किसान आंदोलन को राजनेताओं ने किया हैक, राकेश टिकैत के जरिए हो रही 2022 की तैयारी

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अंकित सिंह । Jan 30 2021 2:14PM

ट्रैक्टर परेड जिसका मकसद किसानों की मांगों को रेखांकित करना था, वह मंगलवार को राष्ट्रीय राजधानी की सड़कों पर अराजक हो गई। बड़ी संख्या में उग्र प्रदर्शनकारी बैरियर तोड़ते हुए लालकिले पहुंच गए और उसकी प्रचीर पर एक धार्मिक झंडा लगा दिया जहां भारत का तिरंगा फहराया जाता है।

कृषि कानूनों को लेकर किसानों का आंदोलन लगातार जारी है। हालांकि गणतंत्र दिवस के दिन ट्रैक्टर परेड के दौरान हुई हिंसा के बाद ऐसा लग रहा था कि कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का आंदोलन कमजोर पड़ गया है। कई किसान संगठनों ने तो आंदोलन खत्म करने का भी फैसला ले लिया है। परिस्थिति ऐसी भी बनी की लगा कि अब सरकार किसानों को पूरी तरीके से दिल्ली के बाहरी हिस्सों से हटाने के मूड में है। इसके लिए पूरी तरह से बंदोबस्त भी कर लिया गया था। हालांकि राकेश टिकैत घटनाक्रम के बाद एक बार फिर किसान आंदोलन मजबूत होता दिख रहा है। अब सवाल यह है कि क्या वाकई में यह किसान आंदोलन है या फिर उपद्रवियों का एक झुंड है? अब तो सिंघु बॉर्डर हो या फिर गाजीपुर बॉर्डर या फिर टिकरी बॉर्डर, हर जगह इन प्रदर्शनकारियों का विरोध हो रहा है। स्थानीय लोग इनके खिलाफ लगातार नारेबाजी कर रहे हैं और जगह खाली करने को कह रहे हैं। इन सबके बीच सबसे बड़ा सवाल यही है कि क्या प्रदर्शन की आड़ में आप देश और देश की आन बान शान तिरंगे का अपमान राष्ट्रीय दिवस के दिन कर सकते हैं? क्या लाल किले पर जो हुआ उससे हमारी राष्ट्रीय अस्मिता को चोट नहीं पहुंचती है? क्या अब यह आंदोलन सिर्फ सरकार पर दबाव बनाने के लिए किया जा रहा है? क्या यह आंदोलन सिर्फ विपक्ष को अपनी राजनीति चमकाने का जरिया बन गया है या फिर इस आंदोलन के जरिए 2022 के उत्तर प्रदेश चुनाव की तैयारी की जा रही है? इन्हीं तमाम सवालों पर हमने अपने चाय पर समीक्षा कार्यक्रम में चर्चा की। इस चर्चा में प्रभासाक्षी के संपादक नीरज कुमार दुबे ने साफ तौर पर कहा कि कहीं ना कहीं अब इस तथाकथित किसान आंदोलन के जरिए राजनीति की जा रही है। लाल किले पर राष्ट्रीय दिवस के दिन जो कुछ भी हुआ उससे इनके देश के सामने इनकी पोल खुल गई है।

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किसान संगठनों ने पंजाब, हरियाणा में किसानों को दिल्ली की सीमाओं पर जाने के लिए लामबंद करना शुरू किया

किसान संगठनों ने शुक्रवार को पंजाब और हरियाणा के किसानों को दिल्ली की सीमाओं पर चल रहे विरोध प्रदर्शन में शामिल होने के लिए लामबंद करना शुरू कर दिया। वहीं, शिरोमणि अकाली दल और इनेलो जैसे राजनीतिक दलों ने भी किसानों का साथ देने की घोषणा की। किसान नेताओं ने दावा किया कि जींद, हिसार, भिवानी और रोहतक सहित हरियाणा के कई हिस्सों से किसानों ने केन्द्र के तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ चल रहे आंदोलन में शामिल होने के लिए दिल्ली की सीमाओं की ओर बढ़ना शुरू कर दिया है। इन लोगों का कहना है कि किसान नेताओं के खिलाफ सरकार के कदम से उनका आंदोलन कमजोर नहीं होगा। भारतीय किसान यूनियन (चडूनी) के एक नेता ने कहा कि हरियाणा में कई खाप पंचायतों ने बैठकें कीं और किसान आंदोलन को समर्थन देने का फैसला किया है। उन्होंने कहा कि कई गांवों ने प्रदर्शन में अपनी ट्रैक्टर ट्रॉली भेजने का फैसला किया है। शिरोमणि अकाली दल ने आज अपने कार्यकर्ताओं से कहा कि वे दिल्ली की सीमाओं पर तीन प्रदर्शन स्थलों पर आंदोलन को मजबूती देने के लिए बड़ी संख्या में पहुंचें। कांग्रेस नेता दीपेंद्र सिंह हुड्डा गाजीपुर बॉर्डर पर पहुंचे और राकेश टिकैत से मिलकर किसानों के प्रति एकजुटता व्यक्त की। नए कृषि कानूनों के विरोध में विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे चुके इनेलो नेता अभय चौटाला ने कहा कि वह शनिवार को गाजीपुर प्रदर्शन स्थल पर जाएंगे और टिकैत तथा किसानों के साथ एकजुटता व्यक्त करेंगे। वहीं, पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने कहा कि लालकिला परिसर की घटना के चलते किसानों के खिलाफ किया जा रहा दुष्प्रचार बंद किया जाना चाहिए। सिंह ने यहां एक बयान में कहा, ‘‘जो हो रहा है और आज जो सिंघू बॉर्डर पर हुआ, पाकिस्तान वही चाहता है।’’ 

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भारतीय किसान यूनियन (उग्राहां) के एक किसान नेता ने कहा कि अगले कुछ दिन में सिंघू तथा टीकरी बॉर्डरों की तरफ और किसान जाएंगे। उल्लेखनीय है कि गाजियाबाद प्रशासन ने आंदोलनकारी किसानों को मध्य रात्रि तक यूपी गेट खाली करने का बृहस्पतिवार को अल्टीमेटम दिया था जबकि दिल्ली पुलिस ने किसान नेताओं के खिलाफ ‘लुकआउट’ नोटिस जारी किए थे। दिल्ली के सीमावर्ती गाजीपुर में यूपी गेट पर आंदोलन स्थल पर भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत बृहस्पतिवार की शाम मीडिया से बात करते हुए रोने लगे थे। उन्होंने आरोप लगाया था कि नए कृषि कानूनों को निरस्त न कर सरकार द्वारा किसानों के साथ ‘‘अन्याय’’ किया जा रहा है। एक आंदोलनकारी किसान ने शुक्रवार को रोहतक के एक टोल प्लाजा के निकट कहा, ‘‘हम एक किसान नेता के साथ ऐसा बर्ताव सहन नहीं कर सकते। हम सभी एकजुट हैं और हमारा आंदोलन तब तक जारी रहेगा जब तक सरकार कृषि कानूनों को रद्द नहीं करती।’’ जींद के कंडेला में किसानों ने बृहस्पतिवार की रात जींद-चंडीगढ़ सड़क को कुछ घंटे के लिए जाम कर दिया था। वे गाजियाबाद प्रशासन द्वारा यूपी गेट को खाली करने संबंधी किसानों को दिए गए अल्टीमेटम का विरोध कर रहे थे। खाप नेता आजाद सिंह पालवा ने जींद में पत्रकारों से कहा कि यह प्रचार किया जा रहा है कि किसानों का आंदोलन कमजोर हुआ है, जबकि ऐसा नहीं है। उन्होंने कहा, ‘‘हम किसान नेताओं को जारी किए गए लुकआउट नोटिस की निंदा करते हैं। हम सरकार को एक विरोध स्थल खाली करने के लिए अल्टीमेटम देने की भी निंदा करते हैं। हम सरकार को चेतावनी देना चाहते हैं कि इस तरह के कदम से आंदोलन कमजोर नहीं होगा, बल्कि यह और मजबूत होगा।’’ सिंह ने कहा कि आंदोलन से और लोगों को जोड़ने के वास्ते ग्रामीणों तथा लोगों से चंदा एकत्र किया जाएगा। करनाल में स्थानीय किसानों ने बृहस्पतिवार को बस्तारा टोल प्लाजा पर अपना ‘धरना’ फिर शुरू किया था। हालांकि शुक्रवार को टोल प्लाजा के निकट भारी पुलिस बल तैनात करने की खबरें हैं और प्रशासन ने विरोध स्थल को फिर से खाली करा लिया है और प्लाजा पर सामान्य कामकाज शुरू हो गया है। इस बीच, हरियाणा बीकेयू के प्रमुख गुरनाम सिंह चढूनी ने एक वीडियो संदेश में अपने समर्थकों से दिल्ली की सीमाओं के निकट विरोध स्थलों पर पहुंचने की अपील की। उन्होंने किसानों से 30 जनवरी को हरियाणा के सभी टोल प्लाजा पर धरना देने की भी अपील की।

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सपा, कांग्रेस, बसपा ने किसान आंदोलन का समर्थन किया,भाजपा की आलोचना की

दिल्ली से लगे गाजीपुर बॉर्डर पर किसानों के प्रदर्शन में नयी स्फूर्ति आने के बाद विपक्षी कांग्रेस, समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी ने आंदोलन का समर्थन किया तथा विवादास्पद कृषि कानूनों को लेकर केंद्र की भाजपा सरकार की आलोचना की। प्रदर्शन स्थल खाली करने के लिए स्थानीय प्रशासन द्वारा एक अल्टीमेटम दिये जाने बाद गाजीपुर बॉर्डर पर भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू) के प्रदर्शनकारियों की संख्या बृहस्पतिवार रात घट कर करीब 500 रह गई थी। साथ ही, वहां अतिरिक्त सुरक्षा कर्मी भी तैनात कर दिये गये थे। हालांकि, रातोंरात भीड़ कई गुना बढ़ गई और दिन में भी इसका बढ़ना जारी रहा क्योंकि बीकेयू नेताओं के आह्वान पर पश्चिमी उत्तर प्रदेश से काफी संख्या में प्रदर्शनकारी आंदोलन में शामिल होने के लिए पहुंच गये। सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने भी किसान आंदोलन को अपनी पार्टी का समर्थन दिया और किसानों को प्रताड़ित करने तथा उनके खिलाफ झूठे आरोप लगाने को लेकर भाजपा की कड़ी आलोचना की।

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अनिश्चितकालीन अनशन की घोषणा के कुछ घंटों बाद अन्ना हजारे ने अनशन रद्द किया

सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे ने शुक्रवार को कहा कि वह नए कृषि कानूनों के खिलाफ अनिश्चितकालीन अनशन नहीं करेंगे और दावा किया कि केंद्र सरकार उनकी कुछ मांगों पर सहमत हो गई है। केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री कैलाश चौधरी और भाजपा नेता एवं महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने दिन में हजारे से मुलाकात की। चौधरी ने कहा कि हजारे द्वारा मनोनीत कुछ सदस्यों के साथ एक उच्चस्तरीय समिति उनकी मांगों पर विचार करेगी और छह महीने में रिपोर्ट सौंपेगी। एक बयान में हजारे (84) ने घोषणा की थी कि वह शनिवार को महाराष्ट्र के अपने गांव रालेगण सिद्धि में भूख हड़ताल शुरू करेंगे। 

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बीकेयू (लोकशक्ति) ने फिर शुरु किया कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन

गाजीपुर बॉर्डर पर किसान आंदोलन को लेकर हुए घटनाक्रमों को देखते हुए भारतीय किसान यूनियन (लोक शक्ति) ने नोएडा में अपना विरोध वापस लेने की घोषणा करने के एक दिन बाद शुक्रवार को फिर से विरोध-प्रदर्शन शुरू कर दिया। बीकेयू (लोक शक्ति) प्रमुख ठाकुर श्योराज सिंह भाटी ने नोएडा के दलित प्रेरणा स्थल पर डेरा डाले समर्थकों से आह्वान किया कि वे अब गाजीपुर बॉर्डर पर पहुंचें, जहां बीकेयू सदस्य धरना दे रहे हैं। एक वीडियो संदेश में सिंह ने पश्चिमी उत्तर प्रदेश में बीकेयू (लोक शक्ति) समर्थकों से मुजफ्फरनगर में बुलाई गई किसान महापंचायत में पहुंचने की अपील भी की। 

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किसान आंदोलन: गणतंत्र दिवस पर हुई हिंसा की घटनाओं के पीछे ‘‘साजिश’’ की जांच विशेष प्रकोष्ठ करेगा

दिल्ली पुलिस ने गणतंत्र दिवस पर शहर में किसानों की ट्रैक्टर परेड के दौरान हुई हिंसा के संबंध में किसान नेताओं के खिलाफ बृहस्पतिवार को ‘लुक आउट’ नोटिस जारी किया और यूएपीए के तहत एक मामला दर्ज किया। इसके साथ ही अपनी जांच तेज करते हुए पुलिस ने लाल किले पर हुई हिंसा के संबंध में राजद्रोह का मामला भी दर्ज किया है। दिल्ली पुलिस ने कहा कि इन घटनाओं के पीछे ‘‘साजिश’’ और ‘‘आपराधिक मंसूबों’’ की जांच उसका विशेष प्रकोष्ठ करेगा। वहीं दूसरी ओर गाजियाबाद प्रशासन ने प्रदर्शनकारी किसानों को बृहस्पतिवार आधी रात तक यूपी गेट खाली करने का अल्टीमेटम दिया है। दिल्ली की सीमा से लगे यूपी गेट पर टकराव की स्थिति के बीच भारी संख्या में सुरक्षा कर्मी तैनात किए गए हैं।

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पुलिस के नोटिसों से डरेंगे नहीं, सरकार आंदोलन समाप्त करने का प्रयास कर रही: संयुक्त किसान मोर्चा

संयुक्त किसान मोर्चा ने बृहस्पतिवार को कहा कि वह दिल्ली पुलिस द्वारा उसके नेताओं को भेजे गए नोटिसों से डरेंगे नहीं। साथ ही मोर्चा ने आरोप लगाया कि सरकार 26 जनवरी को ट्रैक्टर परेड के दौरान हुई हिंसा के लिए उसे दोषी ठहराकर कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन को खत्म करने का प्रयास कर रही है। संयुक्त किसान मोर्चा के बैनर तले कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली की सीमाओं पर विभिन्न किसान संगठन प्रदर्शन कर रहे हैं। मोर्चा ने एक बयान में आरोप लगाया, हम दिल्ली पुलिस द्वारा भेजे जा रहे नोटिसों से डरेंगे नहीं और इनका जवाब देंगे। भाजपा सरकार (केंद्र की) राज्यों की अपनी सरकारों के साथ मिलकर 26 जनवरी की ट्रैक्टर परेड के दौरान हुई हिंसा का दोष संयुक्त किसान मोर्चा पर मढ़ कर आंदोलन को समाप्त करने का प्रयास कर रही है और यह अस्वीकार्य है। पुलिस विभिन्न धरनास्थलों को खाली कराने के लिए हरसंभव प्रयास कर रही है। बयान में उसने आरोप लगाया, असली दोषियों के खिलाफ कार्रवाई करने के बजाय पुलिस उन किसानों को गिरफ्तार कर रही है जो कि शांतिपूर्वक विरोध-प्रदर्शन कर रहे थे। पुलिस ने इनके वाहनों को भी जब्त किया। हम पलवल से प्रदर्शनकारियों को हटाए जाने की निंदा करते हैं जहां पुलिस ने स्थानीय लोगों को उकसाया और विभाजनकारी भावनाओं को भड़काया।

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गृह मंत्री अमित शाह ने गणतंत्र दिवस पर हुई हिंसा में घायल पुलिसकर्मियों से अस्पताल में मुलाकात की

केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने गणतंत्र दिवस पर किसानों की ट्रैक्टर परेड के दौरान हिंसा में घायल हुए पुलिसकर्मियों का बृहस्पतिवार को अस्पताल पहुंचकर हालचाल जाना। अधिकारियों ने यह जानकारी दी। किसानों की ट्रैक्टर परेड के दौरान हिंसा की घटनाओं में करीब 400 पुलिसकर्मी घायल हो गए थे। केंद्र के तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसान नवंबर से ही दिल्ली की अलग-अलग सीमाओं पर प्रदर्शन कर रहे हैं। शाह ने ट्वीट कर कहा, आज दिल्ली पुलिस के बहादुर पुलिसकर्मियों से अस्पताल में भेंट की व उनके शीघ्र स्वस्थ होने की कामना की। गणतंत्र दिवस के दिन हुई हिंसा में बहादुरी और संयमता की जो मिसाल दिल्ली पुलिस ने पेश की, उस पर पूरे देश को गर्व है। केंद्रीय गृह सचिव अजय भल्ला और दिल्ली के पुलिस आयुक्त एस एन श्रीवास्तव भी गृह मंत्री के साथ थे। 

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ट्रैक्टर परेड हिंसा : योगेन्द्र यादव, टिकैत, पाटकर सहित 37 किसान नेताओं के खिलाफ नामजद प्राथमिकी

दिल्ली पुलिस ने गणतंत्र दिवस के दिन किसानों की ट्रैक्टर परेड में हुई हिंसा के सिलसिले में राकेश टिकैत, योगेन्द्र यादव और मेधा पाटकर सहित 37 किसान नेताओं के खिलाफ नामजद प्राथमिकी दर्ज की है और उनके खिलाफ दंगा, आपराधिक षड्यंत्र, हत्या का प्रयास सहित भादंसं की विभिन्न धाराओं में आरोप लगाया है। दिल्ली के पुलिस प्रमुख एस. एन. श्रीवास्तव द्वारा किसान नेताओं पर भड़काऊ भाषण देने और हिंसा में शामिल होने का आरोप लगाए जाने के बाद किसान नेताओं के खिलाफ यह कार्रवाई हुई है। पुलिस का कहना है कि ट्रैक्टर परेड में हिंसा में किसान नेताओं की भूमिका की जांच की जाएगी। हिंसा और तोड़-फोड़ में दिल्ली पुलिस के 394 कर्मी घायल हुए हैं जबकि एक प्रदर्शनकारी की मौत हुई है। पुलिस ने हिंसा के सिलसिले में अब तक 25 प्राथमिकी दर्ज की हैं। समयपुर बादली थाने में अज्ञात लोगों के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी के अनुसार, प्रदर्शनकारियों ने हिंसा के दौरान पुलिस से पिस्तौल, 10 गोलियां और आंसू गैस के दो गोले लूट लिए। प्राथमिकी में जिन नेताओं को नामजद किया गया है, उनमें मेधा पाटकर, योगेन्द्र यादव, दर्शन पाल, गुरनाम सिंह चढूनी, राकेश टिकैत, कुलवंत सिंह संधू, सतनाम सिंह पन्नू, जोगिंदर सिंह उग्राहा, सुरजीत सिंह फूल, जगजीत सिंह डालेवाल, बलबीर सिंह राजेवाल और हरिंदर सिंह लाखोवाल शामिल हैं। एक अधिकारी ने कहा कि जो भी दोषी होगा, उसे बख्शा नहीं जाएगा। प्राथमिकी में भादंसं की कई धाराओं का उल्लेख है जिनमें 307 (हत्या का प्रयास), 147 (दंगों के लिए सजा), 353 (किसी व्यक्ति द्वारा एक लोक सेवक / सरकारी कर्मचारी को अपने कर्तव्य के निर्वहन से रोकना) और 120बी (आपराधिक साजिश) शामिल हैं। 

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हिंसा में शामिल थे किसान नेता, किसी दोषी को बख्शा नहीं जाएगा : दिल्ली के पुलिस आयुक्त

दिल्ली पुलिस ने बुधवार को आरोप लगाया कि मंगलवार को ट्रैक्टर परेड के दौरान किसान नेताओं ने भड़काऊ भाषण दिए और हिंसा में भी शामिल रहे। उन्होंने भरोसा दिलाया कि किसी भी दोषी को बख्शा नहीं जाएगा। गौरतलब है कि इन घटनाओं में दिल्ली पुलिस के 394 कर्मी घायल हुए। संवाददाता सम्मेलन के दौरान दिल्ली के पुलिस आयुक्त एस. एन. श्रीवास्तव ने कहा कि किसान यूनियनों ने ट्रैक्टर परेड के लिए तय शर्तों का पालन नहीं किया, परेड दोपहर 12 बजे से शाम पांच बजे के बीच होनी थी। उन्होंने कहा कि किसानों द्वारा शर्तों का पालन नहीं किया गया। उन्होंने कहा कि दिल्ली पुलिस ने अत्यंत संयम बरता और कोई जनहानि नहीं हुई है। श्रीवास्तव ने बताया कि अभी तक 25 प्राथमिकियां दर्ज की गई हैं। उन्होंने कहा, ‘‘हम लोगों का पता लगाने वाले वाली प्रणाली, सीसीटीवी कैमरों और अन्य वीडियो फुटेज की सहायता से आरोपियों की पहचान का प्रयास कर रहे हैं। जिनकी पहचान होगी, उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। किसी दोषी को बख्शा नहीं जाएगा।’’ उन्होंने आरोप लगाया कि कुछ पूर्व नेताओं जैसे सतनाम सिंह पन्नू और दर्शन पाल ने भड़काऊ भाषण दिए। जिसके बाद प्रदर्शनकारियों ने अवरोधक तोड़े। उन्होंने कहा कि 25 जनवरी की शाम तय यह स्पष्ट हो गया था कि वे (प्रदर्शनकारी) अपना वादा नहीं निभाएंगे। वे आक्रामक और उग्रवादी तत्वों को सामने लेकर आए जिन्होंने मंच पर चढ़कर भड़काऊ भाषण दिए। श्रीवास्तव ने कहा कि दिल्ली पुलिस के 394 कर्मी घायल हुए हैं जबकि पुलिस के 30 वाहनों को नुकसान पहुंचा है।

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दिल्ली में किसानों की ट्रैक्टर परेड हिंसक हुई, प्रदर्शनकारियों ने लालकिले पर फहराया धार्मिक झंडा 

ट्रैक्टर परेड जिसका मकसद किसानों की मांगों को रेखांकित करना था, वह मंगलवार को राष्ट्रीय राजधानी की सड़कों पर अराजक हो गई। बड़ी संख्या में उग्र प्रदर्शनकारी बैरियर तोड़ते हुए लालकिले पहुंच गए और उसकी प्रचीर पर एक धार्मिक झंडा लगा दिया जहां भारत का तिरंगा फहराया जाता है। हजारों प्रदर्शनकारी कई स्थानों पर पुलिस से भिड़े जिससे दिल्ली और आसपास के क्षेत्रों में अराजकता की स्थिति उत्पन्न हुई। इस दौरान हिंसा हुई जबकि किसानों का दो महीने से जारी प्रदर्शन अब तक शांतिपूर्ण रहा था। गणतंत्र दिवस के दिन राजपथ पर देश की सैन्य क्षमता का प्रदर्शन किया जाता है। हालांकि इस बार ट्रैक्टरों, मोटरसाइकिलों और कुछ घोड़ों पर सवार किसान उस समय से कम से कम दो घंटे पहले बेरिकेड तोड़ते हुए दिल्ली में प्रवेश कर गए जिसकी अनुमति प्राधिकारियों द्वारा दी गई थी। शहर में कई स्थानों पर पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच झड़प हुई जिस दौरान लोहे और कंक्रीट के बैरियर तोड़ दिये गए और ट्रेलर ट्रकों को पलट दिया गया। इस दौरान सड़कों पर अभूतपूर्व दृश्य देखने को मिले। इनमें से सबसे अभूतपूर्व दृश्य लालकिले पर दिखा जहां प्रदर्शनकारी उस ध्वज-स्तंभ पर चढ़ गए और वहां सिख धर्म का झंडा ‘निशान साहिब’ फहरा दिया जहां पर भारत के स्वतंत्रता दिवस समारोह के दौरान तिरंगा फहराया जाता है। वहीं, कृषि कानूनों को निरस्त करने की मांग को लेकर राष्ट्रीय राजधानी की सीमा पर विरोध प्रदर्शनों की अगुवाई करने वाले किसान नेताओं ने उन प्रदर्शनों से खुद को अलग कर लिया जिसने ऐसा अप्रत्याशित मोड़ ले लिया जिससे उनके आंदोलन को अब तक मिली लोगों की सहानुभूति भी छिनने का खतरा उत्पन्न हो गया है। 41 किसान यूनियनों के निकाय संयुक्त किसान मोर्चा ने आरोप लगाया कि कुछ ‘‘असामाजिक तत्व’’ उनके आंदोलन में घुस गए जो अभी तक शांतिपूर्ण था। मोर्चा ने अवांछित और अस्वीकार्य घटनाओं की निंदा की और खेद जताया क्योंकि कुछ किसान समूहों द्वारा मार्च के लिए पहले से तय रास्ता बदलने के बाद परेड हिंसक हो गई। उसने एक बयान में कहा, ‘‘हमने हमेशा कहा है कि शांति हमारी सबसे बड़ी ताकत हैऔर किसी भी उल्लंघन से आंदोलन को नुकसान होगा ...’’ उसने कहा, ‘‘हम ऐसे सभी तत्वों से खुद को अलग करते हैं जिन्होंने हमारे अनुशासन का उल्लंघन किया है। हम सभी से दृढ़ता से अपील करते हैं कि परेड के मार्ग और मानदंडों पर बने रहें और ऐसी किसी भी हिंसक कृत्य या ऐसी किसी चीज में लिप्त नहीं हों जिससे राष्ट्रीय प्रतीक और गरिमा प्रभावित हो। हम सभी से इस तरह के किसी भी कृत्य से बचने की अपील करते हैं।’’ 

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उसने बयान में कहा, हम आज तय की गई कई परेडों के संबंध में सभी घटनाओं की पूरी जानकारी हासिल करने की कोशिश कर रहे हैं और जल्द ही पूरा बयान साझा करेंगे। हमारी सूचना के मुताबिक, कुछ खेदजनक उल्लंघनों के अलावा परेड योजना के अनुसार शांतिपूर्ण निकाली जा रही है। सूर्यास्त के साथ ही हिंसा की कुछ घटनाएं जारी रहीं और उग्र भीड़ कई स्थानों पर सड़कों पर घूम रही थी। किसानों के कुछ समूह टीकरी, सिंघू और गाजीपुर में अपने धरना स्थल की ओर रवाना हुए लेकिन हजारों जमे रहे। कुछ खबरों के अनुसार लालकिले पर हजारों किसान जमा हो गए, लेकिन वे शाम में वापस लौट गए। इस प्रदर्शनकारियों को इसके परिसर से हटा दिया गया जिसमें कई युवा, मुखर और आक्रामक थे। लालकिले की इस प्राचीर पर प्रधानमंत्री प्रत्येक वर्ष स्वतंत्रता दिवस पर तिरंगा फहराते हैं। पुलिस ने कुछ जगहों पर अशांत भीड़ को तितर-बितर करने के लिए आंसू गैस के गोले छोड़े। वहीं आईटीओ पर सैकड़ों किसान द्वारा पुलिसकर्मियों को लाठियां लेकर दौड़ाते और खड़ी बसों को अपने ट्रैक्टरों से टक्कर मारते दिखे। एक ट्रैक्टर के पलट जाने से एक प्रदर्शनकारी की मौत हो गई। आईटीओ एक संघर्षक्षेत्र की तरह दिख रहा था जहां गुस्साये प्रदर्शनकारी एक कार को क्षतिग्रस्त करते दिखे। सड़कों पर ईंट और पत्थर बिखरे पड़े थे। यह इस बात का गवाह था कि जो किसान आंदोलन दो महीने से शांतिपूर्ण चल रहा था अब वह शांतिपूर्ण नहीं रहा। दिन चढ़ने के साथ ही हजारों किसान इधर उधर घूमते दिखे। हजारों और किसान आईटीओ से लगभग चार किलोमीटर दूर स्थित लाल किले पर एकत्रित हो गए। इनमें से कुछ पैदल, कुछ ट्रैक्टर और यहां तक कि कुछ घोड़ों पर सवार होकर वहां पहुंचे थे। भीड़ बढ़ने के साथ ही तनाव भी बढ़ने लगा। आईटीओ पर पुलिस द्वारा पीछे धकेले जाने पर कुछ प्रदर्शनकारी किसान अपने ट्रैक्टरों के साथ लालकिला परिसर की ओर चल दिये। बड़ी भीड़ एकत्रित होने पर सुरक्षाकर्मियों उन्हें देखते रहे। हालांकि अभी किसी के चोटिल होने की तत्काल कोई जानकारी नहीं है लेकिन एंबुलेंसों को लालकिले के परिसर में प्रवेश करते देखा गया। पुलिस ने लालकिले से प्रदर्शनकारी किसानों को हटाने के लिए हल्का लाठीचार्ज किया। शहर में अन्य जगहों पर भी तनाव का पता चला है। पुलिस ने शाहदरा के चिंतामणि चौक पर किसानों पर तब लाठीचार्ज किया जब उन्होंने बैरिकेड तोड़ने के साथ ही कारों की खिड़की के शीशे तोड़ दिए। ‘निहंगों’ का एक समूह अक्षरधाम मंदिर के पास सुरक्षाकर्मियों से भिड़ गया।पश्चिमी दिल्ली के नांगलोई चौक और मुकरबा चौक पर किसानों ने सीमेंट के बेरीकेड तोड़ दिये और पुलिस ने उन्हें खदेड़ने के लिए आंसू गैस का इस्तेमाल किया। दिन की शुरुआत जश्न के माहौल से हुई जिसमें किसान ‘‘रंग दे बसंती’’ और ‘‘जय जवान जय किसान’’ के नारे लगाते हुए अपनी प्रस्तावित परेड के लिए अपने ट्रैक्टरों, मोटरसाइकिलों, घोड़ों और यहां तक की क्रेनों पर राष्ट्रीय राजधानी की सीमा पार कर रहे थे। 

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विभिन्न स्थानों पर सड़कों के दोनों ओर खड़े स्थानीय लोगढोल-नगाड़ों की थाप के बीच किसानों पर फूल बरसाते दिखे। झंडे लगे वाहनों के ऊपर खड़े प्रदर्शनकारी ‘‘ऐसा देश है मेरा’’ और ‘‘सारे जहां से अच्छा’’ जैसे देशभक्ति गीतों की धुन पर नाचते देखे गए। हालांकि इसके तुरंत बाद मूड बदल गया। जब हिंसा भड़की तो दिल्ली पुलिस ने प्रदर्शन कर रहे किसानों से अपील की कि वे कानून को अपने हाथ में न लें और शांति बनाए रखें। पुलिस ने किसानों कोट्रैक्टर परेड के लिए उनके पूर्व-निर्धारित मार्गों पर वापस जाने के लिए कहा। केंद्रीय पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री प्रह्लाद पटेल ने किसानों के उस वर्ग के कृत्यों की निंदा की, जिसने अपनी ट्रैक्टर रैली के तौर पर लालकिले में प्रवेश किया। उन्होंने कहा कि इसने भारत के लोकतंत्र की गरिमा के प्रतीक का उल्लंघन किया है। पटेल ने एक ट्वीट में कहा, ‘‘लालकिला हमारे लोकतंत्र की गरिमा का प्रतीक है। किसानों को इससे दूर रहना चाहिए था। मैं इस गरिमा के उल्लंघन की निंदा करता हूं। यह दुखद और दुर्भाग्यपूर्ण है।’’ कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा कि हिंसा किसी समस्या का समाधान नहीं है। उन्होंने ट्वीट किया, ‘‘हिंसा किसी समस्या का हल नहीं है। चोट किसी को भी लगे, नुक़सान हमारे देश का ही होगा। देशहित के लिए कृषि-विरोधी क़ानून वापस लो!’’ माकपा ने किसानों की ट्रैक्टर रैली के दौरान प्रदर्शनकारी किसानों के साथ किये गए व्यवहार के लिए केंद्र पर निशाना साधा और कहा कि उन पर आंसू गैस के गोले छोड़ना और लाठीचार्ज करना ‘‘अस्वीकार्य’’ है। मध्य और उत्तरी दिल्ली में 10 से अधिक मेट्रो स्टेशनों के प्रवेश और निकास द्वार अस्थायी रूप से बंद कर दिये गए हैं। तीन कृषि कानूनों को निरस्त करने और अपनी फसल के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य की कानूनी गारंटी की मांग को लेकर किसान गत 28 नवम्बर से दिल्ली के सीमा बिंदुओं टीकरी, सिंघू और गाजीपुर पर डेरा डाले हुए हैं। इनमें अधिकतर किसान पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के हैं। लाठी-डंडे, राष्ट्रीय ध्वज एवं किसान यूनियनों के झंडे लिये हजारों किसान मंगलवार को गणतंत्र दिवस के दिन ट्रैक्टरों पर सवार हो बैरियरों को तोड़ व पुलिस से भिड़ते हुए लालकिले की घेराबंदी के लिए विभिन्न सीमा बिंदुओें से राष्ट्रीय राजधानी में दाखिल हुए। लालकिले में किसान ध्वज-स्तंभ पर भी चढ़ गए।

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