विपक्ष के तेवर देखकर लगता है संसद के शीतकालीन सत्र में मुद्दों की गर्माहट बनी रहेगी

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संसद का यह सत्र वैसे तो नये संसद भवन में होना था लेकिन वहां निर्माण कार्य अभी चलते रहने की वजह से इसे पुराने संसद भवन में ही आयोजित किया गया है। इस सत्र की खास बात यह होगी कि राज्यसभा सभापति के नाते उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ पहली बार सदन का संचालन करेंगे।

संसद के शीतकालीन सत्र में राजनीतिक मुद्दों की गर्माहट बने रहने के आसार हैं क्योंकि सर्वदलीय बैठक में विपक्ष ने जिस तरह सरकार के समक्ष मुद्दों की भरमार की है उसे देखते हुए कहा जा सकता है कि यह सत्र हंगामेदार रहेगा। इसके अलावा इस सत्र की शुरुआत ऐसे समय हो रही है जब दिल्ली नगर निगम चुनाव, गुजरात और हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव, एक लोकसभा सीट और छह विधानसभा सीटों के उपचुनाव परिणाम आने हैं। जाहिर है यदि भाजपा सर्वाधिक चुनावों में विजयी होती है तो सत्र के दौरान सरकार का मनोबल बढ़ा रहेगा और यदि इन चुनावों में जीत विपक्ष के हाथ लगती है तो सत्र के दौरान वह सरकार पर हावी होने का प्रयास कर सकता है।

संसद का यह सत्र वैसे तो नये संसद भवन में होना था लेकिन वहां निर्माण कार्य अभी चलते रहने की वजह से इसे पुराने संसद भवन में ही आयोजित किया गया है। इस सत्र की खास बात यह होगी कि राज्यसभा सभापति के नाते उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ पहली बार सदन का संचालन करेंगे। गौरतलब है कि मॉनसून सत्र के समापन के समय तत्कालीन उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू राज्यसभा सभापति के नाते सदन का संचालन कर रहे थे। संसद का शीतकालीन सत्र सात दिसंबर से शुरू हो रहा है और यह 29 दिसंबर को समाप्त होगा। इस सत्र में 17 बैठकें होंगी। हम आपको यह भी बता दें कि सरकार ने पिछले सप्ताह शीतकालीन सत्र के दौरान पेश किये जाने वाले 16 विधेयकों की सूची जारी की थी।

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संसद के शीतकालीन सत्र के लिए विपक्ष ने जहां सरकारी एजेंसियों के कथित दुरुपयोग, महंगाई, बेरोजगारी आदि मुद्दे अपनी सूची में रखे हैं तो वहीं सरकार के पास भी विधायी कार्यों की लंबी सूची है। सरकार की ओर से बुलाई गयी सर्वदलीय बैठक में विपक्ष ने साफ कर दिया है कि उसकी प्राथमिकता में महंगाई, बेरोजगारी, चीन से लगी सीमा की स्थिति, कॉलेजियम के मुद्दे से जुड़ा विषय, कश्मीर से हिंदुओं का पलायन, किसानों को फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य, केंद्र राज्य संबंध एवं संघीय ढांचे का विषय और आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग को आरक्षण पर अदालती फैसले आदि रहेंगे। विपक्ष ने सर्वदलीय बैठक में यह भी मांग की कि अपने मुद्दों को उठाने और चर्चा के लिए पर्याप्त समय दिया जाये। लेकिन सवाल यह है कि क्या विपक्ष चर्चा चाहेगा? संसद के पिछले कुछ सत्रों पर गौर करें तो देखने को मिलता है कि सरकार पर चर्चा नहीं कराने का आरोप लगाने वाला विपक्ष ही अक्सर चर्चा को बाधित करता रहता है। वैसे, सरकार ने सर्वदलीय बैठक में आश्वस्त किया है कि वह लोकसभा अध्यक्ष और राज्यसभा के सभापति की अनुमति से नियमों के तहत विपक्ष के उठाये मुद्दों पर चर्चा कराने को तैयार है।

बहरहाल, वैसे तो संसद सत्र के दौरान सरकार और विपक्ष को मिलकर मुद्दों का हल निकालना चाहिए लेकिन चूँकि अगला वर्ष अहम चुनावी वर्ष है जिसमें कई राज्यों के विधानसभा चुनावों के अलावा सभी दलों की ओर से लोकसभा चुनावों की तैयारी को भी अंतिम रूप दिया जायेगा, इसलिए संभावना इसी बात की ज्यादा है कि यह सत्र भी हंगामेदार ही रहे।

-गौतम मोरारका

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