हरिद्वार में १२ नहीं ११ साल बाद ही पड़ रहा है कुंभ, क्या है बृहस्पति की आकाशीय स्थिति

Kumbh is falling in Haridwar
दिनेश शुक्ल । Mar 10 2021 6:09PM

लगभग हर 12 साल बाद जुपिटर और हर 12 माह बाद सूर्य आकाश में अपने पहले स्थान पर आ जाता है। इनके 12 साल बाद लौटकर अपने स्थान पर आने पर हरिद्वार, प्रयागराज, उज्जैन और नासिक के कुम्भ को तय किया गया था।

भोपाल। इस साल महाशिवरात्रि का पर्व 11 मार्च को मनाया जाएगा। इस दिन हरिद्वार में कुम्भ का शाही स्नान होगा और एक अप्रैल से महाकुंभ की शुरुआत होगी। आमतौर पर हर 12 साल के बाद महाकुंभ होता है, लेकिन इस बार बृहस्पति की आकाशीय स्थिति के कारण 11 साल बाद ही महाकुम्भ का आयोजन होने जा रहा है।भोपाल की राष्ट्रीय अवार्ड प्राप्त विज्ञान प्रसारक सारिका घारू ने बताया कि जुपिटर (बृहस्पति) को सूर्य की एक परिक्रमा करने में 11.86 साल लगते हैं। इस तरह हर 12 साल में 47 दिन का अंतर आ जाता है। सातवें और आठवें कुम्भ के बीच यह अंतर बढ़ते-बढ़ते लगभग एक साल हो जाता है। ऐसे में हर आठवां कुम्भ 11 वर्ष बाद ही हो जाता है। 

 

इसे भी पढ़ें: शराब पीकर विवाद, बचाव करने आए युवक की हत्या

सारिका ने कुम्भ के समय निर्धारण की गणना विधि समझाने के लिए एक नदी के किनारे गृहों और राशियों की एक घड़ी लगाई, जिसमें उन्होंने घंटे के कांटे पर बृहस्पति तो मिनट के कांटे पर सूर्य को परिक्रमा करते दिखाया। कुम्भ की इस घड़ी के चलित मॉडल की मदद से सारिका ने समझाया कि आमतौर पर हर 12 साल बाद किसी एक स्थान पर होने वाले कुम्भ का निर्धारण आकाश में दिखने वाले बृहस्पति (जुपिटर) और सूर्य की स्थिति के आधार पर तय होता है। जिस प्रकार किसी घड़ी में घंटे एवं मिनट के दो कांटे समय तय करते हैं, इसके 12 घंटे बाद कांटे अपनी पहली अवस्था में आ जाते हैं। इसी प्रकार लगभग हर 12 साल बाद जुपिटर और हर 12 माह बाद सूर्य आकाश में अपने पहले स्थान पर आ जाता है। इनके 12 साल बाद लौटकर अपने स्थान पर आने पर हरिद्वार, प्रयागराज, उज्जैन और नासिक के कुम्भ को तय किया गया था।

 

इसे भी पढ़ें: सरपंच व सचिव को 10-10 वर्ष का कारावास, सरकारी राशि के गबन मामले में सुनाई गई सज़ा

हरिद्वार का कुम्भ तब होता है जब आकाश में बृहस्पति कुम्भ तारामंडल में और सूर्य मेष तारामंडल के सामने आते दिखते हैं। इस बार बृहस्पति 11वें साल में ही कुम्भ तारामंडल के पास पहुँच रहा है और अप्रैल माह में सूर्य मेष तारामंडल में रहेगा, इसलियेे हरिद्वार में कुंभ का आयोजन 2010 में होने के बाद 11वें वर्ष में ही एक साल पहले होने जा रहा हैं। उन्होंने बताया कि इसके पहले 1927 में कुम्भ होने के बाद अगला कुम्भ 12 साल बाद यानी 1939 में होना था, लेकिन वह 11वें साल 1938 में ही हो गया था।

We're now on WhatsApp. Click to join.
All the updates here:

अन्य न्यूज़