वर्तमान में अंतरिक्ष यात्री वायुसेना से हैं, कल यह भूमिका वैज्ञानिक भी निभाएंगे : ISRO Chief Somnath

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अंतरिक्ष यात्री बनने की अर्हता को लेकर पूछे गए एक सवाल के जवाब में सोमनाथ ने कहा, ‘‘वर्तमान में, अंतरिक्ष यात्री वायुसेना से हैं और वे पायलट हैं। कल, जब हम नियमित तरीके से मानव अंतरिक्ष कार्यक्रम शुरू करेंगे, तब हमें अनुसंधान वैज्ञानिक आदि की आवश्यकता होगी।’’

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के अध्यक्ष एस. सोमनाथ ने बृहस्पतिवार को कहा कि वर्तमान में देश के अंतरिक्ष यात्री वायुसेना से हैं, लेकिन बहुत जल्द वैज्ञानिक भी यह भूमिका निभाएंगे जब मानव अंतरिक्ष कार्यक्रम नियमित तरीके से संचालित होने लगेगा।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 27 फरवरी को उन चार भावी अंतरिक्ष यात्रियों के नामों की घोषणा की थी जो भारत के पहले मानव अंतरिक्ष मिशन गगनयान के लिए प्रशिक्षण ले रहे हैं। चारों भावी अंतरिक्ष यात्रियों-ग्रुप कैप्टन प्रशांत नायर, अंगद प्रताप, अजीत कृष्णन और विंग कमांडर शुभांशु शुक्ला वायुसेना से हैं।

अंतरिक्ष यात्री बनने की अर्हता को लेकर पूछे गए एक सवाल के जवाब में सोमनाथ ने कहा, ‘‘वर्तमान में, अंतरिक्ष यात्री वायुसेना से हैं और वे पायलट हैं। कल, जब हम नियमित तरीके से मानव अंतरिक्ष कार्यक्रम शुरू करेंगे, तब हमें अनुसंधान वैज्ञानिक आदि की आवश्यकता होगी।’’

उन्होंने कहा, ‘‘आप एक वैज्ञानिक विशेषज्ञ के रूप में (अंतरिक्ष यान) सवार हो सकते हैं और एक अंतरिक्ष यात्री बन सकते हैं। हम एक अंतरिक्ष स्टेशन स्थापित कर रहे हैं। आप विशिष्ट कार्य करने के लिए अंतरिक्ष यात्री बन सकते हैं। आप जीवविज्ञान वैज्ञानिक बन सकते हैं और अंतरिक्ष यात्री बन सकते हैं। भौतिक विज्ञानी बनें, प्रयोग करें और अंतरिक्ष वैज्ञानिक बनें।’’

वह इसरो के सहयोग से विज्ञान भारती विदर्भ प्रदेश मंडल द्वारा आयोजित ‘स्पेस ऑन व्हील्स’ के समापन सत्र को संबोधित कर रहे थे। इसरो प्रमुख ने कहा कि देश 2040 में एक अंतरिक्ष यात्री को चंद्रमा पर भेजने की दिशा में काम कर रहा है।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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