क्या वाकई सनातन का श्राप कांग्रेस को विधानसभा चुनावों में ले डूबा है?

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इसमें कोई दो राय नहीं है कि राजस्थान, छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश में कांग्रेस की करारी हार के पीछे सनातन का विरोध, सनातन के विरोध पर चुप्पी और मुस्लिम तुष्टिकरण बड़ी वजह है। एक तरफ जहां इस हार लेकर कांग्रेस में रोना-धोना मचा है, वहीं नैरेटिव का खेल भी जारी है।

पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव नतीजे घोषित हो चुके हैं। हिंदी पट्टी के तीन राज्यों- मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में अपनी हार से बौखलाई कांग्रेस और इंडिया गठबंधन फिर से एक बार क्षुद्र राजनीति पर उतर आया है। रस्मी तौर पर हर बार की तरह इस बार भी विपक्ष ने अपनी हार, नाकामियों और कमियों का ठिकरा ईवीएम के सिर फोड़ा है। लेकिन इस बार विरोध सिर्फ यहीं तक सीमित नहीं है, बल्कि द्रमुक सांसद सेंथिल कुमार ने लोकसभा में बयान देकर जनादेश को ‘उत्तर बनाम दक्षिण’ करने की मंशा जाहिर की है। उन्होंने कहा कि भाजपा हिंदी पट्टी के ‘गौमूत्र’ वाले राज्यों में ही चुनाव जीतती है।

यह भी कोई नई बात नहीं है कि डीएमके के किसी नेता ने इस तरह का बयान कोई पहली बार दिया है, इससे पहले भी उसके नेता विभाजनकारी बयान देते रहे हैं। डीएमके सांसद का यह विवादित बयान कोई अनायास नहीं आया है, यह सोची समझी रणनीति का हिस्सा है। द्रमुक के नेताओं ने ही ‘सनातन’ के समूल नाश की बात कही थी और उसकी तुलना एड्स और कोढ़ जैसी बीमारियों से की थी। क्या ऐसी गालियां देना राजनीति के लिए जरूरी है? चाहे हिंदी भाषा की बात हो, सनातन संस्कृति की बात हो या फिर उत्तर-दक्षिण विवाद की बात हो, वे इसे लेकर विवादित बयान देते रहे हैं। द्रमुक विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ का ही घटक-दल है। विरोध के बाद सांसद को माफी मांगनी पड़ी, लेकिन ऐसा भाजपा-विरोध देश की ‘विविधता में एकता’ संस्कृति का अपमान और उल्लंघन है। हालांकि इस कथन को लोकसभा की कार्यवाही के रिकॉर्ड से बाहर कर दिया गया है, लेकिन यह अपमान कौन सहेगा?

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इसमें कोई दो राय नहीं है कि राजस्थान, छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश में कांग्रेस की करारी हार के पीछे सनातन का विरोध, सनातन के विरोध पर चुप्पी और मुस्लिम तुष्टिकरण बड़ी वजह है। एक तरफ जहां इस हार लेकर कांग्रेस में रोना-धोना मचा है, वहीं नैरेटिव का खेल भी जारी है। यानि कांग्रेस हार से सबक लेने के लिए तैयार नहीं है। कांग्रेस के ही नेता आचार्य प्रमोद कृष्णम ने पार्टी को आईना दिखाते हुए कहा कि सनातन का श्राप कांग्रेस को ले डूबा।

पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को मिली हार के बाद लेफ्ट लिबरल गैंग और कांग्रेस समर्थक पत्रकारों-विश्लेषकों ने तरह-तरह के कुतर्क रचने शुरू कर दिए हैं। इंडिया टुडे के पत्रकार शिव अरूर ने कांग्रेस समर्थक पत्रकारों-विश्लेषकों की परतें उघाड़ कर रख दी है। इसी वीडियो को शेयर करते हुए पीएम मोदी ने कांग्रेस पर तंज कसते हुए लिखा, ‘वे अपने अहंकार, झूठ, निराशावाद और अज्ञानता से खुश रहें। लेकिन उनके विभाजनकारी एजेंडे से सावधान रहें। 70 साल पुरानी आदत इतनी आसानी से नहीं जा सकती।’ पीएम मोदी ने कटाक्ष करते हुए कहा कि ‘ऐसे लोगों की बुद्धिमत्ता है कि उन्हें आगे कई और मेल्टडाउन्स के लिए तैयार रहना होगा।’

दरअसल कांग्रेस ने 70 सालों से यही अपना चाल, चेहरा और चरित्र बना लिया है। वह इस बात को समझ ही नहीं पाई सनातन संस्कृति के दम पर भारत हमेशा से धर्म परायण देश रहा है और यहां जातिवाद कभी नहीं रहा। कांग्रेस के तुष्टिकरण की पराकाष्ठा देखिए कि उदयपुर में कांग्रेस के प्रत्याशी गौरव वल्लभ ने कब्रिस्तान के लिए 5 बीघा जमीन मुफ्त देने की घोषणा ही कर डाली। उदयपुर वही जिला है, जहां दर्जी कन्हैया लाल की निर्मम हत्या हुई और ये मामले पूरे देश में सुर्खियों में रहा था। गहलोत सरकार इस पूरे मामले को लेकर सवालों के घेरे में रही। सनातन के विरोध और कन्हैया लाल के अपराधियों पर सख्त कार्रवाई नहीं करने के चलते उदयपुर विधानसभा सीट से कांग्रेस को बुरी हार का सामना करना पड़ा। बीजेपी के ताराचंद जैन ने यहां जीत का परचम लहराया।

सनातन को गाली और मुस्लिम तुष्टिकरण और जिहाद को बढ़ावा देना कांग्रेस को किस तरह भारी पड़ा है उसे छत्तीसगढ़ के एक उदाहरण से समझा जा सकता है। छत्तीसगढ़ के 24 वर्षीय युवा भुवनेश्वर साहू को बेमेतरा के बिरनपुर में जिहादियों की भीड़ ने मार दिया था और उसके परिवार को कांग्रेस सरकार में न्याय नहीं मिला। उनके पिता ईश्वर साहू नितांत गरीब थे, उनको भाजपा ने ‘साजा’ सीट से टिकट दिया। भुवनेश्वर के पिता ईश्वर साहू ने 19600 मतों से 40 साल से कांग्रेस से विधायक मंत्री रविन्द्र चौबे को हरा दिया। रविन्द्र चौबे छत्तीसगढ़ में बघेल सरकार में कृषि मंत्री थे और सात बार विधायक रह चुके हैं। वोटबैंक के डर से और मुस्लिम तुष्टिकरण में कांग्रेस ने अपराधियों पर कार्रवाई नहीं की। ऐसे नतीजे कांग्रेस को हर बार बताते आएंगे कि आखिर क्यों जनता का समर्थन उसे नहीं मिलता।

इंडिया गठबंधन के घटक दल समाजवादी पार्टी के नेता स्वामी प्रसाद मौर्य ने कई बार तुलसीदास और रामचरितमानस के लिए विवादित शब्दावली का इस्तेमाल किया है। उन्होंने यहां तक कहा है कि हिन्दू नाम का कोई धर्म ही नहीं है, ये ब्राह्मण धर्म है। उन्होंने हिन्दू धर्म को धोखा बता दिया। इसी तरह, बिहार के शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर यादव ने विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में छात्रों के मन में रामचरितमानस को लेकर ज़हर भरा। स्वामी प्रसाद मौर्य और चंद्रशेखर यादव के अलावा उदयनिधि स्टालिन, ए. राजा, प्रियांक खडगे आदि सनातन को भला-बुरा कहने और कोसने वालों की लंबी कतार है।

इसमें कोई दो राय नहीं है कि सनातन धर्म दुनिया का सबसे पुराना धर्म है। सनातन धर्म पर अर्नगल बयानबाजी और टिप्पणियां न सिर्फ सनातन धर्म के खिलाफ हैं, बल्कि भारत के खिलाफ भी हैं। सनातन के अपमान से करोड़ों देशवासियों की भावनाएं आहत होती हैं। वास्तव में बात बस इतनी-सी है कि सनातन धर्म को लेकर जो-जो बातें कही गईं, इस्लाम या ईसाई के लिए मुंह तक खोल देने पर ईशनिंदा का आरोप लग जाता है।

मुंबई में 26/11 आतंकी हमले की साजिश कांग्रेस ने हिंदू आतंकवाद का नैरेटिव सेट करने के लिए रची थी। कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह और महेश भट्ट ने यह साबित करने की पूरी कोशिश की थी कि मुंबई आतंकी हमला हिंदू आतंकवाद के कारण हुआ। पाकिस्तानी आतंकवादी अजमल कसाब हाथ में कलावा और आई कार्ड समीर चौधरी का लेकर भारत में घुसा था। अगर वह जिंदा पकड़ा नहीं जाता तो कांग्रेस हिंदू आतंकवाद को साबित करने में सफल हो जाती। यही नहीं एक कांग्रेस समर्थक पत्रकार अजीज़ बर्नी ने एक किताब प्रकाशित की- “26/11, आरएसएस की साजिश”। इस किताब का लोकार्पण कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह और बॉलीवुड डायरेक्टर महेश भट्ट ने किया था।

जहां तक ईवीएम का प्रश्न है, तो उससे जुड़े विवाद सर्वोच्च अदालत तक जा चुके हैं। चुनाव आयोग ने भी सर्वदलीय निमंत्रण दिया था और मशीन में गड़बड़ी निकालने की चुनौती दी थी। उसे विपक्ष ने स्वीकार क्यों नहीं किया? अब भी संशय में डूबा विपक्ष या उनका कोई भी प्रतिनिधि उचित मंच में ईवीएम को चुनौती दे सकता है।

सवाल है कि क्या ऐसी विभाजक राजनीति और सनातन को गाली देकर विपक्ष 2024 का आम चुनाव जीता सकता है? क्या सनातन को गाली देना और विभाजनकारी मानसिकता ही विपक्ष का नया राजनीतिक एजेंडा है? क्या देश में गौ, गंगा, गायत्री, गीता का अपमान बर्दाश्त किया जा सकता है? लोकतंत्र में जनादेश ही अंतिम निर्णय है। वह जनता का निर्णायक रुख है। इंडिया गठबंधन और खासकर कांग्रेस को विधानसभा चुनाव में मिली हार के कारणों पर विचार करना चाहएि और जो जनादेश देश की जनता ने सुनाया है, उसे विनम्रतापूर्वक स्वीकार करना चाहिए।

-डॉ. आशीष वशिष्ठ

(लेखक स्वतंत्र पत्रकार हैं)

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