Maharashtra Politics: राजनीतिक टकराव के बीच महाराष्ट्र से आई दुर्लभ तस्वीर, एक फ्रेम दिखे फडणवीस और उद्धव ठाकरे

fadanvis and uddhav
ANI
अंकित सिंह । Mar 23 2023 3:56PM

उद्धव ठाकरे विधान परिषद सदस्य (एमएलसी) हैं और मराठी भाषा विभाग की बैठक में हिस्सा लेने पहुंचे थे। अविभाजित शिवसेना ने 2019 के विधानसभा चुनावों के बाद मुख्यमंत्री पद को लेकर भारतीय जनता पार्टी के साथ अपना गठबंधन तोड़ने के बाद से देवेंद्र फडणवीस और उद्धव ठाकरे के बीच घोर दुश्मनी देखी गई।

महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस और पूर्व सीएम उद्धव ठाकरे को आज विधानसभा जाते समय बातचीत करते देखा गया। इस दौरान दोनों के चेहरे पर मुस्कान भी थी। मौके पर मौजूद आदित्य ठाकरे भी मुस्कुराते हुए नजर आ रहे हैं। राजनीतिक टकराव के बीच सौहार्द की इस दुर्लभ तस्वीर ने सोशल मीडिया का सभी का ध्यान अपनी ओर खींचा है। आपको बता दें कि उद्धव ठाकरे विधान परिषद सदस्य (एमएलसी) हैं और मराठी भाषा विभाग की बैठक में हिस्सा लेने पहुंचे थे। अविभाजित शिवसेना ने 2019 के विधानसभा चुनावों के बाद मुख्यमंत्री पद को लेकर भारतीय जनता पार्टी के साथ अपना गठबंधन तोड़ने के बाद से देवेंद्र फडणवीस और उद्धव ठाकरे के बीच घोर दुश्मनी देखी गई।

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ठाकरे ने तब कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के समर्थन से राज्य में सरकार बनाई थी। पिछले साल जून में एकनाथ शिंदे के विद्रोह के बाद ठाकरे की महा विकास अघाड़ी सरकार को गिराने के बाद दोनों नेताओं के बीच की कड़वाहट और बढ़ गई। शिंदे तब भाजपा के समर्थन से मुख्यमंत्री बने थे। फडणवीस ने पहले कहा था कि उन्होंने एमवीए सरकार को गिराकर ठाकरे से बदला लिया है। इससे पहले, चुनाव आयोग ने एकनाथ शिंदे गुट को पार्टी का नाम "शिवसेना" और चुनाव चिन्ह "धनुष और तीर" आवंटित किया था। अपने फैसले में, चुनाव आयोग ने कहा कि एकनाथ शिंदे का समर्थन करने वाले विधायकों को 2019 के महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में 55 विजयी शिवसेना उम्मीदवारों के पक्ष में लगभग 76 प्रतिशत वोट मिले।

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पिछले साल शिंदे द्वारा उद्धव ठाकरे के खिलाफ बगावत करने के बाद शिवसेना दो गुटों में बंट गई, जिससे एमवीए सरकार गिर गई। इसके बाद शिंदे ने बीजेपी के समर्थन से सरकार बनाई और उन्हें मुख्यमंत्री बनाया गया। शिवसेना के 55 विधायकों में से 40 से अधिक ने शिंदे का समर्थन किया, जिससे ठाकरे को महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा। तब से शिंदे और उद्धव दोनों गुट पार्टी के चुनाव चिन्ह तीर कमान के लिए संघर्ष कर रहे हैं।

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