गृह मंत्री ने पूर्वी लद्दाख की मौजूदा स्थिति के बारे में दी जानकारी, जानिए दिनभर सदन में क्या कुछ हुआ

Rajnath Singh

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा, ‘‘मुझे यह बताते हुए खुशी हो रही है कि हमारे रुख और अनवरत वार्ताओं के फलस्वरूप चीन के साथ पैंगोंग झील के उत्तर एवं दक्षिण किनारों पर सेनाओं के पीछे हटने का समझौता हो गया है।’’

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने बृहस्पतिवार को बताया कि चीन के साथ पैंगोंग झील के उत्तर एवं दक्षिण किनारों पर सेनाओं के पीछे हटने का समझौता हो गया है और भारत ने इस बातचीत में कुछ भी खोया नहीं है। सिंह ने बताया कि पैंगोंग झील क्षेत्र में चीन के साथ सेनाओं के पीछे हटने का जो समझौता हुआ है उसके अनुसार दोनों पक्ष अग्रिम तैनाती चरणबद्ध, समन्वय और सत्यापन के तरीके से हटाएंगे। लोकसभा और राज्यसभा में दिए बयान में रक्षा मंत्री ने हालांकि बताया कि अभी भी पूर्वी लद्दाख में वास्तवित नियंत्रण रेखा पर तैनाती तथा गश्ती के बारे में ‘‘कुछ लंबित मुद्दे’’ बचे हुए हैं जिन्हें आगे की बातचीत में रखा जाएगा। उन्होंने कहा, ‘‘हम अपनी एक इंच जमीन भी किसी और को नहीं लेने देंगे। हमारे दृढ़ संकल्प का ही फल है कि हम समझौते की स्थिति पर पहुंच गए हैं।’’ सिंह ने कहा, ‘‘मुझे यह बताते हुए खुशी हो रही है कि हमारे रुख और अनवरत वार्ताओं के फलस्वरूप चीन के साथ पैंगोंग झील के उत्तर एवं दक्षिण किनारों पर सेनाओं के पीछे हटने का समझौता हो गया है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘ इस बात पर भी सहमति हो गई है कि पैंगोंग झील सेपूर्ण तरीके से सेनाओं के पीछे हटने के 48 घंटे के अंदर वरिष्ठ कमांडर स्तर की बातचीत हो तथा बाकी बचे हुए मुद्दों पर भी हल निकाला जाए।’’ रक्षा मंत्री ने कहा कि पैंगोंग झील क्षेत्र में चीन के साथ सेनाओं के पीछे हटने का जो समझौता हुआ है, उसके अनुसार दोनों पक्ष अग्रिम तैनाती को चरणबद्ध तरीके से हटाएंगे। उन्होंने कहा, ‘‘चीन अपनी सेना की टुकडि़यों को उत्तरी किनारे में फिंगर आठ के पूरब की दिशा की तरफ रखेगा। इसी तरह भारत भी अपनी सेना की टुकडि़यों को फिंगर तीन के पास अपने स्थायी ठिकाने धन सिंह थापा पोस्ट पर रखेगा।’’ 

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उन्होंने कहा कि इसी तरह की कार्रवाई दक्षिणी किनारे वाले क्षेत्र में भी दोनों पक्षों द्वारा की जाएगी। उन्होंने कहा, ‘‘ये कदम आपसी समझौते के तहत बढ़ाए जाएंगे तथा जो भी निर्माण आदि दोनों पक्षों द्वारा अप्रैल 2020 से उत्तरी और दक्षिणी किनारों पर किया गया है, उन्‍हें हटा दिया जाएगा और पुरानी स्थिति बना दी जाएगी।’’ ज्ञात हो कि पिछले नौ महीने से पूर्वी लद्दाख में सीमा पर दोनों देशों के बीच गतिरोध बना हुआ है। इस गतिरोध को समाप्त करने के लिए सितम्बर, 2020 से लगातार सैन्य और कूटनीतिक स्तर पर दोनों पक्षों में कई बार बातचीत हुई। रक्षा मंत्री ने कहा कि सेनाओं को पीछे हटाने के लिए आपसी समझौते के तहत तरीका निकाले जाने को लेकर वरिष्ठ कमांडर स्तर की नौ दौर की बातचीत भी हो चुकी है।उन्होंने कहा इसके अलावा राजनयिक स्तर पर भी बैठकें होती रही हैं। उन्होंने बताया किभारतीय सेनाओं ने चीनी सेना की सभी चुनौतियों का डट कर सामना किया है तथा अपने शौर्य एवं बहादुरी का परिचय दिया है। उन्होंने कहा कि सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण कई क्षेत्रों को चिन्हित कर हमारी सेनाएं कई पहाडि़यों के ऊपर तथा हमारे दृष्टिकोण से उपयुक्त अन्य क्षेत्रों पर मौजूद हैं। उन्होंने कहा, ‘‘भारतीय सेनाएं अत्यंत बहादुरी से लद्दाख की ऊंची दुर्गम पहाडि़यों तथा कई मीटर बर्फ के बीच में भी सीमाओं की रक्षा करते हुए अडिग हैं और इसी कारण हमारी बढ़त बनी हुई है।’’ सिंह ने कहा कि देश की सेनाओं ने इस बार भी यह साबित करके दिखाया है कि भारत की संप्रभुता एवं अखंडता की रक्षा करने में वे सदैव तत्पर हैं और अनवरत कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि भारत अपनी एक इंच जमीन भी किसी को लेने नहीं देगा और इसी दृढ़ संकल्प का ही नतीजा है कि हम पूर्वी लद्दाख में चीन के साथ सीमा पर जारी गतिरोध के मद्देनजर समझौते की स्थिति पर पहुंचे हैं।

सिंह ने कहा कि भारत ने चीन को हमेशा यह कहा है कि द्विपक्षीय संबंध दोनों पक्षों के प्रयास से ही विकसित हो सकते हैं और सीमा के प्रश्न को भी बातचीत के जरिए हल किया जा सकता है। उन्होंने कहा, ‘‘परंतुएलएसी पर शांति में किसी प्रकार की प्रतिकूल स्थिति का हमारे द्विपक्षीय संबंधों पर बुरा असर पड़ता है। इससे चीन भी अच्छी तरह से अवगत है। कई उच्च स्तरीय संयुक्त बयानों में भी यह जिक्र किया गया है कि एलएसी तथा सीमाओं पर शांति कायम रखना द्विपक्षीय संबंधों के लिए अत्यंत आवश्यक है।’’ रक्षा मंत्री ने कहा कि विभिन्न स्तरों पर चीन के साथ हुई वार्ता के दौरान भारत ने चीन को बताया कि वह तीन सिद्धांतों के आधार पर इस समस्या का समाधान चाहता है। उन्होंने कहा, ‘‘पहला, दोनों पक्षों द्वारा वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) को माना जाए और उसका सम्मान किया जाए। दूसरा, किसी भी पक्ष द्वारा यथास्थिति को बदलने का एकतरफा प्रयास नहीं किया जाए। तीसरा, सभी समझौतों का दोनों पक्षों द्वारा पूर्ण रूप से पालन किया जाए।’’ सिंह ने कहा कि भारतीय सेनाएं विषम एवं भीषण बर्फबारी की परिस्थितियों में भी शौर्य एवं वीरता का प्रदर्शन कर रही हैं और इसके लिए प्रशंसा की जानी चाहिए। इस गतिरोध के दौरान शहीद हुए जवानों की शहादत को याद करते हुए उन्होंने कहा कि इसे देश सदैव याद रखेगा I उन्होंने कहा, ‘‘मैं आश्वस्त हूं कि यह पूरा सदन, चाहे कोई किसी भी दल का क्यों न हो, देश की संप्रभुता, एकता, अखंडता और सुरक्षा के प्रश्न पर एक साथ खड़ा है I और एक स्वर से समर्थन करता है कि यही सन्देश केवल भारत की सीमा तक ही सीमित नहीं रहेगा बल्कि पूरे जगत को जायेगा।

यह ‘हम दो, हमारे दो’ की सरकार है: राहुल 

कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने बृहस्पतिवार को तीन नये कृषि कानूनों को लेकर केंद्र सरकार को घेरते हुए आरोप लगाया कि यह ‘हम दो, हमारे दो’ की सरकार है। उन्होंने लोकसभा में आम बजट पर चर्चा में भाग लेते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधा और दावा किया कि इन कानूनों से मंडिया खत्म हो जाएंगी और कृषि क्षेत्र कुछ बड़े उद्योगपतियों के नियंत्रण में चला जाएगा। राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लोकसभा में बुधवार को दिए वक्तव्य का हवाला देते हुए कहा, ‘‘प्रधानमंत्री जी ने अपने भाषण में कहा था कि विपक्ष केवल आंदोलन की बात कर रहा है लेकिन कानूनों के कंटेंट और इंटेंट के बारे में नहीं बोल रहा है। मैं इन कानूनों के कंटेंट और इंटेंट के बारे में बताता हूं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘पहले कानून का कंटेंट है यह है कि कोई भी व्यक्ति देश में कहीं भी कितना भी अनाज, सब्जी और फल खरीद सकता है। अगर खरीदी असीमित होगी तो फिर मंडी में कौन जाकर खरीदेगा। इसका कंटेंट मंडियां खत्म करने का है।’’ कांग्रेस नेता ने कहा, ‘‘दूसरे कानून का कंटेंट है कि कुछ उद्योगपति जितना चाहें, उतना अनाज, सब्जी और फल जमा कर सकते हैं। इसका मतलब है कि दूसरे कानून का कंटेंट असीमित जमाखोरी शुरू करना है।’’ उन्होंने यह भी कहा, ‘‘तीसरे कानून का कंटेंट यह है कि जब किसान अपनी उपज का सही दाम मांगेगा तो उसे अदालत में नहीं जाने दिया जाएगा।’’ कांग्रेस नेता ने दावा किया कि एक कानून का ‘इंटेंट’ यह है कि इनके (सरकार के) दो मित्रों में से एक सबसे बड़े मित्र को सारे अनाज, सब्जी और फल को बेचने का अधिकार देना है। राहुल गांधी ने कहा कि इन कानूनों के बाद देश का कृषि क्षेत्र दो-चार उद्योगपतियों के हाथ में चला जाएगा। उन्होंने दावा किया कि इन कानूनों से मंडियां खत्म हो जाएंगी, कुछ उद्योगपति जमाखोरी करेंगे और लोग भूख से मर जाएंगे तथा देश रोजगार पैदा नहीं कर पाएगा। 

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सत्तापक्ष के सदस्यों की टोका-टोकी के बीच कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष ने आरोप लगाया, ‘‘सालों पहले परियोजना नियोजन का नारा था, हम दो हमारे दे। जैसे कोरोना दूसरे रूप में आता है उसी तरह यह नारा आया है। यह हम दो, हमारे दो की सरकार है।’’ उन्होंने यह आरोप भी लगाया, ‘‘प्रधानमंत्री जी कहते हैं कि उन्होंने विकल्प दिया है। इन्होंने भूख, बेरोजगारी और आत्महत्या का विकल्प दिया है।’’ राहुल गांधी के वक्तव्य के दौरान सत्तापक्ष के कई सदस्य यह कहते सुने गए कि कांग्रेस नेता को बजट पर बोलना चाहिए। संसदीय कार्य राज्य मंत्री अर्जुन मेघवाल ने कहा कि बजट पर चर्चा हो रही है तो कांग्रेस सांसद को इस पर बात करनी चाहिए। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने राहुल गांधी से अपील की कि वह बजट पर बोलें। इस दौरान सदन में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि कृषि बजट का हिस्सा है तो फिर इस पर बातचीत क्यों नहीं की जा सकती। सत्तापक्ष के सदस्यों के टोकने पर राहुल गांधी ने कहा कि किसान भी बजट का हिस्सा हैं, उनका आदर करिए। किसान आंदोलन का हवाला देते हुए कांग्रेस नेता ने कहा, ‘‘यह सिर्फ किसानों का आंदोलन नहीं है, यह देश का आंदोलन है। किसान रास्ता दिखा रहा है। एक आवाज़ से पूरा देश हम दो हमारे दो की इस सरकार के खिलाफ उठने जा रहा है...किसान एक इंच पीछे नहीं हटने वाला, किसान आपको हटा देगा, क़ानून वापस लेना ही होगा।’’ अपने वक्तव्य के आखिर में राहुल गांधी ने कहा कि वह किसान आंदोलन में जान गंवाने वाले किसानों के सम्मान में दो मिनट का का मौन रखेंगे। वह स्थान पर कुछ देर के लिए मौन खड़े रहे। उनके साथ कांग्रेस के सांसद भी खड़े हो गए। इस पर लोकसभा अध्यक्ष ने कहा कि आप लोगों ने सदन चलाने का अधिकार मुझे दिया तो सदन मुझे चलाने दीजिए। 

विवि, कॉलेजों में व्याख्याता पदों पर नियुक्ति परीक्षा में छूट का कोई प्रस्ताव नहीं: निशंक

केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने बृहस्पतिवार कोविश्वविद्यालय अनुदान आयोग-राष्ट्रीय पात्रता परीक्षा (यूजीसी-नेट) की अहर्ताओं में छूट देनेके किसी प्रस्ताव से इंकार किया। राज्यसभा में एक सवाल के लिखित जवाब में उन्होंने कहा, ‘‘विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने सूचित किया है कि फिलहाल उसके पास यूजीसी-नेट परीक्षा में छूट दिए जाने की कोई योजना नहीं है।’’ यूजीसी-नेट परीक्षा सहायक प्राध्यापक और जूनियर रिसर्च फेलोशिप की योग्यता निर्धारित करने व जांचने के लिए आयोजित की जाती है।

तीन घंटे में दिल्ली से देहरादून पहुंचा जा सकेगा: गडकरी   

केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने बृहस्पतिवार को लोकसभा में बताया कि दिल्ली से देहरादून के बीच 210 किलोमीटर लंबा एक नया ग्रीन एक्सप्रेस-वे बनाया जाएगा जिससे दोनों शहरों के बीच की दूरी केवल तीन-सवा तीन घंटे में पूरी की जा सकेगी जिसमें अभी पांच घंटे से भी अधिक समय लगता है। गडकरी ने प्रश्नकाल में तीरथ सिंह रावत के पूरक प्रश्नों के उत्तर में जानकारी दी कि सरकार ने दिल्ली से देहरादून के बीच 210 किलोमीटर लंबा नया ग्रीन एक्सप्रेस-वे बनाने की योजना बनाई है। केंद्रीय मंत्री ने बताया कि इस मार्ग में लगभग 10 किलोमीटर लंबा एलिवेटिड रोड भी होगा। उन्होंने कहा कि इस साल जून में इसके लिए काम अवार्ड कर दिया जाएगा और इसके तैयार होने के बाद दिल्ली और देहरादून के बीच की दूरी तीन-सवा तीन घंटे की रह जाएगी। गडकरी ने यह भी जानकारी दी कि दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेसवे इस साल जून में शुरू हो जाएगा जिसके बाद दोनों शहरों के बीच की दूरी महज 45 मिनट की रह जाएगी।

2020 में 26121 वेबसाइट हैक की गयी: सरकार

सरकार ने बृहस्पतिवार को राज्यसभा में कहा गया कि 2020 के दौरान 26100 से अधिक भारतीय वेबसाइट हैक की गयीं जबकि इससे पिछले साल 24,678 वेबसाइट हैक की गयी थीं। संचार एवं आईटी राज्य मंत्री संजय धोत्रे ने एक सवाल के लिखित जवाब में यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि भारतीय कंप्यूटर आपात प्रतिक्रिया टीम (सीईआरटी-इन) को मिली सूचना के अनुसार 2018, 2019 और 2020 के दौरान क्रमश: 17560, 24768 और 26121 भारतीय वेबसाइट हैक की गयीं। उन्होंने कहा, ‘‘भारतीय साइबर जगत में समय समय पर साइबर हमलों के प्रयास किए जाते रहे हैं।’’ धोत्रे ने ध्यान दिलाया कि सीईआरटी-इन देश के बाहर के विभिन्न सिस्टम की संलिप्तता वाली घटनाओं के समाधान के मकसद से विदेशों में इसकी समकक्ष एजेंसियों के साथ तालमेल कर प्रतिक्रिया उपाय तैयार करता है। 

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 महिला हेल्पलाइन में 2.47 लाख से अधिक कॉल दर्ज किए गए : सरकार

सरकार ने बृहस्पतिवार को बताया कि पिछले साल देश में कोरोना वायरस का संक्रमण फैलने से रोकने के लिए लॉक डाउन लगाये जाने के दौरान अप्रैल से जून के बीच सरकार की महिला हेल्पलाइन में 2.47 लाख फोन कॉल दर्ज किए गए। महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने एक प्रश्न के लिखित उत्तर में राज्यसभा को यह जानकारी दी। उन्होंने बताया ‘‘महिला हेल्पलाइन का सार्वभौमिकरण’’ के तहत निशुल्क नंबर 181 का परिचालन 33 राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों में चल रहा है। उन्होंने कहा कि राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों से मिली जानकारी के अनुसार, अप्रैल से जून 2020 तक महिला हेल्पलाइन में 2.47 लाख कॉल दर्ज की गईं। देश में 25 मार्च 2020 से 31 मई 2020 तक देश में कोविड-19 के चलते पूर्ण लॉक डाउन था तथा जून से लॉक डाउन खोलने की प्रक्रिया शुरू हुई। ईरानी ने एक अन्य प्रश्न के उत्तर में बताया कि राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग को पोक्सो ई-बॉक्स के जरिये तीन वर्ष..2017-18, 2018-19 एवं वर्तमान वर्ष 2020-21 (31 जनवरी 2021 तक) में 354 शिकायतें प्राप्त हुईं।

बजट आशा की किरण दिखाने वाला : ठाकुर

वित्त राज्य मंत्री अनुराग ठाकुर ने बृहस्पतिवार को राज्यसभा में कहा कि इस बजट में आशा की किरण दिखती है और इसमें देश को आत्मनिर्भर बनाने के साथ ही नए भारत के निर्माण पर जोर दिया गया है। ठाकुर ने उच्च सदन में आम बजट पर हुयी चर्चा में हस्तक्षेप करते हुए कहा कि समाज के सभी वर्गों ने भी बजट की सराहना की और बाजार में इस पर सकारात्मक प्रतिकिया दिखी। उन्होंने कहा कि बजट के बाद शेयर बाजार में लगातार उछाल आया और सूचकांक में खासी वृद्धि दर्ज की गयी। उन्होंने कहा कि यह बजट ‘‘सशक्त भारत’’ बनाने की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सोच के अनुरूप है और इसे पूरी तरह से पारदर्शी बनाया गया है। ठाकुर ने कहा कि इस बार बजट को डिजिटल तरीके से बनाया गयाऔर इसे ‘मेड इन इंडिया’ टैबलेट के जरिए पेश किया गया। उन्होंने कहा कि एक समय भारत में मोबाइल फोन बनाने वाली सिर्फ दो इकाइयां थीं लेकिन अब मोबाइल फोन के निर्माण में भारत दुनिया के प्रमुख देशों में से एक है। ठाकुर के भाषण के दौरान कुछ विपक्षी सदस्य टोकाटोकी करते रहे। वे मंत्री की किसी टिप्पणी पर आपत्ति जता रहे थे। इस पर पीठासीन उपसभापति भुवनेश्वर कालिता ने हंगामा कर रहे सदस्यों से कहा कि यदि मंत्री की टिप्पणी में कुछ भी असंसदीय होगा तो उसे कार्यवाही से निकाल दिया जाएगा। ठाकुर ने कहा कि महिला एवं बाल कल्याण, सामाजिक न्याय सहित विभिन्न मदों के बजट में खासी वृद्धि की गयी है और इस सरकार ने हर गांव तक बिजली पहुंचाने पर जोर दिया है। उन्होंने कहा कि सरकार हर गरीब को पक्का मकान मुहैया कराने की दिशा में काम कर रही है।

सरकार मांग को पैदा करने में विफल रही है : चिदंबरम

कांग्रेस नेता पी चिदंबरम ने बृहस्पतिवार को राज्यसभा में कहा कि सरकार देश के विकास के लिए मांग पैदा करने में विफल रही है तथा ‘‘अकुशल आर्थिक कुप्रबंधन’’ के कारण सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) तीन साल पहले के स्तर पर पहुंच जाएगा। उन्होंने उच्च सदन में आम बजट पर चर्चा में भाग लेते हुए दावा किया कि2021-22 का बजट विफल रहा है क्योंकि गरीब को नकदी अंतरण के तहत छोटी राशि भी नहीं दी गयी तथा राशन प्रदान करने की सुविधा को भी जारी नहीं रखा गया। पूर्व वित्त मंत्री ने कहा, ‘‘विश्व के प्रत्येक अर्थशास्त्री ने कहा कि हमें मांग पैदा करनी होगी तथा मांग पैदा करने का श्रेष्ठ तरीका है कि लोगों के हाथों में पैसा दिया जाए। यह सरकार इसे लेकर विफल रही है। मैं अपना आरोप दोहरा रहा हूं। आप पिछले 36 माह के दौरान मिले सबक अभी तक नहीं सीख पाए हैं। मुझे भय है कि आपके द्वारा सबक नहीं सीखे जाने के कारण 12 महीने और व्यर्थ हो जाएंगे तथा गरीब परेशानी झेलेगा और बुरी तरह झेलेगा।’’ उन्होंने कहा कि 2004-05 में स्थिर मूल्यों पर जीडीपी करीब 32.42 लाख करोड़ रूपये थी जो संप्रग सरकार के सत्ता से हटने के समय तीन गुना से अधिक बढ़कर 105 लाख करोड़ रूपये हो गयी। चिदंबरम ने कहा, ‘‘उसके बाद से क्या हुआ? 2017-18 में यह 131 लाख करोड़ रूपये थी। 2018-19 में यह 139 लाख करोड़ रूपये पर पहुंच गयी। 2019-20 में यह थोड़ा और बढ़कर 145 लाख करोड़ रूपये हो गयी। 2020-21 में, जो वर्ष समाप्त होने वाला है, पहली छमाही के दौरान यह 60 लाख करोड़ रूपये के करीब रही तथा वर्षांत तक यह करीब 130 लाख करोड़ रूपये पहुंचेगी। इसका मतलब है कि हम वापस वहीं आ गये जहां हम 2017-18 में थे।’’ उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार ने तीन साल में ‘‘अकुशल आर्थिक कुप्रबंधन’’ किया है। चिदंबरम ने कहा, ‘‘माननीय वित्त मंत्री को मेरे द्वारा अकुशल शब्द का प्रयोग करने पर आपत्ति हुई। मैं संसद में कठोर शब्द का उपयोग नहीं कर सकता। मेरे पास जो उपलब्ध है, उसमें मैं सबसे मृदु शब्द का उपयोग कर रहा हूं। अकुशल आर्थिक कुप्रबंधन के तीन वर्षों के कारण का अर्थ है कि 2020-21 में हम ठीक वहीं पहुंच गये जहां हम 2017-18 में थे। 

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13 फरवरी को नहीं होगी राज्यसभा की बैठक

राज्यसभा की बैठक अब शनिवार को नहीं होगी तथा वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण शुक्रवार को ही उच्च सदन में बजट पर चर्चा का जवाब देंगी। सभापति एम वेंकैया नायडू ने बृहस्पतिवार को यह घोषणा की। सभापति ने उच्च सदन में बजट चर्चा के दौरान घोषणा की, ‘‘ आज सुबह कार्य मंत्रणा समिति की बैठक हुई थी। बजट पर चर्चा और जवाब कल तक पूरा हो जाएगा। सत्र शनिवार को नहीं चलेगा।’’ उन्होंने कहा कि कल कोई गैर सरकारी कामकाज नहीं होगा। नायडू ने कहा कि आज सभा की बैठक तीन बजे तक चलेगी। उन्होंने कहा कि वित्त मंत्री का जवाब कल होगा जिसका समय बाद में बताया जाएग। संसद के बजट सत्र का पहला चरण पहले की घोषणा के अनुसार 29 जनवरी से 15 फरवरी तक चलना था। बाद में तय किया गया कि दोनों सदनों की शनिवार को बैठक के बाद वर्तमान सत्र का पहला चरण संपन्न हो जाएगा। सभापति की इस घोषणा के बाद उच्च सदन में बजट सत्र का पहला चरण अब शुक्रवार को ही संपन्न हो जाएगा। बजट सत्र का दूसरा चरण आठ मार्च से आठ अप्रैल तक चलने का कार्यक्रम है।     

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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