देश और मध्य प्रदेश में कोरोना की चिंताजनक हालात के लिए प्रधानमंत्री मोदी और प्रदेश भाजपा जिम्मेदार-कमलनाथ

Kamal Nath
दिनेश शुक्ल । Apr 12 2020 9:16PM

कमलनाथ ने कहा कि मध्य प्रदेश कांग्रेस सरकार कोरोना से लड़ने की तैयारी में लगी थी और प्रदेश की भाजपा अपनी सत्ता की भूख मिटाने में लगी थी। हमने अपने बजट सत्र का 16 मार्च से शुरू होने का नोटिफिकेशन पहले ही जारी कर दिया था। हम कोरोना महामारी की गंभीरता को जानते थे।

भोपाल। मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ ने रविवार को एक ऑनलाइन प्रेसवार्ता के दौरान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और प्रदेश भाजपा पर गंभीर आरोप लगाए। उन्होनें कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के लिए कोरोना की रोकथाम से ज्यादा महत्वपूर्ण मध्य प्रदेश की सरकार को गिराना रहा है। सबसे पहले प्रदेश भाजपा ने अपने केन्द्रीय नेतृत्व के साथ मिलकर 3-4 मार्च को कांग्रेस सरकार गिराने की पहली कोशिश की, जिसमें कुछ कांग्रेस के और कुछ निर्दलीय विधायकों को दिल्ली ले जाया गया। मगर वे इस कोशिश में कामयाब नहीं हुए। तब दूसरा प्रयास 8 मार्च को तीन चार्टर प्लेन करके कांग्रेस के 6 मंत्रियों सहित 19 विधायकों को बेंगलुरू के रिसोर्ट में रखा गया। फिर 10 मार्च को बीजेपी के एक पूर्व मंत्री ने विधान सभा अध्यक्ष को उन लोगों का इस्तीफा सौंपा। 12 मार्च को डब्ल्यू.एच.ओ ने कोरोना को पेंडेमिक घोषित किया अर्थात विश्व की महामारी घोषित कर दिया।

इसे भी पढ़ें: अगर मध्यप्रदेश में मुख्यमंत्री कैबिनेट बनाने में सक्षम नहीं हैं तो लगायें राष्ट्रपति शासन : तन्खा

कमलनाथ ने कहा कि मध्य प्रदेश कांग्रेस सरकार कोरोना से लड़ने की तैयारी में लगी थी और प्रदेश की भाजपा अपनी सत्ता की भूख मिटाने में लगी थी। हमने अपने बजट सत्र का 16 मार्च से शुरू होने का नोटिफिकेशन पहले ही जारी कर दिया था। हम कोरोना महामारी की गंभीरता को जानते थे। हमने राज्यपाल के अभिभाषण के तत्काल बाद 16 मार्च को ही सत्र 26 मार्च तक के लिए स्थगित कर दिया ताकि हम इस गंभीर महामारी के खिलाफ लड़ाई में लग जाए। इसके विरूद्ध भाजपा सुप्रीम कोर्ट गई। केंद्र सरकार सुप्रीम कोर्ट के फैसले का इंतजार करती रही। आखिर में कांग्रेस की सरकार गिरा कर भाजपा ने 23 मार्च को अपना मुख्यमंत्री मध्यप्रदेश में बनवाया और फिर 24 मार्च रात 12 बजे से लॉक डाउन घोषित किया। मतलब साफ है कि केंद्र की मोदी सरकार ने अपनी सरकार बनवाने के लिए पूरे देश और हमारे प्रदेश की जनता की जान जोखिम में डाल दी।

इसे भी पढ़ें: देश में कोविड-19 मृतकों की संख्या 273 हुई, संक्रमितों की संख्या हुई 8000 के पार

उन्होनें कहा कि केन्द्र सरकार और भाजपा को विश्व की सबसे भीषणतम महामारी कोरोना की कितनी चिंता थी इसके लिए 8 मार्च से 24 मार्च तक के घटनक्रम महत्वपूर्ण है। कोरोना से देश को बचाने की चिंता तब हुई जब 20 मार्च को मैंने इस्तीफा, 23 मार्च को शिवराज सिंह चैहान ने प्रदेश में शपथ ली तब जाकर 24 मार्च को देश व्यापी लॉक डाउन करने की घोषणा हुई। जबकि भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के युवा नेता राहुल गांधीजी ने 12 फरवरी को कोरोना बीमारी की भयावहता और उसको लेकर भारत में की जा रही लापरवाही की ओर केंद्र सरकार का ध्यान आकर्षित किया था। लेकिन प्रधानमंत्री मोदी के लिए सबसे अधिक महत्वपूर्ण था मध्यप्रदेश की सरकार को गिराना न कि कोरोना की रोकथाम करना। पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने पत्रकार वार्ता में मध्यप्रदेश की एक चुनी हुई सरकार को गिराने ओर अलोकतांत्रिक तरीके से सरकार को बनाने के लिए प्रदेश सहित देश की जनता की जान को खतरे में डालने का आरोप लगाया।  

इसे भी पढ़ें: कोरोना से जंग में प्रदेश के सभी पूर्व मुख्यमंत्रियों का साथ लेकर क्या दर्शाना चाह रहे हैं शिवराज?

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ ने मध्य प्रदेश में कोरोना संक्रमण को लेकर चिंता जाहिर करते हुए कहा कि कोरोना की चिंताजनक स्थिति के कारण में अपने राज्य और नागरिकों को लेकर बेहद चिंतित हूँ। यहां के हालात दूसरे राज्यों से बिल्कुल अलग है। प्रदेश में प्रजातंत्र के नाम पर एक मुख्यमंत्री मात्र हैं। न स्वास्थय मंत्री है, न गृह मंत्री है, मतलब कैबिनेट ही नही है, न ही लोकल बॉडी है, सब नदारद है। आज इस लड़ाई की सबसे बड़ी जिम्मेदारी हेल्थ डिपार्टमेंट की है। प्रदेश के हैल्थ डिपार्टमेंट की प्रिंसिपल सेकेट्री सहित 45 से अधिक अधिकारी कोरोना पॉजिटिव हो गए है। मध्यप्रदेश वह पहला राज्य है, जहॉ इस जंग में दो डॉक्टरों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा है। इंदौर शहर सबसे ज्यादा प्रभावित है और राजधानी भोपाल दूसरे नंबर पर है। मध्यप्रदेश देश का एकमात्र प्रदेश है, जहाँ जितने मरीज ठीक हुए है लगभग उतनों की ही मृत्यु हो गई है। इस लॉक डाउन का लाभ तब ही होगा जब हम अधिक से अधिक टेस्ट करांएगें। मध्यप्रदेश में 10 लाख लोगों पर मात्र 55 टेस्ट हो रहे है जो बेहद चिंता जनक है। प्रदेश के 20 जिलों में इस महामारी की पहुँच हो चुकी है। सबसे बड़ी चिंता किसानों की है। उनकी फसल पक गई है। सरकारी खरीद 25 मार्च को चालू हो जानी थी, अभी तक उसका कुछ पता नही है। रोज कमाकर खाने वालों की चिंता है। उन तक मदद नही पहुँच रही रही है।

इसे भी पढ़ें: भोपाल के इस डॉक्टर ने कोरोना से जंग लड़ने कार को ही घर बना लिया, कोरोना के खिलाफ ये है सच्चे योद्धा

केन्द्र सरकार को अपने सुझाव देते हुए कमलनाथ ने कोरोना महामारी रोकथाम के लिए कहा कि ऐसी व्यवस्था की जाये कि हमारी सप्लाई चेन न टूटे। जो उत्पादक राज्य हैं वहां उनके उत्पादन को बरकरार रखने की कोशिश होनी चाहिए। देश भर के ज्यादा संक्रमित जिलों की रैपिड मैपिंग हो और वहॉ रैपिड एंटी बॉडी टेस्ट अधिक कराए जाए। देश के हर जिले में प्रवासी मजदूरों और छात्रों की मदद के लिए एक केंद्र स्थापित किए जाऐ। उनमें भरोसा जगाया जाए और जो अपने घर जाना चाहते है उन्हें समय बद्ध तरीके से भेजा जाए। मनरेगा के कानून में प्रावधान है कि अगर सरकार उन्हें काम नही दे सकती है तो मुआवजा देना होगा। उन्हें तुरंत मुआवजा दिया जाए। किसानों की रबी फसल की समर्थन मूल्य पर खरीदी के लिए तत्परता से कार्यवाही की जाए। जो कोरोना मरीज ठीक हो कर घर जा चुके हैं उनकी कुछ समय के लिए नियमित जॉच निर्धारित की जाए। साधारण मरीजों को देखने वाले डॉक्टरों को भी पीपीई अनिवार्य किया जाए, ताकि वे भी संक्रमण से बचे रहें और बाकी मरीज भी सुरक्षित रहें।

कमल नाथ ने कहा कि कांग्रेस पार्टी इस महामारी से लड़ाई में केंद्र सरकार के साथ है। आज पूरी दुनिया नोवल कोरोना गंभीर महामारी की चपेट में है। दुनिया के सभी देश सामूहिक रूप से भी और अपने अपने स्तर पर इसका समाधान तलाश रहे हैं। हजारों लोग रोज इस महामारी की चपेट में आ रहे हैं। कांग्रेस पार्टी इस महामारी से लड़ाई में केंद्र सरकार के साथ है। हम यह लड़ाई ऊॅचे हौसले से लड़ रहे हैं। सब मिलकर लड़ रहे हैं। सभी दल अपनी पार्टी के दायरे से उठकर एक साथ है। हम हर हाल में सब मिलकर इस लड़ाई को जीतेंगे।

We're now on WhatsApp. Click to join.
All the updates here:

अन्य न्यूज़