Piyush Mishra Birthday: पीयूष मिश्रा को कहा जाता है हरफनमौला अभिनेता, आज मना रहे 62वां जन्मदिन

Piyush Mishra Birthday
Instagram

अपने अभिनय, कविताओं और गीतों से लोगों का दिल जीतने वाले अभिनेता पीयूष मिश्रा आज 13 जनवरी को 62वां जन्मदिन मना रहे हैं। साहित्य के शौकीन पीयूष मिश्रा को बचपन में फिजिक्स और केमेस्ट्री की पढ़ाई में बिलकुल मन नहीं लगता था।

अपने गीतों, कविताओं और अभिनय से लोगों का दिल जीतने वाले अभिनेता पीयूष मिश्रा आज 13 जनवरी को 62वां जन्मदिन मना रहे हैं। साहित्य के शौकीन पीयूष मिश्रा को बचपन में फिजिक्स और केमेस्ट्री की पढ़ाई में बिलकुल मन नहीं लगता था। लेकिन जब साल 1999 में उनको एक प्ले अल्बर्ट आइंस्टाइन का रोल प्ले करने का मौका मिला। तब पीयूष मिश्रा को याद आया कि फिजिक्स कितनी जरूरी है। तब उनको फिजिक्स के नियम भी समझ आए। तो आइए जानते हैं उनके जन्मदिन के मौके पर अभिनेता पीयूष मिश्रा के जीवन से जुड़ी कुछ रोचक बातों के बारे में...

बुआ ने लिया था गोद

मध्यप्रदेश के ग्वालियर में 13 जनवरी 1963 को ब्राह्मण परिवार में पीयूष मिश्रा का जन्म हुआ था। इनके पिता का नाम प्रदीप कुमार शर्मा था, जोकि अपर डिवीजन रैंक के क्लर्क थे। लेकिन प्रदीप कुमार शर्मा की बहन के कोई संतान नहीं थी। ऐसे में उन्होंने अपनी बहन तारादेवी मिश्रा को अपना बेटा पीयूष दे दिया। ऐसे में बुआ तारादेवी मिश्रा के घर पीयूष का पालन-पोषण हुआ था।

पीयूष मिश्रा अपने बचपन को लेकर हमेशा निराश रहते थे। एक इंटरव्यू में पीयूष मिश्रा ने बताया कि वह बचपन में या तो मर जाना चाहते थे, या फिर अपना गुस्सा इकट्ठा करके कुछ अलग करना चाहते थे। हालांकि हुआ भी कुछ ऐसी ही, उन्होंने 8वीं क्लास में पढ़ाई के दौरान अपने गुस्से को एक कविता में उतार दिया। इस कविता के शब्द लोगों के दिलों में उतर गए। पीयूष मिश्रा द्वारा लिखी गई कविता 'जिंदा हो तुम हां कोई शक नहीं, सांस लेते हुए देखा मैंने भी है' थी।

अदालत में लगाई नाम बदलने की अर्जी

पीयूष मिश्रा के परिवार ने उनका नाम प्रियकांत शर्मा रखा था। बताया जाता है कि तारादेवी से उनके रिश्ते कभी अच्छे नहीं रहे। ऐसे में उन्होंने अपना नाम बदलने की सोची। तब 10वीं क्लास में उन्होंने अपना नाम बदलने के लिए डिस्ट्रिक्ट कोर्ट में एफिट डेबिट दे दिया। जिसके बाद कोर्ट ने उनको मर्जी अनुसार उनका नाम प्रियकांत से पीयूष रख दिया।

एनएसडी में लिया एडमिशन

पीयूष मिश्रा का बचपन हर उस चीज से गुजरा, जो उनको बिलकुल पसंद नहीं थी। इसलिए उन्होंने ग्वालियर छोड़ने का फैसला कर लिया। उन्होंने एनएसडी में दाखिला इसलिए लिया, जिससे कि वह ग्वालियर से दूर जा सकें। इस दौरान उनको जर्मन डायरेक्टर फ्रिट्ज बैन्जेविच के प्ले हैमलेट में काम करने का मौका मिला। जहां पर उनको एक्टिंग की बारीकियां सीखने का मौका मिला। फिल्मी करियर की बात करें, तो साल 1998 में आई फिल्म 'दिल से' अपने एक्टिंग करियर की शुरूआत की। इस फिल्म में उनको सीबीआई ऑफिसर का रोल प्ले किया।

ब्लैक फ्राइडे के गीत से मिली पहचान

बता दें कि साल 2004 में पीयूष मिश्रा की आई फिल्म 'ब्लैक फ्राइडे' के गीत 'अरे ओ रुक जा रे बंदे' से पहचान मिली थी। उस दौरान इस फिल्म के गीत देर के हर युवा के मुंह पर चढ़ गए। फिर साल 2009 में फिल्म गुलाल के लिए पीयूष मिश्रा ने 'आरंभ है प्रचंड' और फिल्म गैंग्स ऑफ वासेपुर के लिए 'एक बगल में चांद होगा' जैसे गीत लिखे। आज के समय में पीयूष मिश्रा को देश-दुनिया में लीग से हटकर गाने लिखने और शानदार अभिनय के लिए जाना जाता है।

All the updates here:

अन्य न्यूज़