मप्र : बीएसएफ के शस्त्र संग्रहालय को दान में मिली 1914 की दुर्लभ रिवॉल्वर

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अधिकारियों ने बताया कि बीएसएफ के पहले महानिदेशक केएफ रुस्तमजी की परिकल्पना के बाद1967 में स्थापित इस संग्रहालय में 300 दुर्लभ हथियार संजोए गए हैं।

झारखंड के एक कारोबारी के परिवार ने सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के इंदौर स्थित केंद्रीय आयुध एवं युद्ध कौशल विद्यालय (सीएसडब्ल्यूटी) के शस्त्र संग्रहालय को ब्रिटेन में वर्ष 1914 में बनी रिवॉल्वर दान में दी है। अधिकारियों ने बुधवार को यह जानकारी दी।

अधिकारियों ने बताया कि झारखंड के चाईबासा के कारोबारी नंदलाल रुंगटा के परिवार ने ब्रिटेन में 111 साल पहले बनी .45 बोर की ‘वेबली मार्क 5’ रिवॉल्वर सीएसडब्ल्यूटी के शस्त्र संग्रहालय को दान में दी है।

उन्होंने बताया कि पश्चिमी सिंहभूम के जिला शस्त्र मजिस्ट्रेट की अनुमति के आधार पर रुंगटा ने अपने दिवंगत पिता सीताराम रुंगटा का यह हथियार दान किया है। अधिकारियों ने बताया कि तमाम कानूनी औपचारिकताएं पूरी किए जाने के बाद रुंगटा के एक प्रतिनिधि ने सीएसडब्ल्यूटी के कार्यवाहक महानिरीक्षक राजन सूद की मौजूदगी में यह रिवॉल्वर बीएसएफ के संग्रहालय को सौंपी।

अधिकारियों के मुताबिक रुंगटा ने दो साल पहले कोलकाता के एक अखबार में सीएसडब्ल्यूटी के शस्त्र संग्रहालय पर छपे एक लेख से प्रेरित होकर अपनी यह पारिवारिक रिवॉल्वर दान करने का फैसला किया। इस रिवॉल्वर को बीएसएफ के संग्रहालय तक पहुंचाने में ऑल इंडिया बीएसएफ एक्स-सर्विसमेन वेलफेयर एसोसिएशन के अध्यक्ष अजय कुमार जैन ने रुंगटा की मदद की।

जैन ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया, ‘‘दुर्लभ हथियारों के अंतरराष्ट्रीय बाजार में इस रिवॉल्वर की कीमत करोड़ों रुपये में आंकी जा रही है, लेकिन रुंगटा ने अपने पिता की स्मृति को चिर स्थायी बनाने के लिए इस हथियार को बीएसएफ के संग्रहालय को दान करने का फैसला किया।

उन्होंने बताया कि यह दुर्लभ रिवॉल्वर बीएसएफ के संग्रहालय में सुरक्षित रहेगी और आने वाली पीढ़ियों को हथियारों के इतिहास से रू-ब-रू कराएगी। अधिकारियों ने बताया कि बीएसएफ के पहले महानिदेशक केएफ रुस्तमजी की परिकल्पना के बाद1967 में स्थापित इस संग्रहालय में 300 दुर्लभ हथियार संजोए गए हैं।

इनमें बंदूक, पिस्तौल, रिवॉल्वर, राइफल, सब मशीन गन, लाइट मशीन गन (एलएमजी), मीडियम मशीन गन (एमएमजी), रॉकेट लॉन्चर, मोर्टार और ग्रेनेड लॉन्चर शामिल हैं। उन्होंने बताया कि संग्रहालय में खासकर 14वीं सदी के हथियारों से लेकर बाद की पीढ़ियों के हथियारों को प्रदर्शित किया गया है।

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