योगी ने तो फुल डिस्टिंक्शन के साथ पास कर ली अपनी परीक्षा, साल के अंत में होगा बीजेपी आलाकमान का बड़ा इम्तिहान

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अभिनय आकाश । Apr 9 2022 1:04PM

योगी ने अपनी सबसे बड़ी परीक्षा पास कर ली और वो भी फुल डिस्टिंक्शन मार्क्स के साथ। लेकिन अब इस साल के अंत में बीजेपी के आलाकमान का सबसे बड़ा इम्तिहान होने जा रहा है। इस साल नवंबर-दिसंबर में गुजरात और हिमाचल प्रदेश में चुनाव होने हैं।

2017 की जीत को बीजेपी 2022 में दोहरा पाएगी इसको लेकर काफी संशय और सवाल थे। कोरोना की तबाही सामने थी, किसानों का विरोध सामने था, जातिगत संतुलन को लेकर भी तरह-तरह की बातें की जा रही थी। लेकिन सीएम योगी ने ये दिखा दिया कि उनके रहते हुए कोई भी लक्ष्य नामुमकिन नहीं। योगी पहले योगी से राजा बने अब वो इस जीत के साथ सम्राट की तरह दिखने लगे हैं। यूं तो कहा जाता है कि दिल्ली की गद्दी का रास्ता यूपी से होकर जाता है और 2022 का विधानसभा चुनाव 2024 से पहले सत्ता का सेमीफाइनल माना जा रहा था। योगी ने अपनी सबसे बड़ी परीक्षा पास कर ली और वो भी फुल डिस्टिंक्शन मार्क्स के साथ। लेकिन अब इस साल के अंत में बीजेपी के आलाकमान का सबसे बड़ा इम्तिहान होने जा रहा है। इस साल नवंबर-दिसंबर में गुजरात और हिमाचल प्रदेश में चुनाव होने हैं। गुजरात जो कि देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह का गृह राज्य है। वहीं हिमाचल प्रदेश बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा का गृह राज्य है। ऐसे में इन दोनों राज्यों के चुनावी नतीजों राजनीतिक और बीजेपी के लिए रणनीतिक तौर पर भी बेहद ही अहमियत रखते हैं। जिसके लिए उन्होंने अभी से ही तैयारियां शुरू कर दी है। 

हिमाचल में बदलेगा सत्ता के अदल बदल का खेल

इसी साल के अंत में होने वाले हिमाचल प्रदेश के विधानसभा चुनाव में बीजेपी हर हाल में जीत दर्ज करना चाहेगी। 2017 के चुनाव में 68 सीटों में से 44 को अपने नाम कर बीजेपी सत्ता में आई। हिमाचल प्रदेश का राजनीतिक इतिहास बताता है कि पिछले चार दशकों में यहां किसी भी पार्टी ने दोबारा सत्ता नहीं पाई है। यानी 1980 के बाद से ही कांग्रेस और बीजेपी के बीच सत्ता की अदला-बदली का खेल चलता रहा है। 1980 में ठाकुर रामलाल राज्य के सीएम बने। 1982 में उन्हें आंध्र प्रदेश का गवर्नर बनाया गया। फिर वीरभ्रद सिंह ने मुख्यमंत्री पद संभाला। 1985 में वीरभद्र सत्ता में आए और उसके बाद से किसी भी सरकार ने दूसरी बार कार्यकाल हासिल करने में सफलता नहीं पाई। 

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मिथक तोड़ने की महारथी बीजेपी

उत्तर प्रदेश में जीत की इबारत लिखने के बाद बीजेपी को पूरा विश्वास है कि वो इस मिथक को भी वैसे ही ध्वस्त करेगी जैसा की यूपी में किया। उत्तर प्रदेश में 37 साल बाद कोई पार्टी लगातार दूसरी बार सत्ता में आई। वहीं 2002 में बने उत्तराखंड में भी ऐसा ही कुछ बीजेपी ने करके दिखाया। बीजेपी ने इसके लिए अपनी तैयारियां भी तेज कर दी है। जिसकी कमान बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने खुद अपने हाथों में संभाल ली है। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा शनिवार को शिमला में रोड शो से हिमाचल प्रदेश में चुनावी शंखनाद करेंगे। 10 अप्रैल को सड़क मार्ग से बिलासपुर जाएंगे। जनसभा के बाद राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा विधायक दल, कोर ग्रुप और पार्टी पदाधिकारियों की बैठक लेंगे। 

गुजरात में 27 सालों से बीजेपी

पांच राज्यों में चार में विजय का भगवा लहराने के अगले दिन अहले सुबह गुजरात की सड़कों पर नरेंद्र मोदी केसरिया टोपी पहने स्वागत के पुष्पों के बीच लोगों का अभिवादन करते हुए उन तस्वीरों को भला कौन भुला सकता है। 9 किलोमीटर लंबा रोड शो को प्रधानमंत्री के गृह राज्य में हुआ और वी फॉर विक्टरी का साइन दिखाते हुए पीएम नजर आते हैं जहां नौ महीने के भीतर चुनाव होने हैं और लगभग पिछले 27 सालों से बीजेपी काबिज है। गुजरात पीएम मोदी और अमित शाह दोनों का गृह राज्य है। ऐसे में गुजरात की जीत अपने आप में बहुत खास बन जाती है। खास बात ये भी है कि 1995 में गुजरात की सत्ता में हैं। 

काफी अहम है इस बार की जंग

2017 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी का प्रदर्शन पहले के मुकाबले कमजोर रहा। इससे पहले हुए पांच विधानसभा चुनावों- 1995, 1998, 2002, 2007 और 2012 में प्रदेश की कुल 182 असेंबली सीटों में बीजेपी 115 से 127 सीटों के बीच थी। लेकिन 2017 वह 99 सीटें ही जीत सकी थी। इससे पहले 1990 में बीजेपी ने प्रदेश में 100 से कम सीटें जीती थीं।

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