NCLT ने स्टर्लिंग SEZ के खिलाफ दिवाला कार्रवाई वापस लेने का आदेश दिया

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कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय की ओर से उपस्थित वरिष्ठ अधिवक्ता संजय शोरे ने कहा की हमें स्टर्लिंग सेज के खिलाफ दिवाला एवं शोधन अक्षमता कार्रवाई वापस लेने के खिलाफ स्थगन मिल गया है। उन्होंने कहा कि यह स्थगन इसलिए मांगा गया था क्योंकि न्यायाधिकरण की एक अन्य पीठ स्टर्लिंग बायोटेक के संबंध में इसी तरह की निपटान याचिका की सुनवाई कर रही है।

मुंबई।राष्ट्रीय कंपनी विधि न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) ने स्टर्लिंग सेज एंड इन्फ्रास्ट्रक्चर के खिलाफ श्रेई इन्फ्रास्ट्रक्चर फाइनेंस द्वारा दायर दिवाला कार्रवाई वापस लेने के लिये दायर याचिका पर 25 अप्रैल तक स्थगन लगा दिया। इससे पहले 26 मार्च को हुई पिछली बैठक में न्यायाधिकरण ने कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय सहित सभी अंशधारकों से जवाब मांगा था। एनसीएलटी का शुक्रवार को दिया गया स्थगन आदेश मंत्रालय की याचिका पर आधारित है। 

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कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय की ओर से उपस्थित वरिष्ठ अधिवक्ता संजय शोरे ने कहा की हमें स्टर्लिंग सेज के खिलाफ दिवाला एवं शोधन अक्षमता कार्रवाई वापस लेने के खिलाफ स्थगन मिल गया है। उन्होंने कहा कि यह स्थगन इसलिए मांगा गया था क्योंकि न्यायाधिकरण की एक अन्य पीठ स्टर्लिंग बायोटेक के संबंध में इसी तरह की निपटान याचिका की सुनवाई कर रही है। स्टर्लिंग बायोटेक संदेसरा परिवार के स्टर्लिंग समूह की प्रमुख कंपनी है।न्यायाधिकरण ने कहा कि याचिका पर सुनवाई 25 अप्रैल को होगी। 

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न्यायाधिकरण ने इससे पहले बुधवार को श्रेई इन्फ्रास्ट्रक्चर फाइनेंस की स्टर्लिंग सेज के खिलाफ दायर दिवाला मामला वापस लेने की याचिका को स्वीकार कर लिया था। स्टर्लिंग सेज कंपनी का स्वामित्व नीतिन और चेतन संदेसारा के पास है जो कि फरार हैं और माना जा रहा है कि वह विदेश में हैं। गुजरात स्थिति स्टर्लिंग सेज, स्टर्लिंग समूह की अनुषंगी है और इस पर उसके वित्तीय और परिचालन रिणदाताओं का 8,100 करोड़ रुपये के करीब बकाया है।कंपनी के प्रवर्तक फरार हैं और उन्हें भगोड़ा आर्थिक अपराधी घोषित करने का मामला दिल्ली के एक अदालत में लंबित है। 

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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