प्रेगनेंसी की चिंता किए बिना अब कर सकेंगे सेक्स, संबंध बनाने से पहले करना होगा बस ये एक काम

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बाजार में कई तरह की गर्भ निरोधक गोलियां उपलब्ध हैं जिनका सेवन महिलाओं को इंटरकोर्स के बाद करना होता है। लेकिन एक नई स्टडी के अनुसार, आने वाले दिनों में प्रेगनेंसी ना चाहने वाली महिलाओं के लिए एक ऐसी बर्थ कंट्रोल दवाई उपलब्ध होगी जिसे सेक्स से पहले खाया जाए।

मां बनना हर महिला के जीवन का सबसे सुखद अहसास होता है। लेकिन कई बार अपने कैरियर, आर्थिक स्थिति या किसी अन्य कारण के चलते महिलाएं गर्भवती नहीं होना चाहती हैं। ऐसे में, प्रेगनेंसी न चाहने वाली महिलाएं गर्भ निरोधक गोलियों का सेवन करती हैं। बाजार में कई तरह की गर्भ निरोधक गोलियां उपलब्ध हैं जिनका सेवन महिलाओं को इंटरकोर्स के बाद करना होता है। लेकिन एक नई स्टडी के अनुसार, आने वाले दिनों में प्रेगनेंसी ना चाहने वाली महिलाओं के लिए एक ऐसी बर्थ कंट्रोल दवाई उपलब्ध होगी जिसे सेक्स से पहले खाया जाए।

आपको बता दें कि इमरजेंसी इस्तेमाल के लिए बर्थ कंट्रोल दवाइयों में यूलिप्रिस्टल एसीटेट ट्रस्टेड सोर्स (यूए), लेवोनॉर्जेस्ट्रेल और साइक्लो ऑक्सीगैनीस का इस्तेमाल होता है। जहां पारंपरिक गर्भनिरोधक गोलियों का सेवन रोजाना करना पड़ता है। वहीं इमरजेंसी गर्भनिरोधक गोलियों का सेवन सेक्स के बाद किया जाता है। लेकिन अभी तक ऐसी कोई कॉन्ट्रासेप्टिव फिल्म नहीं है जिसे सेक्स के दौरान किया जाए। 

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हाल ही में बीएमजे सेक्सुअल एंड रिप्रोडक्टिव हेल्थ जनरल में एक स्टडी प्रकाशित हुई है। इसमें  स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी में हुए क्लिनिकल ट्रायल में यूए  और cox-2 मेलोक्सिकेम से बनी गर्भनिरोधक गोलियों को सुरक्षित और कारगर पाया गया। इस एक्सपेरिमेंटल गर्भनिरोधक में शामिल यूलीप्रिस्टल एसीटेट और मेलोक्सीकैम उस समय ओव्यूलेशन को रोकता है जब गर्भधारण की संभावना सबसे ज्यादा होती है।  

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इस स्टडी की ऑथर और स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी में प्रसूति-स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ।एरिका काहिल ने कहा, "ऐसे बहुत से लोग हैं जिनकी कॉन्‍ट्रासेप्टिव जरूरतें पूरी नहीं हो पाती। कई महिलाएं चाहती हैं कि वो जब सेक्सुअली एक्टिव हों, तभी गर्भनिरोध का इस्तेमाल करना पड़े। उन्हें रोज-रोज गर्भनिरोधक गोलियों ना खानी पड़े।"

काहिल ने कहा, "ओव्यूलेशन से ठीक पहले महिलाओं का ल्यूटियल बढ़ा हुआ होता है। इस समय ओव्यूलेशन को रोकना सबसे कठिन होता है और गर्भवती  होना सबसे आसान होता है। ल्यूटियल फेज ओव्यूलेशन के बाद और पीरियड्स शुरू होने से पहले का समय होता है। इस दौरान, गर्भाशय की लाइनिंग मोटी हो जाती हैं।"

यह बर्थ कंट्रोल पिल्स कारगर हैं या नहीं यह जानने के लिए एक स्टडी की गई। इसमें 18 से 35 वर्ष की 9 महीनों के 2 महीने के पीरियड्स पर ध्यान दिया गया। जो महिलाओं का ल्यूटियल बढ़ा हुआ था तब उन्हें 30 ग्राम यूलिप्रिस्टल एसिटेट और 30 ग्राम मेलोक्सीकैम का एक डोज़ दिया गया। शोधकर्ताओं ने इन सभी महिलाओं के हार्मोन्स को मापा और बढ़े हुए ल्यूटियल स्तर की पहचान करने के लिए अल्ट्रासाउंड स्कैन का रिव्यू किया। इस स्टडी में यह जानने की कोशिश की गई कि दोनों दवाइयां एक साथ लेने से महिलाओं में ओवुलेशन को रोका जा सकता है या नहीं। स्टडी में शोधकर्ताओं ने पाया कि दोनों दवाइयों को एक साथ लेने से 6 महिलाओं का ओवूलेशन रुक गया।

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काहिल ने आगे कहा कि, "ऑन-डिमांड कॉन्‍ट्रासेप्शन की सख्त जरूरत है। लोग पहले से ही पेरिकोइटल कॉन्‍ट्रासेप्शन जैसी इमरजेंसी कॉन्‍ट्रासेप्टिव पिल्स का उपयोग कर रहे हैं। वहीं, बहुत से लोग ऐसे उपायो में भी रुचि ले रहे हैं जिसमें उन्हें इंजेक्शन और इंप्लांट प्लेसमेंट के लिए क्लिनिक के चक्कर ना काटने पड़े। शोधकर्ताओं का कहना है कि ऑन-डिमांड कॉन्‍ट्रासेप्टिव पिल्स प्रेगनेंसी को रोकने में फायदेमंद साबित हो सकती है लेकिन इसके लिए और भी शोध किए जाने जरूरी है।"

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