समोसा, जलेबी, लड्डू भी सिगरेट जितना खतरनाक? जंक फूड के खिलाफ सरकार ने छेड़ दी कौन सी नई जंग

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अभिनय आकाश । Jul 15 2025 1:01PM

अगर आप ये सोच रहे कि आप सिगरेट नहीं पीते, इसलिए आपको सेहत के उतने बड़े नुकसान का कोई खतरा है ही नहीं। बहुत सारे लोग टशन में अक्सर ये कहते हैं कि हम न तो सिगरेट पीते हैं और न शराब पीते हैं, इसलिए हमें क्या होगा? लेकिन ये सारे लोग समोसे, जलेबी, लड्डू तो बड़े शौक से खाते हैं। आज का एमआरआई आपकी सेहत से जुड़ा है।

अगर आपको कोई धीमा जहर जिसे अंग्रेजी में स्लो प्वाइजन भी कहते हैं। स्वादिष्ट बनाकर सस्से दामों पर बेचे तो क्या आप इसे खरीदकर खा लेंगे? क्योंकि ये स्वादिष्ट भी है और सस्ता भी है। समोसा, जलेबी, लड्डू और पकोड़े आपके लिए इसी प्रकार का एक धीमा जहर बन सकते हैं। अब तक आपने सिगरेट, बीड़ी या तंबाकू के पैकेट पर ये चेतावनी लिखी देखी होगी। जिसमें लिखा होता है कि ध्रूमपान से कैंसर हो सकता है। तंबाकू जानलेवा है। इस प्रकार की चेतावनी आपको अक्सर सिगरेट और तंबाकू के पैकेट पर देखने को मिलती है। आप उन्हें पढ़ते हैं और उसमें कहा जाता है कि ये आपके स्वास्थ्य के लिए बहुत हानिकारक है। आम तौर पर धारणा भी यही है कि अगर कोई ध्रमूपान कर रहा है या तंबाकू का प्रयोग करता है तो उसके शरीर को बहुत जल्द इसका बड़ा नुकसान होगा। लेकिन जल्द आपको इस तरह की चेतावनी समोसे, लड्डू, पकौड़े, जलेबी जैसी खाने पीने की चीजों के साथ भी देखने को मिल सकती है। अगर आप ये सोच रहे कि आप सिगरेट नहीं पीते, इसलिए आपको सेहत के उतने बड़े नुकसान का कोई खतरा है ही नहीं। बहुत सारे लोग टशन में अक्सर ये कहते हैं कि हम न तो सिगरेट पीते हैं और न शराब पीते हैं, इसलिए हमें क्या होगा? लेकिन ये सारे लोग समोसे, जलेबी, लड्डू तो बड़े शौक से खाते हैं। आज का एमआरआई आपकी सेहत से जुड़ा है। 

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समोसा, जलेबी, लड्डू पर सरकार का बड़ा फैसला

समोसे, जलेबी और लड्डू पर एक बहुत बड़ा फैसला लिया जा रहा है। ये वो चीजें हैं जो एक तरह से करोड़ों भारतीयों की कमजोरी हैं। समोसा हो, जलेबी हो या फिर लड्डू भले ही आप इनसे अपने कदम खींच ले। मगर हाथ इनकी तरफ खुद ब खुद बढ़ जाते हैं। लेकिन अब समोसा, जलेबी और लड्डू पर बड़ा ऐलान हुआ है। सिगरेट के डिब्बे पर चेतावनी वाले चित्र और शब्द आपने देखे होंगे, जो यह बताते हैं कि स्मोकिंग सेहत के लिए नुकसानदायक है। ठीक उसी प्रकार समोसे, रसगुल्ले, पकौड़े जैसे अन्य डीप फ्राइड और हाई शुगर वाले फूड आइटम्स पर भी आने वाले दिनों में स्वास्थ्य चेतावनी जारी की जा सकती है, क्योंकि इसके सेवन से मोटापा, डायबिटीज, बीपी और हार्ट जैसी नॉन कम्युनिकेबल डिजीज का खतरा रहता है। इस नए आदेश के बाद अब वेंडर्स को समोसे या जलेबी परोसने के साथ-साथ यह भी बताना होगा कि उसमें कितनी चीनी और कितना तेल है।

21 हजार करोड़ समोसे, 5600 करोड़ भटूरे चट कर जाते भारतीय 

एक अनुमान के मुताबिक भारतीय लोग एक वर्ष में 21 से 22 हजार करोड़ समोसे खा जाते हैं। 

एक साल में 35 हजार करोड़ पराठे खा जाते हैं। 

भारतीय लोग सालाना 5600 करोड़ प्लेट भटूरे खा जाते हैं। 

एक साल में भारत के लोग 14 हजार करोड़ कचौरी और 10 हजार करोड़ प्लेट ब्रेड पकौड़े चट कर जाते हैं। 

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स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से जारी निर्देश

सामान्य एरिया जैसे कैफेटेरिया, लॉबी, मीटिंग रूम और अन्य पब्लिक प्लेस में ऑयल और शुगर बोर्ड (डिजिटल/पोस्टर) डिसप्ले किए जाएं, ताकि जागरूकता बढ़ाई जा सके। सभी आधिकारिक स्टेशनरी, जैसे लेटरहेड, लिफाफे, नोटपैड, फोल्डर आदि पर स्वास्थ्य संबंधी संदेश छापे जाएं ताकि मोटापे से लड़ने के लिए प्रतिदिन की याद दिलाई जा सके। ऑफिस में हेल्दी फूड का विकल्प हो, जैसे फल, सब्जियां, कम फैट वाले फूड को बढ़ावा दिया जाए और मीठे पेयों और अधिक फैट वाले स्नैक्स की उपलब्धता को सीमित किया जाए। स्वास्थ्य सचिव पीएस श्रीवास्तव ने NFHS-5 (2019-21) की रिपोर्ट का हवाला दिया। इसमें कहा गया है कि शहरी इलाकों में हर पांचवां वयस्क मोटापे से ग्रस्त है। 2025 में प्रकाशित 'लैंसेट जीबीडी स्टडी' के अनुसार, भारत में ज्यादा वजन और मोटापे से ग्रस्त वयस्कों की संख्या 2021 में 18 करोड़ थी जो 2050 तक 44.9 करोड़ हो जाएगी। मोटापा डायबिटीज, हाई बीपी, हृदय रोग और कुछ कैंसर के जोखिम को काफी बढ़ा देता है।

ट्रांस फैट से हार्ट को होता है नुकसान

समोसे, पकौड़े, कचौड़ी, चिप्स, पिज्ना में कार्बोहाइड्रेट, सैचुरेटेड फैट, ट्रांस फैट ज्यादा होने की वजह से यह हार्ट को नुकसान कर सकते हैं। यह सिर्फ समोसे या जलेबी की बात नहीं है, हर ऐसे फूड प्रोडक्टस की बात है जिसे तला जाता है, जिसमें तेल ज्यादा इस्तेमाल होता है शुगर ज्यादा होता है, चाहे जलेबी हो या रसगुल्ला, इन सबसे सेहत को नुकसान है। कोई समोसा और जलेबी खा रहा है तो इसका मतलब है कि यह डायरेक्ट कोलेस्ट्रॉल खाने की तरह है। समझ सकते है कि कितना नुकसान हो सकता है।

मल्टीनेशनल कंपनियों के खानों पर भी हो सख्ती 

इस बीच, शिवेसना के राज्यसभा सदस्य मिलिंद देवड़ा ने कहा कि देश में मल्टीनेशन कंपनियों द्वारा बेचे जा रहे खाद्य पदार्थों पर भी ऐसे ही सख्ती और नियमन होना चाहिए। उन्होंने कहा, पैकेज्ड फ्रूट जूस भी शुगर ड्रिंक हैं। कई मामलों में कोल्ड ड्रिंक से भी ज्यादा नुकसानदायक हैं। आयातित जंक फूड कैसे छोड़ सकते हैं? दोनों पर समान चेतावनी होनी चाहिए। देवड़ा, संसद की अधीनस्थ विधायी समिति के अध्यक्ष भी हैं।

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