Unlock 5 के 56वें दिन स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा, जांच बढ़ाने से संक्रमण दर में लगातार आ रही गिरावट

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कोरोना वायरस के नमूनों की जांच के लिए प्रयोगशाला भी बढ़ायी गयी। वर्तमान में 2138 प्रयोगशाला में जांच की जा रही है। इसमें 1167 सरकारी और 971 निजी प्रयोगशालाएं हैं। मंत्रालय ने कहा कि प्रति दस लाख आबादी पर जांच की संख्या विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) द्वारा तय मानक से पांच गुणा ज्यादा हैं।

नयी दिल्ली। देश में कोविड-19 के लिए अब तक करीब 13.5 करोड़ नमूनों की जांच हो चुकी है और केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने बुधवार को कहा कि लगातार व्यापक जांच के कारण संक्रमण दर में गिरावट आयी है। मंत्रालय ने रेखांकित किया कि राष्ट्रीय स्तर पर संक्रमण दर में गिरावट आने से पता चलता है कि संक्रमण के प्रसार पर प्रभावी तरीके से रोक लगाने में मदद मिली है। कुल संक्रमण दर में लगातार गिरावट आ रही है और यह 6.84 प्रतिशत पर पहुंच गयी है जबकि दैनिक संक्रमण दर 3.83 प्रतिशत है। मंत्रालय ने कहा कि जनवरी के बाद से कोविड-19 नमूनों की जांच के लिए आधारभूत ढांचे को लगातार मजबूत किया गया और इस वजह से जांच की संख्या भी बढ़ती गयी। पिछले 24 घंटे में 11,59,032 नमूनों की जांच के साथ अब तक करीब 13.5 करोड़ (13.48,41,307) जांच हो चुकी हैं। कोरोना वायरस के नमूनों की जांच के लिए प्रयोगशाला भी बढ़ायी गयी। वर्तमान में 2138 प्रयोगशाला में जांच की जा रही है। इसमें 1167 सरकारी और 971 निजी प्रयोगशालाएं हैं। मंत्रालय ने कहा कि प्रति दस लाख आबादी पर जांच की संख्या विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) द्वारा तय मानक से पांच गुणा ज्यादा हैं। देश में वर्तमान में 4,44,746 संक्रमित मरीज हैं जो कि कुल मामलों का 4.82 प्रतिशत है। उपचाराधीन मरीजों की संख्या कुल मामलों के हिसाब से लगातार पांच प्रतिशत से कम बनी हुई है। मंत्रालय ने कहा पिछले 24 घंटे के दौरान 37,816 मरीजों के ठीक हो जाने से अब तक कुल 86,42,771 लोग संक्रमण को मात दे चुके हैं। कोविड-19 के 44,376 नए मामलों में 76.51 प्रतिशत मामले 10 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेश से आए। दिल्ली में सबसे ज्यादा 6224 मामले आए। इसके बाद महाराष्ट्र में 5439 और केरल में 5420 मामले आए। पिछले 24 घंटे में 481 और मरीजों की मौत हो गयी। इनमें से 74.22 मामले 10 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेश के थे। दिल्ली में 109 और मरीजों की मौत हो गयी जबकि पश्चिम बंगाल में 49 और उत्तरप्रदेश में 33 मरीजों की मौत हो गयी।

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मध्यप्रदेश में कोरोना वायरस से संक्रमण के 1773 नए मामले सामने आए , 14 और लोगों की मौत

मध्यप्रदेश में बुधवार को कोरोना वायरस से संक्रमण के 1,773 नए मामले सामने आए और इसके साथ ही प्रदेश में इस वायरस से अब तक संक्रमित पाये गये लोगों की कुल संख्या बढ़कर 1,98,284तक पहुंच गयी। राज्य में पिछले 24 घंटों में इस बीमारी से 14 और व्यक्तियों की मौत की पुष्टि हुई है जिससे मरने वालों की संख्या 3,197 हो गयी है। मध्यप्रदेश के एक स्वास्थ्य अधिकारी ने बताया, ‘‘पिछले 24 घंटों के दौरान प्रदेश में कोरोना वायरस के संक्रमण से इंदौर में पांच, भोपाल एवं रायसेन में दो-दो और ग्वालियर, जबलपुर, सागर, उज्जैन एवं देवासमें एक-एक मरीज की मौत की पुष्टि हुई है।’’ उन्होंने बताया, ‘‘राज्य में अब तक कोरोना वायरस से सबसे अधिक 743 मौत इंदौर में हुई हैं, जबकि भोपाल में 510, उज्जैन में 100, सागर में 136, जबलपुर में 220 एवं ग्वालियर में 178 लोगों की मौत हुई हैं। बाकी मौतें अन्य जिलों में हुई हैं।’’

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महाराष्ट्र में संक्रमण के 6,159 नए मामले आए सामने, 65 लोगों की मौत

महाराष्ट्र में बुधवार को कोरोना वायरस संक्रमण के 6,159 नए मामले सामने आने के बाद राज्य में संक्रमित लोगों की कुल संख्या बढ़कर 17,95,959 हो गई। राज्य स्वास्थ्य विभाग ने बताया कि संक्रमण से 65 और लोगों की मौत हो जाने के बाद इस घातक बीमारी के कारण राज्य में अब तक मारे जा चुके लोगों की कुल संख्या बढ़कर 46,748 हो गई। उसने बताया कि बुधवार को 4,844 मरीजों को अस्पतालों से छुट्टी दी गई और राज्य में संक्रमणमुक्त हुए लोगों की कुल संख्या बढ़कर16,63,723 हो गई। राज्य में इस समय संक्रमण के 84,464 उपचाराधीन मामले हैं मुंबई में संक्रमण के 1,144 नए मामले सामने आने के बाद यहां अब तक संक्रमित हुए लोगों की संख्या बढ़कर 2,78,598 हो गई है। शहर में 17 और लोगों की मौत होने के बाद कुल मृतक संख्या 10,725 हो गई। राज्य में अब तक 1,04,56,962 नमूनों की जांच की जा चुकी है।

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अस्पताल में देर से भर्ती, आईसीयू बिस्तरों की कमी, बढ़ता प्रदूषण कोविड-19 मरीजों की मौत में वृद्धि के मुख्य कारण

विशेषज्ञों का कहना है कि कोविड-19 मरीजों को अस्पताल में देर से भर्ती करने के कारण उनकी हालत गंभीर होने, आईसीयू बिस्तरों की कमी, प्रतिकूल मौसम और बढ़ता प्रदूषण दिल्ली में कोरोना वायरस संबंधी मौत के मामलों में वृद्धि के मुख्य कारण हैं। राष्ट्रीय राजधानी में कोविड-19 मरीजों की मृत्यु दर बढ़कर 1.89 प्रतिशत हो गई, जबकि राष्ट्रीय औसत 1.46 प्रतिशत है। महानगर में पिछले कुछ दिनों से कोरोना वायरस संक्रमण के अत्यधिक मामले सामने आ रहे हैं और बड़ी संख्या में मरीजों की इस बीमारी से जान जा रही है। स्वास्थ्य मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा कि महामारी के पिछले चरण की तुलना में इस चरण में रोग की गंभीरता अधिक है, जिसके लिए प्रतिकूल मौसम और प्रदूषण सहित कई कारक जिम्मेदार हैं। भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) में महामारी विज्ञान और संक्रामक रोग (ईसीडी) विभाग के प्रमुख डॉ. समीरन पांडा ने कहा कि घर में मरीजों के पृथक-वास में होने के दौरान दिशा-निर्देशों का पालन नहीं होना, बीमारी के अधिक लक्षण सामने आने और तबीयत बिगड़ने के बावजूद अस्पताल में देर से जाना मौत के बढ़ते मामले के प्रमुख कारणों में शामिल हैं। उन्होंने कहा, ‘‘जिन लोगों को कोविड-19 जांच में संक्रमित पाया जाता है और उन्हें घर पर पृथक-वास में रहने की सलाह दी जाती है, उन्हें अपने शरीर में ऑक्सीजन स्तर की लगातार निगरानी करते रहनी चाहिए तथा यदि और अधिक लक्षण सामने आते हैं और तबियत बिगड़ती है तो तुरंत चिकित्सा सहायता लेनी चाहिए और डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। जल्दी मदद मिलने से समय पर उपचार सुनिश्चित होगा।’’ राम मनोहर लोहिया अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक राणा ए के सिंह ने कहा कि मौसम में बदलाव और बढ़ता प्रदूषण समस्याओं को बढ़ा रहा है। डॉ. राणा ने जोर देकर कहा, ‘‘लोग इस मौसम में फ्लू, सर्दी और खांसी से अधिक पीड़ित होते हैं। श्वसन संबंधी बीमारियों से पीड़ित लोगों की समस्या बढ़ जाती है। ऐसे लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। इसलिए, अगर समय पर मदद नहीं ली जाती है, तो इससे प्रतिकूल परिणाम होते हैं।’’ राष्ट्रीय राजधानी में आईसीयू बिस्तरों पर बढ़ते बोझ को देखते हुए, आरएमएल अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक ने कहा कि केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने केंद्र सरकार द्वारा संचालित तीन अस्पतालों - सफदरजंग अस्पताल, आरएमएल अस्पताल और लेडी हार्डिंग अस्पताल को आईसीयू बिस्तरों की संख्या बढ़ाने को कहा है। उन्होंने कहा, ‘‘और हम ऐसा करने की कोशिश कर रहे हैं।’’ सर गंगा राम अस्पताल के बोर्ड अध्यक्ष डॉ. डी एस राणा ने कहा कि ऑक्सीजन का स्तर 90 प्रतिशत से नीचे आने और अपनी हालत गंभीर होने पर मरीज अस्पतालों में पहुंच रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘‘कई अस्पतालों में आईसीयू भरे हुए हैं जिसके चलते एक रोगी जिसकी स्थिति पहले से ही खराब है, उसे लंबे समय तक वार्ड में इंतजार करना पड़ता है जिससे उसकी स्वास्थ्य संबंधी जटिलताएं और बढ़ जाती हैं।

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निषिद्ध क्षेत्रों के बाहर लॉकडाउन के लिए केंद्र की अनुमति जरूरी: गृह मंत्रालय का दिशा-निर्देश

कुछ क्षेत्रों में कोरोना वायरस के मामलों में वृद्धि के बीच केंद्रीय गृह मंत्रालय ने बुधवार को कहा कि राज्य और केंद्रशासित प्रदेश संक्रमण के प्रसार को रोकने के लिए रात्रिकालीन कर्फ्यू जैसी स्थानीय पाबंदियां लगा सकते हैं। हालांकि, निषिद्ध क्षेत्रों के बाहर किसी भी तरह का लॉकडाउन लगाने के पहले केंद्र से विचार-विमर्श करना होगा। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने दिसंबर के लिए ‘निगरानी, रोकथाम और सावधानी’ दिशा-निर्देश जारी करते हुए कहा कि निर्देश का मुख्य लक्ष्य देश में कोविड-19 के खिलाफ मुकाबले में जो कामयाबी मिली है, उसे बनाए रखना है। रोकथाम रणनीति की बदौलत ही देश में उपचाराधीन मरीजों की संख्या में लगातार गिरावट आ रही है। दिशा-निर्देश में कहा गया है कि कुछ राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में हाल ही में मामलों में बढ़ोतरी, त्योहार के मौसम और ठंड की शुरुआत को ध्यान में रखते हुए यह जोर दिया जाता है कि महामारी की रोकथाम के लिए सावधानी रखना बहुत जरूरी है और इसको लेकर निर्धारित रणनीति का कड़ाई से पालन करना होगा। मंत्रालय ने कहा कि रोकथाम की रणनीति में निगरानी, अन्य उपायों पर ध्यान होना चाहिए और गृह मंत्रालय तथा स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा जारी दिशा-निर्देशों एवं मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) का कड़ाई से पालन करना चाहिए। मंत्रालय ने कहा, ‘‘राज्य और केंद्रशासित प्रदेश स्थिति के अपने आकलन के आधार पर कोविड-19 के प्रसार को रोकने के लिए रात्रिकालीन कर्फ्यू जैसी स्थानीय पाबंदी लागू कर सकते हैं।’’ दिशा-निर्देश में कहा गया, ‘‘हालांकि, राज्य और केंद्रशासित प्रदेशों की सरकारें केंद्र सरकार के साथ विचार-विमर्श किए बिना निषिद्ध क्षेत्रों के बाहर किसी भी प्रकार का स्थानीय लॉकडाउन (राज्य, जिला, उपसंभाग, शहर के स्तर पर) नहीं लागू करेंगी।’’ दिशा-निर्देश एक दिसंबर से 31 दिसंबर तक प्रभावी रहेगा। मंत्रालय ने कहा कि स्थानीय जिला, पुलिस और निगम प्राधिकार पर यह सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी होगी कि रोकथाम उपायों का कड़ाई से पालन कराया जाए। राज्य सरकारें इस संबंध में संबंधित अधिकारियों की जवाबदेही सुनिश्चित करेंगी। दिशा-निर्देश के मुताबिक निषिद्ध क्षेत्रों के बाहर कुछ गतिविधि को सशर्त अनुमति के अलावा सभी गतिविधियों की अनुमति दी गयी है। सिनेमा हॉल और थियेटरों को बैठने की 50 प्रतिशत क्षमता के साथ संचालन की अनुमति दी गयी है। सामाजिक, खेल, मनोरंजन, शैक्षणिक, सांस्कृतिक और धार्मिक जमावड़े की स्थिति में एक हॉल में अधिकतम 50 प्रतिशत क्षमता के साथ 200 लोगों तक की अनुमति होगी। खुले स्थान में मैदान के हिसाब से लोगों को अनुमति दी जाएगी। 

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दिल्ली में कोविड-19 से होने वाली मौतों की आंकड़ा कम करके बता रही है सरकार: नगर निगम

दिल्ली की भाजपा शासित तीनों नगर निगमों ने बुधवार को आरोप लगाया कि शहर की आम आदमी पार्टी की सरकार कोरोना वायरस संक्रमण से होने वाली मौतों की संख्या को कम करके बता रही है। हालांकि सरकार ने इस दावे को खारिज करते हुए नगर निगमों पर मुद्दे का राजनीतिकरण करने का आरोप लगाया। दिल्ली सरकार द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, शहर में 23 नवंबर तक कोविड-19 से 8,512 लोगों की मौत हुई है। वहीं नगर निगमों का दावा है कि उन्होंने अभी तक 10,318 लोगों का अंतिम संस्कार किया है। पूर्वी दिल्ली नगर निगम के मेयर निर्मल जैन ने कहा कि दिल्ली सरकार को स्पष्टीकरण देना चाहिए कि उसके द्वारा जारी आंकड़े नगर निगमों के आंकड़ों से कम कैसे हैं? जैन ने कहा, ‘‘कोविड-19 से मरने वालों या उससे हुई संदिग्ध मौतों के मामले में प्रत्येक अंतिम संस्कार का पूर्वी दिल्ली नगर निगम ने पूरा-पूरा हिसाब रखा है, ऐसे में हमारी संख्या में गड़बड़ी की कोई गुंजाइश नहीं है।’’ 

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दिल्ली में कोरोना वायरस के मामले बढ़ने के साथ अधिकारी सूक्ष्म निरूद्ध क्षेत्र बना रहे हैं

राष्ट्रीय राजधानी में कोरोना वायरस के बढ़ते मामलों के बीच कुछ जिलों के अधिकारी सूक्ष्म निरूद्ध क्षेत्र बना रहे हैं जहां दो या अधिक संक्रमण के मामले सामने आए हैं। अधिकारियों ने बुधवार को कहा कि महामारी के बेहतर प्रबंधन के लिए ऐसा किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि सामान्य तौर पर किसी क्षेत्र को तब निरूद्ध क्षेत्र घोषित किया जाता है जहां कोविड-19 के तीन या अधिक मामले सामने आते हैं। लेकिन यह ऐसा अभ्यास है जिसे जिले के अधिकारी जरूरत के आधार पर करते हैं। दिल्ली महामारी रोग कोविड-19 नियमन, 2020 में जिलाधिकारी को किसी क्षेत्र को सील करने, निरूद्ध क्षेत्र से आबादी के प्रवेश या निकासी को प्रतिबंधित करने और महामारी को फैलने से रोकने के लिए स्वास्थ्य विभाग की तरफ से जारी किसी उपाय को लागू करने का अधिकार देता है। दिल्ली सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, दक्षिण पश्चिम और उत्तर पश्चिम जिलों में सूक्ष्म निरूद्ध क्षेत्र बनाये गये हैं, जबकि अन्य जिले भी बेहतर तरीके से वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए लचीला रूख अपना रहे हैं। दक्षिण पश्चिम जिले के जिलाधिकारी ने जिले में कोरोना वायरस फैलने को देखते हुए सूक्ष्म निरूद्ध क्षेत्र बनाने का आदेश रविवार को जारी किया। 

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उत्तराखंड में कोविड-19 के 482 नए मरीज सामने आए, 12 और संक्रमितों की मौत

उत्तराखंड में बुधवार को 482 और लोगों के कोरोना वायरस से संक्रमित होने की पुष्टि हुई जबकि 12 और मरीजों ने महामारी से दम तोड़ दिया। यहां प्रदेश के स्वास्थ्य विभाग द्वारा जारी बुलेटिन के अनुसार, 482 नए मरीजों के मिलने के साथ ही प्रदेश में कोरोना वायरस संक्रमितों की संख्या बढ़कर 72,642 हो गयी है। बुलेटिन के मुताबिक ताजा मामलों में सर्वाधिक 157 संक्रमित देहरादून जिले में मिले जबकि नैनीताल में 59, हरिद्वार में 50, पौड़ी में 47 और पिथौरागढ़ में 44 नए मरीज सामने आए। विभाग ने बताया कि बुधवार को प्रदेश में 12 और कोविड-19 मरीजों ने दम तोड़ दिया जिन्हें मिलाकर अबतक राज्य में 1,185 मरीज इस महामारी में अपनी जान गंवा चुके हैं। बुलेटिन के मुताबिक प्रदेश में बुधवार को 444 और मरीज उपचार के बाद स्वस्थ हो गए जिन्हें मिलाकर अब तक कुल 66,147 मरीज स्वस्थ हो चुके हैं जबकि उपचाराधीन मरीजों की संख्या 4,658 है। बुलेटिन के मुताबिक प्रदेश से 652 संक्रमितों ने अबतक पलायन किया है।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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