हिमाचल में पहली जुलाई से खुलेंगे मंदिर, कोविड प्रोटोकॉल में होंगे दर्शन

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मंदिर परिसर में भजन, कीर्तन, सतसंग, भागवत या अन्य धार्मिक आयोजनों पर रोक लगाई गई है। मंदिर परिसर में भीड़ ना हो इसके लिए मंदिर सहायक आयुक्त दर्शन पर्ची की व्यवस्था होगी। मंदिर क्षेत्र में अस्थाई दुकानें नहीं खुल सकेंगी तथा केवल सूखा प्रसाद ही चढ़ाया जा सकेगा।

शिमला। कोरोना महामारी के चलते लंबे समय से बंद पड़े हिमाचल प्रदेश के मंन्दिरों के खुलने का रास्ता साफ हो गया है। सरकारी निर्णय के बाद तमाम बडे मंदिर पहली जुलाई से खुल जायेंगे जिससे पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, जम्मू कश्मीर से आने श्रद्धालुओं को राहत मिली है। जिला कांगडा के चामुंडा ब्रजेषवरी धाम कांगडा और बगलामुखी एवं ज्वालामुखी मंदिरों के अलावा चिंतपुर्णी बाबा बालक नाथ मंदिर दियोटसिद्ध और नैना देवी में बडी तादाद में श्रद्धालु दर्शनों को आते हैं। सरकार की ओर से जारी एसओपी के मुताबिक मंदिर 7 बजे से सायं 8 बजे तक दर्शनों के लिए खुला रहेंगे। जबकि हवन, यज्ञ, भजन मंडली, भंडारा, लंगर मंदिर परिसर, धर्मशाला व सडक़ के किनारे लगाने पर प्रतिबंध लगाया गया है। इसके अतिरिक्त हालात के अनुसार मंदिर अधिकारी समय सीमा में परिवर्तन कर सकते हैं। सभी श्रद्धालुओं को दर्शन पर्ची लेने के साथ-साथ कोविड-19 की स्क्रीनिंग भी करवानी होगी। 

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मंदिर परिसर में भजन, कीर्तन, सतसंग, भागवत या अन्य धार्मिक आयोजनों पर रोक लगाई गई है। मंदिर परिसर में भीड़ ना हो इसके लिए मंदिर सहायक आयुक्त दर्शन पर्ची की व्यवस्था होगी। मंदिर क्षेत्र में अस्थाई दुकानें नहीं खुल सकेंगी तथा केवल सूखा प्रसाद ही चढ़ाया जा सकेगा। श्रद्धालुओं को मंदिर में बैठने, खडे होने तथा इंतजार करने की अनुमति नहीं होगी। चिकित्सीय परीक्षण के बाद केवल एसिम्टोमैटिक श्रद्धालु ही मंदिर परिसर में जा सकेंगे, जबकि फ्लू जैसे लक्षणों वाले श्रद्धालुओं को अस्पताल में आइसोलेट किया जाएगा और उनकी कोविड-19 टेस्ट रिपोर्ट नेगेटिव आने पर ही मंदिर के अंदर जाने की अनुमति होगी। इसके अलावा भी श्रद्धालुओं को कोविड प्रोटोकॉल को मानना होगा तथा सामाजिक दूरी, मास्क का प्रयोग एवं हाथों को सेनिटाइज करना आवश्यक होगा। 

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आंगतुकों को मंदिर परिसर में निर्धारित सामाजिक दूरी अपनाते हुए भेजा जाएगा। जहां तक संभव हो जूतों को गाड़ी में ही उतारना होगा और यदि जरूरत पड़ती है। श्रद्धालुओं को दर्शनार्थ जाते समय पंक्ति में हर समय 6 फीट की सामाजिक दूरी बनाए रखनी होगी। आंगतुकों को मंदिर परिसर में प्रवेश करने से पूर्व हाथ और पैर साबुन से धोने होंगे। मंदिर के अंदर श्रद्धालुओं का मूर्तियों, धार्मिक किताबों, घंटियों इत्यादि को छूना वर्जित रहेगा। भीड़ का इकठा होना पूर्व की भांति वर्जित रहेगा। ढोल नगाड़ों युक्त गायन दलों के आने पर भी मनाही रहेगी। मंदिर में प्रसाद व पवित्र जल का वितरण भी नहीं होगा। दिशा-निर्देशों के मुताबिक 60 साल से अधिक आयु के व्यक्तियों, गंभीर बीमारियों से पीड़ित व्यक्तियों, गर्भवती महिलाओं और दस वर्ष से कम आयु के बच्चों को अपने घरों में रहने की सलाह दी जाती है।

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पुजारी श्रद्धालुओं को न तो प्रसाद वितरित करेंगे और न ही मौली बांधेंगे। उनके द्वारा किसी एक श्रद्धालु या श्रद्धालुओं के समूह के लिए पूजा अर्चना भी नहीं की जाएगी। कन्या पूजन और हवन आयोजन पर भी पूर्ण प्रतिबंध रहेगा। पुजारियों को भी कोरोना संक्रमण के लिए निर्धारित हिदायतों की अनुपालना सुनिश्चित करनी होगी। गर्भगृह में एक समय पर केवल दो पुजारियों को ही बैठने की अनुमति रहेगी। मंदिरों के पास ही आइसोलेशन कक्ष बनाया जाएगा तथा मुंडन संस्कार के लिए स्थान चिन्हित किया जाएगा। बाथरूम अथवा टॉयलेट सहित संपूर्ण परिसर को नियमित अंतराल पर सेनेटाइज करना होगा। निर्धारित सामाजिक दूरी बनाए रखने के लिए फर्श पर निशान बनाए जाएंगे।

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मंदिरों आसपास दुकानदार व होटल मालिकों को सुनिश्चित करना होगा कि उनके स्टाफ और आगंतुकों द्वारा फेस कवर का प्रयोग, हाथों को धोना सामाजिक दूरी जैसी हिदायतों की अनुपालना हो रही है। निर्धारित सामाजिक दूरी बनाए रखने के लिए फर्श पर निशान बनाने होंगे और कोई भी दुकानदार दुकान से बाहर विक्रय सामाग्री नहीं रखेगा। उल्लंघन करने वाले की दुकान तीन दिन के लिए बंद कर दी जाएगी। सफाई कर्मचारी निर्धारित वर्दी पहनेंगे। सेवा प्रदाता समय-समय पर स्वच्छता सुनिश्चित करेगा और दिन में तीन बार क्षेत्र की सफाई करवाएगा। एकत्र किए गए कचरे का निपटारा किया जाएगा। कर्मचारी व्यक्तिगत स्वच्छता और सुरक्षा का ध्यान रखेंगे। हाथ-पैर धोने के क्षेत्रों, रेलिंग, दरवाजों की नॉब वगैरह की निर्धारित समय पर प्रभावी ढंग से कीटाणुनाशक के माध्यम से सैनिटाइजेशन सुनिश्चित करना होगा। 

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