटने के उपायों को सख्ती से लागू करना होगा तो पीठ ने कहा, ‘‘जी हां, अन्यथा केन्द्र सरकार के पर्याप्त व्यर्थ हो जायेंगे।’’ सालिसीटर जनरल ने कहा, ‘‘यह ‘मैं’ बनाम ‘वे’ नहीं हो सकता। इसे ‘हम’ होना पड़ेगा।’’ इस मामले की सुनवाई के दौरान पीठ ने कहा, ‘‘हम समारोह और जुलूस के आयोजन को देख रहे हैं जिनमें 60 प्रतिशत लोगों के पास मास्क नहीं है और 30 प्रतिशत के मास्क उनके चेहरे पर लटके हुये हैं।’’ मेहता ने पीठ से कहा कि कोविड-19 की मौजूदा लहर पहले से अधिक कठोर प्रतीत हो रही है और इस समय देश में महाराष्ट्र, केरल और दिल्ली सहित 10 राज्यों का कोरोना वायरस संक्रमण के मामलों में 77 प्रतिशत तक योगदान है। न्यायालय इस मामले में अब एक दिसंबर को आगे विचार करेगा। न्यायालय ने 23 नवंबर को केंद्र सरकार और सभी राज्य सरकारों कोस्थिति रिपोर्ट पेश कर यह विस्तार से बताने का निर्देश दिया था कि वर्तमान के कोरोना वायरस संबंधी हालत से निपटने के लिए उन्होंने क्या कदम उठाए हैं। शीर्ष अदालत ने कहा था कि महाराष्ट्र में कोविड-19 के मामलों में वृद्धि हुई है, ऐसे में अधिकारियों को कदम उठाने होंगे तथा दिसंबर में ‘‘और भी बदतर स्थिति’’ का सामना करने के तैयार रहना होगा।

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देश के दस राज्यों में कोविड-19 के लगभग 77 फीसदी सक्रिय मामले: केंद्र ने उच्चतम न्यायालय को बताया

केंद्र ने शुक्रवार को उच्चतम न्यायालय को बताया कि दस राज्यों में कोविड-19 के लगभग 77 फीसदी सक्रिय मामले हैं जबकि कुल सक्रिय मामलों में से 33 फीसदी महाराष्ट्र और केरल के हैं। इसने कहा कि दुनिया के अधिकतर देशों में कोविड-19 के मामले फिर से बढ़ रहे हैं और भारत की घनी आबादी को देखते हुए देश ने संक्रमण के प्रसार पर अंकुस लगाने में उल्लेखनीय काम किया है। केंद्र ने कहा कि 24 नवंबर तक भारत में कोविड-19 के 92 लाख मामले थें, जिसमें 4.4 लाख से अधिक सक्रिय मामले हैं। गृह मंत्रालय ने हलफनामे में कहा, ‘‘हमारी स्वस्थ दर 93.76 फीसदी हो गई है और करीब 86 लाख लोग महामारी से उबर चुके हैं। पिछले आठ हफ्तों में प्रति दिन के औसतन मामलों में50 फीसदी की कमी आई है।वर्तमान में केवल दो राज्यों में 50 हजार से अधिक मामले हैं और वे पूरे सक्रिय मामलों का करीब 33 फीसदी हैं।’’ इसने कहा कि भारत का ‘केस फेटलिटी रेट’ (सीएफआर) 1.46 फीसदी है जबकि वैश्विक औसत 2.36 फीसदी है। केंद्र ने कहा कि सरकार सीएफआर को कम करने का प्रयास जारी रखेगी और इसे एक फीसदी से नीचे लाएगी और पॉजिटिविटी दर को कम करने के प्रयास तेज करेगी जो वर्तमान में 6.9 फीसदी है। केंद्र ने कहा, ‘‘दस राज्यों में देश में सक्रिय मामलों का 77 फीसदी है। ये राज्य हैं महाराष्ट्र (18.9 प्रतिशत), केरल (14.7 प्रतिशत), दिल्ली (8.5 प्रतिशत), पश्चिम बंगाल (5.7 फीसदी), कर्नाटक (5.6 फीसदी), उत्तरप्रदेश (5.4 फीसदी), राजस्थान (5.5 फीसदी), छत्तीसगढ़ (पांच फीसदी), हरियाणा (4.7 फीसदी) और आंध्रप्रदेश (3.1 फीसदी)।’’ इसने कहा कि भारत अब प्रतिदिन औसतन 11 लाख नमूनों की जांच कर रहा है और अप्रैल में छह हजार नमूनों की जांच से बढ़कर यहां तक पहुंचना एक उल्लेखनीय बढ़ोतरी है। केंद्र ने 170 पन्नों का हलफनामा उच्चतम न्यायालय में दाखिल किया और कहा कि महामारी जिस भयावता से बढ़ी उससे बाध्य होकर विभिन्न देशों ने कड़े कदम उठाए। इसने जीवनके लगभग हर पहलू को प्रभावित किया है और भारत इसका अपवाद नहीं है।

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मध्यप्रदेश में कोरोना वायरस संक्रमण के 1645 नए मामले, 15 लोगों की मौत

मध्यप्रदेश में शुक्रवार को कोरोना वायरस संक्रमण के 1645 नए मामले सामने आए और इसके साथ ही प्रदेश में इस वायरस से अब तक संक्रमित हुए लोगों की कुल संख्या2,01,597तक पहुंच गयी। राज्य में पिछले 24 घंटों में इस बीमारी से और 15 व्यक्तियों की मौत की पुष्टि हुई है जिससे मरने वालों की संख्या 3,224 हो गयी है। मध्यप्रदेश के एक स्वास्थ्य अधिकारी ने बताया, ‘‘पिछले 24 घंटों के दौरान प्रदेश में कोरोना वायरस के संक्रमण से इंदौर में तीन,भोपाल और सागर में दो-दो, ग्वालियर, खरगोन, रतलाम, होशंगाबाद, विदिशा, खंडवा, छतरपुर और सीधी में एक-एक मरीज की मौत की पुष्टि हुई है।’’ उन्होंने बताया, ‘‘राज्य में अब तक कोरोना वायरस से सबसे अधिक 749 मौत इंदौर में हुई हैं, जबकि भोपाल में 513, उज्जैन में 100, सागर में 138, जबलपुर में 221 एवं ग्वालियर में 180 लोगों की मौत हुई हैं। बाकी मौतें अन्य जिलों में हुई हैं।’’ अधिकारी ने बताया कि प्रदेश में शुक्रवार को कोविड-19 के 556 नये मामले इंदौर जिले में आये हैं, जबकि भोपाल में 313, ग्वालियर में 95 और जबलपुर में 85 नये मामले आये। उन्होंने कहा कि प्रदेश में कुल 2,01,597 संक्रमितों में से अब तक 1,83,696 मरीज स्वस्थ होकर घर चले गये हैं और 14,677 मरीज़ों का इलाज विभिन्न अस्पतालों में चल रहा है। उन्होंने कहा कि शुक्रवार को 1,152 रोगियों को ठीक होने के बाद अस्पताल से छुट्टी दे दी गई। 

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कोविड-19 के बढ़ते मामलों के लिये केंद्र ने SC में दिल्ली सरकार को बताया जिम्मेदार 

केंद्र ने राष्ट्रीय राजधानी में कोविड-19 के बढ़ते मामलों के लिये शुक्रवार को दिल्ली सरकार को जिम्मेदार ठहराते हुए कहा कि “बार-बार कहने” के बावजूद उसने जांच क्षमता, विशेष तौर पर आरटी-पीसीआर जांच, बढ़ाने के लिये कदम नहीं उठाए औरकाफी समय से प्रतिदिन 20,000 के करीब आरटी-पीसीआर जांच ही हो रही थी। केंद्र ने कहा कि दिल्ली सरकार को ठंड, त्योहारी सीजन और प्रदूषण के दौरान मामलों में बढ़ोतरी की पूरी जानकारी थी और इसके बावजूद लोगों को पर्याप्त रूप से जागरूक करने के लिए उपायों को समय से अमल में नही लाया गया। शीर्ष अदालत के समक्ष दायर अपने हलफनामे में गृह मंत्रालय ने कहा, “ डेंगू की रोकथाम और नियंत्रण समेत दिल्ली सरकार की उपलब्धियों पर जहां नियमित विज्ञापन थे वहीं कोविड-19 अनुकूल व्यवहार पर कोई विज्ञापन नहीं देखा गया। व्यापक रूप से लोगों को भी नियमित संपर्क उपायों के जरिये इसकी जानकारी नहीं थी।” उसने कहा, “कोविड-19 के बढ़ते मामलों के संदर्भ में बार-बार कहे जाने के बावजूद दिल्ली सरकार ने जांच क्षमता बढ़ाने के लिये कदम नहीं उठाए, खास तौर पर आरटी-पीसीआर के लिये, जो करीब 20,000 जांच के स्तर पर काफी समय से स्थिर थी।” न्यायमूर्ति अशोक भूषण, न्यायमूर्ति आर एस रेड्डी और न्यायमूर्ति एम आर शाह ने केंद्र के हलफनामे को संज्ञान में लिया और कहा, “चीजें बद् से बद्तर होती जा रही हैं लेकिन कोई ठोस कदम नहीं उठाया जा रहा।” पीठ ने मामले में सुनवाई की अगली तारीख एक दिसंबर तय करते हुए कहा, “राज्यों को राजनीति से ऊपर उठना होगा। सभी राज्यों को इस अवसर पर आगे आना होगा।” 

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न्यायालय ने राजकोट में कोविड-19 के लिये नामित अस्पताल में अग्निकांड की घटना का लिया संज्ञान

उच्चतम न्यायालय ने राजकोट में कोविड-19 अस्पताल में बृहस्पतिवार को आग लगने की घटना पर संज्ञान लिया और इस मामले में गुजरात सरकार से रिपोर्ट मांगी। इस घटना में पांच मरीजों की मौत हो गई है। न्यायालय ने बार बारइस तरह की घटनायें होने के बावजूद इन्हें कम करने के लिये कोई ठोस कदम नहीं उठाने पर राज्यों की तीखी आलोचना की। न्यायमूर्ति अशोक भूषण,न्यायमूर्ति आर एस रेड्डी और न्यायमूर्ति एम आर शाह की पीठ ने इस घटना को हतप्रभ करने वाला बताते हुये कहा कि यह बहुत ही गंभीर मामला है और यह नामित सरकारी अस्पतालों की स्थिति को दर्शाता है क्योंकि इसी तरह की घटनायें दूसरे स्थानों पर भी हो चुकी हैं। पीठ ने कहा कि यह घटना इस बात का प्रतीक है कि ऐसी स्थिति से निबटने के लिये अग्नि सुरक्षा के पुख्ता बंदोबस्त नहीं है। पीठ ने कहा, ‘‘हम इसका स्वत: संज्ञान ले रहे हैं। यह बहुत ही गंभीर बात है।’’ इसके साथ ही पीठ ने गुजरात सरकार को इस घटना के बारे में एक दिसंबर तक अपनी रिपोर्ट पेश करने का आदेश दिया। पीठ ने कहा, ‘‘ये हतप्रभ करने वाली है और यह पहली घटना नहीं है। आपके पास इसकी निगरानी के लिये कितने अग्निशमन अधिकारी हैं? आपके यहां सुरक्षा प्रबंध ही नही हैं।’’ पीठ ने कहा, ‘‘इन घटनाओं की एक राज्य से दूसरे राज्य और एक अस्पताल से दूसरे अस्पताल में पुनरावृत्ति हो रही है। इस संबंध में राज्यों ने कोई ठोस कार्य योजना बनायी ही नहीं है।’’ गुजरात के उप मुख्यमंत्री नितिन पटेल ने बताया किराजकोट जिले में निर्दिष्ट कोविड-19 अस्पताल के आईसीयू में आग लगने से संक्रमण के इलाज के लिए भर्ती पांच मरीजों की मौत हो गई जबकि इसमें उपचार के लिए भर्ती 26 अन्य मरीजों को सुरक्षित निकाल कर अन्य जगह स्थानांतरित किया गया है। पटेल ने बताया कि आनंद बंगला चौक इलाके में स्थित चार मंजिला उदय शिवानंद अस्पताल की पहली मंजिल पर स्थित आईसीयू में रात में करीब साढ़े बारह बजे आग लगी थी। इस अग्निकांड के समय इसमें करीब 31 मरीज भर्ती थे।

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राजस्थान में कोरोना वायरस संक्रमण से और 18 लोगों की मौत

राजस्थान में एक और मंत्री सहित और 3093 लोगों के कोरोना वायरस से संक्रमित होने की शुक्रवार को पुष्टि हुई हैं राज्य में अभी तक कुल 2,60,040 लोग संक्रमित हुए हैं। स्वास्थ्य विभाग के अनुसार, राज्य में संक्रमण से और 18 लोगों की मौत हो गई जिससे राज्य में संक्रमण से कुल मरने वालों का आंकड़ा 2,255 तक पहुंच गया। शुक्रवार को वनमंत्री सुखराम विश्नोई के संक्रमित होने की पुष्टि हुई है, वह अस्पताल में भर्ती हैं। अधिकारियों ने बताया कि शुक्रवार शाम छह बजे तक के बीते 24 घंटों में राज्य में कोरोना वायरस संक्रमण से 18 और मौत हुई हैं। जिससे मरने वालों की संख्या अब बढ़कर 2,255 हो गयी। कोरोना वायरस संक्रमण से अब तक जयपुर में 426, जोधपुर में 230, अजमेर में 181, बीकानेर में 160, कोटा में 133, भरतपुर में 103, उदयपुर में 90, और पाली में 85 संक्रमितों की मौत हो चुकी है। उन्होंने बताया कि राज्य में अब तक कुल 2,29,602 लोग कोरोना वायरस संक्रमण से मुक्त हुए हैं। इसके साथ ही शुक्रवार को संक्रमण के 3,093 नये मामले सामने आने से राज्य में इस घातक वायरस से संक्रमितों की अब तक की कुल संख्या 2,60,040 हो गयी जिनमें से 28,183 रोगी उपचाराधीन हैं।

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हरियाणा में कोविड-19 से 29 और लोगों की मौत, 2,135 नए मामले

हरियाणा में शुक्रवार को कोरोना वायरस संक्रमण से 29 और लोगों की मौत हो गई, जिसके बाद इस खतरनाक संक्रमण से मरने वालों की संख्या बढ़कर 2,345 हो गई। वहीं संक्रमण के 2,135 नए मामले सामने आने के बाद संक्रमितों की संख्या बढ़कर 2,28,746 हो गई। राज्य स्वास्थ्य विभाग की ओर से जारी दैनिक बुलेटिन में बताया गया कि फरीदाबाद में पांच, गुरुग्राम और रोहतक जिले में चार-चार और हिसार तथा फतेहाबाद जिलों में तीन-तीन लोगों की मौत हुई। वहीं गुरुग्राम में 698, फरीदाबाद में 468, हिसार में 157 और रोहतक में 104 नए मामले सामने आए हैं। हरियाणा में अभी 20,400 लोगों का इलाज चल रहा है और कोविड-19 से स्वस्थ होने की दर 90.06 फीसदी है।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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