डॉ शाही ने कृत्रिम मलद्वार बनाकर बच्चे की बचाई जान
डॉ शाही ने कहा कि मेडिकल की भाषा में इसे इंटारो क्यूटेनियस फिस्तुला कहते हैं। दवा से ठीक करने का कोई रास्ता नहीं था सिर्फ ऑपरेशन ही इसका विकल्प था।
गोरखपुर। एक साल का बच्चा जिसकी आंतो (इंटेस्टाइन ) में चार सुराख हो गए थे ,अपेंडिक्स फटने की वजह से काफी आतें काली पड़ गई थीं और उसने विषैला पदार्थ मवाद नाभि के ऊपर से सुराग करके निकल रहा था की जानकारी दी डॉ शिव शंकर शाही ने। डॉ शाही ने कहा कि मेडिकल की भाषा में इसे इंटारो क्यूटेनियस फिस्तुला कहते हैं। दवा से ठीक करने का कोई रास्ता नहीं था सिर्फ ऑपरेशन ही इसका विकल्प था।
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ऑपरेशन करके सड़ी हुई क्षतिग्रस्त दो फीट आंत निकाली गईं, चुकी जो आंत बची थी वह भी काफी क्षतिग्रस्त थी जिसको बचा पाना मुश्किल था। बच्चे की जान बचाने के लिए पेट के बगल से मलद्वार का रास्ता बनाया गया। यह रास्ता अगले 2 महीने तक काम करेगा फिर इसकी जांच करके देखी जाएगी की बची हुई आंते ठीक हो गई हैं काम करने लगी हैं कि नहीं।
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यदि बची हुई आंत ठीक हो गई होगी तो कृत्रिम मलद्वार बंद कर दिया जायेगा, और आंतो को प्राकृतिक मलद्वार के रास्ते से जोड़ दिया जाएगा। डॉ शाही ने कहा कि बच्चे के विकास और स्वास्थ्य के लिए न्यूट्रिशन सप्लीमेंट देना बहुत जरूरी होगा क्योंकि इस समय बच्चे की केवल अंधी आंत काम कर रही हैं।
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