गुलाम नबी आजाद समेत चार सदस्यों को राज्यसभा में दी गई विदाई, जानिए दिनभर क्या कुछ हुआ

Ghulam Nabi Azad

गृह मंत्री ने उपग्रह से मिली सूचनाओं को साझा करते हुए स्पष्ट किया कि समुद्रतल से करीब 5,600 मीटर ऊपर हिमनद के मुहाने पर हिमस्खलन हुआ। यह हिमस्लखन लगभग 14 वर्ग किलोमीटर जितना बड़ा था। इसी के कारण ऋषिगंगा के निचले क्षेत्रों में अचानक बाढ़ की स्थिति बन गयी।

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने मंगलवार को लोकसभा में बताया कि उत्तराखंड में रविवार को ऋषिगंगा नदी में अचानक आयी बाढ़ के कारण 13.2 मेगावाट क्षमता की एक छोटी पनबिजली परियोजना पूरी तरह बह गयी और तपोवन में एनटीपीसी की निर्माणाधीन 520 मेगावाट की पनबिजली परियोजना को भी नुकसान पहुंचा। शाह ने लोकसभा एवं राज्यसभा में उत्तराखंड बाढ़ आपदा पर स्वत: आधार पर दिए गए एक बयान में कहा कि अचानक आयी बाढ़ के कारण एक सुरंग में फंसे, एनटीपीसी की निर्माणाधीन परियोजना के करीब 25 से 35 कर्मियों को निकालने का कार्य युद्धस्तर पर जारी है। इस हादसे में एक अन्य सुरंग में फंसे 15 लोगों को सुरक्षित निकाला जा चुका है। गृह मंत्री ने उपग्रह से मिली सूचनाओं को साझा करते हुए स्पष्ट किया कि समुद्रतल से करीब 5,600 मीटर ऊपर हिमनद के मुहाने पर हिमस्खलन हुआ। यह हिमस्लखन लगभग 14 वर्ग किलोमीटर जितना बड़ा था। इसी के कारण ऋषिगंगा के निचले क्षेत्रों में अचानक बाढ़ की स्थिति बन गयी। उन्होंने कहा कि सात फरवरी को सुबह लगभग दस बजे उत्तराखंड के चमोली जिले में अलखनंदा की एक सहायक नदी ऋषिगंगा के ऊपरी जलग्रहण क्षेत्र में हिम स्खलन की एक घटना घटी। इसके कारण ऋषिगंगा नदी के जल स्तर में एकाएक काफी वृद्धि हो गयी। शाह ने उत्तराखंड सरकार के हवाले से बताया कि अब निचले क्षेत्र में बाढ़ का कोई खतरा नहीं है। साथ ही जल स्तर में भी कमी आ रही है। 

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उन्होंने कहा कि केंद्र एवं राज्य की सभी एजेंसियां स्थिति पर कड़ी निगाह रखे हुए हैं। शाह ने उत्तराखंड सरकार से मिली सूचना को साझा करते हुए कहा कि सोमवार की शाम पांच बजे तक इस आपदा में 20 लोगों की जान जा चुकी थी और छह लोग घायल हुए। इस आपदा में 197 लोग लापता हुए जिसमें एनटीपीसी की निर्माणाधीन परियोजना के 139 कर्मचारी, ऋषिगंगा कार्यरत परियोजना के 46 कर्मचारी और 12 ग्रामीण शामिल हैं। उन्होंने कहा कि एनटीपीसी के 12 व्यक्तियों को एक सुरंग से सुरक्षित बचा लिया गया है। ऋषिगंगा परियोजना के 15 लोगों को भी घटना के समय बचा लिया गया था। गृह मंत्री ने कहा कि ऋषिगंगा में आयी बाढ़ के कारण 13.2 मेगावाट क्षमता की एक पनबिजली परियोजना पूरी तरह बह गयी। इस बाढ़ के कारण निचले इलाके तपोवन में एनटीपीसी की निर्माणाधीन 520 मेगावाट की पनबिजली परियोजना को भी नुकसान पहुंचा। शाह ने कहा, ‘‘एनटीपीसी की एक अन्य सुरंग में अंदाजन 25 से 35 लोग फंसे हुए हैं। इन लोगों को बचाने का प्रयास युद्धस्तर पर जारी है। साथ ही लापता व्यक्तियों को ढूंढने का काम भी बड़े पैमाने पर किया जा रहा है।’’ उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने इस आपदा में जान गंवाने वाले लोगों के निकट परिजन को चार-चार लाख रूपये की अनुग्रह राशि देने की घोषणा की है।

शाह ने कहा कि घटना स्थल के समीप के 13 गांवों से संपर्क बिलकुल कट गया है। इन गांवों में रसद, जरूरी सामान और दवा आदि सामग्रियों को हेलीकाप्टर के जरिये पहुंचाया जा रहा है। गृह मंत्री ने कहा कि केंद्र द्वारा उच्च स्तर पर 24 घंटे निगरानी रखी जा रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी स्वयं स्थिति पर नजर बनाए हुए हैं। उन्होंने कहा कि गृह मंत्रालय के दोनों नियंत्रण कक्ष भी स्थिति पर 24 घंटे निगाह रख रहे हैं तथा राज्य सरकार को हर-संभव सहायता दी जा रही है। उन्होंने कहा कि विद्युत राज्य मंत्री ने घटनास्थल का दौरा कर वहां चलाये जा रहे राहत कार्यों का जायजा लिया है। आईटीबीपी ने वहां अपना राहत केंद्र स्थापित कर लिया है और बल के 450 जवान राहत कार्यों में लगे हुए हैं। शाह ने कहा, ‘‘राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) के पांच दल भी मौके पर पहुंच गये हैं। सेना के आठ दल, जिनमें एक अभियांत्रिकी दल भी शामिल है, घटनास्थल पर बचाव कार्य में जुटे हैं। एक मेडिकल कॉलम और दो एम्बुलेंस भी घटनास्थल पर तैनात हैं। इस काम में नौसेना के एक गोताखोर दल और वायुसेना के पांच हेलीकाप्टरों को भी लगाया गया है।’’

उन्होंने कहा कि जोशीमठ में भी एक नियंत्रण कक्ष स्थापित किया गया है। गृह मंत्री ने बताया, ‘‘जिस सुरंग में लोग फंसे हैं, वहां रात भर सेना के अथक प्रयासों के बाद मुहाने पर जमा मलबे को हटाकर काफी अंदर तक प्रवेश किया जा चुका है।’’ उन्होंने बताया कि कैबिनेट सचिव की अध्यक्षता में सात फरवरी को शाम साढ़े चार बजे राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन समिति की बैठक कर बचाव एवं राहत कार्यों के बारे में विचार विमर्श किया गया। शाह ने कहा कि आपदा एवं बचाव कार्यों में राज्य सरकार की विभिन्न एजेंसियां भी जुटी हैं। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने सभी स्थानों पर बिजली आपूर्ति बहाल कर दी है। उन्होंने सदन को भरोसा दिलाया कि केंद्र सरकार राहत एवं बचाव कार्य के लिए जो भी आवश्यक कार्य हैं, उन्हें राज्य सरकार के साथ मिलकर कर रही है तथा इसके लिए जिस भी सहायता की आवश्यकता होगी, वह उपलब्ध करायी जाएगी। दोनों सदनों में सदस्यों ने इस आपदा में जान गंवाने वाले लोगों के सम्मान में कुछ पलों तक अपने स्थानों पर खड़े होकर मौन रखा। राज्यसभा में सभापति एम वेंकैया नायडु ने दिवंगत लोगों को श्रद्धांजलि देते हुए उम्मीद जतायी कि इस आपदा के बाद चलाये जा रहे बचाव एवं राहत कार्य से लोगों को समुचित लाभ मिलेगा। वहीं, लोकसभा में अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा कि उत्तराखंड की प्राकृतिक घटना पर यह सभा शोक प्रकट करती है। 

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कोविड-19 का टीका लेने वालों के लिए बीमा का कोई प्रावधान नहीं : केंद्र

सरकार ने मंगलवार को कहा कि कोविड-19 का टीका लेने पर किसी प्रकार के दुष्प्रभाव या चिकित्सा जटिलता होने की स्थिति में बीमा का कोई प्रावधान नहीं है। स्वास्थ्य राज्य मंत्री अश्विनी चौबे ने एक सवाल के लिखित जवाब में राज्यसभा को यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि लाभार्थियों के लिए कोविड​​-19 टीकाकरण पूरी तरह से स्वैच्छिक है। उन्होंने कहा कि हर टीकाकरण स्थल पर, टीका लगने के बाद किसी तरह की एलर्जी या अन्य दुष्प्रभाव होने की स्थिति में तत्काल मदद या उपचार के लिए ‘एनाफिलेक्सिस’ किट उपलब्ध कराने के साथ ही कई अन्य कदम भी उठाए गए हैं। मंत्री ने कहा कि टीकाकरण के बाद प्रतिकूल प्रभाव (एईएफआई) की स्थिति में टीका लेने वाले व्यक्ति को तत्काल प्रबंधन केंद्र रेफर करना और टीकाकरण स्थल पर 30 मिनट के लिए अवलोकन जैसे उपाय किए गए हैं। उन्होंने कहा कि इस तरह के मामलों में एईएफआई (टीकाकरण के बाद प्रतिकूल प्रभाव) प्रबंधन की ओर से सार्वजनिक स्वास्थ्य इकाइयों में नि: शुल्क उपचार प्रदान किया जाता है। कोरोना वायरस के खिलाफ टीकाकरण के बाद प्रतिकूल प्रभाव के संबंध में चौबे ने कहा कि चार फरवरी तक कुल 81 ऐसे मामले सामने आए जो टीका लेने वाले कुल लोगों की संख्या का 0.096 प्रतिशत है।

आजाद सहित चार सदस्यों को राज्यसभा में दी गई विदायी और शुभकामनाएं

राज्यसभा में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद सहित चार सदस्यों का कार्यकाल पूरा होने पर उन्हें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, सभापति एम वेंकैया नायडू और सदन के सदस्यों ने भावी जीवन के लिए शुभकामनाएं दीं और उम्मीद जताई कि राजनीतिक जीवन तथा सदन में मिले अनुभवों के आधार पर वे जन कल्याण में तथा देश के विकास के लिए अपनी सेवाएं देते रहेंगे। आजाद के साथ ही भाजपा के शमशेर सिंह मन्हास, और पीडीपी के मीर मोहम्मद फ़ैयाज तथा नजीर अहमद लवाय का कार्यकाल भी समाप्त हो रहा है। इस मौके पर ना केवल प्रधानमंत्री मोदी बल्कि खुद गुलाम नबी आजाद भी कुछ पलों के लिए भावुक हो गए। आजाद से अपनी पुरानी मित्रता का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि आजाद ऐसे नेता हैं जो अपने दल के साथ साथ सदन और देश की भी चिंता करते रहे है। विपक्ष के नेता के पद पर रहते हुए उन्होंने कभी दबदबा स्थापित करने का प्रयास नहीं किया। सदन के अगले नेता प्रतिपक्ष को आजाद द्वारा स्थापित मानकों को पूरा करने में दिक्कतों का सामना करना पड़ेगा। दोनों सदनों में आजाद के लंबे कार्यकाल का जिक्र करते हुए मोदी ने कहा कि उनकी सौम्यता, विनम्रता और देश के लिए कुछ कर गुजरने की कामना प्रशंसनीय है। प्रधानमंत्री ने कहा कि आजाद की यह प्रतिबद्धता उन्हें आगे भी चैन से नहीं बैठने देगी और उनके अनुभवों से देश लाभान्वित होता रहेगा। प्रधानमंत्री ने एक घटना का जिक्र करते हुए कहा कि उस समय आजाद जम्मू कश्मीर के मुख्यमंत्री थे और वह स्वयं गुजरात के मुख्यमंत्री थे। उसी दौरान जम्मू कश्मीर में आतंकवादी हमले में गुजरात के कुछ पर्यटक मारे गए थे। मोदी ने कहा कि आजाद ने जब उन्हें फोन पर इसकी जानकारी दी तो उनके आंसू रूक नहीं रहे थे और ऐसा लगा कि आजाद ने परिवार के सदस्य के रूप में गुजरात के प्रभावित लोगों की चिंता की।

प्रधानमंत्री इस घटना का जिक्र करते हुए खुद भावुक हो गए और उनका गला रुंध गया। अपने विदाई भाषण के दौरान इस घटना का जिक्र करते हुए आजाद भी भावुक हो गए और उनके आंसू छलक उठे। आजाद ने कहा कि जम्मू एवं कश्मीर का मुख्यमंत्री बनने के कुछ ही दिनों के भीतर कश्मीर में पर्यटकों पर आतंकी हमला हुआ और कुछ पर्यटक मारे गए थे। इनमें गुजरात के पर्यटक भी थे। उन्होंने कहा कि वह जब हवाईअड्डे पहुंचे तब पीड़ित परिवारों के बच्चे उन्हें पकड़कर रोने लगे। आजाद ने कहा कि वह दृश्य देखकर उनके मुंह से चीख निकल गई। आजाद ने कहा, ‘‘अल्लाह से... भगवान से... यही दुआ करते हैं कि इस देश से आतंकवाद खत्म हो जाए।’’ जम्मू एवं कश्मीर में आतंकवाद की घटनाओं में शहीद हुए केंद्रीय बलों और पुलिस के जवानों के साथ आम नागरिकों के मारे जाने का उल्लेख करते हुए आजाद ने वहां के हालात ठीक होने की कामना की। उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी ओर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से कश्मीरी पंडितों के उजड़े आशियानों को बसाने की दिशा में प्रयास करने का आग्रह भी किया। सभापति एम वेंकैया नायडू ने कहा कि सदन में उन्हें आजाद की कमी खलेगी। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र को मजबूत बनाने और सदन की गरिमा बढ़ाने में आजाद सहित चारों सदस्यों ने सराहनीय योगदान दिया। आजाद को एक विनम्र ओर सौम्य व्यक्तित्व बताते हुए सभापति ने उम्मीद जताई कि वह जल्द ही सदन में वापस लौटेंगे। आजाद और नजीर अहमद का कार्यकाल 15 फरवरी को और मन्हास तथा मीर फयाज का कार्यकाल 10 फरवरी को पूरा हो रहा है। प्रधानमंत्री ने मीर मोहम्मद फयाज, नजीर अहमद लवाय का जिक्र करते हुए कहा कि उन्हें इन दोनों सदस्यों के साथ बातचीत में कश्मीर के अनेक पहलुओं के बारे में जानकारी मिलती थी। उन्होंने कहा कि इन सदस्यों के साथ उनका व्यक्तिगत तौर पर नाता रहा। उन्होंने भरोसा जताया कि इन दोनों सदस्यों की प्रतिबद्धता देश के लिए, खास कर जम्मू कश्मीर के लिए बेहद उपयोगी रहेगी। शमशेर सिंह का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि वह और शमशेर सिंह दोनों ही संगठन में थे अत: उनका साथ लंबा रहा। उन्होंने कहा कि सदन में शमशेर सिंह की उपस्थिति 96 फीसदी है जो बताती है कि उन्होंने जनता द्वारा दिए गए दायित्व को निभाने का पूरा प्रयास किया। उन्होंने कहा कि जम्मू कश्मीर के इन चारों सदस्यों का यह कार्यकाल उनके जीवन के बेहतरीन कार्यकाल में से है। मोदी ने चारों सदस्यों को शुभकामनाएं देते हुए कहा कि वे उच्च सदन की शोभा बढ़ाने वाले, सदन में जीवंतता लाने वाले तथा सदन के माध्यम से जनसेवा में रत रहे हैं। उन्होंने कहा कि अवकाशग्रहण कर रहे सदस्य अब नए रास्ते की तरफ कदम रख रहे हैं।     

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राज्यसभा में अनधिकृत कॉलोनियों को नियमित करने से संबंधित महत्वपूर्ण विधेयक को मंजूरी

राज्यसभा ने मंगलवार को राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में अनधिकृत कॉलोनियों को नियमित करने से संबंधित एक अहम विधेयक को मंजूरी दे दी। यह विधेयक कानून बनने के बाद दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी राज्यक्षेत्र विधि (विशेष उपबंध) दूसरा (संशोधन) अध्यादेश, 2020 का स्थान लेगा। दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी राज्यक्षेत्र विधि विशेष उपबंध दूसरा (संशोधन) विधेयक, 2021 पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए आवास एवं शहरी विकास मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा कि नरेंद्र मोदी नीत केंद्र सरकार हर किसी को अपना घर मुहैया कराना चाहती है। उन्होंने कहा कि इसके लिए सरकार ने प्रधानमंत्री आवास योजना की शुरूआत की है। पुरी ने इस विधेयक से पहले अध्यादेश लाये जाने पर कुछ सदस्यों की आपत्तियों को निराधार बताते हुए कहा कि यदि संसद का शीतकालीन सत्र होता तो इसकी आवश्यकता ही नहीं पड़ती। उन्होंने कहा कि यदि सरकार संसद सत्र की प्रतीक्षा करती और अध्यादेश नहीं लाती तो दिल्ली में विभिन्न स्तर पर प्राधिकार संपत्तियों को सील करना शुरू कर देते जिससे दिल्ली के नागरिकों को असुविधा होती। संबंधित अध्यादेश पिछले साल 30 दिसंबर को जारी किया गया था और इसके जरिए राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली विधि (विशेष प्रावधान) द्वितीय अधिनियम, 2011 में संशोधन किया गया था। पुरी ने कहा कि संप्रग सरकार के दस साल के शासन में इस क्षेत्र में एक लाख 77 हजार करोड़ रूपये का कुल आवंटन किया गया। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली सरकार ने छह साल में विभिन्न योजनाओं के तहत इस क्षेत्र के लिए करीब 11 लाख करोड़ रूपये का आवंटन किया। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री कह चुके हैं कि 2022 तक देश के सभी लोगों के सिर के ऊपर छत हो, यह उनका एक सपना है। उनका यह भी कहना था कि मकान का स्वामित्व उस घर में रहने वाली महिला के नाम होना चाहिए। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री आवास योजना को बनाते समय यह आकलन किया गया था कि एक करोड़ 12 लाख मकानों का निर्माण करवाया जाना है। मंत्री के जवाब के बाद सदन ने विधेयक को ध्वनिमत से मंजूरी दे दी। इससे संबंधित वर्ष 2011 का कानून पिछले साल 31 दिसंबर तक वैध था। अध्यादेश के माध्यम से कानून की समय सीमा 31 दिसंबर, 2023 तक बढ़ा दी गयी थी। वर्ष 2011 के कानून में 31 मार्च, 2020 तक राष्ट्रीय राजधानी में मौजूद अनधिकृत कॉलोनियों को नियमित करने का प्रस्ताव था। इसके अलावा उन कॉलोनियों को भी नियमित करने की बात थी जहां एक जून 2014 तक निर्माण हुआ था।

सेंट्रल विस्टा परियोजना के बाद दिल्ली होगी दुनिया की बेहतरीन राजधानियों में से एक : पुरी

राज्यसभा में केंद्रीय शहरी विकास मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने मंगलवार को विश्वास जताया कि सेंट्रल विस्टा परियोजना पूरी हो जाने के बाद दिल्ली दुनिया की सबसे बेहतरीन राजधानियों में से एक होगी तथा अगले साल दिसंबर तक सांसद नये संसद भवन में बैठ पाएंगे। पुरी ने दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी राज्यक्षेत्र विधि (विशेष उपबंध) दूसरा (संशोधन) विधेयक पर राज्यसभा में हुई चर्चा के जवाब में यह बात कही। उन्होंने कहा कि दिल्ली में सेंट्रल विस्टा परियोजना में 20 हजार करोड़ रूपये की लागत आने का अनुमान है। उन्होंने कहा कि सेंट्रल विस्टा परियोजना के लागू हो जाने के बाद दिल्ली विश्व के सबसे सुदंर शहरों में से एक होगी। इसके लिए 20 हजार करोड़ रूपये आवंटित किए जाएंगे। उन्होंने कहा कि 2022 में जब देश अपनी आजादी की 75वीं वर्षगांठ मना रहा होगा तो उस साल सांसद दिसंबर में नये संसद भवन में बैठे होंगे, जहां उन्हें थोड़ा अधिक स्थान मिल सकेगा। यह अधिक स्थान न केवल सत्ता पक्ष बल्कि सभी सदस्यों के लिए होगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले साल दिसंबर में नये संसद भवन की नींव रखी थी। देश जब अपनी स्वाधीनता की 75वीं वर्षगांठ मना रहा होगा तब तक नये संसद भवन का निर्माण पूरा हो जाने का सरकार ने लक्ष्य रखा है। सेंट्रल विस्टा परियोजना के तहत संसद के आसपास विभिन्न मंत्रालयों की इमारतों का पुनर्विकास कर उनका सौंदर्यीकरण किया जाएगा। उन्होंने कहा कि 2019 में दिल्ली में अनधिकृत कालोनी में रहने वाले लोगों को मालिकाना अधिकार दिलाने के काम को विधायी स्तर पर लाया जा सका, जिस काम को दो तीन साल पहले किया जा सकता था। केंद्र सरकार को उम्मीद थी कि दिल्ली सरकार को मानचित्र तैयार करने का काम पूरा कर लेना चाहिए था। पुरी ने अनधिकृत कालोनी में रहने वाले लोगों के पंजीकरण के काम में दिल्ली सरकार की सहायता मांगी ताकि इस काम को शीघ्र पूरा किया जा सके। उन्होंने कहा कि 1.35 करोड़ लोग, जो अनधिकृत कालोनियों में रहते हैं, उन्हें मालिकाना हक मिलेगा।

ओटीटी प्लेटफॉर्म के नियमन के लिए जल्द ही जारी होंगे दिशानिर्देश : जावड़ेकर

सरकार ने मंगलवार को कहा कि ओटीटी प्लेटफॉर्म के नियमन के लिए जल्द ही दिशानिर्देश जारी किए जाएंगे जिससे संवेदनशील सामग्री जैसे मुद्दों का समाधान होगा। सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने राज्यसभा में शून्यकाल के दौरान बताया कि ओटीटी (ओवर द टॉप) प्लेटफार्म पर दिखाई जाने वाली सामग्री को लेकर कई शिकायतें मिल रही हैं और इसके नियमन के बारे में सुझाव भी मिले हैं। इसे एक महत्वपूर्ण विषय बताते हुए जावड़ेकर ने कहा कि इसके संबंध में दिशानिर्देश तैयार किए जा चुके हैं और जल्द ही उन्हें लागू किया जाएगा। इससे पहले भाजपा के महेश पोद्दार ने यह मुद्दा उठाते हुए कहा कि कोविड-19 महामारी के दौरान इंटरनेट बेहद उपयोगी ऑनलाइन मंच के रूप में उभरा है और मनोरंजन के लिए ओटीटी प्लेटफार्म की लोगों तक पहुंच बढ़ी है। उन्होंने कहा ‘‘लेकिन इसमें दिखाई जाने वाली सामग्री और उसकी आपत्तिजनक होती है। इस मंच का नियमन किया जाना चाहिए।’’ पूरी दुनिया में नेटफ्लिक्स, अमेजॅन प्राइम और हॉटस्टार (डिज्नी प्लस) सहित कम से कम 40 ओटीटी प्लेटफॉर्म हैं। 

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हम सबके हैं राम, अल्ला और भगवान में फर्क करेंगे तो देश टूट जाएगा: अब्दुल्ला

नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता फारूक अब्दुल्ला ने मंगलवार को सरकार से जम्मू-कश्मीर के लोगों को ‘दिल से लगाने’ और प्रदर्शनकारी किसानों की बात सुनने का आग्रह करते हुए कहा कि ‘‘भगवान राम हम सबके हैं और अगर अल्लाह एवं भगवान में फर्क किया गया तो देश टूट जाएगा’’। लोकसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा में भाग लेते हुए अब्दुल्ला ने यह भी कहा कि पूर्व प्रधानमंत्रियों और पहले के दिग्गज नेताओं पर उंगलि उठाना लोकतंत्र के लिए ठीक परंपरा नहीं है। श्रीनगर से लोकसभा सदस्य ने सत्ता पक्ष से मुखातिब होते हुए कहा, ‘‘भगवान और अल्लाह एक हैं। अगर फर्क करेंगे तो देश को तोड़ देंगे। अगर आपने कोई गलती की तो हम आपको सही करेंगे और हम गलती करेंगे तो आप सही करेंगे। इसी तरह देश चलता है।’’ अब्दुल्ला ने कहा, ‘‘आज हमें आप पाकिस्तानी कहते हैं, खालिस्तानी कहते हैं, चीनी कहते हैं। मुझे मरना यहां है, जीना यहां है। मैं किसी से नहीं डरता। मुझे सिर्फ ऊपर वाले को जवाब देना है।’’ उन्होंने इस बात पर जोर दिया, ‘‘राम तो विश्व के राम हैं। अगर वो विश्व के राम हैं तो हम सबके राम हैं। कुरान सिर्फ हमारा नहीं, सबका है। बाइबल सबका है।’’ लोकसभा सदस्य ने सत्तापक्ष के लिए कहा, ‘‘हमने आपको कभी दुश्मन नहीं माना। आपको अपना हिस्सा माना। अब जब विपक्ष में होंगे तो आपका सम्मान करेंगे और आपसे ज्यादा करेंगे।’’ अब्दुल्ला ने जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने का हवाला देते हुए सरकार से आग्रह किया कि वह राज्य को जोड़ने और वहां के लोगों को ‘दिल से लगाने’ का काम करे। उन्होंने कहा, ‘‘आप कश्मीर के लोगों को दिल से लगाइए...सबको साथ लेकर चलिए। दुनिया को दिखाइए हम क्या हैं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘ हम कब देश में नहीं थे। मैंने तो संयुक्त राष्ट्र में भारत की बात की। यह देश हमारा है, मगर आपको भी मेरा सम्मान रखना है।’’ 

विपक्ष ने सरकार पर लोकतांत्रिक तौर-तरीकों को दरकिनार करने का आरोप लगाया

कांग्रेस, समाजवादी पार्टी, तृणमूल कांग्रेस, नेशनल कॉन्फ्रेंस सहित विपक्षी दलों ने सरकार पर लोकतांत्रिक तौर-तरीकों को दरकिनार करने एवं गंगा जमुनी तहजीब का तानाबाना तोड़ने का प्रयास करने का आरोप लगाते हुए मंगलवार को कहा कि केंद्र को किसानों की मांग मानते हुए अन्नदाताओं से बातचीत करके विवादित कृषि कानूनों से जुड़े मामले का समाधान निकालना चाहिए। वहीं, भाजपा ने कहा कि मोदी सरकार ‘वसुधैव कुटुंबकम’ और ‘सबका साथ, सबका विकास’ की भावना से काम कर रही है जहां एक तरफ आत्मनिर्भर भारत अभियान के जरिये देश को मजबूत बनाने का काम हो रहा है, दूसरी तरफ विभिन्न कल्याण योजनाओं के जरिये नये भारत की नींव रखने का काम हो रहा है। लोकसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर जारी चर्चा में हिस्सा लेते हुए कांग्रेस सांसद एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री परनीत कौर ने कहा, ‘‘ किसान अपनी जायज मांग को लेकर दिल्ली की सरहद पर बैठे हैं, यह सरकार तार, कीलें और सीमेंट की बाधाएं खड़ी करके उन्हें रोकने का प्रयास कर रही है। ’’ उन्होंने कहा कि इससे सरकार की किसान विरोधी सोच प्रदर्शित होती है। उन्होंने सवाल किया, ‘‘ यह सरकार इतनी डरी क्यों है। यहां कोई जंग थोड़े ही लड़ी जा रही है। किसान अपनी रोजी-रोटी बचाने के लिये जायज मांगों को लेकर दिल्ली की सीमाओं पर बैठे हैं। ’’ कांग्रेस नेता ने कहा किसी भी सरकार का कर्तव्य होता है कि वह बच्चों, बुजुर्गो, महिलाओं आदि की सुरक्षा करे लेकिन क्या दिल्ली की सरहदों पर ऐसा हो रहा है। परनीत कौर ने कहा, ‘‘ हमारे संविधान की प्रस्तावना में लिखा है...‘हम भारत के लोग’। लेकिन इस सर्दी में दिल्ली की सरहद पर बैठे किसान क्या भारत के लोग नहीं हैं ? ’’ उन्होंने कहा कि किसानों का यह आंदोलन केवल पंजाब तक ही नहीं बल्कि पूरे देश में फैल चुका है। ‘‘ऐसे में सरकार अहंकार छोड़े और इन तीन काले कानूनों को वापस ले’’। कांग्रेस नेता ने आरोप लगाया, ‘‘ यह सरकार लोकतंत्र के लिए असली खतरा है, अन्नदाता नहीं।’’ भाजपा की रीता बहुगुणा जोशी ने कहा कि असहमति संसदीय परंपरा का हिस्सा है लेकिन राष्ट्रपति के अभिभाषण के समय विपक्ष का उपस्थित ही नहीं रहना कहां की परंपरा है। उन्होंने विपक्ष पर निशाना साधते हुए कहा, ‘‘आप चुनाव की राजनीति करते रहिए, हम प्रधानमंत्री के नेतृत्व में देश के निर्माण में लगे रहेंगे।’’ भाजपा की ही सुनीता दुग्गल ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के शासनकाल में देश की बेटियां सुरक्षित महसूस कर रही हैं। उन्होंने कहा कि इस सरकार में हम आत्मनिर्भर भारत की तरफ बढ़ रहे हैं, इसलिए स्वदेश निर्मित कोविड टीका का इस्तेमाल कर रहे हैं और दूसरे देशों को भी निर्यात कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि सरकार ‘सबका साथ, सबका विकास’ की भावना से काम कर रही है और जहां एक तरफ आत्मनिर्भर भारत अभियान के जरिये देश को मजबूत बनाने का काम हो रहा है, दूसरी तरफ विभिन्न कल्याण योजनाओं के जरिये नये भारत की नींव रखने का काम हो रहा है।         

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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