पीएम मोदी ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कहा- भारत की कोरोना वायरस के खिलाफ लड़ाई सफल रही, आप कितना सहमत?

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ऑनलाइन संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि कोविड-19 संकट का इस्तेमाल देश को आत्मनिर्भर बनाने के लिए किया गया। एएपीआई अमेरिका में 80,000 से अधिक भारतीय मूल के डॉक्टरों का प्रतिनिधित्व करने वाली संस्था है। पहली बार किसी भारतीय प्रधानमंत्री ने संस्था की वार्षिक बैठक को संबोधित किया।

वाशिंगटन। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने वैश्विक महामारी कोरोना वायरस से निपटने के लिए शुरुआती चरण में लगाए गए लॉकडाउन को ‘‘सफल’’ करार देते हुए कहा कि कोविड-19 के खिलाफ भारत की लड़ाई उसके नागरिकों ने लड़ी है। भारतीय मूल के ‘अमेरिकी एसोसिएशन ऑफ फिजिशियन’ (एएपीआई) की बैठक को शनिवार को ऑनलाइन संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि कोविड-19 संकट का इस्तेमाल देश को आत्मनिर्भर बनाने के लिए किया गया। एएपीआई अमेरिका में 80,000 से अधिक भारतीय मूल के डॉक्टरों का प्रतिनिधित्व करने वाली संस्था है। पहली बार किसी भारतीय प्रधानमंत्री ने संस्था की वार्षिक बैठक को संबोधित किया।

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मोदी ने विभिन्न देशों के आंकड़े साझा करते हुए कहा कि भारत ने कोरोना वायरस के खिलाफ काफी बेहतर तरीके से लड़ाई लड़ी है। मोदी ने कहा, ‘‘ अमेरिका में दस लाख लोगों पर जहां 350 लोगों की जान गई है और ब्रिटेन, इटली तथा स्पेन जैसे यूरोपीय देशों में दस लाख लोगों पर जहां 600 से अधिक लोगों की जान गई है, वहीं भारत में यह दर 12 से भी कम है।’’ मोदी ने कहा, ‘‘उत्तर प्रदेश कोरोना वायरस के खिलाफ लड़ाई में उल्लेखनीय रूप से सफल रहा है। अन्य कई राज्यों में भी ऐसा ही है।’’ प्रधानमंत्री ने इसके लिए जनता से मिले समर्थन को श्रेय दिया। उन्होंने कहा, ‘‘ देश के अधिकतर ग्रामीण क्षेत्रों तक यह महामारी पहुंच भी नहीं पाई।’’

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मोदी ने कहा कि विश्व के दूसरे सबसे अधिक आबादी वाले,उच्च घनत्व वाले देश, जहां सामाजिक मेल-जोल दिनचर्या का हिस्सा है, बड़े धार्मिक और राजनीतिक आयोजन नियमित होते हैं और बड़े पैमाने पर अंतरराज्यीय प्रवास होता है, वहां बिना लोगों के समर्थन के सफलता मिलना मुमकिन नहीं था। मोदी के अनुसार भारत ने इस संबंध में दुनिया के शीर्ष विशेषज्ञों की आशंकाओं को गलत ठहराया है। उन्होंने भारतीय-अमेरिकी चिकित्सकों को संबोधित करते हुए कहा कि समय पर लॉकडाउन लगाने की वजह से भारत ने अपने लाखों नागरिकों की जान बचा ली।

मोदी ने कहा कि कोविड-19 संकट का इस्तेमाल स्वास्थ्य सुविधाओं को बेहतर बनाने के एक अवसर के तौर पर किया गया। ‘‘ मसलन कोरोना वायरस की शुरुआत में केवल एक कोविड-19 जांच प्रयोगशाला थी। अब ऐसी 1,000 प्रयोगशालाएं हैं।’’ प्रधानमंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि भारत जहां अधिकतर निजी सुरक्षा उपकरण (पीपीई) किट का आयात करता था वहीं अब उसे निर्यात करने की स्थिति में है। उन्होंने कहा कि देश हर सप्ताह 30 लाख से अधिक एन95 मास्क बना रहा है। स्वास्थ्य क्षेत्र के लिए 50,000 से अधिक नए वेंटिलेटर बनाए जा रहे हैं। इन सबका निर्माण देश के भीतर ही किया जा रहा है।

मोदी ने कहा कि विश्व भर में कोविड-19 के खिलाफ लड़ाई में भारतीय-मूल के चिकित्सकों के योगदान पर उन्हें गर्व है। अमेरिका में भारत के राजदूत तरणजीत सिंह संधू ने भी कहा कि समय पर लॉकडाउन लगाने से घातक वायरस से कई लोगों की जान बच गई। कोविड-19 के दौरान भारतीय-अमेरिकी डॉक्टरों के योगदान की सराहना करते हुए संधू ने कहा, ‘‘ आप असली नायक हैं, जिन्होंने अपनी जान खतरे में डाली और दूसरों की मदद के लिए सामने आए।’’ उन्होंने कहा कि अमेरिका में उनके योगदान को व्यापक तौर पर सराहा गया है।

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