Sumitranandan Pant Birth Anniversary: प्रकृति को मानते थे अपनी मां, महज सात साल की उम्र से लिखने लगे थे कविता

Sumitranandan Pant
Prabhasakshi
भारतीय इतिहास में हिंदी साहित्य का अमूल्य योगदान रहा हैं। आज ही के दिन यानी की 20 मई को हिंदी भाषा के कवि सुमित्रानंदन पन्त का जन्म हुआ था। पंत को प्रकृति का सुकुमार कवि कहा जाता है।

भारतीय इतिहास में हिंदी साहित्य का अमूल्य योगदान रहा हैं। भारत भूमि पर ऐसे कई क्रांतिकारी लेखक और कवि हुए हैं। जिन्होंने कलम की ताकत से समाज के तमाम मुद्दों को उठाने और उनमें सुधार करने का कार्य किया। ऐसे की हिंदी भाषा के कवि सुमित्रानंदन पन्त हैं। जिनके बिना हिंदी साहित्य की कल्पना ही बेगानी लगेगी। बता दें कि आज ही के दिन यानी की 20 मई को सुमित्रानन्दन पन्त का जन्म हुआ था। आइए जानते हैं उनकी बर्थ एनिवर्सिरी के मौके पर सुमित्रानंदन पन्त के जीवन से जुड़ी कुछ रोचक बातों के बारे में...

जन्म

उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले के कौसानी नामक गांव में 20 मई 1900 को सुमित्रानंदन पन्त का जन्म हुआ था। पन्त के जन्म के कुछ समय बाद ही इनकी माता सरस्वती देवी का निधन हो गया था। जिसके बाद इनका पालन-पोषण दादीजी द्वारा किया गया। पन्त सात भाई-बहनों में सबसे छोटे थे। इनके बचपन का नाम गोसाई दत्त था। लेकिन पन्त को अपना नाम पसंद न होने के कारण उन्होंने अपना नाम बदल लिया। सुमित्रानंदन पंत ने महज 7 साल की उम्र से कविता लिखना शुरू कर दिया था।

शिक्षा

उन्होंने अपनी शुरूआती शिक्षा अल्मोड़ा से पूरी की। इसके बाद वह हाईस्कूल की पढ़ाई के लिए अपने भाई के पास बनारस चले गए। हाईस्कूल पास करने के बाद उन्होंने इलाहाबाद यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन किया। वहीं महात्मा गांधी का साथ देने के लिए पन्त बीच में ही अपनी पढ़ाई छोड़कर सत्याग्रह आंदोलन में शामिल रहो गए। इसके बाद वह अपनी पढ़ाई को आगे नहीं चला सके। हालांकि इस दौरान वह हिंदी, संस्कृत और बंगाली साहित्य अध्ययन करते रहे। 

साल 1918 के आस-पास तक वह हिंदी के नवीन धारा के प्रवर्तक कवि के रूप में पहचान बना चुके थे। साल 1926-27 में पंतजी के प्रसिद्ध काव्य संकलन 'पल्लव' का प्रकाशन हुआ। इसके बाद वह वापस फिर अल्मोड़ा आ गए। सुमित्रानंद पंत मार्क्स और फ्राइड की विचारधारा से प्रभावित हुए थे। साल 1938 में पंतजी 'रूपाभ' नाम का एक मासिक पत्र की शुरूआत की। जिसके बाद साल साल 1955 से 1962 तक आकाशवाणी से जुड़े रहे। आकाशवाणी में पंत ने मुख्य-निर्माता के पद पर कार्य किया था।

इसे भी पढ़ें: RK Narayan Death Anniversary: आज के दिन 13 मई को सदा के लिए थम गई थी R.K Narayan की लेखनी

सुमित्रानंदन पन्त की काव्य कृतियां

सुमित्रानंदन पंत की कुछ काव्य कृतियां इस प्रकार हैं- ग्रन्थि, गुंजन, ग्राम्या, युगांत, स्वर्णकिरण, स्वर्णधूलि, कला और बूढ़ा चाँद, लोकायतन, चिदंबरा, सत्यकाम आदि शामिल हैं। पन्त के जीवन काल में 28 प्रतियां प्रकाशित हुई थीं। जिनमें कुछ कविताएं, पद्य-नाटक और निबंध आदि शामिल हैं। वह अपने समय के विचारक, दार्शनिक और मानवतावादी कवि के तौर पर जाने जाते थे। साल 1918 से 1924 तक पंत ने 32 कविताओं का संग्रह किया था।

सुमित्रानंदन पन्त के पुरस्कार और उपलब्धियां

सुमित्रानंदन पन्त के हिंदी साहित्य के योगदान को देखते हुए साल 1961 में पद्म भूषण, साल 1968 में ज्ञानपीठ, साहित्य अकादमी और सोवियत लैंड नेहरू पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। 

बचपन का घर

बता दें कि सुमित्रानंदन पन्त कौशानी में बचपन में जिस घर में रहते थे, वर्तमान में उस घर को सुमित्रानंदन पन्त वीथिका के नाम से एक संग्रहालय में बदल दिया गया है। यहां पर पंत के व्यक्तिगत प्रयोग की जाने वाले सामान जैसे कपड़े, छायाचित्र, कविताओं की मूल पांडुलिपियां व पत्रों और पुरस्कारों को प्रदर्शित किया गया है। इस घर में एक पुस्तकालय भी बना हुआ है। जिसमें पंत की व्यक्तिगत और उनसे संबंधित पुस्तकों का संग्रह भी है। पंत की स्मृति में हर साल संग्रहालय में पंत व्याख्यान माला का आयोजन किया जाता है। 

मृत्यु 

हिंदी साहित्य का प्रकाशपुंज संगम नगरी इलाहाबाद में 28 दिसम्बर 1977 को हमेशा के लिए बुझ गया। बता दें कि पंत को आधुनिक हिंदी साहित्य का युग प्रवर्तक कवि माना जाता हैं। इसके साथ ही पंत को 'प्रकृति के सुकुमार कवि' कहे जाते हैं।

अन्य न्यूज़