RBI ने नहीं बढ़ाई EMI, चेक क्लीयर होने में अब कई दिन की बजाय लगेंगे कुछ घंटे, UPI की लिमिट भी बढ़ी

Shaktikanta Das
ANI

आरबीआई के गवर्नर शक्तिकान्त दास ने मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की मंगलवार को शुरू हुई तीन दिन की बैठक में लिए गए निर्णय की जानकारी देते हुए कहा कि यूपीआई अपनी सहज सुविधाओं से भुगतान का सबसे पसंदीदा तरीका बन गया है।

भारतीय रिजर्व बैंक ने जनता के हित में कई बड़े फैसले किये हैं। जैसे कि लगातार नौवीं बार नीतिगत दर रेपो में कोई बदलाव नहीं किया गया है। इसका मतलब है कि आपकी ईएमआई नहीं बढ़ेगी। इसके साथ ही अब तक आप एक दिन में यूपीआई से एक लाख रुपए तक के कर का ही भुगतान कर पाते थे जिसे बढ़ाकर अब पांच लाख रुपए कर दिया गया है। साथ ही लोगों को इस बात की बड़ी समस्या रहती थी कि चेक क्लीयर होने में बहुत समय लग जाता है लेकिन अब चेक क्लीयर होने की प्रक्रिया काफी तेज हो जायेगी। इसके अलावा आरबीआई ने जीडीपी वृद्धि दर के अनुमान को 7.2 प्रतिशत पर बरकरार रखा है। साथ ही महंगाई के 4.5 प्रतिशत रहने के अनुमान को भी बरकरार रखा गया है।

यूपीआई की लिमिट बढ़ी

जहां तक यूपीआई की लिमिट बढ़ाने संबंधी फैसले की बात है तो आपको बता दें कि भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने यूपीआई के जरिये कर भुगतान की सीमा बढ़ाने की घोषणा की है। आरबीआई के गवर्नर शक्तिकान्त दास ने मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की मंगलवार को शुरू हुई तीन दिन की बैठक में लिए गए निर्णय की जानकारी देते हुए कहा कि यूपीआई अपनी सहज सुविधाओं से भुगतान का सबसे पसंदीदा तरीका बन गया है। शक्तिकांत दास ने कहा कि विभिन्न उपयोग-मामलों के आधार पर, रिजर्व बैंक ने समय-समय पर पूंजी बाजार, आईपीओ अभिदान, ऋण संग्रह, बीमा, चिकित्सकीय और शैक्षिक सेवाओं आदि जैसी कुछ श्रेणियों के लिए सीमाओं की समीक्षा की है और उन्हें बढ़ाया है।

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दास ने कहा, ''चूंकि प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष कर भुगतान सामान्य, नियमित तथा उच्च मूल्य के हैं। इसलिए यूपीआई के जरिये कर भुगतान की सीमा को एक लाख रुपये से बढ़ाकर पांच लाख प्रति लेनदेन करने का निर्णय लिया गया है। इस संबंध में आवश्यक निर्देश अलग से जारी किए जाएंगे।’’ आरबीआई के अनुसार, यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (यूपीआई) का उपयोगकर्ता आधार 42.4 करोड़ हो गया है। हालांकि, उपयोगकर्ता आधार के और विस्तार की संभावना है। यूपीआई में ‘डेलिगेटेड पेमेंट्स’ शुरू करने का भी प्रस्ताव है। दास ने कहा कि ‘डेलिगेटेड पेमेंट्स’ से एक व्यक्ति (प्राथमिक उपयोगकर्ता) को प्राथमिक उपयोगकर्ता के बैंक खाते पर किसी अन्य व्यक्ति (द्वितीयक उपयोगकर्ता) के लिए यूपीआई लेनदेन सीमा निर्धारित करने की अनुमति मिलेगी। इससे देशभर में डिजिटल भुगतान की पहुंच और उपयोग में वृद्धि होने की उम्मीद है। इस संबंध में भी विस्तृत निर्देश जल्द ही जारी किए जाएंगें।

इसके साथ ही आरबीआई ने अनधिकृत कंपनियों की जांच के लिए डिजिटल ऋण देने वाले ऐप के सार्वजनिक तौर पर आंकड़े तैयार करने का प्रस्ताव दिया है। दास ने कहा कि ग्राहकों के हितों की सुरक्षा, डाटा गोपनीयता, ब्याज दरों तथा वसूली प्रक्रियाओं, गलत बिक्री आदि पर चिंताओं से निपटने के लिए दिशानिर्देश दो सितंबर, 2022 को जारी किए गए थे। हालांकि, मीडिया की खबरों ने डिजिटल ऋण देने में बेईमान कंपनियों की मौजूदगी को उजागर किया है जो आरबीआई (आरई) से संबद्ध होने का झूठा दावा करती हैं।

चेक जल्द हो सकेंगे क्लीयर

इसके अलावा आरबीआई ने एक और जो सुविधा प्रदान की है उसके मुताबिक चेक का निपटान (क्लियरिंग) अब कुछ ही घंटों में हो जाएगा। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने चेक समशोधन में लगने वाले समय को कुछ घंटे करने और उससे जुड़े जोखिम कम करने के मकसद से कदम उठाने की घोषणा की है। हम आपको बता दें कि वर्तमान में चेक जमा करने से लेकर राशि आने तक दो दिन का समय लग जाता है। लेकिन नई व्यवस्था में चेक जमा करने के कुछ ही घंटों में यह ‘क्लियर’ हो जाएगा।

आरबीआई के गवर्नर शक्तिकान्त दास ने कहा, ‘‘चेक समाशोधन को दुरुस्त करने, निपटान जोखिम कम करने और ग्राहकों को बेहतर सेवाएं उपलब्ध कराने के मकसद से चेक ट्रांजेक्शन सिस्टम (सीटीएस) की वर्तमान प्रक्रिया में बदलाव का प्रस्ताव है।’’ उन्होंने कहा कि इसके तहत मौजूदा सीटीएस व्यवस्था के तहत ‘बैच’ में प्रसंस्करण की जगह कारोबारी समय में निरंतर आधार पर समाशोधन की व्यवस्था की जाएगी। आरबीआई के अनुसार, ‘‘नई व्यवस्था में चेक को ‘स्कैन’ किया जाएगा, उसे प्रस्तुत किया जाएगा और कुछ घंटों में समाशोधन किया जाएगा। इससे चेक का समाशोधन कुछ घंटे में हो जाएगा जबकि अभी दो दिन तक का समय (टी प्लस 1) लगता है। दास ने कहा कि इस संबंध में विस्तृत दिशानिर्देश जल्दी ही जारी किए जाएंगे। इसके अलावा, आरबीआई ने बैंकों की तरफ से अपने ग्राहकों के बारे में ‘क्रेडिट’ सूचना कंपनियों को दी जाने वाली रिपोर्ट हर पखवाड़े देने का प्रस्ताव किया है। वर्तमान में महीने में एक बार यह रिपोर्ट दी जाती है।

नीतिगत दर में कोई बदलाव नहीं

हम आपको यह भी बता दें कि भारतीय रिजर्व बैंक ने चालू वित्त वर्ष की तीसरी द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा में लगातार नौवीं बार नीतिगत दर रेपो में कोई बदलाव नहीं किया और इसे 6.5 प्रतिशत पर बरकरार रखा है। आरबीआई के गवर्नर शक्तिकान्त दास ने कहा कि मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) के छह सदस्यों में से चार ने नीतिगत दर को यथावत रखने के निर्णय के पक्ष में मत दिया। इसके साथ ही एमपीसी ने उदार रुख को वापस लेने का रुख बरकरार रखा है। उन्होंने कहा कि महंगाई को टिकाऊ स्तर यानी चार प्रतिशत पर लाने और वैश्विक अनिश्चितता के बीच आर्थिक वृद्धि को गति देने के मकसद से नीतिगत दर को यथावत रखा गया है। हम आपको बता दें कि रेपो वह ब्याज दर है, जिस पर वाणिज्यिक बैंक अपनी तात्कालिक जरूरतों को पूरा करने के लिये केंद्रीय बैंक से कर्ज लेते हैं। आरबीआई मुद्रास्फीति को काबू में रखने के लिये इसका उपयोग करता है। रेपो दर को 6.5 प्रतिशत पर बरकरार रखने का मतलब है कि मकान, वाहन समेत विभिन्न कर्जों पर मासिक किस्त (ईएमआई) में बदलाव की संभावना कम है।

वृद्धि दर का अनुमान बरकरार

शक्तिकांत दास ने कहा कि केंद्रीय बैंक ने 2024-25 के लिए जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) वृद्धि दर के अनुमान को 7.2 प्रतिशत पर बरकरार रखा है। इसके साथ ही चालू वित्त वर्ष में खुदरा मुद्रास्फीति के 4.5 प्रतिशत रहने के अनुमान को भी बरकरार रखा गया है। आरबीआई के गवर्नर शक्तिकान्त दास ने यह भी कहा कि देश का विदेशी मुद्रा भंडार दो अगस्त को 675 अरब डॉलर के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया। इससे पहले, इस वर्ष 19 जुलाई को मुद्रा भंडार का उच्चतम स्तर 670.85 अरब अमेरिकी डॉलर रहा था। इसके बाद 26 जुलाई को यह 667.38 अरब डॉलर रहा था। दास ने कहा कि कुल मिलाकर देश का बाह्य क्षेत्र ‘‘ जुझारू बना हुआ है’’ जैसा कि प्रमुख संकेतकों में सुधार से पता चलता है।’’

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