दिल्ली हिंसा ने 2002 के गुजरात दंगों की याद दिला दी: सीताराम येचुरी

नयी दिल्ली। माकपा महासचिव सीताराम येचुरी ने बुधवार को कहा कि दिल्ली हिंसा ने 2002 के गुजरात दंगों की ‘‘याद’’ दिला दी। उन्होंने कहा कि दिल्ली में शांति एवं सामान्य स्थिति बहाल करने के लिए सेना को बुलाने के सिवा कोई विकल्प नहीं है। भाकपा महासचिव डी राजा के साथ संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में येचुरी ने दावा किया, ‘‘यह स्पष्ट है कि दिल्ली में हिंसा को पुलिस और उन ताकतों की शह थी जो उन्हें संचालित करते हैं।’’
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येचुरी ने कहा, ‘‘दिल्ली में हिंसा की घटनाओं ने गुजरात में 2002 में हुए सांप्रदायिक नरसंहार की याद दिला दी जब मौजूदा प्रधानमंत्री राज्य के मुख्यमंत्री थे।’’ राजा और येचुरी दोनों ने हिंसा से निपटने में गृह मंत्री अमित शाह की भूमिका पर सवाल उठाया और उन पर ऐसी स्थिति से निपटने में समर्थ नहीं होनेका आरोप लगाया। उन्होंने पूछा, ‘‘अगर एनएसए को दिल्ली पुलिस का प्रभारी माना जाए तो गृह मंत्री की क्या भूमिका है? क्या सरकार ने यह मान लिया है कि गृह मंत्री दिल्ली हिंसा से निपटने में अक्षम हैं।’’
उन्होंने कहा कि हिंसा को लेकर कुछ भी तत्काल नहीं हुआ। उन्होंने भाजपा नेता कपिल मिश्रा पर हिंसा भड़काने का आरोप लगाया। दिल्ली हिंसा में अब तक 22 लोगों की मौत हुई है और सैकड़ों लोग घायल हुए हैं। येचुरी ने कहा, ‘‘गृह मंत्री अमित शाह इसे स्वत: भड़की हिंसा कहकर इसकी सुनियोजित प्रकृति को छिपाना चाहते हैं। लोगों में विश्वास तभी बहाल हो सकता है जब उपद्रवियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए और नागरिक प्रशासन की सहायता के लिए सेना बुलाई जाए।’’
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वाम नेताओं ने कहा कि वे अन्य दलों के साथ जल्द हिंसा प्रभावित इलाकों का दौरा करेंगे। राजा ने आरोप लगाया कि ‘‘आरएसएस-भाजपा’’ के गुंडों के हाथों कत्लेआम, आगजनी और धमकी के दौर के दौरान पुलिस ‘‘मूकदर्शक’’ बनी रही। उन्होंने कहा, ‘‘यह अहम है कि लोग यह देखें कि ऐसे दल और नागरिक समाज हैं जो उनके साथ हैं। हमलोग जल्द वहां जाएंगे।’’
उन्होंने कहा, ‘‘राष्ट्रीय राजधानी में अभूतपूर्व हिंसा के लिए हमलोग सिर्फ और सिर्फ केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और दिल्ली पुलिस की ढिलाई को जिम्मेदार मानते हैं। हालात की मांग है कि उच्चतम न्यायालय स्वत: संज्ञान ले और विस्तृत जांच का आदेश देते हुए सेना की तैनाती पर विचार करे।’’ राजा ने कहा, ‘‘केंद्र और राज्य सरकार को हिंसा में मारे गए व्यक्तियों के आश्रितों एवं घायलों को पर्याप्त मुआवजा देना चाहिए।’’
Only way confidence can be restored among people and strict action taken against miscreants is to call in the army to aid civillian authorities. We appeal to maintain calm, peace. We’ll join with all peace-loving forces, organize peace marches and relief & rehabilitation. #Delhi pic.twitter.com/Q4Cu5Yz1gY
— Sitaram Yechury (@SitaramYechury) February 26, 2020
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