वूमेन ऑफ 2020 में 13 साल की रिद्धिमा पांडे को मिली जगह, जलवायु परिवर्तन को लेकर कर रही हैं काम

Riddhima Pandey

रिद्धिमा पांडे एक पर्यावरण कार्यकर्ता हैं। रिद्धिमा उस वक्त खबरों में आई थीं जब उन्होंने नौ साल की उम्र में जलवायु परिवर्तन को लेकर कदम न उठाने पर भारत सरकार के खिलाफ केस दाखिल किया था।

नयी दिल्ली। दुनिया की 100 प्रभावशाली महिलाओं की बीबीसी ने एक लिस्ट तैयार की है। इस लिस्ट में बीबीसी ने उत्तराखंड के हरिद्वार की 13 वर्षीय रिद्धिमा पांडे को भी जगह दी है। इस लिस्ट में उन लोगों के नाम शामिल किए गए हैं जिन्होंने अशांत समय में भी अग्रणी बदलाव में अपनी भूमिका अदा की है। 

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कौन हैं रिद्धिमा पांडे ?

रिद्धिमा पांडे एक पर्यावरण कार्यकर्ता हैं। रिद्धिमा उस वक्त खबरों में आई थीं जब उन्होंने नौ साल की उम्र में जलवायु परिवर्तन को लेकर कदम न उठाने पर भारत सरकार के खिलाफ केस दाखिल किया था। इसके अलावा साल 2019 में 15 अन्य बाल याचिकाकर्ताओं के साथ मिलकर रिद्धिमा ने संयुक्त राष्ट्र में पांच देशों के खिलाफ मुकदमा दायर किया था।

बीबीसी ने रिद्धिमा पांडे के बारे में लिखा है कि इन दिनों वो अंतरराष्ट्रीय सम्मेलनों में हिस्सा ले रही हैं और दूसरे छात्र-छात्रों को हर मोर्चे पर सशक्त बनाने में सहयोग कर रही हैं और इसके पीछे उनका उद्देश्य सिर्फ इतना सा है कि यह छात्र भविष्य में विश्व की जैव विविधता के लिए संघर्ष कर सकें। 

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बता दें कि बीबीसी द्वारा जारी की गई सूची 'वूमेन ऑफ 2020' में चार भारतीय महिलाओं को जगह मिली है और इन चारों महिलाओं में रिद्धिमा पांडे सबसे छोटी हैं। इस लिस्ट में रिद्धिमा के अलावा जो भारतीय महिलाएं शामिल हैं उनमें शाहीनबाग वाली दादी बिलकिस बानो, पैरा बैडमिंटन चैंपियन मानसी जोशी और तमिलनाडु की सिंगर ईसाइवानी हैं।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक जब बीबीसी ने रिद्धिमा पांडे को 100 प्रभावशाली लोगों की सूची में शामिल किया तो उन्होंने कहा कि मुझे इसकी उम्मीद नहीं थी। यह पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन के लिए मेरे द्वारा किए जा रहे काम का एक सुखद अहसास है और यह मुझे प्रेरित करता है कि मैं पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन के लिए संघर्ष करती रहूं, जो आज दुनिया का सबसे महत्वपूर्ण मुद्दा है। 

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हरिद्वार में रहने वाली रिद्धिमा पांडे के पिता वाइल्ड लाइफ एक्टिविस्ट हैं और मां पेशे से सरकारी कर्मचारी हैं। जब पत्रकार ने रिद्धिमा से पर्यावरण से जुड़ा हुआ सवाल पूछा तो उन्होंने कहा कि 2013 की केदारनाथ त्रासदी के बाद मेरे ज़हन में पर्यावरण से जुड़ा हुआ कार्य करने का विचार आया था और इस त्रासदी ने बड़ी छाप छोड़ी थी।

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