"बिहार की जीत हमारी, अब बंगाल की बारी!" सुवेंदु अधिकारी ने ममता को दी खुली चुनौती

Suvendu Adhikari
ANI
अंकित सिंह । Nov 14 2025 3:37PM

वर्तमान रुझानों में, नीतीश कुमार के नेतृत्व वाला एनडीए कुल 202 सीटों पर आगे चल रहा है, जिसमें भाजपा 91, जेडीयू 80, एलजेपी 22, हम 5 और आरएलएम 4 सीटों पर आगे है। यह जानकारी चुनाव आयोग के दोपहर 01:40 बजे के आंकड़ों से मिली।

पश्चिम बंगाल में विपक्ष के नेता और भाजपा नेता शुभेंदु अधिकारी ने शुक्रवार को बिहार चुनावों में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के निर्णायक प्रदर्शन की सराहना करते हुए कहा, एक ही नारा है- बिहार की जीत हमारी है, अब बंगाल की बारी है। राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन 2025 के बिहार चुनावों में एक नया मील का पत्थर स्थापित करने के लिए तैयार है, क्योंकि इसने नवीनतम रुझानों में 200 का आंकड़ा पार कर लिया है। शुवेंदु अधिकारी ने एएनआई को बताया, "एक ही नारा है- बिहार की जीत हमारी है, अब बंगाल की बारी है।"

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वर्तमान रुझानों में, नीतीश कुमार के नेतृत्व वाला एनडीए कुल 202 सीटों पर आगे चल रहा है, जिसमें भाजपा 91, जेडीयू 80, एलजेपी 22, हम 5 और आरएलएम 4 सीटों पर आगे है। यह जानकारी चुनाव आयोग के दोपहर 01:40 बजे के आंकड़ों से मिली। चुनाव आयोग के आंकड़ों के अनुसार, राजद 26 सीटों पर, कांग्रेस 4 पर, भाकपा (माले) 4 पर और माकपा 1-1 सीट पर आगे है। इस तरह कुल सीटों की संख्या 35 हो गई है। इसके अलावा, बसपा एक सीट पर और एआईएमआईएम पांच सीटों पर आगे है।

लगभग दो दशकों से राज्य पर शासन कर रहे नीतीश कुमार के लिए, इस चुनाव को व्यापक रूप से राजनीतिक सहनशक्ति और जनता के विश्वास, दोनों की परीक्षा के रूप में देखा जा रहा है। बिहार को अक्सर "जंगल राज" कहे जाने वाले साये से बाहर निकालने के लिए कभी "सुशासन बाबू" कहे जाने वाले मुख्यमंत्री को हाल के वर्षों में मतदाताओं की थकान और अपने बदलते राजनीतिक समीकरणों पर सवालों का सामना करना पड़ा है।

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इसके बावजूद, मौजूदा रुझान ज़मीनी स्तर पर एक उल्लेखनीय बदलाव दर्शाते हैं, जो दर्शाता है कि मतदाता एक बार फिर उनके शासन मॉडल में विश्वास जता रहे हैं।

एक आत्मविश्वास से भरे, समन्वित भाजपा-जद(यू) गठबंधन की वापसी ने इस बार चुनावी रणभूमि को काफी हद तक नया रूप दिया है। पूरे चुनाव प्रचार के दौरान प्रधानमंत्री मोदी नीतीश कुमार के साथ मजबूती से खड़े रहे, जिससे गठबंधन ने एकजुट और पुनर्जीवित मोर्चा पेश किया, जिसमें कल्याणकारी योजनाओं, बुनियादी ढांचे के विस्तार, सामाजिक योजनाओं और प्रशासनिक स्थिरता पर जोर दिया गया।

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