संगरूर में हार के लिए मान सरकार का प्रदर्शन नहीं, लोगों की ‘भावना’ जिम्मेदार: आप नेताओं का बयान

Sangrur
ANI

पंजाब में संगरूर लोकसभा सीट पर उपचुनाव में आम आदमी पार्टी (आप) की हार ने रविवार को नतीजे आने के बाद दिल्ली में राजेंद्र नगर विधानसभा उपचुनाव में उसकी जीत को लेकर पार्टी के जश्न को फीका कर दिया।

नयी दिल्ली। पंजाब में संगरूर लोकसभा सीट पर उपचुनाव में आम आदमी पार्टी (आप) की हार ने रविवार को नतीजे आने के बाद दिल्ली में राजेंद्र नगर विधानसभा उपचुनाव में उसकी जीत को लेकर पार्टी के जश्न को फीका कर दिया। शिअद (अमृतसर) के अध्यक्ष सिमरनजीत सिंह मान ने संगरूर लोकसभा क्षेत्र में आप उम्मीदवार गुरमेल सिंह को 5,822 मतों के अंतर से हराया। इससे अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली आप को एक झटका लगा, जो पंजाब में बमुश्किल तीन महीने पहले ही सत्ता में आयी है। संगरूर में आप की हार ने दिल्ली में उसके कई वरिष्ठ नेताओं को चौंका दिया क्योंकि यह सीट पार्टी का गढ़ मानी जाती है।

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पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने इस सीट पर दो बार जीत दर्ज की थी और इस साल की शुरुआत में राज्य के विधानसभा चुनाव में, पार्टी ने इस लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आने वाली सभी नौ विधानसभा सीटों पर जीत हासिल की थी। उपचुनाव के नतीजे आने के बाद आप की पंजाब इकाई ने अपनी हार मान ली और राज्य की प्रगति और समृद्धि के लिए कड़ी मेहनत करने का वादा किया। दिल्ली में, पार्टी की प्रदेश इकाई ने अपने प्रदेश संयोजक गोपाल राय और पार्टी के अन्य वरिष्ठ नेताओं की उपस्थिति में राजेंद्र नगर उपचुनाव में अपनी जीत का जश्न मनाया। दिल्ली के मुख्यमंत्री और आप के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल ने ट्वीट करके राजेंद्र नगर में जीत का स्वागत करते हुए इसे भाजपा की ‘‘गंदी राजनीति’’ की हार और दिल्ली में उनकी सरकार द्वारा किए गए कार्यों पर मुहर बताया। आप उम्मीदवार दुर्गेश पाठक ने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी भाजपा के राजेश भाटिया को 11,000 से अधिक मतों के अंतर से हराकर राजेंद्र नगर विधानसभा सीट पर आराम से जीत हासिल की। आप के राष्ट्रीय प्रवक्ता संजय सिंह ने पीटीआई-से बात करते हुए संगरूर लोकसभा सीट पर पार्टी की हार के लिए शिअद (अमृतसर) उम्मीदवार के पक्ष में लोगों की भावना को जिम्मेदार ठहराया।

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उन्होंने कहा कि उपचुनाव के नतीजों को मुख्यमंत्री भगवंत मान की सरकार के कामकाज पर जनता के फैसले के तौर पर नहीं देखा जाना चाहिए। सिंह ने कहा, ‘‘कभी-कभी लोग भावनाओं से प्रेरित होकर वोट डालते हैं। वहां यही हुआ। भावनाओं से प्रेरित होकर लोगों ने सिमरन सिंह मान के पक्ष में मतदान किया। शायद उनकी उम्र के कारण और इसलिए भी कि वह पिछले कई सालों से चुनावों में हार का सामना कर रहे थे कि लोगों ने उन्हें भावनात्मक रूप से वोट दिया।’’ सिंह ने कहा कि अगर भगवंत मान सरकार का प्रदर्शन इतना खराब होता तो पारंपरिक पार्टियों- कांग्रेस, अकाली दल और भाजपा - को वोट मिलना चाहिए था। उन्होंने कहा कि मान सरकार ने पिछले तीन महीने में ‘‘अनुकरणीय कार्य’’ किया है। पंजाब से आप के नवनिर्वाचित राज्यसभा सांसद राघव चड्ढा ने संगरूर लोकसभा सीट पर पार्टी की हार के लिए धान की बुवाई के मौसम और इस बार भीषण गर्मी के कारण मतदाताओं के कम मतदान को जिम्मेदार ठहराया।

हालांकि, उन्होंने कहा कि उपचुनाव के नतीजे स्पष्ट संकेत देते हैं कि आप के वोट लगभग बरकरार हैं और सिमरनजीत सिंह मान ने सीट जीती क्योंकि अन्य पार्टियों के वोट उन्हें गए। उन्होंने कहा, ‘‘आम आदमी पार्टी की वोट हिस्सेदारी 37 प्रतिशत से घटकर 35 प्रतिशत हो गई, जबकि कांग्रेस का वोट प्रतिशत 27 प्रतिशत से गिरकर 11 प्रतिशत हो गया और अकाली दल का वोट पिछले 24 प्रतिशत से घटकर 6 प्रतिशत रह गया।’’ जाने-माने राजनीतिक विश्लेषक संजय कुमार ने कहा कि संगरूर उपचुनाव के नतीजों को सत्तारूढ़ आप की हार के बजाय एक व्यक्ति की जीत के रूप में देखा जाना चाहिए।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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