कश्मीरी युवाओं को 'टट्टू' बनाकर आतंकवाद की राह पर धकेल रहा है पाकिस्तान

jammu kashmir

पाकिस्तान के लिए भाड़े पर काम कर रहे लोग कश्मीरी युवाओं को आतंकवाद में धकेलने की कोशिश कर रहे हैं और उनका इस्तेमाल केवल ‘‘आतंकी टट्टू’’ के रूप में काम कर रहे हैं। यदि कश्मीरी युवा हिंसा का रास्ता छोड़ना चाहें तो भाड़े पर काम कर रहे संबंधित तत्व उनकी हत्या भी कर सकते हैं।

केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर में कोरोना के बढ़ते मामलों को देखते हुए सप्ताहांत प्रतिबंध लगाये गये हैं जिससे कुछ लोग नाराज भी नजर आ रहे हैं। हम आपको बता दें कि यहां एक दिन में कोरोना संक्रमण के साढ़े तीन हजार मामले आये और छह और मरीजों की मौत हो गयी जिसको देखते हुए पाबंदियां बढ़ायी गयी हैं। जम्मू-कश्मीर में आम लोग ही नहीं चिकित्सा कर्मचारी भी काफी तेजी से संक्रमित हो रहे हैं जिसको देखते हुए स्वास्थ्यकर्मी लोगों से बेवजह अस्पताल आने से बचने की अपील कर रहे हैं। हम आपको बता दें कि जम्मू-कश्मीर में एक जनवरी से अब तक विभिन्न अस्पतालों के 275 चिकित्सक एवं पैरामेडिकल कर्मचारी कोरोना वायरस से संक्रमित पाये गये हैं।

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कई क्षेत्रों में गश्त तेज

आइये अब आपको लिये चलते हैं सांबा सेक्टर में। गणतंत्र दिवस समारोह से पहले सेना, जम्मू-कश्मीर पुलिस और सीआरपीएफ के जवानों ने विभिन्न इलाकों में अपनी गश्त बढ़ा दी है। जवानों ने इसी क्रम में सांबा सेक्टर में तलाशी अभियान चलाया। पांगधौर में बसंतर नदी के आसपास के इलाके से शुरू हुआ यह अभियान रीगल गांव में समाप्त हुआ।

आतंकी टट्टू

जम्मू-कश्मीर में पाकिस्तान के लिए भाड़े पर काम कर रहे लोग कश्मीरी युवाओं को आतंकवाद में धकेलने की कोशिश कर रहे हैं और उनका इस्तेमाल केवल ‘‘आतंकी टट्टू’’ के रूप में काम कर रहे हैं। यदि कश्मीरी युवा हिंसा का रास्ता छोड़ना चाहें तो भाड़े पर काम कर रहे संबंधित तत्व उनकी हत्या भी कर सकते हैं। वरिष्ठ सुरक्षा अधिकारियों ने रविवार को यह बात कही। इस महीने की शुरुआत में, बडगाम में हुई मुठभेड़ और शहजादपुरा निवासी 24 वर्षीय वसीम कादिर मीर के फोन कॉल की विस्तृत जानकारी का संदर्भ देते हुए अधिकारियों ने बताया कि वह पाकिस्तानी आतंकवादियों के क्रूर व्यवहार का नवीनतम शिकार बना जिन्होंने उसे छह जनवरी को मध्य कश्मीर स्थित जिले के झोई गांव में उस समय मार दिया जब सुरक्षाबलों के साथ मुठभेड़ हो रही थी। उन्होंने बताया कि तलाशी अभियान के दौरान मीर अपने दो पाकिस्तानी साथियों के साथ घिर गया था जिसके बाद मुठभेड़ शुरू हुई थी। उन्होंने कहा कि सुबह तक यह सामान्य खबर थी कि सुरक्षाबलों ने एक और आतंकी समूह का खात्मा कर दिया है लेकिन जो असामान्य था वह रात को मुठभेड़ के दौरान हुआ घटनाक्रम था।

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इस मुठभेड़ में शामिल रहे एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘‘मुठभेड़ के दौरान मीर हथियार डालना चाहता था और संभव था कि उसका उद्देश्य सुरक्षाबलों के सामने आत्मसमर्पण करना था लेकिन साथ में मौजूद दो पाकिस्तानी आतंकवादियों द्वारा उसे गोलीबारी जारी रखने के लिए मजबूर किया गया।’’ उन्होंने कहा, ‘‘बाद में पोस्टमॉर्टम सहित अन्य जानकारियों से पुष्टि हुई कि मीर को उसके ही साथियों ने मार डाला, क्योंकि वे आत्मसमर्पण की मीर की कोशिश का विरोध करने में असफल हुए थे।’’ उल्लेखनीय है कि मीर ने स्कूल की पढ़ाई बीच में ही छोड़ दी थी और शुरुआत में वह आतंकवादी संगठनों के लिए ‘ओवर ग्राउंड वर्कर’ के तौर पर काम करता था तथा दिसंबर 2020 में जैश-ए-मोहम्मद के कमांडर और पाकिस्तानी आतंकवादी सैफुल्ला उर्फ ‘लंबू भाई’ ने उसे अपने संगठन में भर्ती कर लिया था। अधिकारियों ने कहा कि हालांकि मीर ने आतंकवादी के तौर पर लंबे समय तक काम नहीं किया लेकिन उसकी आतंकी गतिविधियों की सूची लंबी थी। वह पिछले साल 13 दिसंबर को जेवन में हुए हमले में भी शामिल था जिसमें तीन पुलिसकर्मी शहीद हो गए थे और 11 अन्य घायल हुए थे। उन्होंने बताया कि कई आतंकवादी गतिविधियों में शामिल होने की वजह से संभवत: वह दोबारा मुख्यधारा में शामिल नहीं हो पा रहा था लेकिन जब उसे सुरक्षाबलों द्वारा अपनी जिंदगी बचाने का मौका दिया गया तो वह उसका इस्तेमाल नहीं कर सका क्योंकि उसके अपने साथियों ने उसका इस्तेमाल ‘‘आतंकी टट्टू’’ के रूप में किया।

अधिकारियों ने कहा कि यह घटना कथित स्थानीय स्वतंत्रता आंदोलन के कुरूप चेहरे का खुलासा करती है और घाटी की बड़ी मानव त्रासदी को भी दिखाती है जिसका सामना वह पिछले तीन दशक से पाकिस्तान के आतंकवादी समूहों की वजह से कर रही है। उन्होंने कहा, ‘‘जहां तक कश्मीर का मामला है तो बड़ी संख्या में पाकिस्तानी आतंकवादियों की घुसपैठ कराकर और तीन-चार आतंकवादियों का समूह बनाकर उसमें एक स्थानीय युवक को रखना पाकिस्तान का वर्षों पुराना तरीका है।’’ अधिकारियों ने कहा कि पाकिस्तान की रणनीति का लक्ष्य वैश्विक समुदाय को भ्रमित करना और जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद को स्थानीय युवकों के नेतृत्व वाले स्थानीय विद्रोह के रूप में प्रस्तुत करना है। उन्होंने कहा कि वह यह काम कश्मीर टाइगर्स और रेसिस्टेंस फ्रंट (टीआरएफ) जैसे छद्म आतंकी गुट बनाकर कर रहा है जो क्रमश: जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए तैयबा जैसे प्रतिबंधित आतंकी संगठनों के मुखौटा गुट हैं। उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन वास्तविकता यह है कि गत वर्षों में स्थानीय लोगों की भर्ती केवल ‘आतंकी टट्टू’ की हैसियत से की गई है जो केवल पाकिस्तानी आतंकवादियों के गाइड के रूप में काम करें और पाकिस्तान के भ्रामक प्रचार अभियान का भार संभाल सकें तथा घाटी में आतंकवाद की फैक्टरी को चालू रख सकें।’’

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झोपड़ी में रहता है परिवार

महबूब अहमद फानी ने सभी आभूषण बेचकर इस उम्मीद में कर्ज लिया था कि वह और उनका परिवार केंद्र की प्रमुख आवास योजना का लाभ उठाते हुए अपने मकान में शिफ्ट हो जाएंगे, लेकिन इस भीषण ठंड के बीच वे एक झोपड़ी में रह रहे हैं। जम्मू क्षेत्र के सबसे ठंडे स्थान भद्रवाह के निवासी फानी (50) ने कहा कि वह प्रधानमंत्री आवास योजना (पीएमएवाई) शहरी के तहत आवास पाने के लिए पिछले तीन वर्षों से दर-दर भटक रहे हैं लेकिन ‘‘आज तक कुछ भी नहीं हुआ।’’ भद्रवाह नगर समिति में दिहाड़ी मजदूर के रूप में काम करने वाले फानी अपने परिवार के लिए एकमात्र कमाने वाले हैं, जिसमें उनकी बूढ़ी मां, पत्नी और पांच बच्चे शामिल हैं, इसके अलावा दो छोटे भाई भी हैं। नगर समिति के कार्यकारी अधिकारी के कार्यालय से महज एक किलोमीटर दूर चिनार मोहल्ला में झोपड़ी में रहने वाले फानी ने कहा, ‘‘मैंने बार-बार अपील की लेकिन कोई जवाब नहीं आया। हर गुजरता दिन मेरे और मेरे परिवार के लिए एक दु:स्वप्न है क्योंकि हम लगातार बर्फ के नीचे दबने या ठंड से मौत के डर में जी रहे हैं।’’

परिवार ठंड से बचने के लिए लकड़ी की ‘बुखारी’ का उपयोग कर रहा है और किसी भी दुर्घटना से बचने के लिए रात में सतर्क रहता है। हाल में हुई भारी बर्फबारी के बाद भद्रवाह जम्मू क्षेत्र का सबसे ठंडा स्थान है। रात का तापमान जमाव बिंदु से कई डिग्री नीचे चला जाता है। फानी ने कहा, ‘‘बदकिस्मती से मैं अपने परिवार को सुरक्षित किराए के स्थान पर स्थानांतरित करने का जोखिम नहीं उठा सकता। हम एक किराए के कमरे में रह रहे थे, लेकिन यह जानने के बाद कि सभी गरीबों को अपना घर बनाने के लिए वित्तीय सहायता प्रदान की जा रही है, अपना घर बनाने के लिए जमीन खरीदने को लेकर मैंने बैंक से 80,000 रुपये उधार लेने के अलावा, अपनी मां और पत्नी के आभूषण सहित जो कुछ भी हमारे पास था, उसे बेच दिया।’’ फानी ने कहा कि उनकी मासिक कमाई का आधा हिस्सा कर्ज की मासिक किस्त चुकाने में चला जाता है। संपर्क करने पर भद्रवाह नगर समिति के कार्यकारी अधिकारी (ईओ) यूसुफ-उल-उमर ने आश्वासन दिया कि फानी के मामले पर प्राथमिकता से कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने कहा, ‘‘मुझे स्थिति की गंभीरता के बारे में पता नहीं था...अब जब हम परिवार की बदहाली के बारे में जानते हैं, तो हम पीएमएवाई (शहरी) के तहत प्रक्रिया में तेजी लाएंगे और उम्मीद है कि इस महीने अगले सप्ताह तक परिवार को निर्माण योजना के तहत पहली किस्त मिल जाएगी।''

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