Chai Par Sameeksha: Bihar Politics किस दिशा में जा रही है? NDA भारी पड़ता नजर आ रहा है या RJD?

प्रभासाक्षी संपादक नीरज दुबे ने कहा कि हमें यह देखना होगा कि उत्तर प्रदेश और बिहार जैसे राज्य में जब चुनाव आते हैं तो क्राइम बढ़ जाते हैं। ऐसे में सवाल यह जरूर है कि क्राइम बढ़ जाते हैं या बढ़ा दिया जाता है और अगर यह बढ़ाया जाता है तो जिम्मेदार कौन होते हैं।
प्रभासाक्षी के साप्ताहिक कार्यक्रम चाय पर समीक्षा में इस सप्ताह हमने बिहार, पश्चिम बंगाल और संसद सत्र को लेकर चर्चा की हमेशा की तरह इस कार्यक्रम में मौजूद रहे प्रभासाक्षी के संपादक नीरज कुमार दुबे जी। नीरज दुबे से हमने सबसे पहले बिहार को लेकर सवाल पूछे। नीरज दुबे ने कहा कि हां, यह बात सही है कि बिहार की कानून व्यवस्था फिलहाल खराब स्थिति में दिखाई दे रही है। लेकिन इसके साथ उन्होंने यह भी कहा कि बिहार और उत्तर प्रदेश जैसे राज्य जब भी चुनाव की दहलीज पर खड़े होते हैं तब यहां कानून व्यवस्था को लेकर सवाल उठने शुरू हो जाते हैं। उन्होंने कहा कि जब बिहार की राजधानी पटना में सरेआम मर्डर हो जा रहे हैं, ऐसे में दूर दराज के इलाकों का क्या हाल होगा? उन्होंने कहा कि इस तरीके की वारदात हो जाने के बाद जो पुलिस अधिकारियों के बयान आ रहे हैं, उससे साफ तौर पर ऐसा लग रहा है कि सब कुछ भगवान भरोसे ही है।
प्रभासाक्षी संपादक नीरज दुबे ने कहा कि हमें यह देखना होगा कि उत्तर प्रदेश और बिहार जैसे राज्य में जब चुनाव आते हैं तो क्राइम बढ़ जाते हैं। ऐसे में सवाल यह जरूर है कि क्राइम बढ़ जाते हैं या बढ़ा दिया जाता है और अगर यह बढ़ाया जाता है तो जिम्मेदार कौन होते हैं। उन्होंने कहा कि हां, बिहार की कानून व्यवस्था को लेकर अब भाजपा आलाकमान भी चिंतित नजर आ रही है। यही कारण है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बिहार दौरे पर गए और जंगलराज जैसे शब्द का उपयोग नहीं किया। इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि बिहार के मतदाताओं को यह भी देखना होगा कि कौन सी पार्टी और किसकी सरकार हमें ज्यादा सुरक्षा दे पाएगी। इसके ही आधार पर वोट देने की जरूरत है। लेकिन उन्होंने साफ तौर पर कहा कि बिहार और उत्तर प्रदेश की राजनीति ऐसी है जहां अंतिम दावा जाति पर आ जाती हैं और उसके बाद मतदाता सिर्फ अपनी जाति देखकर ही वोट देते हैं।
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इसके साथ ही नीरज दुबे से हमने पश्चिम बंगाल और असम के बीच चल रही जुबानी जंग पर भी हमने सवाल पूछा। हमने पूछा कि आखिर हिमंत बस्वा सरमा और ममता बनर्जी एक दूसरे पर क्यों हमलावर है। इसके जवाब में नीरज दुबे ने कहा कि हां, यह बात सही है कि असम में अवैध-बांग्लादेशों को भगाने का काम चल रहा है। ऐसे में त्रुटि की गुंजाइश रहती है और इसमें बंगाल के रहने वाले लोग भी सामने आ जाते हैं। ऐसे में इसे अस्मिता का मुद्दा नहीं बनाया जाना चाहिए। हालांकि ममता बनर्जी इसे बंगाली अस्मिता का मुद्दा बना रही है। ममता बनर्जी को इस मुद्दे की बदौलत 2021 के चुनाव में शानदार जीत मिल चुकी है। ऐसे में भाजपा पर दबाव बनाने के लिए वह इस मुद्दे को उठा रही है। हालांकि हिमंत बस्वा सरमा साफ तौर पर कह रहे हैं कि वह अवैध मुस्लिम बांग्लादेशियों को बाहर निकल रहे हैं। उनकी लड़ाई उन लोगों से है जो बांग्लादेश से अवैध तरीके से असम में घुस रहे हैं।
संसद सत्र को लेकर नीरज दुबे ने कहा कि इस बार सरकार के लिए बड़ी चुनौती रहने वाली है। मुद्दे तमाम है और देखना होगा कि सरकार किस तरीके से विपक्ष को साधने में कामयाब होती है। नीरज दुबे ने कहा कि चाहे ऑपरेशन सिंदूर हो चाहे मतदाता पुनरीक्षण का काम हो या फिर पहलगाम मुद्दा हो, विपक्ष इन तीनों मुद्दों पर सरकार को जबरदस्त तरीके से घेरने को तैयार है। इसके साथ ही डोनाल्ड ट्रंप जो बार-बार दावा कर रहे हैं वह भी विपक्ष संसद में उठाएगा और ऐसे में सरकार के लिए इस बार चुनौतियां ज्यादा रहने वाली है।
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