कोरोना के सकारात्मक कोण (व्यंग्य)

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संतोष उत्सुक । Mar 11 2020 7:23PM

लोग एक बार फिर समझ गए हैं कि उन्हें हाथ बार बार धोने चाहिए। यह सारे श्रेय कोरोना को जाते हैं जिसके कारण काफी गलत लोगों से हाथ मिलाने से बच गए। चीन की विमानन कम्पनियां बिजनेस खींचने के चक्कर में हवाई यात्रिओं को ज्यादा सामान ले जाने की आदत डाल चुकी हैं।

ऐसी कभी कभी होता है कि तूफ़ान, महामारी या दुर्घटना ज़िंदगी को परेशान कर दे, दुनिया हिलती दिखे और विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा संभवत पहली बार ग्लोबल हेल्थ इमरजेंसी घोषित की जाए। कोरोना ने चीन समेत पूरी दुनिया में खौफ का माहौल पैदा कर दिया है जिसमें अतिसंचार व्यवस्था का भी बड़ा हाथ है लेकिन किसी भी चीज़ में नकारात्मकता कितनी भी हो जनाब, उसमें कुछ अंश सकारात्मकता के भी होते हैं। ठीक उसी तरह जिस तरह दुःख में सुख भी छिपा होता है। विश्व व्यवसायी चीन में पैदा होकर कोरोना ने वहां की कई खतरनाक चीजों में काफी कमी ला दी है। बीबीसी न्यूज़ के माध्यम से नासा साहिब ने सूचित किया है कि चीन में आई आर्थिक सुस्ती के कारण नाइट्रोजन डाइऑक्साइड जैसी खतरनाक चीज़ यानि प्रदूषण कम हो गया है। जिन क्षेत्रों में कोयला जलाने के कारण धुंआ होता था काफी कम हो गया है। ज़िंदगी खुश है क्यूंकि वहां सांस बेहतर तरीके से ली जा रही है। संभव है अब वहां के लोगों ने सांप, चमगादड़, कुत्ते जैसे स्वादिष्ट व महत्वपूर्ण खाद्यों को छोड़कर सदा के लिए शाकाहारी खाने की तरफ कदम बढ़ा दिए हों। पूरी दुनिया में स्वस्थ शरीर और जीवन के प्रति प्यार और जागरूकता काफी बढ़ ही गई है। 

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लोग एक बार फिर समझ गए हैं कि उन्हें हाथ बार बार धोने चाहिए। यह सारे श्रेय कोरोना को जाते हैं जिसके कारण काफी गलत लोगों से हाथ मिलाने से बच गए। चीन की विमानन कम्पनियां बिजनेस खींचने के चक्कर में हवाई यात्रिओं को ज्यादा सामान ले जाने की आदत डाल चुकी हैं। अब लोगों ने चीन होकर जाना बंद कर दिया है, दूसरी एयर लाइंज़ में सामान कम ले जाना भी सीख रहे हैं। इस बहाने ज़िन्दगी में सामान की भाग दौड़ भी कम हो जाएगी। जब अमेरिका में वर्ल्ड ट्रेड सेंटर की इमारत पर खतरनाक हमला हुआ था, उस आक्रामक विध्वंस के बाद वहां ज्यादा विवाह होने लगे थे, उन्हें समझ आ गया था कि ज़िंदगी न मिलेगी दोबारा, उम्मीद है कोरोना भी बेहतर, स्वस्थ, सुरक्षित और सतर्क शैली में जीना सिखाएगा। 

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विकासजी के दबाव में बहुत ज्यादा सामान बनाया जा रहा है जिसकी वस्तुत इंसान को ज़रूरत नहीं है, इसमें जानलेवा प्लास्टिक से बना सामान अधिक है। चीन में बना ऐसा सामान जहां देखो मिलता है। अब दूसरे देश ज्यादा मेहनत कर ज़रूरत का सामान खुद बनाना शुरू करें तो उनकी आत्मनिर्भरता में इजाफा हो जाएगा। कोरोना ने बाज़ार को सीधा कर दिया और अब एशिया की क्षेत्रीय राजनीति और अमेरिकी चीनी संबंध भी मानवीय आधार पर सुधरेंगे। चीनी कम्युनिस्ट पार्टी भी आत्म परीक्षण करेगी। विश्व की पूरी आबादी को चौकन्ना करने के साथ साथ, दुनिया पर दबका मारने वालों पर भी दबदबा कायम करने वाला कोई तो आया। हमारे यहां मौत को एक कविता और इंसानों को ऊपर वाले की कठपुतलियां माना जाता है लेकिन कोरोना सिखाने आया है कि बढ़ते विकास में बिखरती लापरवाही के नतीजे कितने अमानवीय हो सकते हैं। विश्व कुछ अच्छी बातें सीख गया तो मानवता के लिए सकारात्मक रहेगा। 

संतोष उत्सुक

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