भाजपा का आरोप, कमलनाथ सरकार ने सिंधिया को दी मुफ्त में करोड़ों की ज़मीन

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[email protected] । Jul 13 2019 1:48PM

पूर्व मंत्री विजय शाह ने जमीन आवंटन पर सवाल उठाते हुए आरोप लगाया कि ये गरीबों का स्कूल नहीं है, यहां विदेश से बच्चे पढ़ने के लिए आते हैं और 15-15 लाख फीस देकर यहां पढते है।

मध्यप्रदेश में कमलनाथ सरकार ने पूर्व सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया के स्कूल को बगैर ब्याज के 4 अरब 13 करोड़ की जमीन आवंटित कर दी है। इस मामले को लेकर शुक्रवार को विधानसभा में जमकर हंगामा हुआ। बीजेपी सरकार में आदिमजाति कल्याण मंत्री रहे विजय शाह ने यह मामला उठाया। बीजेपी नेताओं ने आरोप लगाया कि मध्य प्रदेश में कांग्रेस की कमलनाथ सरकार के सत्ता में आते ही सिंधिया एजुकेशन सोसायटी को बिना ब्याज के 146 एकड़ जमीन आवंटित कर दी है। पूर्व मंत्री विजय शाह ने ग्वालियर के ग्राम आहूखाना कला में 146 एकड़ जमीन 3 फरवरी 2019 को सिंधिया एजुकेशन सोसायटी को आवंटित करने के कागजात भी दिखाए।

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सिंधिया को आवंटित इस जमीन का बाजार मूल्य 400 करोड़ से ज्यादा का बताया जा रहा है। पूर्व मंत्री विजय शाह ने जमीन आवंटन पर सवाल उठाते हुए आरोप लगाया कि ये गरीबों का स्कूल नहीं है, यहां विदेश से बच्चे पढ़ने के लिए आते हैं और 15-15 लाख फीस देकर यहां पढते है। शाह ने कहा कि बीजेपी सरकार ने 2012 में इस जमीन का आवंटन नहीं किया था लेकिन कांग्रेस की सरकार आते ही मुख्यमंत्री कमलनाथ ने इस जमीन को सिंधिया को गिफ्ट में दे दिया। वहीं इस मामले में कांग्रेस सरकार में कैबिनेट मंत्री प्रद्युमन सिंह तोमर सिंधिया का बचाव करते हुए नजर आए। मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर ने कहा कि उल्टे चोर कोतवाल को डांटे जैसा बीजेपी हाल कर रही है। सिंधिया स्कूल को लीज पर यह जमीन सिंधिया स्टेट के जमाने में दी गई है। जिसकी लीज सरकार ने बढाई है। जबकि बीजेपी शासन काल में सरस्वती शिशु मंदिर जैसे आरएसएस समर्थित स्कूलों को जमीन जमकरा बांटी गई।

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सिंधिया स्कूल को जमीन आवंटन का मामला विधानसभा में ज्योतिरादित्य सिंधिया के भोपाल प्रवास और विधानसभा परिसर में प्रेसवार्ता के दूसरे दिन बीजेपी ने उठाया है। यही नहीं ज्योतिरादित्य सिंधिया के भोपाल आगमन के बाद कमलनाथ सरकार में सिंधिया समर्थित मंत्री तुलसी सिलावट के यहाँ रात्री भोज भी आयोजित किया गया था। यही नहीं ज्योतिरादित्य सिंधिया की मुख्यमंत्री कमलनाथ से बंद कमरे में भी बात हुई थी। जिसे सियासय से जोड़ते हुए राष्ट्रीय अध्यक्ष के पद पर सिंधिया की दावेदारे से जोड़कर देखा जा रहा था।

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