लोक जीवन की कृति ही हम सबकी साझा संस्कृति है: हरिहर वैष्णव

Harihar Vaishnav
दिनेश शुक्ल । Jul 6 2020 9:33PM

हमारी बोली, हमारी भाषा, हमारी पहचान है। एक समय में बस्तर में करीब 35 बोलियां यहाँ के आम जनमानस में बोली जाती थीं, लेकिन अब धीरे-धीरे हमारी कुछ बोलियां विलुप्त होने के कगार पर है। जो हम सब के लिए चिंता का विषय है। हमें अपनी भाषा-बोली से ममत्व भाव रखना होगा तभी हम अपने आने वाली पीढ़ियों को कुछ बेहतर दे पाएंगे।

जगदलपुर। बस्तर टॉक के पहले सीजन में लोक साहित्यकार, संस्कृति चिंतक और ब्लॉगर हरिहर वैष्णव ने 'बस्तर के साहित्य और लेखन' विषय पर विचार रखते हुए कहा कि हमारे जीवन की व्यथा और उसकी कथा को कहने की कला ही साहित्य है। बस्तर के लोक साहित्य को प्रकाश में लाने का थोड़ा सा प्रयास कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि बस्तर के लोक जीवन को  माटी के मनीषियों ने अपनी उल्लेखनीय रचनाओं के माध्यम से समाज के बीच प्रस्तुत किया है। महान साहित्यकार पंडित केदार नाथ ठाकुर, ठाकुर पूरन सिंह, पं.बाल गंगाधर सामंत, पं. रघुनाथ महापात्र, लाला जगदलपुरी ,जोगेंद्र महापात्र, लक्ष्मीनारायण परोधि व स्व. ठाकुर राम सिंह, स्व.डॉ.जयदेव बघेल सहित तमाम साहित्यकारों व लोक कलाकारों ने यहां के लोक जीवन की कृतियों को शाब्दिक-रूपंकर स्वरूप दिया है। 

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उन्होंने कहा कि बस्तर की संस्कृति के संरक्षण के लिए सरकारी सहभागिता से ज्यादा जरूरी सामाजिक सहयोग की है, ताकि हम अपनी कला-साहित्य के मूल स्वरूप को संरक्षित रख सकें। उन्होंने कहा कि हमारी बोली, हमारी भाषा, हमारी पहचान है। एक समय में बस्तर में करीब 35 बोलियां यहाँ के आम जनमानस में बोली जाती थीं, लेकिन अब धीरे-धीरे हमारी कुछ बोलियां विलुप्त होने के कगार पर है। जो हम सब के लिए चिंता का विषय है। हमें अपनी भाषा-बोली से ममत्व भाव रखना होगा तभी हम अपने आने वाली पीढ़ियों को कुछ बेहतर दे पाएंगे। उन्होंने कहा कि हमारे जीवन की कृतियां ही हमारी साझा संस्कृति है। जिसकी पहचान पूरी दुनियाँ में है और उसकी  मौलिकता को बनाने बनाए रखने के लिए हम सबको एकजुटता के साथ आगे आना होगा।

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बस्तर के साहित्यकार हरिहर वैष्णव बस्तर के लोक जीवन पर अब तक 29 पुस्तक लिख चुके हैं। उन्हें आंचलिक साहित्यकार सम्मान, पंडित सुंदरलाल शर्मा छत्तीसगढ़ राज्य अलंकरण, वेरियर एल्विन प्रतिष्ठा अलंकरण जैसे महत्वपूर्ण सम्मान प्रदान किया जा चुका है। उनके सहयोग से देश-दुनियाँ में कई टीवी प्रोग्राम बनाए गए हैं। बस्तर के सांस्कृतिक दूत के तौर पर वे आस्ट्रेलिया, स्वीटजरलैंड, इटली के प्रवास पर भी गए हैं। उनके सहयोग से स्कॉटलैंड में एनिमेशन फिल्म भी बनाई गई है। इस चर्चा का संचालन वर्षा मेहर ने किया व तकनीकी सहयोग अतुल प्रधान का रहा। कार्यक्रम में रमेश प्रधान, हबीब राहत, डॉ.परवीन अख्तर, श्रीकृष्ण काकूडे, पूनम विश्वकर्मा सहित आम दर्शक जुड़े।

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