साक्षात्कार- चापलूसी से नहीं, काबिलियत पर मिलते हैं पद्म पुरस्कारः कर्ण सिंह

Karan Singh

निश्चित रूप से गरिमा को ठेस पहुंचाते हैं, ऐसा नहीं किया जाना चाहिए। मुझे लगता है ऐसे सम्मानित पुरस्कारों को लेकर दलगत राजनीति देश में नहीं होनी चाहिए, इससे पुरस्कारों की गरिमा कम होती है। ऐसा करने का हक किसी को नहीं है।

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद को केंद्र सरकार द्वारा दिए पद्म भूषण से उनकी ही पार्टी में विरोध हो रहा है। कई नेता उन्हें भाजपा एवं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तरफ झुकाव होने का आरोप लगा रहे हैं। लेकिन अब कर्ण सिंह जैसे कद्दावर नेता का उन्हें समर्थन मिला है। आखिर क्या है विवाद की मुख्य वजह, आदि को लेकर डॉ. रमेश ठाकुर ने पूर्व केंद्रीय मंत्री व वरिष्ठ कांग्रेस नेता कर्ण सिंह से बातचीत की, पेश हैं बातचीत के मुख्य हिस्से।

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प्रश्नः इस विवाद को आप कितना वाजिब समझते हैं?

विलाबजह का बखेड़ा है और कुछ नहीं? मैं गुलाम नबी आजाद को आज से नहीं बल्कि लंबे समय से जानता हूं। वह ईमानदार नेता हैं, जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री रहे हैं, राज्य व देश के लिए ईमानदार राजनीति की है, अच्छे प्रशासक साबित हुए हैं। वे बीते सात वर्षों से राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष रहते हुए सकारात्मक और रचनात्मक राजनीति की है। उनकी भूमिका पर किसी को शक नहीं होना चाहिए। मैं तो ये भी कहना कि ऐसे व्यक्ति को पद्म भूषण बहुत पहले मिल जाना चाहिए था।

प्रश्नः ऐसे विवाद बड़े सम्मानों की गरिमा को कम भी करते हैं?

निश्चित रूप से गरिमा को ठेस पहुंचाते हैं, ऐसा नहीं किया जाना चाहिए। मुझे लगता है ऐसे सम्मानित पुरस्कारों को लेकर दलगत राजनीति देश में नहीं होनी चाहिए, इससे पुरस्कारों की गरिमा कम होती है। ऐसा करने का हक किसी को नहीं है। पद्म भूषण पुरस्कार हिंदुस्तान को सर्वोच्च नागरिक सम्मान है, जिसे दिया जाता है वह इंसान एक मुकाम हासिल कर चुका होता है। विवादों में घेर कर ऐसे सम्मान को कमतर नहीं करना चाहिए। 

प्रश्नः फिर विरोध क्यों हो रहा है कांग्रेस पार्टी में?

देखिए, अभी मेरी जानकारी में नहीं है कि विरोध हमारे नेताओं ने किया है। अगर किया भी होगा, तो उनका निजी नजरिया होगा, पार्टी का नहीं? नेताओं का व्यक्तिगत बयान हो सकता है, पार्टी का नहीं। अगर ऐसा है, तो अनुशासन समिति उनसे बात करेगी, उनकी आपत्ति को सुनेगी। हमारी पार्टी एक अनुशासित पार्टी है। किसी मुद्दे पर विरोध होगा तो वह सामूहिक होगा, एकल नहीं?

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प्रश्नः चुनावी मौसम में पार्टी से कई बड़े नेता किनारा करते जा रहे हैं?

कांग्रेस ने ऐसे झटके आज ही नहीं खाए, पहले भी कई बार टूटी है। मैं क्या कहूं ऐसे नेताओं के संबंध में। यहां सीखते हैं, सम्मान पाते हैं, पद-प्रतिष्ठा से नवाजे जाते हैं, लेकिन पार्टी का समय जैसे की उन्नीस-बीस आया, तो दूसरा रास्ता खोजने में लग जाते हैं। खाटी के कांग्रेसी कभी ऐसा नहीं करेगा। हाल में जितने भी नेता पार्टी छोड़कर गए हैं, वह एक दिन अपनी भूल पर पछताएंगे। तब वो ना उधर के रहेंगे और न इधर के।

  

प्रश्नः पांच राज्यों में पार्टी कैसा प्रदर्शन करेगी?

देखिए, प्रत्येक पार्टी में उतार-चढ़ाव का समय आता है। हम अपने संगठनात्म ढांचे को मजबूत करने में लगे हैं। झूठ, फरेब, जुमले, लोकलुभावन वादों से जनता कुछ सालों में आजीज आ चुकी है। जनता फिर से उम्मीद भरी निगाहों से कांग्रेस को देखने लगी है। आने वाला वक्त कांग्रेस का ही होगा। भाजपा ने पूरे देश में हिंदू-मुस्लिम किया हुआ है। मंदिर का मुद्दा तो उनके हाथों से निकल गया, कोर्ट से सुलझ गया। अब उनके हाथ में कुछ नहीं बचा। इसलिए हमारे नेताओं को तोड़ रहे हैं। चुनावी राज्यों में पार्टी अच्छा करेगी। हम जनहित की राजनीति करते हैं, सत्ता भोगी नहीं?

प्रश्नः प्रियंका गांधी में पार्टी का भविष्य आप देखते हैं?

बिल्कुल देखते हैं। हमारी नेता है, उर्जावान तरीके से संगठन को मजबूत कर रही हैं। यूपी चुनाव में वह एक उम्मीद बनकर उभरी हैं। उनका नारा ‘लड़की हूं, लड़ सकती हूं’ को लोग पसंद कर रहे हैं। राजनीति में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने का काम कर रही हैं। एक नए किस्म की राजनीति की बयार बहा दी है। महिलाएं उनके साथ जुड़ रही हैं। हिंदुस्तान की राजनीति में नई जान फूंकी है।

प्रश्न: मौजूदा विधानसभा चुनाव में आप क्या उम्मीद करते हैं?

उत्तराखंड, पंजाब, मणिपुर और गोवा में कांग्रेस की सरकार बनेगी। भाजपा से जनता उब चुकी है। जहां-जहां उनकी सरकारें हैं, जनता उनसे मुक्ति चाहती हैं। मुल्क को पचास साल पीछे धकेल दिया है। बेरोजगारी का आलम देखिए, महंगाई सर्वाधिक ऊंचाई पर है। ईंधनों के दाम आसमान छू रहे हैं। इस पर केंद्र सरकार कोई बात नहीं करती। फिजूल के मसलों पर जनता को उलझाए रखते हैं। इसके अलावा उत्तर प्रदेश में उम्मीद से ज्यादा वोट प्रतिशत में इजाफा होगा, सीटों की संख्या बढ़ेगी।

- डॉ. रमेश ठाकुर

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