राम मंदिर मुद्दे पर राजनीतिक बयानबाजी हुई तेज, अध्यादेश की मांग उठी

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[email protected] । Oct 29 2018 6:31PM

अयोध्या में विवादास्पद ढांचे पर विवाद को लेकर उच्चतम न्यायालय के सोमवार के निर्देश की पृष्ठभूमि में राजनीतिक बयानबाजी तेज हो गयी है।

नयी दिल्ली। अयोध्या में विवादास्पद ढांचे पर विवाद को लेकर उच्चतम न्यायालय के सोमवार के निर्देश की पृष्ठभूमि में राजनीतिक बयानबाजी तेज हो गयी है। संघ परिवार से जुड़े संगठनों एवं भाजपा के भीतर जहां अयोध्या में राम मंदिर के जल्द निर्माण को लेकर विभिन्न उपाय करने की मांग बढ़ रही है, वहीं कांग्रेस ने इस विषय पर संयम रखने और उच्चतम न्यायालय के फैसले का इंतजार करने पर जोर दिया है। 

एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने इस मामले में केंद्र सरकार को अध्यादेश लाने की चुनौती दे दी। वहीं भाजपा के तेजतर्रार नेता विनय कटियार ने कांग्रेस के दबाव में सुनवाई की तारीख बढ़ाने का आरोप लगाया है। विश्व हिन्दू परिषद (विहिप) ने सोमवार को कहा कि वह राम मंदिर के निर्माण के लिए अदालत के फैसले का अनंतकाल तक इंतजार नहीं कर सकती। साथ ही विहिप ने सरकार से राम मंदिर के निर्माण का मार्ग प्रशस्त करने के लिये कानून लाने की अपील भी की।

विहिप के कार्याध्यक्ष आलोक कुमार ने मोदी सरकार से संसद के शीतकालीन सत्र में इस विषय पर कानून बनाने का आग्रह किया। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम ने कहा, 'हर पांच साल में चुनाव से पहले भाजपा राम मंदिर के मुद्दे पर ध्रुवकरण करने की कोशिश करती है। यह मुद्दा अब अदालत के सामने है। सबको उच्चतम न्यायालय के फैसला का इंतजार करना चाहिए। इसमें किसी को कूदना नहीं चाहिए।’

कांग्रेस नेता आनंद शर्मा ने कहा कि इस मामले में वोट बैंक की राजनीति नहीं करनी चाहिए और सभी को इंतजार करना चाहिए एवं अदालत के फैसले को स्वीकार करना चाहिए। उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने कहा कि यह उच्चतम न्यायालय का निर्णय है और वह इस पर कोई टिप्पणी नहीं करना चाहते। हालांकि इसके टलने से अच्छा संदेश नहीं गया है। किन परिस्थितियों में तारीख आगे बढ़ाई गई है, इस पर वह कुछ नहीं कह सकते। इस मसले पर हर रोज सुनवाई की प्रक्रिया शुरू हो जाती तो अच्छा होता।

भाजपा नेता संजीव बालियान ने कहा कि अदालत की प्राथमिकता सूची पर उन्हें आश्चर्य होता है। उनका मत है कि राम मंदिर का निर्माण होना चाहिए और सरकार सभी संभावनाओं पर विचार करे। भाजपा की सहयोगी शिवसेना के नेता संजय राउत ने कहा कि यह श्रद्धा का विषय है और अदालत इस पर निर्णय नहीं कर सकती । सरकार को अध्यादेश लाना चाहिए।

भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राज्यसभा सदस्य डी राजा ने कहा कि अध्योध्या मामले की सुनवाई उच्चतम न्यायालय में विचाराधीन है और भाजपा नेताओं की ओर से मंदिर निर्माण के लिये अध्यादेश लाने जैसे भड़काऊ बयान दिये जा रहे हैं। भाजपा नेताओं को भी यह मालूम है कि मंदिर निर्माण के लिये अध्यादेश लाना संभव नहीं है। भाकपा महासचिव एस सुधाकर रेड्डी ने कहा कि भाजपा के ‘अध्यादेश राज’ की भाकपा शुरू से ही विरोधी है। सत्तापक्ष को इस मामले में देश की शांति व्यवस्था भंग करने वाले बयान देने के बजाय अदालत के फैसले का इंतजार करना चाहिये।

उल्लेखनीय है कि उच्चतम न्यायालय ने राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद भूमि मालिकाना हक विवाद मामले में दायर दीवानी अपीलों को अगले साल जनवरी के पहले हफ्ते में एक उचित पीठ के सामने सूचीबद्ध किया है जो सुनवाई की तारीख तय करेगी। प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई के नेतृत्व वाली तीन सदस्यीय पीठ ने कहा कि उचित पीठ अगले साल जनवरी में सुनवाई की आगे की तारीख तय करेगी।

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