बिहार में भाजपा-जदयू के रिश्तो में कम नहीं हो रही कड़वाहट, क्या बदलने वाली है सियासी फिजा?

nitish tarkishore
ANI
अंकित सिंह । Aug 6 2022 4:51PM

पिछले दिनों केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह पटना पहुंचे थे जहां उन्होंने इस बात की घोषणा की थी कि बिहार में भाजपा नीतीश कुमार के ही नेतृत्व में 2024 के लोकसभा और 2025 का विधानसभा चुनाव लड़ेगी। साथ ही साथ भाजपा की ओर से यह भी दावा किया गया था कि नीतीश कुमार 2025 तक बिहार के मुख्यमंत्री बने रहेंगे।

बिहार में सत्तारूढ़ एनडीए में शामिल जदयू और भाजपा के बीच रिश्ते सामान्य होने का नाम नहीं ले रहे हैं। दोनों दलों के बीच रिश्तो में कड़वाहट लगातार बढ़ती जा रही है। खबर तो यह भी है कि जदयू को 2020 के चुनाव में जो बिहार में नुकसान उठाना पड़ा था, उसी को लेकर व भाजपा से लगातार नाराज चल रही है। दोनों दलों के बीच समय-समय पर कुछ ऐसे बयान भी आ जाते हैं जिसकी वजह से इस बात की चर्चा तेज हो जाती है कि बिहार में दोनों दलों के बीच सब कुछ ठीक-ठाक नहीं है। हालांकि, पिछले दिनों केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह पटना पहुंचे थे जहां उन्होंने इस बात की घोषणा की थी कि बिहार में भाजपा नीतीश कुमार के ही नेतृत्व में 2024 के लोकसभा और 2025 का विधानसभा चुनाव लड़ेगी। साथ ही साथ भाजपा की ओर से यह भी दावा किया गया था कि नीतीश कुमार 2025 तक बिहार के मुख्यमंत्री बने रहेंगे।

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हालांकि, अमित शाह के इस दौरे को लेकर भी कई कयास सामने आ गए। कार्यसमिति की बैठक को लेकर भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा और गृह मंत्री अमित शाह बिहार पहुंचे लेकिन उनकी मुलाकात नीतीश कुमार से नहीं हुई। यह जानना भी जरूरी है कि नीतीश कुमार भाजपा के सहयोग से ही मुख्यमंत्री हैं। एनडीए गठबंधन में भाजपा फिलहाल सबसे बड़ी पार्टी है। हालांकि जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह ने साफ तौर पर कहा है कि उनकी पार्टी राज्य की सबसे बड़ी पार्टी होने के दर्जे को फिर से पाने के लिए लगातार कार्य कर रही है। इसके साथ ही उन्होंने 2020 के विधानसभा चुनाव को भी पार्टी के खिलाफ एक साजिश बताया। यही कारण रहा कि नीतीश कुमार की पार्टी की सीट 71 से घटकर 43 रह गई थी। पिछले दिनों हमने यह भी देखा था कि कैसे जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष और भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल के बीच ट्विटर पर वार-पलटवार का दौर भी चला।

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यही कारण है कि अब बिहार के राजनीतिक फिजाओं में इस बात की चर्चा जोरों पर है कि क्या एक बार फिर से नीतीश कुमार कोई बड़ा निर्णय इलाज लेने जा रहे हैं। इसे आरसीपी सिंह वाले मामले से भी जोड़कर देखा जा रहा है। इन सबके बीच राजद भी भाजपा-जदयू तनाव पर चुटकी ले रहा है। राजस्व ग्राम रितु जी तिवारी ने कहा कि राजद प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी ने कहा कि राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन में अंदरखाने बड़ी मुसीबत उभर रही है। उसकी नाव उस बाढ़ में डूब जाएगी जो बरसात के मौसम में आती है तिवारी का मानना ​​है कि अपनी समाजवादी पृष्ठभूमि के कारण नीतीश कुमार भाजपा के ‘हिंदुत्व एजेंडे’ के साथखड़े होने में सक्षम नहीं होंगे। यह पूछे जाने पर कि क्या जद(यू) और राजद के बीच फिर से समायोजन की संभावना है, जिन्होंने वर्ष 2015 के विधानसभा चुनावों से पहले हाथ मिला लिया था। हालांकि दो साल बाद दोनों अलग हो गए थे। फिलहाल भाजपा अभी अपने सबसे पुराने सहयोगी के साथ विवाद में पड़ने केमूड में नहीं दिख रही है। 

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