1 लाख लोग-तेजस्वी-अखिलेश और उमर साथ…शहीद दिवस को इतना बड़ा क्यों मना रही ममता बनर्जी? क्या है 32 साल पुरानी वो कहानी

Mamata
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अभिनय आकाश । Jul 21 2025 12:33PM

1993 में युवा कांग्रेस के 13 कार्यकर्ताओं की शहादत की याद में आयोजित की जाती है, जब पुलिस ने मतदान के लिए मतदाता पहचान पत्र को एकमात्र आवश्यक दस्तावेज़ बनाने की मांग कर रहे प्रदर्शनकारियों पर लाठीचार्ज और गोलीबारी की थी। कहा जा रहा है कि समाजवादी पार्टी से पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव, राष्ट्रीय जनता दल से तेजस्वी यादव और जम्मू-कश्मीर नेशनल कॉन्फ्रेंस से उमर अब्दुल्ला भी महारैली में शामिल हो सकते हैं।

बिहार में इसी साल के आखिर में विधानसभा चुनाव होने हैं और राजनीतिक दलों की तरफ से तैयारियां व बयानबाजी अपने चरम पर है। लेकिन बिहार की ही तरह पश्चिम बंगाल में भी राजनीतिक हलचल तेज हो चली है। वैसे तो पश्चिम बंगाल में अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं। लेकिन राज्य की सत्ता पर काबिज ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस ने अभी से चुनावी बिगूल फंक दिया है। टीएमसी लगातार चौथी बार जीत का स्वाद चखने की कवायद में है। अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले ममता बनर्जी की पार्टी अपने पक्ष में माहौल बनाने में जुट गई है। 21 जुलाई का दिन टीएमसी के लिए बेहद खास है। इस अहम दिन के साथ ही पार्टी अपनी चुनावी बिगूल बजाने की तैयारी है। वार्षिक शहीद दिवस रैली 1993 में युवा कांग्रेस के 13 कार्यकर्ताओं की शहादत की याद में आयोजित की जाती है, जब पुलिस ने मतदान के लिए मतदाता पहचान पत्र को एकमात्र आवश्यक दस्तावेज़ बनाने की मांग कर रहे प्रदर्शनकारियों पर लाठीचार्ज और गोलीबारी की थी। कहा जा रहा है कि समाजवादी पार्टी से पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव, राष्ट्रीय जनता दल से तेजस्वी यादव और जम्मू-कश्मीर नेशनल कॉन्फ्रेंस से उमर अब्दुल्ला भी महारैली में शामिल हो सकते हैं।

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21 जुलाई, 1993 को क्या हुआ था

21 जुलाई, 1993 को ममता बनर्जी के नेतृत्व में राज्य युवा कांग्रेस (वाईसी) ने "राइटर्स अभिजान (राइटर्स बिल्डिंग तक मार्च)" का आयोजन किया, जो एक औपनिवेशिक इमारत थी और राज्य सचिवालय का मुख्यालय थी। कांग्रेस ने यह मांग वामपंथियों द्वारा कथित चुनावी धांधली को रोकने के लिए उठाई थी। योजना बनाई गई थी कि समर्थक अलग-अलग दिशाओं से राइटर्स बिल्डिंग की ओर बढ़ेंगे और राज्य सचिवालय का घेराव करेंगे। इस बीच, ममता ने ब्रिगेड परेड ग्राउंड में एक सफल युवा कांग्रेस रैली आयोजित करके अपनी भीड़ जुटाने की क्षमता का प्रदर्शन किया था। लेकिन तत्कालीन मुख्यमंत्री ज्योति बसु ने पहले ही घोषणा कर दी थी कि वह राज्य सचिवालय पर वाईसी ब्रिगेड का कब्ज़ा नहीं होने देंगे। लेकिन वाईसी की योजना के अनुसार, रैलियाँ अलग-अलग दिशाओं से राइटर्स की ओर बढ़ रही थीं - ब्रेबोर्न रोड से, बीबी गांगुली स्ट्रीट से, मिशन रो से। एक जुलूस मेयो रोड की ओर से आ रहा था, जहाँ धारा 144 के तहत लोगों के इकट्ठा होने पर पाबंदी है। पुलिस ने उसे मेयो रोड और रेड रोड के चौराहे पर रोक दिया। इसके बाद हाथापाई शुरू हो गई। कुछ लोगों ने पत्थर फेंकना शुरू कर दिया। पुलिस ने लाठीचार्ज किया। भीड़ कर्जन पार्क की ओर भागने लगी और लड़ाई फैल गई। संख्याबल में कम पड़ जाने के डर से पुलिसकर्मियों ने गोलियाँ चला दीं। तेरह लोग गोली लगने से मारे गए।

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वार्षिक शहीद दिवस क्यों मनाया जाता है?

वार्षिक शहीद दिवस रैली 1993 में युवा कांग्रेस के 13 कार्यकर्ताओं की शहादत की याद में आयोजित की जाती है, जब पुलिस ने मतदान के लिए मतदाता पहचान पत्र को एकमात्र आवश्यक दस्तावेज़ बनाने की मांग कर रहे प्रदर्शनकारियों पर लाठीचार्ज और गोलीबारी की थी। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, जो उस समय युवा कांग्रेस की नेता थीं, इस विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व कर रही थीं। 1998 में पार्टी के गठन के बाद से, शहीद दिवस तृणमूल कांग्रेस का एक प्रमुख वार्षिक कार्यक्रम बन गया क्योंकि इसने पार्टी को माकपा विरोधी राजनीति की विरासत पर दावा करने और यह आख्यान गढ़ने का अवसर दिया कि वह पश्चिम बंगाल में वामपंथियों के विरुद्ध खड़ी सबसे दृढ़ राजनीतिक ताकत है।

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