क्या PM मोदी की रणनीति से प्रभावित होकर भाजपा में शामिल होंगे नरेश और हार्दिक ? चुनाव से पहले पाटिदारों को लुभा रही पार्टी

Narendra Modi
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हार्दिक पटेल के नेतृत्व वाले आरक्षण आंदोलन के बाद साल 2017 के विधानसभा चुनाव से पहले मोहभंग हो चुके पाटीदारों को वापस अपने खेमे में लाने के लिए भाजपा नेतृत्व लगातार काम कर रहा है। पार्टी ने पिछले साल एक 'पटेल मुख्यमंत्री' को प्रदेश की जिम्मेदारी सौंपी।

गुजरात में विधानसभा चुनाव से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पाटिदार समुदाय को लुभाने में जुटे हुए हैं। ऐसे में प्रधानमंत्री मोदी कई परियोजनाओं के अलावा राजकोट जिले में पाटीदार समुदाय द्वारा निर्मित एक अस्पताल का उद्घाटन किया। दरअसल, साल 2017 के विधानसभा चुनाव से पहले खुद को अलग-थलग महसूस करने वाले पाटीदार समुदाय को लुभाने के लिए प्रधानमंत्री मोदी का यह एक और प्रयास है। 

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प्रधानमंत्री मोदी ने मार्च के बाद अपने गृह राज्य में जिन 17 कार्यक्रमों को संबोधित किया है, उनमें से 6 कार्यक्रमों का आयोजन पाटिदार समुदाय से जुड़े हुए समूहों द्वारा किया गया था।

किस खेमे में जाएंगे नरेश पटेल ?

हाल ही में कांग्रेस को पाटिदार नेता हार्दिक पटेल के रूप में बड़ा झटका लगा है और पार्टी एक दूसरे पाटिदार नेता को अपने संगठन में शामिल कराने में कोशिशों में जुटी हुई है। जिनका नाम नरेश पटेल है। हालांकि नरेश पटेल के पास कांग्रेस के अलावा आम आदमी पार्टी और भाजपा में शामिल होने का भी विकल्प है और उन्होंने पिछले कुछ महीनों में तीनों राजनीतिक दलों के नेताओं से मुलाकात की है।

माना जा रहा है कि नरेश पटेल कांग्रेस में शामिल हो सकते हैं लेकिन उन्होंने अपने पत्ते नहीं खोले। कुछ वक्त पहले उन्होंने कहा था कि अभी किसी तरह की उनकी कोई योजना नहीं है, लेकिन 31 मई तक वो अपना फैसला जनता के सामने रखेंगे।

समीकरण साधने में जुटी भाजपा

हार्दिक पटेल के नेतृत्व वाले आरक्षण आंदोलन के बाद साल 2017 के विधानसभा चुनाव से पहले मोहभंग हो चुके पाटीदारों को वापस अपने खेमे में लाने के लिए भाजपा नेतृत्व लगातार काम कर रहा है। पार्टी ने पिछले साल एक 'पटेल मुख्यमंत्री' को प्रदेश की जिम्मेदारी सौंपी। इसके अलावा भाजपा एक नया मंत्रालय लाने सहित हर संभव प्रयास कर रही है।

अंग्रेजी समाचार वेबसाइट 'इंडियन एक्सप्रेस' की रिपोर्ट के मुताबिक, गुजरात की राजनीति में पाटीदार समुदाय का महत्वपूर्ण प्रभाव है। राज्य की 6 करोड़ से अधिक आबादी में पाटीदार समुदाय की करीब 12 फीसदी हिस्सेदारी है। इतना ही नहीं कई विधानसभा क्षेत्र तो ऐसे हैं जहां पर पाटीदार समुदाय की आबादी करीब 15 फीसदी है। ऐसे में चुनाव नतीजों को पाटीदार समुदाय सीधे तौर पर प्रभावित कर सकती है। इन्हें एक प्रभावी फंड मैनेजर भी माना जाता है। 

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साल 2017 के विधानसभा चुना में पाटीदार समुदाय की नाराजगी का फायदा सीधेतौर पर कांग्रेस को हुआ था और साल 2021 के स्थानीय निकाय चुनाव में आम आदमी पार्टी को। ऐसे में इस बार किस पार्टी को पाटीदार समुदाय का साथ मिलेगा यह कह पाना अभी मुश्किल होगा। लेकिन तीनों ही राजनीतिक पार्टियां पाटीदार समुदाय को अपने खेमे में लाने की कोशिश कर रही हैं।

प्रधानमंत्री मोदी ने 15 अप्रैल को भुज में एक अस्पताल का उद्धाटन किया था। इसके बाद 29 अप्रैल को पाटीदार संगठन सरदारधाम के एक कार्यक्रम को संबोधित किया। यह तमाम कार्यक्रम पाटीदार समुदाय से जुड़े हुए हैं। इसी बीच भाजपा के एक नेता ने पाटीदार समुदाय को रीढ़ की हड्डी बताया। जबकि दूसरे नेता कहते हैं कि भाजपा के लिए सबका साथ सबका विकास महज एक नारा नहीं बल्कि एक रणनीति है। हम सिर्फ एक समुदाय को खुश नहीं कर सकते, यह चुनावी रूप से हमारे खिलाफ जाएगा। जबकि कांग्रेस प्रमुख पाटीदार नेता परेश धनानी कहते हैं कि पाटीदार समुदाय प्रधानमंत्री मोदी द्वारा उन्हें धोखा देने की कोशिशों के झांसे में नहीं आएगा।

सबसे बड़ा सवाल अभी जो चल रहा है वो यह है कि नरेश पटेल और हार्दिक पटेल किस पार्टी में शामिल होंगे। नरेश पटेल के पास तो कई विकल्प हैं लेकिन हार्दिक पटेल के पास महज भाजपा और आम आदमी पार्टी का ही विकल्प मौजूद है।

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