सोनोवाल ने समुद्री संसाधनों के दोहन, सतत नीली अर्थव्यस्था पर जोर दिया

Sonowal
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उल्लेखनीय है कि नीली अर्थव्यस्था का तात्पर्य सागरीय पारिस्थितिकी का संरक्षण करते हुए आर्थिक वृद्धि करना, आजीविका में सुधार लाना और रोजगार सृजन करने के लिए सागरीय संसाधनों का सतत उपयोग करना है।

गुवाहाटी| केंद्रीय मंत्री सर्वानंद सोनोवाल ने सतत विकास के लिए दक्षिण पूर्व एशियाई क्षेत्र में समुद्री संसाधनों के दोहन और पारिस्थितिकी के प्रति जिम्मेदार आर्थिक वृद्धि पर शनिवार को जोर दिया। उन्होंने कहा कि भारत सागर आधारित नीली अर्थव्यवस्था के विकास के जरिये क्षेत्र का कहीं अधिक सहकारी एवं समेकित भविष्य चाहता है।

उल्लेखनीय है कि नीली अर्थव्यस्था का तात्पर्य सागरीय पारिस्थितिकी का संरक्षण करते हुए आर्थिक वृद्धि करना, आजीविका में सुधार लाना और रोजगार सृजन करने के लिए सागरीय संसाधनों का सतत उपयोग करना है।

बंदरगाह, जहाजरानी एवं जलमार्ग मंत्री सोनोवाल ने कहा , ‘‘नीली अर्थव्यवस्था की एक अलग विशेषता आर्थिक एवं सामाजिक विकास पर्यावरणीय धारणीयता के लिए समुद्री संसाधनों का दोहना करना है और इस क्रम में इन प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण की अनदेखी नहीं करना है।’’

उन्होंने केंद्र की ‘एक्ट ईस्ट पॉलिसी’ पर कहा कि सरकार इसके प्रति पूरी तरह से प्रतिबद्ध है। उन्होंने यहां एक कार्यक्रम में यह भी कहा कि भारती कार्गो के परिवहन के लिए भारत-बांग्लदेश प्रोटोकॉल रूट में भी प्रगति हुई है।

उन्होंने कहा, ‘‘समुद्री परिवहन ने आर्थिक एकीकरण को मजबूत करने में मदद की है।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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