औरंगाबाद रेल हादसे के मृतक परिवारों को दस माह बाद भी मृत्यु प्रमाण पत्र का इंताजर

Waiting of death certificate
रविंदर गिल । Mar 29 2021 8:36PM

दिल दहलाने वाली घटना 8 मई को औरंगाबाद जिले में हुई थी। यहां 16 मजदूरों की रेलवे की पटरी पर मालगाड़ी की चपेट में आ जाने के चलते मौत हो गई थी। इस घटना ने पूरे देश को हिला के रख दिया था ये सभी 16 मजदूर महाराष्ट्र के जालना में एक स्टील फैक्ट्री में काम करते थे।

शहडोल। महाराष्ट्र के औरंगाबाद जिले में पिछले साल मई महीने में लॉकडाउन के दौरान 16 मजदूरों की रेलवे की पटरी पर मालगाड़ी की चपेट में आ जाने के चलते मौत हो गई थी। ये सभी मजदूर मध्य प्रदेश के शहडोल एवं उमरिया जिले के थे। मजदूरों के परिवारों को 10 महीने बाद भी अपने मृतक परिजनों का डेथ सर्टिफिकेट तक नहीं मिला है। जिसके चलते मृतक परिवारों को कभी मुश्किलों का सामान करना पड़ रहा है किसी का बैक एवं इंश्योरेंश के काम नहीं हो रहा, तो मजदूरो की विधवाओं को विधवा पेंशन नहीं मिल रही है, वही जमीन परिजनों के नाम स्थानांतरित नहीं हो रही है। 

 

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पिछले साल कोविड के फैलने के दौरान प्रधानमंत्री ने अचानक लॉकडाउन की घोषणा कर दी थी। जिसके बाद देश के कोने-कोने से लाखों प्रवासी मजदूरों को पलायन करने पर मजबूर होना पड़ा था। इस दौरान बड़ी संख्या में मजदूरों की भूख-प्यास या फिर सड़क हादसे में मौत हो गई थी। ऐसी ही एक दिल दहलाने वाली घटना 8 मई को औरंगाबाद जिले में हुई थी। यहां 16 मजदूरों की रेलवे की पटरी पर मालगाड़ी की चपेट में आ जाने के चलते मौत हो गई थी। इस घटना ने पूरे देश को हिला के रख दिया था ये सभी 16 मजदूर महाराष्ट्र के जालना में एक स्टील फैक्ट्री में काम करते थे।

 

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लॉकडाउन के चलते उनकी नौकरी चली गई थी। वो सरकार की ओर से चलाई गई श्रमिक स्पेशल ट्रेन से वापस अपने घर जाने वाले थे, लेकिन उनसे यह ट्रेन छूट गई, तो उन्होंने 7 मई, 2020 को पैदल ही घर जाने का रास्ता चुना। उस वक्त ट्रेनें न के बराबर चल रही थीं, ऐसे में उन्होंने रेलवे ट्रैक पर ही आराम करने का फैसला किया था, लेकिन रात के अंधेरे में उनके ऊपर से एक मालगाड़ी गुजर गई थी। मजदूरो की मौत हो जाने के बाद पोस्टमार्टम करने बाद सभी मजदूरो के शव को विशेष रेल गाड़ी से उमरिया एवं शहडोल भेज दिया गया था। मृतकों में 11  मजदूर शहडोल तो 5 मजदूर उमरिया जिले के थे। मध्य प्रदेश सरकार एवं  महाराष्ट्र सरकार द्वारा दी गई राहत राशि परिजनों को मिल गई है, लेकिन सभी मजदूरों के डेथ सर्टिफिकेट उनके परिजनों को  आज तक नहीं मिले है। मृत्यु प्रमाण पत्र महाराष्ट्र के औरंगाबाद से जारी होने है। शहडोल जिला प्रशासन द्वारा महाराष्ट्र के औरंगाबाद प्रशासन को पत्र लिखे गए, टेलीफोन पर बात की गई लेकिन 10 माह बाद डेथ सर्टिफिकेट नहीं आये है।

 

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मध्य प्रदेश के शहडोल जिले के अंतौली गांव के रहने वाले गर्मिणो के ऊपर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा। इस गांव के 9 बेटों की औरंगाबाद दुर्घटना में मौत हो गयी। रेल दुर्घटना में जिन लोगों की मृत्यु हुई है, उनमें अंतौली ग्राम के बृजेश उम्र 28 वर्ष, शिवदयाल उम्र 25 वर्ष पिता गजराज सिंह, राजबहोर उम्र 30 वर्ष पिता पारस सिंह, धर्मेंद्र सिंह उम्र 26 वर्ष पिता गेंतराज सिंह, दीपक उम्र 25 वर्ष पिता अशोक सिंह, धन सिंह उम्र 30 वर्ष पिता गणपत सिंह, बृजेश उम्र 32 वर्ष पिता भैयादीन, निर्वेश उम्र 20 वर्ष पिता रामनिरंजन, रावेंद्र उम्र 18 वर्ष पिता रामनिरंजन तथा ग्राम बैरिहा के संतोष सेन उम्र 27 वर्ष पिता राम निहोर सेन एवं सुरेश कोल पिता मलाई कोल उम्र 30 वर्ष ग्राम शहर गढ़ के थे। सभी मजदूर बहुत ही गरीब परिवार के हैं, इन्होंने तत्कालीन जयसिंहनगर एसडीएम को मृत्यु प्रमाण पत्र के लिए आवेदन भी दिया था। लेकिन उन्होंने यह कहकर आवेदन खारिज कर दिया की मृत्यु प्रमाण पत्र वहीं से बनेगा जहां मृत्यु हुई है। अभी हाल में ही दोबारा सभी मजदूरों के परिजनों ने मिलकर मृत्यु प्रमाण पत्र पाने के लिए आवेदन दिया है। 

 

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 मृतक मजदूर दीपक सिंह की पत्नी चंद्रवती का कहना है कि मृत्यु प्रमाण पत्र ना होने की वजह से उन्हें विधवा पेंशन का लाभ नहीं मिल रहा है। सभी सरकारी कामों में मृत्यु प्रमाण पत्र की आवश्यकता होती है, मेरे पति का मृत्यु प्रमाण पत्र बनवा कर दिया जाए। मृतक मजदूर राज बहार की पत्नी सुनीता सिंह भी मृत्यु प्रमाण पत्र ना होने के कारण विधवा पेंशन नहीं मिल पाने की बात कहती है। मृतक मजदूर बृजेश की पत्नी पार्वती सिंह का कहना है कि मृत्यु प्रमाण पत्र ना होने के कारण बैंक के काम नहीं हो पा रहे हैं और ना ही विधवा पेंशन उसे मिल पा रही है। रेल दुर्घटना में अपने दोनों बेटों बृजेश एवं शिवदयाल को खोने वाले गजराज सिंह ने बताया कि बैंक वाले कहते हैं कि मृत्यु प्रमाण पत्र लाओ तभी काम होगा, एसडीएम के पास जाते हैं तो कहते हैं कि बनेगा लेकिन मृत्यु प्रमाण पत्र आज तक नहीं बना। सभी मजदूरों के परिजनों की मृत्यु प्रमाण पत्र ना होने के कारण एक से ही समस्या है। बैंक के काम इंश्योरेंस के काम एवं जमीन ट्रांसफर होने के कारण सब रुके हुए हैं। इस संबंध में शहडोल जिले के डिप्टी कलेक्टर दिलीप पांडे से चर्चा की गई तो उनका कहना है कि मृत्यु प्रमाण पत्र वहीं से जारी होते हैं जहां किसी की मृत्यु होती है। इन सभी मजदूरों की मौत औरंगाबाद जिले में हुई थी वहां के प्रशासन को पत्र लिखा गया है। शहडोल कलेक्टर द्वारा औरंगाबाद कलेक्टर से मृत्यु प्रमाण पत्र के लिए चर्चा भी की गई है दोबारा फिर से मित्र प्रमाण पत्र के लिए औरंगाबाद कलेक्टर को पत्र भेजा गया है।

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