Gujarat Election 2022: 2017 में BJP-कांग्रेस के बीच हुई थी कांटे की टक्कर, कड़े मुकाबले में मोदी ने कैसे पलटा पूरा रुख

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भाजपा ने इस चुनाव में अनुसूचित जातियों के लिए आरक्षित 13 सीटों में से 7 पर जीत हासिल की थी। भाजपा ने छठी बार हासिल की जीत, चल गया पीएम मोदी के विकास का जादू पीएम मोदी ने भाजपा को लगातार छठी जीत दिलवाई।

साल 2017 के गुजरात विधानसभा चुनाव भाजपा के लिए काफी चुनौतीपूर्ण रहे। कांग्रेस द्वारा कड़ी चुनौती के बावजूद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के गृह राज्य गुजरात में भाजपा की सत्ता बनी रही। साल 2017 के विधानसभा चुनाव की बात करें तो भाजपा ने 99 सीटें जीती जो 182 सदस्यीय विधानसभा में बहुमत बनाए रखने के लिए पर्याप्त थी। वहीं कांग्रेस ने 77 सीटों पर जीत हासिल की थी। भाजपा ने इस चुनाव में अनुसूचित जातियों के लिए आरक्षित 13 सीटों में से 7 पर जीत हासिल की थी। 

भाजपा ने छठी बार हासिल की जीत, चल गया पीएम मोदी के विकास का जादू

पीएम मोदी ने भाजपा को लगातार छठी जीत दिलवाई। कांग्रेस ने 1985 के बाद से राज्य में सबसे अधिकी सीटें जीतीं। जीत के बाद जब पीएम मोदी ने दिल्ली में पार्टी कार्यकर्ताओं को भाषण दिया तो उन्होंने कहा था "विकास गुजरात का मंत्र है, विभाजन या वंशवाद नहीं।

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क्या था कांग्रेस का हाल

कांग्रेस, भाजपा को सत्ता से हटाने में विफल रही। लेकिन यह कहन गलत नही होगा कि साल 2014 के लोकसभा चुनावों के बाद साल 2017 के गुजरात विधानसभा चुनाव कांग्रेस के लिए एकल महत्वपूर्ण चुनावी लड़ाई थी। कांग्रेस ने न केवल अपनी संख्या और वोट शेयर में वृद्धि की, बल्कि 182 सदस्यीय विधानसभा में भाजपा को तीन अंकों के आंकड़े से भी नीचे कर दिया। 

कड़े मुकाबले में मोदी ने कैसे पलटा रुख

18 दिसंबर 2017 को एतिहासिक गुजरात विधानसभा चुनाव के रिजल्ट की घोषणा हुई और जीत की ट्रॉफी भाजपा के हाथ लगी। हालांकि, भाजपा का प्रदर्शन कुछ खास नहीं रहा। आंकड़े बताते है कि बीजेपी कमजोर थी और यह चुनाव भाजपा के लिए काफी अहम माना जा रहा था क्योंकि इसी से साल 2019 के लोकसभा चुनाव की भविष्यवाणी होने वाली थी। यह मानना बिल्कुल गलत नहीं होगा कि 2017 गुजरात विधानसभा चुनाव की जीत केवल प्रधानमंत्री मोदी की वजह से संभव हो पाया। जीत के परिणाम गुजरात के मतदाताओं के उस विश्वास को दर्शाता है जिसे वह अपना मानते हैं। पीएम मोदी का अभियान, हमेशा की तरह उन विषयों के बारे में रहे जिनके साथ वह 2019 में बड़े मतदाताओं के साथ वापसी कर सकते है और ऐसा ही हुआ। 

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किसने पाया और किसने खोया

2017 का गुजरात विधानसभा चुनाव भाजपा और कांग्रेस के बीच एक करीबी मुकाबला था। इसमें दोनों ही पार्टियों के प्रमुख नेता जीते और हारे। इसके चुनाव परिणाम ने पीएम मोदी, बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह, कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी और पाटीदार कोटे के नेता हार्दिक पटेल को एक संदेश भी दिया की बाजी कभी भी पलट सकती है। 

कांग्रेस की तीन तिकड़ी

2017 के विधानसभा चुनाव में गुजरात की जनता ने कांग्रेस की तीन तिकड़ी हार्दिक पटेल, जिग्नेश मेवाणी और अल्पेश ठाकुर पर अपना भरोसा नहीं जताया। कांग्रेस के अध्यक्ष राहुल गांधी ने जिग्नेश मेवाणी अल्पेश ठाकुर और हार्दिक पटेल के दम पर गुजरात में सरकार बनाने का सपना देखा था लेकिन वह सच नहीं हो सका। हालांकि, कांग्रेस पार्टी की सीटों की संख्या में इजाफा देखने को जरूर मिला था। जहां हार्दिक पटेल गुजरात में पाटीदार समुदाय के एक बड़े नेता के रूप में उभरे वहीं अल्पेश ठाकुर की पहचान राज्य में सामाजिक और राजनीतिक कार्यकर्ता की है। वह ओबीसी वर्ग के एक बड़े नेता हैं। वहीं जिग्नेश मेवाणी दलित समुदाय से ताल्लुकात रखते हैं। इन तीनों के जरिए ही कांग्रेस ने राज्य में सत्ता में अपना दबदबा बनाने की कोशिश की थी लेकिन यह प्रयास पूरी तरह से विफल रहा।

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पहले कांग्रेस लेकिन अब भाजपा- हार्दिक पटेल

अक्सर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को जनरल डायर कहने वाले हार्दिक पटेल ने कांग्रेस का साथ छोड़ भाजपा का दामन थाम लिया है। एक समय था जब हार्दिक ने अमित शाह पर आरोप लगाया था कि भाजपा ने उन्हें 1,200 करोड़ रुपये की पेशकश की थी। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आर्थिक नीतियों की तीखी आलोचना की थी। वहीं हार्दिक पटेल ने अब यू-टर्न ले लिया है और धारा 370 को रद्द करने के अपने फैसले सहित भाजपा सरकार की प्रशंसा की, और कांग्रेस को हिंदू विरोधी और गुजरात विरोधी कहा।

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